एक बार मैं अपने गांव गया था. वहां का मौसम देख कर मुझे अपनी गांड में केला लेने का मन हुआ और फिर मैं ट्यूबवेल पहुंच गया. लेकिन मेरी गांड के भाग्य में तो लन्ड लेना लिखा था, वही मिला…
अकील अहमद
मैं बन गया कुत्ता!
मैं बन गया कुत्ता…देखो बन गया कुत्ता ….बांध इशक का पट्टा…..देखो बन गया कुत्ता…. ये गाना तो आपने जरूर सुना होगा. लेकिन ये गाना मेरी असल जिन्दगी में भी चरितार्थ हो रहा था. मेरी गर्लफ्रेंड की ये फैंटसी पूरा करना मुझे सच में काफी आनन्द दायक लगा. बिलकुल अलग तरह का सेक्स एन्जॉय किया था मैंने…..