भाभी की चुदाई बाथरूम में

मुझे एक भाभी मिलीं. उनके पति नेवी में थे और वो अधिकतर समय शिप पर ही रहते थे. धीरे – धीरे मैं उनके घर पहुंचा और चुदाई की…

अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ने वाली सभी भाभियों की गर्म चूत को मेरे खड़े लन्ड का नमस्कार! मेरा नाम विवेक है और मैं उड़ीसा के पुरी का रहने वाला हूँ. यहाँ पर यह मेरी पहली कहानी है. इसे लिखने में अगर मुझसे कोई गलती हो जाए तो माफ करना.

मेरा घर समुंदर के पास ही है इसलिए मेरा ज्यादा तर वक्त समुंदर के किनारे ही व्यतीत होता था. वहां दिन भर बैठ कर मैं समुंदर को देखते रहता था. इसके साथ ही वहां आकर नहाने वाली लड़कियों को भी नहाते हुए देखता और मज़े लेता था.

रोज शाम को उधर एक भाभी अपने कुत्ते को घुमाने के लिए आती थी. वो भाभी दिखने में मस्त माल थी. मैं उसको भी देखता था. एक दिन जब भाभी अपने कुत्ते को घुमाने के लिए आई तो उनका कुत्ता उनसे छूट गया और इधर – उधर भागने लगा.

अब भाभी उस कुत्ते को पकड़ने के लिए उसके पीछे – पीछे भागने लगीं. लेकिन पकड़ न पाईं. तभी कुत्ता मेरे पास से गुजरा और मैंने उसका पट्टा पकड़ लिया. फिर भाभी मेरे पास आईं और कुत्ता लेकर चली गईं. जाते – जाते उसने मुझे थैंक्स कहा.

अगले दिन फिर वो भाभी कुत्ते को घुमाने ले आईं. हर रोज की तरह उस दिन भी मैं वहीं पर बैठा था. तभी भाभी मेरे पास आईं और बगल में खड़े होकर बोलीं – तुम रोज यहां क्यों बैठे रहते हो? इस पर मैंने कहा कि मुझे यहाँ बैठना अच्छा लगता है इसलिए मैं रोज इधर ही आ जाता हूँ.

फिर मैं भाभी से बात करने लगा. मुझे वो भाभी बहुत अच्छी लगती थीं. उस दिन हमारे बीच काफी देर तक बातचीत हुई. फिर वो वापस चली गईं. अब तो रोज आतीं और मेरे पास आकर कुछ देर के लिए बैठ जातीं. मैं उनसे बात करता था.

धीरे – धीरे हम दोनों के बीच करीबी बढ़ती गई. एक दिन वो आईं और बैठ गईं. हम हर दिन की तरह नॉर्मल बात कर रहे थे. तभी मैंने उनसे पूछा लिया कि आपके पति क्या करते है? इस पर उसने बताया कि उनके पति नेवी में है और एक बार जाने पर 6 महीने जहाज में रहते हैं. उसने बताया कि पति के जाने के बाद अपने घर में वह अकेली रहती है. यह सुन कर मैं खुश हो गया. मुझे लगा कि यहां पर मेरा कुछ काम हो सकता है.

फिर धीरे – धीरे करके मैंने उनके घर भी आना – जाना शुरू कर दिया. अब मैं उसका छोटा – मोटा काम भी कर देता था. सच तो यह था कि ये सब करके मैं उसके दिल में अपने लिए जगह बनाना चाहता था क्योंकि अब किसी भी हाल में उस भाभी को चोदना चाहता था.

एक दिन मैं भाभी के घर कुछ काम कर रहा था. काम कोई खास नहीं था लेकिन मैं उसमें फंसता चला गया और उसे करते – करते रात हो गई. तब भाभी ने कहा कि अब तो रात हो गई है ऐसा करो आज तुम यहीं रूक जाओ. मैंने हां कर दी और रुक गया.

इसके बाद भाभी हम दोनों के लिए खाना बनाने लगीं. मैं भी उनके साथ खाना बनाने में मदद करने लगा. दोस्तों, मैं काफी देर तक भाभी के साथ था. इस दौरान मेरा लंड खड़ा हो चुका था पर मैं भाभी से डायरेक्ट बात करने से डर रहा था.

खाना बनाने के बाद भाभी ने मुझसे कहा कि तुम रुको मैं थोड़ा नहा कर आती हूँ. इतना कहने के बाद भाभी नहाने के लिए बाथरूम में चली गईं. अब खुद को अकेला पाकर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं भाभी को याद करके अपने लंड को सहलाने लगा.

तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया. मैंने सोचा कि क्यों न भाभी को नहाते हुए देखा जाये और यह सोच कर मैं बाथरूम की ओर चला गया. बाथरूम के ऊपर एक खिड़की थी. मैं थोड़ा ऊपर होकर उससे अंदर का नज़ारा देखने लगा.

अंदर का नज़ारा देख कर मुझे अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ. बाथरूम में भाभी अपने दोनों पैर फैला कर जमीन पर बैठी हुई थीं और अपनी चूत में ऊँगली कर रही थीं.

यह देख मैंने धीरे से दरवाजे को धक्का दे दिया. अंदर से दरवाजे की कुण्डी नहीं लगी थी तो दरवाजा खुल गया. अब मैं बाथरूम में अंदर चला गया. भाभी मुझे देख के घबरा गईं. फिर मैं तुरंत भाभी के पास गया और उनको अपनी बाहों में ले कर भाभी को किस करने लगा.

शुरुआत में भाभी ने हल्का विरोध किया और मुझे ऐसा करने के लिए मना किया. लेकिन जब मैंने बताया कि मैंने उन्हें चूत में उंगली करते हुए देखा है तो वह कुछ नहीं बोलीं. पहले – पहल वह थोड़ी शांत थीं लेकिन कुछ देर बाद जब उन पर भी वासना का खुमार चढ़ने लगा तो वो भी किस करने में मेरा साथ देने लगीं.

कुछ देर तक हमारा किसिंग सीन चला. उसके बाद वह मेरे कपड़े उतारने लगीं. अब मैं उनके सामने जन्मजात नंगा खड़ा था. मेरे साथ मेरा लन्ड भी तन्नाया हुआ उत्तेजना वश ऊपर – नीचे हो रहा था.

खड़े लन्ड को देखते ही उन्होंने उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगीं. दोस्तों, वो तो पहले से ही नंगी थीं फिर मैंने भी भाभी के बड़े – बड़े बटले (चूचे) को अपने हाथों के कब्जे में लिया और मस्ती में दबाने लगा.

उनके लन्ड चुसाई के तरीके से मुझे बहुत ही मजा आ रहा था. मैं लगातार ‘अआह भाभी अआह और अच्छे से और अच्छे से’ कर रहा था. हालांकि, वो काफी अच्छे से लन्ड चूस रही थीं. भाभी के मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेने के थोड़ी देर बाद मैंने उनकी चूत में ऊँगली करना शुरू कर दिया.

भाभी की चूत बहुत ही मजेदार थी. उंगली करने से उसमें से लिसलिसा सा पानी निकलने लगा. जिसे देख कर मैंने अपनी चीज उनकी चूत पर लगा दी और भाभी की चूत चाटने लगा. अब भाभी ‘आअ अआह अआह ओह्ह ओह्ह’ को आवाज करने लगीं. फिर भाभी ने कहा कि विवेक अब बस, अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है. अब तुम अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दो.

उनकी यह बात सुन कर मैंने तुरंत ही अपना लन्ड भाभी के मुंह से निकाला और अपना सुपाड़ा उनकी चूत में रगड़ने लगा. मेरे ऐसा करने से उनकी उत्तेजना और बढ़ने लगी. फिर धीरे – धीरे मैं भाभी की गर्म चूत में अपना लंड डालने लगा. उनकी चूत चिकनी हो चुकी थी. जिससे मेरा पूरा लन्ड फिसलता हुआ अंदर तक चला गया. मुझे अजीब सा अहसास हो था साथ मज़ा भी बहुत आ रहा था.

भाभी कई दिनों बाद चुद रही थीं. इसलिए पूरा लन्ड अंदर जाने पर उन्हें थोड़ा दर्द हुआ लेकिन वो सह गईं. वो तो पहले से खेली – खाई थीं. उन्हें पता था कि अब उन्हें असीम आनंद प्राप्त होने वाला है.

थोड़ी देर बाद भाभी का दर्द कुछ कम हुआ तो वह उछल – उछल कर मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में अंदर तक लेने लगीं. अब उन्हें खूब मज़ा आ रहा था और वह ‘ओह्ह आह आह ओह्ह ओह्ह’ की मादक आवाज निकल रही थीं.

चुदाई के साथ – साथ मैं भाभी के बटले को भी खूब मसल रहा था. उनकी धकापेल चुदाई में मुझे बहुत मज़ा रहा था. मुझे तो एक दम जन्नत जैसा आनन्द मिल रहा था. करीब 10 मिनट तक उनकी चिकनी चूत में लन्ड अंदर बाहर करने के बाद मैंने भाभी की चूत में ही अपना मुठ गिरा दिया. इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थीं. जब मेरा लन्ड बाहर आया तो मैंने देखा कि मेरा मुठ उनकी चूत से निकल रहा है.

फिर हमने एक – दूसरे को साफ किया और बाहर आ गए. उस दिन के बाद से हमारा रोज का ये काम हो गया था और मैं भाभी को रोज चोदने लगा. मेरी कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल करके जरूर बताना. मेरी मेल आईडी – [email protected]

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