अपनी अय्यासी के लिए भैया को पटाया भाग – 2

इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं. मेरे भैया मेरे काम को लेकर बहुत टीका – टिप्पणी करते थे. इसलिए मैंने भैया को पटाने की सोची. इससे मेरा दो काम हो जाना था. एक तो उनकी रोक-टोक से आज़ादी मिल जातो दूसरी मुझे भी जवानी का सुख मिलता…

कहानी का पिछला भाग : अपनी अय्यासी के लिए भैया को पटाया भाग – 1

अब आगे…

होली का टाइम था. भैया घर पर आये थे. उस टाइम न तो ज्यादा ठंड थी और न तो ज्यादा गर्मी. भैया आंगन में सोते थे. दोस्तों, वहां से मेरे रूम की खिड़की से देखने पर अंदर का सब कुछ आराम से दिखाई देता है.

मैं उन्हें दिखाने के लिए जान बूझकर अपनी खिड़की खुली छोड़ दी. चूंकि मम्मी – पापा छत वाले रूम में सोते थे इसलिए उनके आने का कोई डर नहीं था. इसके बाद मैंने उस दिन फिर से भैया का मोबाइल ले लिया. इसके बाद मैं बिना ब्रा – पैंटी के एक नाइटी पहन कर लेट गई.

उस दिन मैं ब्लू फ़िल्म देखने लगी. उस वीडियो में भाई – बहन की चुदाई चल रही थी. भाई अपने दोस्त के साथ बहन की चोद रहा था. वीडियो देखते – देखते मैं अपने बूब्स मसलने लगी. बूब्स को सहलाने से मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी.

उस फ़िल्म में भाई जब अपनी बहन को चोदता था तो बहन उसके दोस्त का लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगती. फिर कुछ देर बाद भाई के उतरने के बाद उसका दोस्त उसे चोदता और वह भाई के लन्ड को मुंह में लेकर चूसती.

वो लड़की बिल्कुल मेरी तरह ही मस्त थी लेकिन हमारे बीच एक फर्क था. वह यह कि वह चुदवा रही थी और मैं उसे चुदते देख रही थी. ब्लू फ़िल्म देखते – देखते मैंने अपनी गांड और चूत दोनों में उंगली करती और उंगली करने के बाद उसे मुंह में लेकर चूसती थी.

दोस्तों, मैं उस समय की अपनी फीलिंग्स बता नहीं सकती. उंगली करते और चूसते – चूसते मैं बहुत मस्त हो चुकी थी. तभी वो वीडियो खत्म हो गया. मेरा मन अभी भरा नहीं था. इसलिए फिर मैं भाई – बहन की चुदाई वाली कहानियों को पढ़ने लगी. दोस्तों, कहानी पढ़ने में जितनी मस्त फीलिंग आती है ब्लू फ़िल्म देखने में नहीं आती.

कहानी पढ़ते – पढ़ते मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. इसी बीच न जाने कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया, मुझे पता ही नहीं चला. मेरे मुंह से लगातार ‘उम्म आह आह ऐह ओह्ह’ जैसी मादक आवाजें आ रही थीं.

कुछ देर बाद अचानक दो उंगलियां मेरी चूत में चली गईं. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. इसी बीच पता नहीं कब मेरी आवाज तेज हो गई और उंगली करते हुए मेरे मुझे से ‘चोदो चोदो पूरा घुसा दो ओह्ह ओह्ह फक मी फक मी’ जैसी आवाजें निकलने लगीं.

अब मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था. ये कहानियां इतनी उत्तेजक थीं कि मैं अपनी उत्तेजना रोक ही न पाई. और चूंकि कहानी भाई – बहन की थी इसलिए कई बार मेरे मुंह से भैया – भैया की आवाज भी निकल गई. अब मैं अपने चरम पर थी. मेरे मुंह से आवाज आ रही थी ‘चोदो भैया, अब और न तड़पाओ चोद डालो अपनी इस बहन को रंडी बना दो’. ऐसा कहते – कहते शायद मेरा स्खलन हो गया और मैं शांत हो गई और सो गई.

जब मैं सुबह उठी और मुझे रात का सीन याद आया तो मुझे पता नहीं था कि भैया ने मेरी आवाज सुनी थी या नहीं. फिर नाश्ता करने के बाद मैं नहाने चली गई और नहाने के बाद जान – बूझकर अपनी ब्रा – पैंटी बाथरूम में ही छोड़ के चली आई.

मेरे निकलने के कुछ देर बाद भैया बाथरूम में घुस गए और काफी देर तक नहीं निकले. इस पर मुझे शक हुआ. फिर जब मैं बाथरूम के पास गई तो मुझे अंदर से सिसकारियां सुनाई दे रही थीं.

काफी देर बाद जब भैया बाथरूम से निकले तो मैं अपने कपड़े लेने बाथरूम गई. अंदर अपनी ब्रा और पैंटी की हालत देख के मुझे यकीन हो गया कि मेरा निशाना सटीक जगह लग गया. मेरी पैंटी के ऊपर भैया के वीर्य का चिपचिपा पदार्थ लगा था. उसे देख के मैं चुदास की प्यासी वीर्य को चाट गई.

होली के बाद मेरा और मेरी एक सहेली का बीएचयू का पीजी एंट्रेंस एग्जाम था. पापा ने भैया से मुझे बाइक पर एग्जाम दिलवाने के लिए ले जाने को कहा. दोस्तों, मेरा सेंटर बनारस सिटी से थोड़ा आउटर में था. रास्ते भी बहुत सही नहीं थे.

मैं बाइक पर बीच में बैठ गई. एक बाइक पर तीन लोग थे. मेरी किस्मत अच्छी थी कि बाइक में तीन लोगों के बैठने से जरा भी जगह नहीं बची थी और भैया बाइक तेज चला रहे थे. रास्ते में जगह – जगह गड्ढे थे. इस वजह से भाई को ब्रेक मारना पड़ता था और मैं इस मौके का फायदा उठा कर अपनी चूचियां उनके पीठ पर रगड़ देती. पीछे से मेरी सहेली मेरी पीठ पर अपनी चूचियां रगड़ रही थी.

भैया को समझ आ गया था कि मैं क्या कर रही हूँ. अब वो भी मज़ा लेने लगे थे. अब वो नॉर्मल फील नहीं कर रहे थे. मैंने देखा तो उनके पैंट में तंबू बन चुका था. इसके बावजूद मैं भैया को रिलैक्स फील करने नहीं देना चाह रही थी. मैंने अपनी चूचियों को खूब रगड़ा. मेरी चूचियां गर्म हो गई थीं. इसी बीच मेरा मेरी चूत पर गया तो मैंने देखा कि वो भीग चुकी है.

एग्जाम सेंटर पर उतारने के बाद मैंने देखा कि भैया का पैंट अभी भी तंबू बना हुआ है. मेरी सहेली ने भी उसे देखा. यह देख हम दोनों मुस्कुराने लगीं. लेकिन भैया शर्मा गए.

इसके बाद हम दोनों एग्जाम हाल में चले गए. फिर मैं अपनी सीट खोज कर बाथरूम चली गई. दोस्तों, मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि इस हालत में परीक्षा देना मुश्किल था. मुझे लग रहा था कि अगर कोई लन्ड मिल जाए तो अभी चुदवा लूं. चुदास मुझ पर पूरी तरह हावी हो चुकी थी.

मुझसे बर्दाश्त न हुआ तो मैं जान – बूझकर लड़कों के बाथरूम में घुस गई. अंदर जाने के बाद मैं अपनी उंगलियों से खुद को शांत करने लगी. मैं इतनी नशे में थी कि उस दिन मैंने चूत में तीन उंगलियों को घुसा लिया और फिंगरिंग करने लगी. दोस्तों, बाथरूम का दरवाजा भी मैंने खुला ही छोड़ दिया था. मैं सोच रही थी कि कोई भी लड़का आ जाए तो मैं यहीं पर चुदवा लूं. लेकिन कोई न आया. शायद मेरी किस्मत मेरे साथ न थी.

खैर, फिर हमने अपना एग्जाम दिया और भैया के साथ वैसे ही मज़े लेते घर आ गए. इस बार तो हद ही हो गई. रास्ते में बाइक पर ही मेरी सहेली इतना उत्तेजित हो गई कि भैया से छिपाकर फिंगरिंग करने लगी. साथ ही मेरी गांड में भी उंगली घुसेड़ने लगी. दूसरी तरफ मैं भैया को सिड्यूस करने में लगी थी.

घर पहुंचने के बाद मैं सीधा उसके किचन में गई. वहां से एक पतला बैगन लिया और अपने रूम में चली गई. अंदर जाते ही आधा बैगन चूत में घुसा लिया. मैं बहुत उत्तेजित थी. मैं तो चाहती थी कि भैया के सामने जाकर चूत खोल के बैठ जाऊं और चुदवा लूं लेकिन घर में मम्मी – पापा थे, इसलिए ये सम्भव नहीं था. फिर मैंने बैगन से ही अपनी प्यास बुझा ली.

कहानी का अगला भाग : अपनी अय्यासी के लिए भैया को पटाया भाग – 3

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