भाभी के साथ मेरी काम क्रीड़ा

इतना कह कर अब वो मुझे चूमने लगी. अब मैंने भी उसके गुलाबी होंठ चूसना शुरू कर दिया और कपड़े के ऊपर से ही उसका चूचे दबाने लगा. अब वो भी मेरा लौड़ा सहलाने लगी थी. फिर मैंने उसके नाईट ड्रेस को उतार दिया और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा में थी क्योंकि उसने पैंटी नहीं पहन रखी थी…

हेलो दोस्तों! मेरा नाम राहुल है और मैंने अभी कुछ महीने पहले ही अन्तर्वासना की कहानियों को पढ़ना शुरू किया था तब से अब मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक बन गया.

आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ उसकी शुरुआत अप्रैल 2011 में हुयी थी. चूंकि मैं एक अभियंता (इंजीनियर) हूँ और एक टाउनशिप में रहता हूँ. वहां मेरे बहुत सारे सहकर्मी भी हैं और सबकी शिफ्ट ड्यूटी होती है.

उन्हीं में से मेरा एक सहकर्मी रितेश (बदला हुआ नाम है) है, जो मेरे सामने वाले फ्लैट में रहता था. उसकी शादी फ़रवरी 2011 में हो गयी थी. वह राजस्थान का है और उसके यहाँ शादी जल्दी ही हो जाती है.

रीतेश की पत्नी नेहा, जोकि इस कहानी की मुख्य अदाकारा है उसकी उम्र उस समय 23 साल रही होगी. उसका शरीर दुबला – पतला था परन्तु उसके चूचे बहुत ही मस्त थे. उसकी ऊंचाई करीब 5 फुट और 2 इंच रही होगी. उसका गोरा रंग और मस्त गदराया हुआ बदन उसे एक दम माल बना रहा था.

शुरुआत में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा कभी उसके साथ कुछ हो पायेगा. मेरी उनकी साथ बहुत ज्यादा बात तो होती नहीं थी पर वो कई बार मुझे घूरते रहती थी. दो महीने ऐसे ही बीत गए. जब मई के महीने में रितेश का जन्मदिन आया तो उन लोगों ने करीब 15 लोगों के लिए अपने घर में पार्टी रखी.

उस दिन मैं उनके कैमरे से सबकी फोटो खींच रहा था और फोटो देखने के लिए जब कैमरा स्क्रॉल करने लगा तो अचानक मेरे सामने स्क्रीन पर नेहा का एक फोटो आया जिसमे वो सिर्फ ब्रा में थी. अब मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. अब मैं और आगे बढ़ा तो देखा, एक फोटो में नेहा बिस्तर पर बैठी अपनी चूत दिखा रही थी.

ये सब फोटो उनके हनीमून के थे क्योंकि और आगे बढ़ने पर मुझे कश्मीर के कई फोटो मिल गई. नेहा ने मुझे आपने ये फोटो देखते हुए देख लिया था (ऐसा उसने बाद में बताया). उसकी ऐसी फ़ोटो देख कर मेरी वासना जाग गई. अब मैं पार्टी छोड़ कर अपने घर चला गया और मुठ मरने लगा.

फिर कुछ दिन तक ऐसे ही देखा – देखी चलती रही. अब तो मेरे मन में भी उसको चोदने का जूनून चढ़ गया था. इसलिए अब मैं भी उसके ऊपर नज़रें रखने लगा. फिर उस समय मैंने अपनी शिफ्ट ड्यूटी रितेश की शिफ्ट का उल्टा लगवा लिया. मतलब जब मैं घर में हूँ तो वो ऑफिस में और वो घर में हो तो मैं ऑफिस में होता था.

उस दिन के बाद से अब वो थोड़े अजीब से छोटे – छोटे कपड़े पहनने लगी थी और अब हमारी बातचीत भी बढ़ने लगी थी. हमारी टाउनशिप में इण्टरकॉम फ़ोन हुआ करते थे अब उसमे मुझे मिस कॉल आने लगी थी तक मैंने भी मिस कॉल देना शुरू कर दिया.

एक दिन रात 11 बजे के आस – पास मेरे पास नेहा का फोन आया और उसने मुझसे कहा, “तुम यहाँ आ रहे हो या मुझे वहां आना पड़ेगा.” किसी लड़की के मुंह से यह सुन कर तो जैसे मेरी शिट्टी – पिट्टी ही गोल हो गयी. अब मैंने पूछा कि आप कौन हो तो उसने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा कि मुझे नहीं पहचान रहे हो! मैं वही हूँ जिसके नाम पर तुमने रितेश के बर्थडे वाले दिन मुठ मारी थी और शायद रोज मारते हो.

यह सुन कर मैंने उसे पहचान लिया और फिर मैंने जवाब में उससे कहा – ठीक है, मैं आता हूँ.

उस दिन मैं उसके घर गया. जैसे ही मैं उसके घर पहुंचा तो वो मुझे घूरने लगी और कहा, ‘तुम मुझे 4 महीने पहले से ही चोदना शुरू कर सकते थे पर कोई बात नहीं, देर आये दुरुस्त आये.’

दोस्तों, मैं 6 फुट का हूँ तो कद में वो मेरे से काफी छोटी थी. फिर वो मेरे पास आकर मुझसे चिपक गई और फिर सीने पर अपना सर रख कर कहा, ‘डरो मत, डरोगे तो रीतेश की तरह ही जल्दी झड़ जाओगे इसलिए रिलेक्स हो जाओ जानेमन.’

इतना कह कर अब वो मुझे चूमने लगी. अब मैंने भी उसके गुलाबी होंठ चूसना शुरू कर दिया और कपड़े के ऊपर से ही उसका चूचे दबाने लगा. अब वो भी मेरा लौड़ा सहलाने लगी थी. फिर मैंने उसके नाईट ड्रेस को उतार दिया और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा में थी क्योंकि उसने पैंटी नहीं पहन रखी थी.

उसके क्लीवेज बड़े ही मस्त थे और उसकी चूत तो फूली हुयी पूड़ी की तरह था. अब उसने मुझे भी नंगा कर दिया. इसके बाद थोड़ी देर फोर प्ले करने के बाद उसने मुझसे कहा, ‘जाने मन अब मत तड़पाओ, अब अपना लौड़ा डाल ही दो’.

दोस्तों, हमने उस दिन किसी भी तरह की चूत चुसाई या लौड़ा चुसाई नहीं किया था. हाँ, मैंने बस उसकी चूत में उंगली बहुत किया था, जिससे वो झड़ भी गयी थी. अब मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया. जिससे वो चिल्लाने लगी और मुझे पीछे की और धकेलने लगी पर अब मैं कहाँ रुकने वाला था.

अपना आधा लन्ड तो मैं पहले ही उसकी चूत में पेल चुका था और बचा आधा लन्ड भी मैंने एक झटका मार कर अंदर कर दिया. जिससे उसके आंसू निकलने लगे थे. अब मैंने थोड़ा रुक कर उसे चूमा और अब वो भी धीरे – धीरे नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी थी. फिर करीब 10 मिनट की शानदार चुदाई के बाद हम दोनों साथ में ही झड़ गए. उस रात मैंने 2 बार और अलग – अलग आसनों में उसे चोदा था.

अब वो मुझसे संतुष्ट थी और मैं भी उसकी चुदाई करके खुश था. हमारी यह काम क्रिया अगले एक साल तक लगातार चलती रही. अब नेहा और मैं काफी खुल चुके थे. अब हम लौड़ा चुसाई और चूत चुसाई भी करने लगे थे. अब तो मैं उसको अपनी पत्नी ही समझने लगा था.

नेहा भाभी के साथ काम क्रिया के दौरान अधिकतर मैं नेहा को किचन स्लैब में चोदता था और उसको भी ये पसंद था. इसके अलावा छोटी कद की और वजन भी कम होने की वजह से मैं उसको उठा – उठा कर चोदता था इसलिए वो भी मुझसे हमेशा खुश रहती थी.

उसके बाद वो प्रेग्नेंट हो गयी तो मैंने कुछ समय के लिए वापस अपनी हाथ गाड़ी चलना शुरू कर दिया और कभी – कभी वो मेरा लौड़ा चूस कर मुझे शांत कर देती थी. कुछ समय बाद उसको एक बेटी पैदा हुयी.

कुछ समय बाद वापस हम अपने फॉर्म में आ गए और रोज होने वाली अपनी ठुकाई फिर से चालू कर दिए. अब तो मैं रितेश के घर में रहते हुए भी उसके घर जाता और नेहा के चूचे दबा कर और उसको किश करके आ जाता था.

बाद में फिर जून 2015 में मेरा तबादला हो गया और फिर मैं अपनी नई जगह चला गया. तब से मैं उससे नहीं मिला हूँ लेकिन मैं उसके नाम की मुठ अभी भी मारता हूँ.

दोस्तों, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]

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