उनके आंसू देख कर मैंने पूछा, “क्या हुआ?” तो उसने कहा, “आज वो काफी दिनों बाद इतना हंसी है”. तो मैंने कहा, “पंकज तुम्हें खुश नहीं रखता क्या?” तो स्मिता ने बताया कि पंकज का नीचे वाली किरायेदार रेखा के साथ चक्कर चल रहा है…
हेलो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और मैं भोपाल का रहने वाला हूँ. दोस्तों, मैं एक सामान्य सा दिखने वाला सांवला लड़का हूँ. मेरे लंड का साइज 7 इंच है. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली सच्ची कहानी है. आशा करता हूँ आप सब को पसन्द आएगी.
ये घटना करीब 3 साल पहले की है जब मैं एक महीने के लिए अपने मुंह बोले भैया पंकज के घर छुट्टी मनाने इंदौर गया था. उनके घर में उनकी पत्नी स्मिता भाभी थीं. मैं रात में लगभग 12 बजे पंकज भैया के घर पहुंच चुका था. चूंकि पंकज भैया की स्मिता भाभी से लव मैरिज मैंने ही कराई थी, इसलिये वो दोनों मुझे बहुत मानते थे.
पहले मैं आपको पंकज के बारे में बता दूं. वह बहुत ही सीधाकि- साधा साधारण सा इंसान है. जबकि स्मिता बहुत ही खूबसूरत औरत है. स्मिता खूबसूरत ही नहीं बल्कि खूबसूरती का एक एहसास और कमदेव का पूरे आशीर्वाद का प्रसाद थी.
अब मैं उसके बदन के बारे में आप सब को विस्तार से बता दूं. उसकी लम्बाई लगभग 5 फुट 6 इंच के आसपास थी. उसका रंग गोरा और आँखें ऐसी कजरारी कि वो जिसे नज़र भर के देख ले वो कुछ और देख ही नहीं सकता. उसकी नाक बिल्कुल छोटी सी और होंठ बिल्कुल पतले पतले और गर्दन बिल्कुल मोर जैसी है.
उनका फिगर तो पूछिये ही मत. 32 के ब्लाउज से निकलने को बेताब मस्त बूब्स, 28 की बिलकुल एक पतली बेल की तरह पतली कमर अहा! ऊपर से उस दिन स्मिता ने पारदर्शी गाउन पहन रखा था. जिसमें से उसकी लाल रंग की ब्रा, पतली सुराहीदार कमर और उसकी लाल रंग की पैंटी दिख रही थी. लाल पैंटी के पीछे छिपे स्मिता के 36 के चूतड़ जिसे लोग गांड भी कहते हैं इतने मस्त थे कि मैं उन्हें अल्फाजों में बयां ही नहीं कर सकता.
खैर, जैसे ही मैं वहां पहुँचा, उन दोनों ने बड़ी ही गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया और पंकज ने कहा, “अरे राहुल, तुम अचानक यहाँ!” तो मैंने कहा, “बस यार, तुम दोनों को मिस कर रहा था इसलिए आ गया”. तभी स्मिता ने कहा, “राहुल, तुमने ये बहुत अच्छा किया. ये तो दिन होते ही काम पर निकल जाते हैं और मैं दिन भर घर में बोर होती रहती हूँ”.
तभी मैंने कहा, “अब मैं आ गया हूँ न, अब तुम्हें ज़रा भी बोर नहीं होने दूँगा”. फिर स्मिता ने मुझे गरम – गरम खाना बना कर दिया. फिर मैंने खाना खाया. पंकज थका होने के कारण सोने चला गया. फिर स्मिता और मैं बैठ कर गपशप करने लगे.
अब स्मिता ने पूछा, “भोपाल में सब कैसा है?” पर मेरा तो ध्यान ही कहीं और था. मैं तो बस उसके कामुक बदन को ही निहार रहा था. थोड़ी देर तक मेरी तरफ से जवाब न मिलने पर स्मिता ने कहा, “राहुल, राहुल”. उसकी आवाज सुन कर अचानक जैसे मैं नींद से जागा.
यह देख उसने मुस्कराते हुए पूछा, “कहां खो गए थे?” तो मैंने कहा, “तुम में. तुम बहुत खूबसूरत और सेक्सी हो यार”. अब वो हंसते हुए बोली, “अच्छा! मेरे प्यारे देवर, अपको पता भी है सेक्सी का क्या मतलब होता है?” तो मैंने कहा, “हां, मुझे मालूम है सेक्सी का मतलब क्या होता है”. तो स्मिता ने कहा, “अच्छा बताओ फिर”.
तो मैंने कहा, “स्मिता मतलब सेक्सी और सेक्सी मतलब स्मिता”. इतना सुन कर फिर वो जोर – जोर से हँसने लगी. उसे ऐसे हंसते देख कर मैंने कहा, “ऐसे ही हंसते रहा करो अच्छी लगती हो”. लेकिन ये क्या! वो अचानक चुप हो गयी और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे.
उनके आंसू देख कर मैंने पूछा, “क्या हुआ?” तो उसने कहा, “आज वो काफी दिनों बाद इतना हंसी है”. तो मैंने कहा, “पंकज तुम्हें खुश नहीं रखता क्या?” तो स्मिता ने बताया कि पंकज का नीचे वाली किरायेदार रेखा के साथ चक्कर चल रहा है.
मैंने कहा, “मैं ये नहीं मान सकता”. तो उसने कहा, “उसने ऐसा सुना है और पंकज ने तो उसे एक साल से छुआ भी नहीं है.” उसकी ये बात सुन कर मुझे भी शक हुआ क्योंकि पंकज एक सेक्स एडिक्ट था और वो बिना सेक्स के रह ही नहीं सकता था. फिर स्मिता और मैंने पंकज को रंगे हाथ पकड़ने का प्लान बनाया.
सन्डे का दिन था और उस दिन पंकज की छुट्टी थी. हम तीनों घर पर ही थे. तभी मैंने कहा, “यार पंकज, तीन दिन हो गए मुझे यहाँ आये हुये पर कहीं घूमने नहीं गया. घर पर अब बोरियत लग रही है. चल कहीं कोई फ़िल्म देख कर आते हैं”. लेकिन उसने बहाना बनाते हुए कहा, “नहीं यार ऑफिस का काफी काम बाकी मैं नहीं जा पाउँगा. तू स्मिता को लेकर चला जा”.
मैं जनता था कि वो ऐसा ही कहेगा क्योंकि यही तो मेरा प्लान था. हालांकि स्मिता को इस बारे कुछ भी पता नहीं था फिर मैं तैयार हुआ और जैसे ही स्मिता तैयार होकर आई मैं तो बस उसे देखता ही रह गया. खुले हुए बाल, स्लीवलेस ब्लाउस और ब्लैक साड़ी में तो वो कहर ढा रही थी. मैं तो बस उसे देखते ही भंड हो गया.
तभी उसने कहा, “राहुल – राहुल, लेट हो रहे हैं यार”. अब मैं फिर चेता और कहा, “ओह हां, सॉरी – सॉरी चलो चलते हैं”.
फिर मैंने पंकज से उसकी कार की चाबी ली और चल दिये. उसके बाद फिर मैंने स्मिता को बताया कि आज हम लोग पंकज को रंगे हाथ पकड़ेंगे. तो थोड़ा आश्चर्यचकित होते हुए उसने पूछा, “वो कैसे?”
अब मैंने उसे अपना सारा प्लान बताया कि जब घर पर कोई नहीं होगा तो पंकज ज़रूर रेखा को चोदने जायेगा. मेरे मुंह से चोदना शब्द सुन कर स्मिता मुझे घूरने लगी. तो मैंने सॉरी बोला. फिर स्मिता ने थोड़ा मुस्कुरा कर कहा, “लगता है तू काफी बड़ा हो गया है.”
फिर हमने कार घुमाई और वापस ले जाकर घर से थोड़ी दूर पर खड़ी कर दी और फिर हम चुपके से घर के पीछे की बाउंड्री के पास पहुंच गए. चूंकि बाउंड्री लगभग 4 या 5 फुट की थी तो मैं आराम से चढ़ गया पर स्मिता नहीं चढ़ पायी. तो मैंने कहा, “अब क्या करें?” तो उसने कहा, “राहुल, तुम मुझे ऊपर उठाओ”.
इतना कह कर फिर स्मिता ने अपने दोनों हाथ बाउंड्री पर रखे और मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी और मुझसे कहा, “राहुल, अब मुझे उठाओ”. फिर मैंने उसे उठाने के लिए जैसे ही उसकी नंगी कमर में हाथ डाला उसका पूरा बदन झुनझुना गया. फिर मैंने उसको थोड़ा उठाया लेकिन उसकी सेक्सी गांड जैसे ही मेरे लंड से टच हुयी मेरा 7 इंच का लंड पेंट में ही तुरंत खड़ा हो गया. इस बात का अहसास स्मिता को भी हो गया था और उसने मुझे मुड़ कर देखा भी. अब उसका मुझे देखने का नज़रिया बदल गया था.
खैर, जैसे – तैसे हम बाउंड्री के अंदर आ गए और रसोई के दरवाजे से घर के अंदर घुस गए और एक बड़ी अलमारी के पीछे छुप गए. वहां से बैडरूम का नज़ारा साफ – साफ दिख रहा था. अब हम आगे के सीन काइंतजार करने लगे.
इस कहानी का अगला भाग – भाभी, मेरी सेक्स गुरु भाग – 2
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