मैंने उसकी तरफ देखा और उसके होंठो पे अपने होठ रख दिये. वो भी मेरा साथ दे रही थी मैंने 4-5 मिनट तक उसके होठों पर अपने होठ टिकाये रखे. इतने में किसी के आने की आवाज़ आई और हम दोनों पहले वाली स्थिति में आ गए और पढने का बहाना करने लगे……..
Month: August 2017
घर पे ही हो गया चूत का मंथन
मैने भी वक़्त ना गवाते हुए थोड़ा और आगे की तरफ सरका. मेरा लंड अब विभा के चूतड़ो के बीचो-बीच सटा हुआ था. विभा ने अब एक कदम आगे आगे बढ़ाते हुए ज़मीन से उठ कर मेरे लंड पर बैठने की कोशिश की. मैने भी साथ देते हुए उसको अपने लंड पर पायजामे के ऊपर से ही सेट कर लिया……
एक पल की भूल
दोस्तों! अकेलापन इस दुनिया की सबसे बड़ी सजा है. जिन्होंने ये सजा भुगती होगी वो मुझसे इत्तेफाक रखेंगे. ऐसे ही इन लम्हों में मेरे जीवन में रवि आया और उसके साथ वो पल भी आया जो मेरे लिए सुनहरी यादें थी तो उसके लिए मात्र एक भूल…..
पड़ोसी से बना रिश्ता- भाग 3
दोस्तों मैं रश्मि जोशी! एक बार फिर से हाजिर हूँ आपकी आगे की कहानी जानने की जिज्ञासा को शांत करने के लिए. मेरी आपबीती “पड़ोसी से बना रिश्ता” के भाग 1 व 2 में आप ने जाना कि किस तरह मेरे पडोसी अक्षय की ओर मैं आकर्षित हुयी. किस तरह उसने पहले मेरी अपने घर पे ले जाकर चुदाई की और फिर मेरे पति के 5 दिनों तक शहर से बाहर रहने का फायदा उठा कर मेरे घर पे ही मेरी चुदाई की. अब आगे……
होटल का कमरा
रंडियों और उनके कस्टमर के आने का सिलसिला जारी था. मेरी नींद उड़ चुकी थी. मैं पहली बार ये सब इतने करीब से देख रहा था. मैं अब कमरे से बाहर निकल कर लॉबी में ही टहल रहा था. रंडियां जब सीढ़ी से उतरतीं तो मेरी और उनकी नजर मिलती. एक ने तो मुस्कुरा कर मुझे आँख भी मारी…..
पडोसी से बना रिश्ता- भाग 2
हाय दोस्तों! मैं रश्मी जोशी फिर से अपनी अगली कहानी के साथ हाजिर हूँ. अपनी पिछली कहानी “पडोसी से बना रिश्ता- भाग 1” में मैं अपने और अपने पडोसी लड़के अक्षय के साथ बाने सेक्स सम्बन्ध के बारे में बता चुकी हूँ. अब मैं उससे आगे की घटना को बताना चाहती हूँ…..
जलती चूत, सुलगता लंड!
चूत और लंड का रिश्ता (+ )और (-) की तरह होता है. संपर्क में आये नहीं कि….. घर्षण चालू. ….. और फिर एक हो जाते हैं. महक भाभी और मेरे बीच का रिश्ता भी कुछ-कुछ इसी तरह का है. इस रिश्ते के बनने की कहानी है ये………
मैम की चूत में मेरे लंड का दे-दना-दन
मेरे गुरुदक्षिणा की हर बूँद उन्हें अमृत के समान लग रही थी….. हर धक्का देह यज्ञ की आहुति बन रहा था. वासना का ज्वर जब उतरा तब तक मैम की भावनाएं संतृप्त हो चुकी थीं. लेकिन हमेशा के लिए मेरे ह्रदय पे अंकित ये दास्तान बदस्तूर जारी रही……
पड़ोसी से बना रिश्ता-भाग 1
रोज रोज मैं उसको या यूँ कहें…. उसके गठीले बदन को, अपनी निगाहों से चोदती थी. लेकिन वो एक खास दोपहर थी जब उसने मुझे चोदा…. और क्या खूब चोदा? अब तो पति का लंड भी अपनी चूत में उसी का समझ कर लेती हूँ……..
छोटी बहन के साथ सुहागरात
लंड और चूत जब अपने उफान पे हों तो कोई रिश्तों की मर्यादा उन्हें रोक नहीं सकती. ये वो अंग हैं जो मन को बेकाबू करते हैं या यूँ कहें की मन इनको बेकाबू कर देता है. ऐसा ही हम दोनों भाई-बहन के साथ हुआ जब चुदाई के धक्कों से रिश्तों की दीवार गिर गयी………