बगल वाली स्टूडेंट को चोद कर पास कराया

वह मुझे काफी दिनों से चाहती थी लेकिन डर की वजह से कह नहीं पाती थी. एक दिन मैं उसे कपड़े बदलते हुए देख रहा था कि उसने मुझे देख लिया…

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम राजीव है. आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ वह एक दम सच्ची है. आप लोगों का ज्यादा वक्त न लेते हुए अब मैं सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ.

मेरे घर के बगल में एक शर्मा परिवार रहता है. उसमें दिव्या रहती है. वह 12वीं में पढ़ती है. उसके परिवार में उसका छोटा भाई, जो अभी एक साल का है, उसकी मम्मी हैं और पापा हैं.

वो लोग यहाँ दो साल से रह रहे हैं. उनसे हमारे परिवार की काफ़ी अच्छी पटती है. दिव्या अक्सर मुझसे पढ़ाई से जुड़े सवाल पूछने के लिए मेरे घर पर आ जाती थी. कभी – कभी मैं भी उसके घर चला जाता था.

एक बार दिव्या की मम्मी ने मुझसे कहा कि राजीव बेटा, क्या तुम दिव्या को घर पर ट्यूशन पढ़ा दोगे? मैं कुछ कहता इससे पहले ही उन्होंने कहा – अच्छा, ये बताओ फीस कितनी लोगे? इस पर मैंने कहा – इसमें फ़ीस वाली क्या
बात है आंटी! ये जब चाहे मुझसे सवाल पूछ सकती है।

यह सुन कर उन्होंने कहा – नहीं, इस बार इसकी बोर्ड की परीक्षा है और मैं कोई लापरवाही नहीं चाहती.

तब मैंने कहा – ठीक है आंटी, आप जो चाहे फ़ीस दे देना.

उन्होंने कहा – ठीक है, फिर तो तुम आज से ही पढ़ाना शुरू कर दो.

फिर मैंने दिव्या से कहा – ठीक है, दिव्या आज तुम शाम को 5 बजे तैयार रहना. इस पर दिव्या ने कहा – ठीक है, मैं तैयार रहूंगी.

दोस्तों, अब मैं आपको अपनी दिव्या के बारे में बता दूँ. मुझे यकीन है, उसके बारे में जान कर आप अपनी मुठ मारना
बिल्कुल नहीं भूलोगे. दिव्या देखने में एक दम माल लगती है. उसकी चूची एक दम मस्त हैं. उन्हें देख कर मेरा तो मन करता कि पकड़ कर मुँह में भर लूं और बाहर ही ना निकालूँ. दोस्तों, उसकी चूची का साइज 30 है. उस पर वो जब काली ब्रा पहन लेती है, तो और भी गजब की लगती है.

फिर उस दिन के बाद से मैं रोज दिव्या को पढ़ाने उसके घर जाने लगा. पहले मैं दिव्या को किसी गलत नजर से नहीं देखता था, लेकिन एक दिन जब मैं जब दिव्या से उसके पेपर के बारे में जानने के लिए उसके घर पहुँचा. उस वक्त उसकी मासिक परीक्षा चल रही थी.

उस वक्त दोपहर के दो बजे थे. घर के बाहर पहुंच कर मैंने
घन्टी बजाई तो दिव्या ने दरवाजा खोला. मैंने उससे पूछा कि मम्मी कहाँ हैं? तो उसने कहा कि सो रही हैं, आप दो मिनट रुकिए मैं कपड़े बदल कर आती हूँ.

तब मैंने कहा – ठीक है, मैं यहीं इन्तजार करता हूँ, जाओ लेकिन थोड़ा जल्दी आना. फिर वो चली गई, थोड़ी देर बाद मुझे पता नहीं क्या हुआ मैं भी उसके पीछे हो लिया. मैंने दरवाजे के छेद से उसे देखने लगा. उस समय वो अपनी स्कर्ट उतार रही थी.

अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी. क्या मस्त माल लग रही थी यार वो सफ़ेद ब्रा और पैन्टी में! मैं उसको इसी तरह देखे
जा रहा था. इसी बीच कब दरवाजा खुला, मुझे पता ही नहीं चला.

मुझे वहां खड़ा देख कर दिव्या ने कहा – क्या हुआ सर?

मैंने कहा – कुछ नहीं तुम्हें देर लग रही थी, तो मैंने सोचा कि मैं ही देखता हूँ कि क्या बात है!

तब उसने कहा – झूठ मत बोलो, मैं सब जानती हूँ कि तुम मुझे कब से यहाँ खड़े हो कर देख रहे थे!

दोस्तों, उसके मुंह से ये बात सुन कर मैं एक दम से डर गया. मैंने सोचा कि आज तो मैं गया काम से! खैर, फिर मैंने हिम्मत से काम लिया और उससे कहा – तुम गलत समझ रही हो!

इस पर उसने कहा – मैं सब समझती हूँ राजीव. मैं तुमसे प्यार करती हूँ. आज तुम मुझे अपना लो. मैं कब से तुम से ये बात कहना चाहती थी, पर डरती थी कि कहीं तुम इन्कार ना कर दो, पर आज तुमने जब इस तरह मुझे देख ही लिया है तो मुझे अपना बना लो.

अब मैंने सोचा कि चलो मुफ़्त में चोदने के लिये माल मिल रहा है तो मना क्यों किया जाए. उसके बाद हम एक दिव्य चुम्बन में खो गए. फ़िर थोड़ी देर बाद जब हमें होश आया तो वो मेरी बांहों में थी. उसकी साँस काफ़ी तेज चल रही
थी. अब कहीं उसकी मम्मी न ये सब देख ले इसलिए हम शान्त हो गए.

फिर मैं दिव्या से पूछने लगा – उसका पेपर कैसा हुआ? इस पर उसने कहा कि एकदम ठीक! तब मैंने उससे कहा कि अब तुम खाना खा लो. हम शाम को मिलेंगे. इतना कह कर मैं वहाँ से चला गया.

घर जाते ही उसके नाम की एक मुठ मारी. मैं बहुत खुश था. शाम को जब मैं पढ़ाने उसके घर पहुँचा तो देखा दिव्या एक दम तैयार बैठी थी. उस दिन उसने पीले रंग का सूट पहन रखा था. वो उस सूट में गज़ब की सेक्सी लग रही थी. शायद उसे पता था कि आज उसके साथ क्या होने वाला है.

तब मैंने कहा – दिव्या आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो! तो उसने मुझे चुम्बन करते हुये कहा – मम्मी बाहर गई हैं, कुछ देर में आयेंगी. यह सुन कर मैंने कहा – इरादा क्या है?
“जो तुम कहो !” उसने कहा.

इतना सुनते ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से सटा लिया. फिर मैंने बिना देर किए उसके बदन से एक – एक कपड़े को अलग कर दिया. दोस्तों, उसका एक – एक अंग मानो भगवान ने साँचे में ढाल कर बनाया हो.

फ़िर हम बेड पर आ गए. थोड़ी देर तक हम 69 की पोजीशन में थे. इसके बाद मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की फ़ांकों को अलग किया और अपनी जीभ से चूसने लगा.

अब उसकी अंगुलियाँ मेरे बालों में फ़िरने लगीं थी और वह अपनी चूत उठा-उठा कर मुझसे चुसवाने लगी थी. थोड़ी देर बाद उसने कहा – अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, मुझे अपना बना लो, प्लीज़ मुझे मत तड़पाओ, डाल दो न अब!

उसका इतना कहना था कि मैंने झटके से लंड उसकी चूत में डाल दिया. वो दर्द से चीख उठी. उसकी झिल्ली फट गई और उसकी चूत से खून रिसने लगा था. अब वो मछली की तरह छटपटा रही थी. फिर मैं कुछ देर ऐसे ही रुका रहा.

उसकी आँखों से आँसू निकल आए थे. अब मैंने एक बार फिर अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए. थोड़ी देर बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैं धीरे – धीरे ऊपर – नीचे होने लगा. उसको अभी भी दर्द हो रहा था, लेकिन अब दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था.

अब वो बिस्तर पर इधर – उधर होने लगी और उसका शरीर अकड़ने लगा. वो झटके खाने लगी और आहें भरते हुए
झड़ने लगी. वो लगातार, ‘आआ… आअह… उई… ईई…
ईईइ… आआ…’ की आवाज कर रही थी. उसकी आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था.

अब उसका दर्द जाता रहा और वो पूरी तरह मेरा साथ देने लगी. वो अपने चूतड़ उठा – उठा कर चुदवा रही थी. साथ ही वो सेक्सी आवाजें भी निकाल रही थी. वो , “आअह हिस्स हम्म आह हाहा..” की मादक आवाज कर रही थी.

इस समय मेरा लंड बड़ी तेज़ी के साथ उसकी चूत को चोदे जा रहा था. अचानक उसकी चूत ने मेरे लंड पर दबाव बना
लिया और उसकी सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं. अब वो ‘और जोर से, और जोर से, फाड़ दो मेरी चूत को.. आ
अह.. उई ईइ मा आ आ अह.. मैं मर गई..!’ की आवाज निकलने लगी. फ़िर हम दोनों ही एक साथ झड़ गए. मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया.

दोस्तों, उस दिन मैंने उससे दो बार चोदा. फ़िर हम बाथरुम गए और एक – दूसरे को साफ़ किया. इसके बाद वापस आकर फ़िर पढ़ाई करने लगे. अब जब भी मौका लगता है हम चुदाई जरूर करते हैं.

उस साल दिव्या अच्छे नम्बरों से पास हुई. उसने मुझे ‘धन्यवाद’ बोला. तब मैंने कहा – ऐसे काम नहीं चलेगा, तुम्हें पार्टी देनी पड़ेगी. उसने कहा – ठीक है, जानू आज हम
डिनर पर चलेंगे.

दोस्तों, हमारा ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा. मैंने कभी नहीं सोचा था कि दिव्या से अलग होना पड़ेगा, पर वो अशुभ दिन भी आया जब मुझे दिव्या से अलग होना पड़ा. उसके पापा का ट्रांसफर हो गया. वो जाने से पहले मुझसे लिपट कर बहुत रोई, लेकिन मैंने उसे समझया. आज भी अक्सर उसका फ़ोन आ जाता है और हम घंटों बात करते हैं.

दिव्या से मैं बाद में मिला तो कैसे उसकी चुदाई की, यह मैं आप को फिर कभी सुनाऊँगा. दोस्तों, मैंने पहली बार कोई कहानी लिखी है. आप से आग्रह है कि मेरा हौसला जरूर बढ़ाईएगा. आप मुझे ईंमेल कर सकते हैं. मेरी मेल आईडी – [email protected]

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