अब मेरी हिम्मत थोड़ी सी बढ़ गयी. मैंने फिर हल्के- हल्के हांथों से भाभी के मम्मे को दबाना शुरू कर दिया. वो चौंकी और फिर बोली क्या कर रहे हो? मुझे गुदगुदी हो रही है…
नमस्कार दोस्तों! मैं एक सीधा- साधा सा 18 साल का लड़का हूँ. मेरी यह कहानी मेरी और मेरी भाभी के बीच बने संबंध पर आधारित है.
एक साल पहले ही मेरे भैया की शादी हुई थी. तब मैं 11वीं में पढ़ता था. मैं थोडा सा पतला लड़का हूँ और मेरी लंबाई 5 फुट 9 इंच है पर दिखने में मैं काफी ठीक हूँ (जैसा कि लोगों द्वारा मुझे अक्सर बताया जाता है).
भैया मुझसे 4 साल बड़े हैं. जब भाभी घर आईं तो उन्होंने मुझे बताया कि भाभी मुझसे एक साल बड़ी हैं. वो काफी गोरी और दिखने में बहुत ही सुन्दर हैं. उन्होंने भगवान से कमाल का फिगर पाया है. उनके मम्मों का तो कोई जबाब ही नहीं है. दुधिया गोरे रंग के बड़े- बड़े गोल- गोल मम्मे.
भैया की शादी में ही भैया की एक साली (भाभी के मामा की लड़की) को मैंने दोस्त बना लिया था. उसने भाभी से मेरी बहुत तारीफ़ की थी, सो भाभी मुझसे पहले से ही इम्प्रेस थी. मैं आपको बताना भूल गया कि मेरे भैया दूसरे शहर में जॉब करते हैं और वहीं पर रहते भी हैं और हम लोग (बाकी का परिवार) दूसरे शहर में रहते हैं. मैं भैया की शादी के 10 -15 दिन बाद वापस आ गया था. भाभी से मेरी बहुत ही मामूली सी बातचीत ही हुई थी.
छः महीने बाद मैं अपने 11वीं के एग्जाम खत्म करके छुट्टियां मनाने भैया के पास गया चला गया. भैया उन दिनों काम के सिलसिले में अक्सर बाहर ही रहते थे. भाभी और मैं इस बीच काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे और ज्यादातर वक़्त साथ ही रहते थे.
एक बार एक दिन में मैं और भाभी एक साथ लेट कर कुछ बात कर रहे थे तो मैंने किसी बहाने अपना हाथ उनके पेट पर रख दिया. उन्होंने नोटिस नहीं किया. बात करते- करते मैंने अपना हाथ धीरे- धीरे ऊपर बढ़ाना शुरू किया. और फिर धीरे- धीरे उनके कोमल मम्मों तक पहुंच गया और उनके मम्मों पर रख दिया. उन्होंने हल्का- सा नोटिस किया और फिर नज़र अंदाज़ कर दिया.
अब मेरी हिम्मत थोड़ी सी बढ़ गयी. मैंने फिर हल्के- हल्के हांथों से भाभी के मम्मे को दबाना शुरू कर दिया. वो चौंकी और फिर बोली क्या कर रहे हो? मुझे गुदगुदी हो रही है. मैंने तुरंत ही अपना हाथ हटा लिया. अब मैं हर रोज़ यही करने लगा. जब भाभी कुछ बोलती तो मैं अपना हांथ हटा लेता था. उन्होंने मुझे कभी डांटा नहीं था पर मेरी हिम्मत न होती थी.
एक बार भैया को एक ज़रूरी काम के सिलसिले में 4 रातों के लिए बाहर जाना पड़ा. मैं बहुत खुश था. मैं दिन भर भाभी के पीछे- पीछे घूमता रहा. उनके चूतड़ देख कर मेरा यही मन होता था कि उन्हें कस कर जकड़ लूँ. रात में खाना खाने के बाद हम लोग एक साथ ही लेटे हुए थे और बातें कर रहे थे.
मैंने फिर से अपना हांथ उनके पेट से होते हुए उनके मम्मो पर पहुंचा दिया. मैं कभी उनके दायें मम्मे को सहलाता कभी बायें मम्मे को सहलाता रहा. धीरे- धीरे वो सो गयी पर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी. मैंने धीरे- धीरे से उनके मम्मों को दबाना शुरू किया. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. उनके मखमली मम्मे बहुत ही नरम थे. वो सीधी लेटी हुई थी. मैं करवट लेकर उनसे सटकर लेट गया और धीरे- धीरे से उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा.
जब सारे बटन खुल गए, तब मैंने हौले से उन्हें अपनी और खींचकर अपनी करवट पर लिटा लिया. अब मेरा चेहरा उनके मम्मो में बीच में था पर ब्रा की वजह से थोड़ी दिक्कत हो रही थी. फिर मैंने अपना हांथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया. साड़ी के ऊपर से भी चूतड़ इतने चिकने थे कि पूछो मत. मुझे उनकी बड़ी गांड इतनी मज़ेदार लग रही थी कि पूछो मत. फिर मैंने अपने एक पैर से उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करना शुरू किया और धीरे- धीरे उनके घुटनों तक ले आया.
और फिर मैंने हाथ से उनकी साड़ी जांघो तक खींच दी और उनकी पीठ से ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को निकाल कर अलग कर दिया. अब मैं उनके मम्मों को चूसने लगा और हांथो से उनकी जांघों को सहला रहा था. उनकी जांघे बहुत ही ज्यादा चिकनी थी.
मेरा लंड अब काबू से बाहर हो रहा था. मैंने उनको सीधा लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया. तभी वो जाग गयीं और अपनी कंडीशन देख कर बोली- ये सब क्या है? मैंने कहा- प्लीज जो भी कर रहा हूँ करने दो न. लेकिन वो नहीं मानी. मैं उन्हें मनाता रहा और उनके बूब्स दबता रहा. फिर कुछ देर बाद उन्हें भी मज़ा आने लगा.
फिर अब मैंने उनके होंठ चूसना शुरू किया और दोनों हाथों से उनके मम्मे भी मसलता जा रहा था. वो मदहोश होने लगीं और फिर मैंने उनकी गर्दन को चूमना शुरू किया और नीचे आता हुआ उनके मम्मो पर आ गया. मैं एक हांथ से उनके मम्मो को मसलता, दबाता रहा और दूसरे हांथ से मम्मो को पकड़कर चूस रहा था.
भाभी भी अब मेरी मदद करने लगी थी. वो बोलीं इन चूचियों पर हल्के से काटो. मैंने काटा तो उन्हें एक झटका लगा. फिर मैं उनके पेट से होता हुआ नीचे आ गया तो भाभी ने मुझे वापस ऊपर खींच लिया और मेरे होंठो को चूसने लगी.
मेरा लंड अब काबू के बाहर था. मैंने लंड को भाभी की चूत पर टिकाया और हल्के से धक्का मारा लंड की टोपी अंदर चली गयी. भाभी की हल्की सी चीख निकली. फिर मैंने अपने लंड को हल्का सा बाहर करके धक्का लगाया और अबकी बार पूरा लंड अंदर चला गया. अब भाभी पूरे मज़े ले रही थी. मैंने भी देर न करते हुए लंड के शॉट लगाना शुरू कर दिया.
भाभी से मुंह से हल्की- हल्की आवाजें आ रही थी जो मेरे जोश को दोगुना कर रही थी. मैंने तेज़ी से शॉट लगाना शुरू कर दिया. भाभी तो मानो जन्नत की सैर कर रहीं थी. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था. उनकी हल्की सी टाइट चूत और दूधिया मम्मो के बीच मैं करीब 15 मिनट तक रुका रहा. 15 मिनट बाद मैं और भाभी एक साथ झड़ गए.
फिर हमने लगातार 4 दिन जब तक भैया नहीं आये धुंआधार चुदाई की.
ये मेरी पहली आपबीती है.
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