बैगन निकाल लौंडा घुसाया

यह मेरी तब की कहानी है जब मैं अपनी परीक्षा देने के बाद गांव गया था. इस कहानी में मैं आप सब को बताऊंगा कि कैसे मैंने अपने पड़ोस की लड़की की चूत से बैगन निकाल कर अपना लन्ड उसकी चूत में पेल दिया…

नमस्कार दोस्तों, यह बात तब की है जब मैं 12वीं की परीक्षा देने के बाद फ्री होकर अपने गांव गया हुआ था. यूँ तो मैं हर बार छुट्टी होने पर अपने गांव जाता हूँ, इसलिए वहां सभी मुझे जानते हैं और गांव में मेरे बहुत सारे दोस्त भी हैं. लड़कों के साथ – साथ वहां की कई लड़कियां भी मुझसे बहुत घुली – मिली हैं.

इस बार गांव पहुंचे हुए 7-8 दिन हो गए थे. सब हम उम्र लोग दोस्त बन चुके थे और लड़कियों के बीच मैं खूब चर्चा का विषय बन चुका था. चूंकि मैं शहर से था तो सब लड़कियां मुझसे बात करने का बहना ढूंढती थीं. इसका एक रीजन और भी था, मैं उन पर गंदे कॉमेंट्स नहीं करता था.

मैं 20-21 साल का हो चुका था और जवानी मुझमें फूट रही थी. मेरा 5 फुट 6 इंच का गोरा और कसरती शरीर देख कर लड़कियां कुछ ज्यादा ही आकर्षित होती थीं. लेकिन मुझमें तो अभी भी बचपना बाकी था तभी तो मैं किसी को गलत नज़र से नहीं देखता था.

एक दिन की घटना के बाद तो मेरी दुनिया ही बदल गई. हमारे पड़ोस में एक चौधरी का घर था. उनकी बड़ी लड़की अर्चना मुझसे 2-3 दिन ही छोटी थी और मेरी अच्छी दोस्त भी थी. वो मुझसे बहुत बात करती थी. हम खुल कर हंसी – मज़ाक भी कर लेते थी.

अब वो भी जवानी की दहलीज़ पार करके मस्त हो रही. उसके उभार और नितम्ब उसके जवान होने की चुगली करते थे. उस क़ातिल हसीना का सांवला रंग भरा शरीर और मादक अदाएं किसी का भी बुरा हाल करने को काफी थीं.

उस दिन दोपहर में मेरे घर के सब लोग खा – पीकर सो रहे थे. तभी मेरे मोबाइल पर उसका मेसेज आया. मैसेज में उसने मुझे तुरंत अपने पशुशाला में बुलाया था.

मैसेज पढ़कर मुझे लगा कि आज वह मुझसे ज़रूर कुछ कहना चाहती होगी. ये सोच के मैं उसके पशुवाड़े में आ गया. उस समय वहां कोई नहीं आता था. इधर – उधर देखा तो अर्चना बहुत परेशान और रुआंसी सी होकर एक कोने घास पर बैठी थी.

उसे देख कर मैंने पूछा – क्या हुआ अर्चना रो क्यों रही है? भैंस ने मार दिया क्या?

दोस्तों, वो पूरा पसीने में नहाई थी. उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानो अभी मीलों दौड़ कर आई हो. उसकी सांसें भी तेज़ – तेज़ चल रही थीं. मुझे देख कर बोली – आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ सागर आ गये तुम! आओ अंदर चलो. और हां अंदर आकर गेट लगा दो.

फिर मैं गेट बन्द करके अंदर कमरे में आ गया. वहां पर पशुओं का दाना, खली और चारा काटने की मशीन थी. अब मैंने कहा – हाँ अब बता न क्या हुआ? तू इतनी परेशान क्यों है? इस पर वह सिसकिया लेने लगी और फिर बोली – किसी से कहोगे तो नहीं न तुम?

तब मैंने कहा – अरे यार नहीं कहूँगा तेरी कसम. अब बताएगी कि क्या हो गया है भी या रोती ही रहेगी? तो वह बोली – सागर तुम मेरे दोस्त हो और ये परेशानी मैं तुम्हारे अलावा किसी को नहीं बता सकती. प्लीज़ मेरा विश्वास मत तोड़ना, तुम्हें मेरी कसम!

मैंने कहा – हाँ हाँ अब बात तो बता क्या हुआ? वह बोली – मुझे शर्म आ रही है पता नहीं कैसे बताऊँ? इस पर मैं थोड़ा चिढ़ गया और बोला – ओहो! तो फिर बैठ कर रोती रहो, मैं जा रहा हूँ. यह सुन कर वो बोली – अच्छा, प्लीज रुको. मैं बताती हूँ आओ ना.

फिर इतना कह कर वो अपनी सलवार खोलने लगी. यह देख कर मैं चौंक गया और बोला – अरे! तू ये क्या कर रही है? उसने कहा – रुको बता तो रही हूँ. यह कहते हुए उसने अपनी सलवार उतार फेंकी और अब अपनी चूत की ओर इशारा करते हुए बोली – ये देखो.

इस पर मैं बोला – धत्त गन्दी लड़की! ये क्या है बंद कर इसे पागल. तब उसने कहा – ओहो देखो तो सही, मेरे अंदर कुछ है. उसके यह कहने पर जब मैंने गौर से देखा तो उसकी एक दम चिकनी गोरी गुलाबी चूत जिस पर सुनहरी रोएँ आ रहे थे दिखाई दी लेकिन साथ ही उसके अंदर सफ़ेद और मोटा सा कुछ फंसा हुआ भी दिखाई दिया. जिसे देख कर मैंने कहा – क्या है ये और अंदर कैसे गया?

तब उसने कहा – बैगन है अंदर टूट गया है. अब किसी और को कैसे बताऊँ बोल?

यह सुन कर मैंने कहा – अरे तो ये अंदर कैसे चला गया?

तब उसने बताया – आज गाय को सांड़ से चुदते देख मेरा मन भी ख़राब हो गया तो बैंगन उठाया और तेरा नाम लेकर करने लगी थी. मैं पूरे जोश में, इसलिए अचानक एक बार तेज़ी से किया तो ये अंदर ही टूट गया. अब देर न कर जल्दी से बाहर निकाल न इसे. मेरी जान निकल रही है.

यह सुन कर मैंने कहा – अब यार मैं क्या डॉक्टर हूँ! सोचने दे थोड़ा. तब तक तू पेशाब करने के पोज़ में बैठ कर ज़ोर लगा और रोना बंद कर.

दोस्तों, मैंने उसे उकड़ू बैठ कर ज़ोर लगाने को बोला और खुद झांक कर देखने लगा. अब बैगन का पूरा भाग दिख रहा था. एक दम पतला बैगन था बस अंगूठे जितना मोटा. लेकिन अंदर फंस गया था इसलिए पकड़ने में नहीं आ सकता था. कोशिश करने पर जरा सी भी गलती होने पर और अंदर जा सकता था.

फिर मैंने अनुमान लगाया कि ये एक इंच से ज्यादा अंदर नहीं है क्योंकि बैगन बहुत बडा नहीं था. अब मैंने कुछ सोचा और फिर उससे कहा कि अर्चना थोड़ा और तकलीफ़ होगी, ये ऐसे नहीं निकलेगा. तब उसने कहा – करो तुम्हें जो भी करना है, लेकिन बस किसी भी तरह इसे निकल जाना चाहिए.

तब मैंने कहा – ठीक है तुम ये मशीन पकड़ कर पूरी टांगें खोलकर झुक जाओ और मैं जो भी करूं मुझे कुछ बोलना या रोकना मत ओके. वह बोली – ठीक है, करो जो करना है लेकिन थोड़ा जल्दी से.

अब मैंने उसकी गांड के छेद पर थूक लगाया और उसे पेशाब में जोर लगाने को कहा. इसके बाद मैं अब अपनी ऊँगली उसकी गांड में घुसाने लगा. तब वह बोली – आह्ह्ह्ह्ह उगफ क्या कर राहे हो इसमें तुम? उसे दर्द भी हो रहा था इसलिए वज चीखने लगी थी.

तब मैंने कहा – हिलना मत और सांस रोक कर पेशाब करती रहो. इसके बाद मैंने पऊरी ऊँगली उसकी गांड के अंदर की तो वो और जोर से चीख पड़ी, ‘आआईई मरर गई फट गई मेरी गांड और चूत. सागर मत फ़ाड़ रे आह्ह्ह उफ्फ्फ आह्ह्ह.

मैं उसकी बात को अनसुना करके अपना काम करता रहा. खुसनसीबी से मेरो ऊँगली उस बैंगन के टुकड़े के पीछे पहुँच गई थी. अब मैं धीरे – धीरे टटोल कर उस तुकड़े को बाहर करने लगा और फिर जैसे उसे पता लगा कि मैं यह क्या कर रहा हूँ वैसे वो भी पूरे ज़ोर से मूतने लगी.

अब मुझे लगा कि टुकड़ा बाहर आ रहा है. उधर उसने भी अपना पूरा जोर लगाया और फिर करीब 1 इंच लंबा और मेरे बड़ी ऊँगली जितना मोटा बैंगन बाहर आ गया. अब उसकी साँसें नॉर्मल हो रही थीं.

अब वह कहने लगी – आह्ह ओह्ह उफ्फ्फ मैं तो मर गई थी सागर लेकिन तुमने बचा लिया. आई लव यू सागर, आई लव यू. आह्ह्ह अभी दर्द हो रहआ है!

फिर मैंने उसे वहीं घास पर लिटाया और उसका पेट सहलाने लगा. उसकी चूत पूरी लाल हो रही थी और चूत रस से गीली होकर चमक रही थी. जिसे देख मुझसे रहा न गया और फिर मैंने उसकी चूत को चूम लिया. इसके बाद फिर मैं उसकी चूत के लाल होंठों को जीभ से चाटने लगा.

मेरा लन्ड भी अब बगाबत पे उतर आया था और खड़ा होकर उसको सलामी दे रहा था. फिर मैंने अपना लोअर उतार दिया और अपना 6 इंच लम्बा का बैंगन उसके हाथ में थमा दिया. जिसे देख कर उसके मुंह से सिसकारी निकल गई और उसने कहा – आह इतना बड़ा! इतने बड़े बैंगन से तो मेरा ये हाल हो गया, अब इससे तो मैं मर ही जाउंगी! न बाबा न मुझे नहीं करना इश्क़ छोड़ो मुझे.

अब मैंने उसका कुरता ऊपर करके उसके निप्पल्स को चूसना और चाटना शुरू कर दिया. साथ में उसकी चूत को भी सहलाता रहा. अब बो थोड़ी मूड में आ गई तो मैं उसके नरम होंठों को चूसने लगा और लन्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

थोड़ी देर बाद जब पूरी तरह उसका मूड बन गया तो वह लन्ड डालने को कहने लगी. अब मैंने सोचा कि अभी यह गर्म है इसलिए अच्छा मौका है डाल दूं नहीं तो कहीं झड़ने पर यह पलट न जाए. यही सोच कर मैंने लन्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में सरका दिया. बैगन की वजह से उसकी चूत खुली थी, इसलिए इतना अंदर जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

अब कुछ देर रुक कर मैंने एक जोरदार धक्का लगाया एयर मेरा पूरा लन्ड सरक कर उसकी चूत में चला गया. उसे तेज दर्द हुआ और वह तड़प सी उठी. उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे. फिर मैं कुछ देर रुक गया और उसके मम्मों को सहलाता रहा.

थोड़ी देर बाद जब उसे आराम हुआ तो वह नीचे से हिलने लगी. जिसे देख कर मैं भी ऊपर से हिलने लगा. अब लन्ड आराम से अंदर जा रहा था. ऐसे ही कुछ 10 मिनट बीते थे कि मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. झड़ते समय मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और फिर झड़ने के बाद उसके ऊपर निढाल होकर गिर गया. इस दौरान वो 2-3 बार झड़ चुकी थी.

इस चुदाई के बाद कुछ देर तक हम वहीं पड़े रहे. कुछ देर बाद हम उठे और वापस चले आये. उस दिन के बाद मैं करीब 15 दिन गांव में रहा और शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जब मैंने उसके पशुबाड़े में उसकी गायों के सामने चुदाई न की हो.

यह मेरी पहली चुदाई कहानी है उम्मीद है आप सब को पसंद आई होगी. कहानी से जुड़े सुझाव का मेल पर स्वागत है. मेरी ईमेल आईडी – [email protected]

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