अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि आग दोनों तरफ लग चुकी थी, दोनों के बदन इस आग में झुलस रहे थे, दोनों एक दूसरे की बांह में समा जाने चाहते थे. अपना – अपना पानी निकाल कर दोनों ने कुछ वक्त के लिये अपनी इस आग को बुझा तो दिया था पर अंदर दबी हुई चिंगारी किसी भी वक्त उसे फिर से भड़का सकती थी…
इस कहानी का पिछला भाग – सलीम की शराफत शबनम की शरारत – भाग 1
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