भाई से चुदवा कर कितना मज़ा आता है ये तो वही जनता है जिसने ऐसा किया है. मैंने भी चुदवाया. इस चुदाई ने मेरी अय्यासी के सारे रास्ते खोल दिये. भैया से चुद कर मुझे किसी का डर नहीं रहा और अब मैं उनके सामने ही दूसरों से चुदने लगी…
इस कहानी का पिछला भाग : अपनी अय्यासी के लिए भैया को पटाया भाग – 3
भैया की फटती देख मैंने खुद ही अपनी गांड को थोड़ा सा उनकी तरफ धकेल दिया. इससे मेरी गांड की फांक के बीच में उनका लन्ड आ गया. अब मैं ये अच्छी तरह से महसूस कर रही थी. इसके बाद मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से अपने शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया.
अब मैं सिर्फ पैंटी में रह गई. ये बात भैया को भी पता चल गई. इससे उनका साहस बढ़ गया और फिर उन्होंने हिम्मत करके अपना एक हाथ मेरी चूची पर रख दिया. जब मेरी तरफ से इसका कोई विरोध न हुआ तो वे उसे मसलने लगे.
इसके बाद उन्होंने मेरा टी-शर्ट ऊपर उठा दिया. जिससे मेरे दोनों कबूतर आज़ाद हो गए. इसी बीच उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पैंटी में डाल दिया और उंगली को चूत में डालने की कोशिश करने लगे. लेकिन जब सफल नहीं हुए तो चूत को सहलाने लगे.
इतने पर भी जब मैंने कोई विरोध न किया तो भैया मेरे ऊपर भूखे और वहशी इंसान की तरह टूट पड़े. वे एक हाथ से खूब तेजी से मेरे मम्मे मसलते और दूसरे से मेरी बुर. अब उनका उनके ऊपर कंट्रोल न रहा.
दोस्तों, मैं भी तो यही चाहती थी कि उनको उत्तेजित करके इतना पागल कर दूं कि वो मुझे चोदे बिना न रह पाएं. और मैं अपने इस मकसद में पूरी तरह अब कामयाब छप चुकी थी.
इसके बाद मैंने भैया से कहा कि पहले टी-शर्ट तो निकाल दो, इतनी भी क्या जल्दी? तब उन्होंने कुछ बोले बिना ही मेरी टी-शर्ट निकाल दी. उसके बाद मेरी ब्रा और पैंटी को उन्होंने खींच के फाड़ दिया. भैया का जोश अब देखने लायक था.
मैं भी पूरी तरह उत्तेजित थी. मेरी ब्रा फटने के बाद मैंने भी उनकी अंडर वियर खींच के फाड़ दी और उनके लन्ड से खेलने लगी. जिस लन्ड के लिए मैं कितने दिनों से तड़प रही थी वो आज मेरे सामने था. फिर मैं बिना कुछ कहे उसे मुंह में लेकर चूसने लगी. दूसरी तरफ भैया मेरी चूचियों से खेल रहे थे.
दोस्तों, इस खेल में इतना मज़ा आ रहा था कि मैं शब्दों में नहीं बता सकती. मेरी चुदक्कड़ बहनें कभी अपने भाई के साथ ये खेल खेल के देखें तो पता चलेगा कि क्या मस्त मज़ा आता है. बहनचोद भाई अपनी बहनों को चोद के देखें, सारी जन्नत इसी में है.
अब भैया 69 की पोजिशन में आ गए और मेरी चूत को चूसने लगे. मेरी चूत में जब वो अपनी जीभ घुसते तो मैं एक दम से स्वर्ग में पहुंच जाती. चूत चुसवाते समय मेरे मुंह से मादक आवाजें निकल रही थीं. कमरे के बाहर मेरी इस आवाज को सुनने वाला कोई नहीं था.
भैया ने मेरी चूत को चूस – चूस के मुझे पागल कर दिया था. अब मैं पागलों की तरफ कुछ भी बोलने लगी थी. मैंने कहा कि बस करो भैया अब जल्दी से अपना लन्ड मेरी चूत में घुसा दो महीन तो मैं मर जाऊंगी. घुसा दो अपना लोहे का रॉड मेरी छोटी सी चूत में.
मेरी तड़प देख के भैया ने भी देर न करते हुए सीधे होकर मेरी चूत में अपना लन्ड पेल दिया. पहली बार में उनका 4 इंच लन्ड मेरी चूत में घुस गया. इस पर मैंने अपनी गांड उठा कर कहा – भैया, और घुसाओ न. इस बार उन्होंने कस के धक्का मारा और चिल्लाने लगी. मेरी सील टूट चुकी थी और अब मैं कुंवारी नहीं रह गई थी.
मैं काफी तेजी से चिल्ला रही थी और भैया से कह रही थी कि निकाल लो अपना लन्ड नहीं तो मैं मर जाऊंगी. इस पर भैया बोले कि आवाज मत करो नहीं तो नीचे मकान मालिक तक आवाज पहुंच जाएगी. यह सुन कर मैं चुप हो गई लेकिन दर्द हो रहा था. भैया ने मेरी चुदाई चालू रखी.
थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ तो मैं मादक सिसकारियां लेने लगी और भैया से तेजी से चुदाई के लिए कहने लगी. मैं कह रही थी कि चोदो भैया कस के चोदो, पेल दो अपनी बहन की में अपना लन्ड, और चोदो, तेजी से चोदो मुझे.
मेरी बातें सुन कर वो अपनी स्पीड बढ़ा रहे थे. लेकिन उनका लन्ड 8 इंच का है उससे ज्यादा तो चोद नहीं सकते थे. यह देख मैंने अपनी गांड के नीचे तकिया लगा लिया. इससे लन्ड और अंदर तक जाने लगा. भैया बिना कुछ बोले लगातार 15 मिनट तक मेरी चुदाई करते रहे. इसी बीच उनके लन्ड ने मेरी चूत में अपनी पिचकारी छोड़ दी. लेकिन मेरी प्यास तो अभी भी नहीं बुझी थी.
अब भैया को डराने और अपना काम निकालने की बारी थी. मैंने कहा – भैया, अपने अपनी सगी बहन को अकेले पाकर उसका फायदा उठाया और उसी को चोद दिया. इस पर वो चुप रह गए. वे जानते थे कि उनकी चुदाई से मेरा मन नहीं भरा. फिर मैंने कहा कि मैं जा रही हूं पापा को फ़ोन करने और कहने कि भैया ने यहां मुझे अकेले पाकर चोद दिया.
यह सुनते ही भैया की फट गई. उन्होंने हाथ जोड़ा और बोले – गलती हो गई, अब कभी ऐसा नहीं करूंगा, तुझे जो सजा देनी है दे ले लेकिन पापा को मत बता नहीं तो मेरी पढ़ाई बर्बाद हो जाएगी.
यह सुन कर मैं बोली कि ऐसी बात है तो फिर ठीक है, मैं पापा से नहीं बताती लेकिन आज के बाद अब तुम मेरे गुलाम रहोगे. मैं जो कहूंगी तुम्हें वो करना पड़ेगा. मैं कुछ भी करूंगी तो टोका – टाकी नहीं करोगे. इस पर वो बोले कि मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर हैं. इतना कह के वो कपड़े पहनने लगे. इस पर मैंने कहा – साले, बहनचोद कपड़े पहनने के लिए जब बोलूंगी तब पहनना. अभी एक दम नंगा हो जा.
दोस्तों, भैया मुझसे बड़े थे लेकिन अब मैं उन्हें अपना कुत्ता बना के रखना चाहती थी ताकि अब मैं ऐश कर सकूं. जब वे नंगे हो गए तो मैंने अपने फ़ोन में वीडियो रिकॉर्डिंग चालू कर दी. फिर मैंने उनसे किचन से बैगन लाने को कहा. वे लेकर आये तो मैंने उस पर तेल लगवाया
अब मैं धीरे – धीरे फिर जोश में आ रही थी. मैंने कहा कि पहले तेल लगाकर मेरी चूत की मालिस करो और फिर बैगन उसमें डालो. उन्होंने वैसा ही किया. वो कभी बैगन मेरी चूत में डालते तो कभी अपनी उंगलियां. इस तरह उन्होंने मेरी मैस्टरबेशन चालू कर दी. बैगन के चूत में जाते ही मैं तेजी से आवाज करने लगी.
मेरी आवाज नीचे तक पहुंच गई और मकान मालिक सिर्फ तौलिया लपेटे हुए ऊपर आ गए. उन्होंने आवाज लगाई तो भैया ने वैसे ही दरवाजा खोल दिया. शायद वो भी अपनी बीवी की चुदाई कर रहे थे. मकान मालिक मुझे इस हालत में देख के पागल हो गया. फिर उसने अपनी तौलिया फेंक दी और नंगा हो गया. उसका 10 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लन्ड फुंफकार मार रहा था.
वो फौजी लग रहा था. उसका लन्ड देखते ही मैं भैया को छोड़ के उससे जा चिपकी और उसके लन्ड से खेलने लगी. इसके बाद वो मुझे बालकॉनी में ले आया. रात होने की वजह से किसी के देखने का डर नहीं था. अब वो कस के मेरी चूचियों को दबाने लगा.
मैं पागल हुई जा रही थी. तभी उसने मेरा एक पैर बालकॉनी की दीवार पर रखा और फिर अपना लन्ड मेरी चूत में घुसा दिया. उसके लम्बे लन्ड की वजह से मैं चिल्लाने लगी. मेरे चिल्लाने के बावजूद वो फौजी आदमी रुकने वाला नहीं था.
उसका लम्बा और मोटा लन्ड हर झटके में मुझे संतुष्टि प्रदान कर रहा था. हर झटके पर लन्ड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था.इससे मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी और मैं उससे तेजी से चोदने को कह रही थी.
मैं कह रही थी – चोदो मुझे और तेज चोदो, बना लो मुझे अपनी रांड, फाड़ दो मेरी चूत को. मेरा बिहैवियर सचमुच रंडी जैसा हो गया था. मैं उसे खूब मां – बहन की गालियां दे रही थी.
वो भी कम नहीं था. करीब आधे घंटे तक वो भिमुझे गालियां देते हुए चोदता रहा. इस दौरान मैं 3 बार झड़ चुकी थी. लेकिन हर बार यही कहती कि और चोदो, कस के चोदो इस रंडी को. कुछ देर बाद वो फौजी मेरी चूत में ही झड़ गया और फिर उसने बेड पर ले जाकर मुझे धकेल दिया. इसके बाद फिर वो नीचे चला गया.
इस चुदाई के बाद मैं एक दम संतुष्ट हो चुकी थी लेकिन चुदाई देख के भैया का लन्ड फिर से खड़ा हो गया था. लेकिन मेरा अब चुदाई करवाने का मन नहीं था तो मैं सोने लगी. इस बीच भैया मेरी चूचियों और चूत से खेलते रहे. जाने कब मैं सो गई पता ही नहीं चला और रात में भैया ने क्या किया इसका भी मुझे कुछ पता नहीं क्योंकि मैं एक दम मस्त नींद में सो रही थी.
दोस्तों, अब मैं कुछ भी करने को आज़ाद थी. अगले दिन मैंने भैया से बियर मंगवा कर पी और फिर एक अनजान आदमी से अपनी चुदाई करवाई. ऐसा इसलिए क्योंकि भैया अकेले के लन्ड से मैं संतुष्ट नहीं होती थी. लेकिन उनसे चुदती जरूर थी, बिना उनसे चुदे भी मेरी प्यास नहीं बुझती थी.
दोस्तों, अब मैं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की अपनी कहानी अगले कहानी के रूप में लेकर आऊंगी. उसमें मैं बताऊंगी कि किस – किस ने मेरी चूत का रस चख कर एडमिशन दिलाने में किस तरह मेरी मदद की.
यह एक सच्ची कहानी है. अगर कुछ गलती रही हों या कहीं बोरियत महसूस हुई हो तो माफ करना. ये कहानी मैंने 6 घण्टे में अपनी आपबीती सोच – सोच कर लिखी है और इसे लिखते समय हर पल मेरी चूत से पानी टपकता रहा है.
मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]
Nice story yesi randi tarike se chudne wali girl bahot acchi lagti hy