तब तक वो खुद ही मेरा हाथ अपनी चूत के पास उसके दाने के पर रगङ ने लगी थी। तो मैने भी अपनी एक उगली उसकी चूत के छेद के अन्दर कर दी तो वो सिसक पङी। उसने एक हाथ से मेरे पायजामे के अंदर कड़क हो चुके लंड को पकड़ लिया. अब मै उसकी चूत में ऊँगली करते हुए उसकी चूत को चोदे जा रहा था और वो मेरे लंड को पकड़ कर मुठ मार रही थी……
Month: September 2017
चूत की सेवा- समाज सेवा
अब उसकी बारी आई तो वो मेरे लण्ड को मुह में लेकर चूसने लगी। क्या सुख था यार? जन्नत की सैर हो रही थी। लेकिन मैं उसके मुह में झड़ना नही चाहता था। मैंने उसको सीधा बेड पर लिटा दिया और उसकी चूचियो को पीने लगा…….
हसीन सपना सच हुआ
मैं अपनी गर्दन थोड़ी उठाते हुए आँटी के होंठ चूमने लगा। आंटी भी पूरा साथ देने लगीं। होंठ चूमते-चूमते मैं अपने दोनों हाथो से आँटी के दोनो बूबे दबाने लगा। आंटी पूरी तरह से मस्त होकर सिसकारियाँ लेने लगी….
पड़ोसन भाभी का प्यारा तोहफा
मेरा पति तो सिर्फ बस मुझे चूत चुदाई ही करता है। बाकी कुछ नहीं। माहजबीं ने बताया मुझे कि कैसे तुम उसकी चूत और गांड चाटते हो? कैसे अपना लण्ड उसके मुँह में देते हो? मुझे भी यह सब करने का बहुत शौक है……..
जन्मदिन का तोहफा
मैने अब दांतो से उसकी पैन्टी को पकड़ा और नीचे की तरफ बढ़ने लगा। उसकी पैन्टी उतरने के बाद मैने उसके चूत के दाने को पकड़ा और मसलने लगा। वो और ज्यादा गर्म हो चुकी थी। अब वो अपने पे काबू नहीं रख पर रही थी………..
ऑनलाइन से ऑफलाइन चुदाई तक
दस मिनट बाद वो लोअर और टी-शर्ट पहन कर कमरे में आई.. मेरा दिल जोर से धड़क पड़ा था। वो मुझसे दूर कुर्सी पर बैठ गई और बातें करने लगी। अब मेरी बर्दाश्त करने की हद्द खत्म होती जा रही थी क्योंकि एक तो वो बला की खूबसूरत और ऊपर से उसका फिगर.. मेरी जान लिए पड़ा था……..
भाभी ने पूरी की मेरी कामेच्छा
थोड़ी देर बाद मैंने दूसरा झटका मारा और पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया। मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रख उनका मुँह बंद किया और करीब दो मिनट तक उसे चूमता रहा। जब उनका दर्द कुछ कम हुआ तो फिर धीरे-धीरे करते हुए अपना लंड आगे-पीछे करने लगा।अब भाभी को मजा मिलने लगने लगा था……..
ऑफिस में पूरी की आशा की आशा
कुछ तमन्नाएँ ऐसी होती हैं, जिनके बारे में सोच कर ही मजा आ जाता है. और जब वो पूरी हो रही हों तो सोचो कितना मजा आता होगा. आशा की चूचियों को भी अपने आगोश में लेने की तमन्ना भी ऐसी ही थी. फिर वो दिन भी आया जब उसका मांसल जिस्म मेरे लंड से रगड़ खा रहा था…….
वासना का बुखार और उमा चाची
चाची के गदराये बदन और मेरे उन्नत लंड को बेइन्तहां एक दूसरे की जरूरत थी. लेकिन पहल नहीं हो पा रही थी. लेकिन वासना का ज्वार भाटा आखिर कब तक शान्त रहता. और फिर उस दिन वो बाँध टूट ही गया…….
चुदाई का पहला एहसास
सामान्य धारणा यही है कि सेक्स के लिए हमेशा पुरुष ही ज्यादा उत्साहित होते हैं. लेकिन सोना के साथ मेरा अनुभव थोड़ा अलग था. उसकी वफ़ादारी पे मुझे कभी कोई शक नहीं रहा. लेकिन चुदाई की उसकी तीव्र इच्छा मेरे सोये हुए लंड को जगा देती है…….