हर लड़की की कली से फूल बनने की अपनी कहानी होती है. हर लड़की का सपना होता है कि उसके सपनों का राजकुमार ही आकर उसका कौमार्य भंग करेगा. लेकिन पहली चुदाई के बाद मुझे समझ में आ गया कि चुदाई चाहे सपनो का राजकुमार करे या कोई और, दर्द और मजा दोनों एक सा आता है……
बारिश का मौसम चालू होते ही मेरे दिल में बिजली जाने का डर होने लगता है.. हमारे यहाँ बिजली वाले बाबू बस इसी फिराक में रहते हैं कि बारिश शुरू हो और वो बिजली की लाइन काट दें।
वैसे मैं जब 19 साल की थी.. तब बिजली जाने से नहीं डरती थी.. लेकिन एक दिन जब बिजली गई तब मेरे सगे भाई ने मेरी चूत के अन्दर अपना लंड घुसा दिया था।
पता नहीं क्यूँ.. उस दिन से मैं बिजली जाने से डरने लगी हूँ।
मैं आप सब के लिए उस किस्से को लिख रही हूँ।
मेरी उम्र तब 19 साल और ऊपर कुछ दिन ही हुई थी। मेरा बड़ा भाई सुंदर.. मुझ से कुछ 8 साल बड़ा था और उसकी बीवी अनुपमा से उसका तलाक हो चुका था। वो अव्वल नंबर का शराबी और जुआरी था. तभी तो बीवी उसे छोड़ कर चली गई थी।
चलिए.. मैं अपनी चूत चुदाई की बात पर आ जाती हूँ।
उस दिन घर पर हम दोनों के अलावा कोई और नहीं था। मम्मी-पापा बाजू वाले शर्मा जी का ऑपरेशन हुआ था तो जिला अस्पताल में उन्हें देखने गए थे।
सुंदर को मैंने रात का खाना परोसा और मैं मेहँदी की डिजाइन सीखने के लिए अपनी किताब देखने लगी।
बारिश पहले हल्की शुरू हुई और फिर एकदम जोरों से बरसने लगी। तभी पावर कट गया और पूरा घर अँधेरे से भर गया।
मैंने अलमारी से मोमबत्ती निकाली और उसे जला कर नीचे लगाने के लिए झुकी.. वहाँ सुंदर खाना खाने बैठा हुआ था।
तभी शायद सुंदर ने मेरे उभरे हुए स्तन झूलते हुए देख लिए और उसके लंड का कीड़ा चूत मांगने लगा।
मेरी और उसकी नजर एक हुईं और मैंने तुरंत मोमबत्ती रख कर बाहर के कमरे का रास्ता देखा।
बारिश रुकने के बजाए और भी तेज होती जा रही थी।
तभी सुंदर ने मुझे आवाज लगाई- मीनाक्षी, ये बर्तन तो ले जा..
मैं जैसे ही अन्दर गई.. उसने दरवाजे के पास ही मुझे पकड़ लिया।
मैंने बोला- भैया.. यह क्या कर रहे हो.. कोई आ जाएगा..
सुंदर बोला- अभी ऐसी बरसात में कोई नहीं आएगा.. मुझे आज तेरी जवानी का रस पी लेने दे.. तू भी तो जवान हो चली है और तेरी चूत भी तो लंड की खुराक मांगती होगी।
उसकी बात तो सही थी कि मेरी चूत को लंड की तलाश थी.. मगर यह लंड मेरे बड़े भाई का होगा.. यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।
सुंदर के हाथ मेरे स्तनों को मसलने लगे और उसका दूसरा हाथ मेरी चूत के ऊपर घूमने लगा।
मैं ना चाहते हुए भी उत्तेजित हो रही थी.. क्यूंकि सुंदर एक स्त्री के सबसे जल्दी उत्तेजित होने वाले दो अंगों पर वो कब्ज़ा जमाए बैठा था।
वह मेरे चूचों को जोर-जोर से मसलने लगा।
अब मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी लुंगी में खड़े हो रहे उसके लंड को पकड़ लिया।
सुंदर का लंड कुछ 8 इंच के खीरा जितना लम्बा और उतना ही मोटा करीब 3 इंच गोलाई का था।
सुंदर ने अपनी लुंगी को एक हाथ से खोल दिया और बिना लंगोट पहने होने की वजह से उसका लंड अब खुली हवा में आ चुका था।
बाहर बारिश बरस रही थी और यहाँ मेरी चूत अन्दर से रस छोड़ रही थी।
सुंदर एक बार फिर दोनों हाथ मेरे शरीर पर चलाने लगा। उसने धीमे से मेरी टी-शर्ट को पकड़ा और एक झटके से उसे मेरे माथे पर से होते हुए उतार फेंका।
मेरी छोटी सी ब्रा को भी उसने उतनी ही जल्दी निकाल कर फेंक दिया। मेरे 34 के भरे और उठे हुए स्तनों देख कर वो पगला सा गया।
उसकी बीवी अनुपमा तो काफी दुबली-पतली थी और उसके स्तन 30 साइज़ के करीब के थे.. इसलिए तो सुंदर मेरे इन मदमस्त स्तनों को देख बौखला सा गया था।
सुन्दर ने मेरे एक स्तन को मुँह में भर लिया और दूसरे को वो दूसरे हाथ से दबाता था और मुँह वाले मम्मे को आम के जैसे चूस रहा था।
इस दूध चुसाई से मुझे भी चूत के अन्दर अब चुदाई की खुजली होने लगी। मैंने अपना हाथ लम्बा करके सुंदर के लंड को पकड़ कर हिला दिया।
सुंदर ने मुझे वहीं पलंग के ऊपर लिटा दिया और वह मेरी स्कर्ट उतारने लगा। उसने खुद की बनियान भी उतार दी.. और वह मेरे छाती के ऊपर चढ़ गया।
उसने बिना कुछ कहे सीधा लंड मेरे मुँह के अन्दर घुसा दिया।
मैं एकदम से हुए इस हमले से हलकान सी हो गई.. और छटपटाने लगी लेकिन उस हरामी सुंदर ने मेरे मुँह के अन्दर लंड को ठूँसे रखा और उसका लंड मेरे गले तक घुसेड़ कर वो वापस वो बाहर निकाल लेता था।
उसके ये झटके कुछ 2-3 मिनट तक चलते रहे.. अब उसका लंड पूरा लाल हो चुका था और मेरे होंठों के बगल से थूक बाहर आने लगा था।
सुंदर ने मुझे अपने दोनों हाथों से उठाया और पलंग पर डाल दिया। मुझे और सुंदर दोनों को पसीना आ रहा था.. क्यूंकि बरसात और उमस की वजह से ऐसा हो रहा था।
सुंदर ने पलंग पर चढ़ कर मेरी टाँगें फैला दीं और वह मेरी हल्के बालों वाली चूत को टटोल हुआ उसे खुजाने और सहलाने लगा।
उसकी पहले दो उंगलियाँ चूत के होंठों को मसल रही थीं और फिर उसने धीरे से एक उंगली चूत के अन्दर घुसेड़ दी।
मैं जरा सा हिली.. उसकी पूरी दम से उंगली चूत के अन्दर हो गई थी। जिसे अब वो अन्दर-बाहर कर रहा था.. उसके नाख़ून मुझे गड़ रहे थे.. लेकिन मजा भी उतना ही आ रहा था।
मेरी चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी और इसका रस सुंदर के हाथों को भी लग रहा था।
सुंदर ने उसके उँगलियों पर लगे चूतरस को लंड के सुपारे पर लगाया और उसने धीरे से पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर धकेल दिया। मेरी दर्द भरी चीख निकल गई।
मैं दर्द से कराहती रही फिर कुछ ही पलों बाद उसका लौड़ा चूत में अपनी जगह बना चुका था तो मुझे भी दर्द कम होने लगा।
अब उसका लंड चूत को मस्त चोद रहा था और वह बीच-बीच में चूत के ऊपर उंगली से रगड़ भी रहा था।
मैंने भी अपने कूल्हे हिलाने चालू कर दिए और मैं भी सुंदर की मस्त चुदाई का मजा लेने लगी। सुंदर का तगड़ा लंड अब चूत को दनादन ठोकरें दे रहा था और वो ऊपर मेरे हिलते हुए स्तनों को अपने होंठों में दबा कर चूस रहा था।
सुंदर ने लंड चूत के बाहर निकाला और वह मुझे उल्टा करने लगा.. मुझे लगा कि वो मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता होगा। मेरा यह भ्रम तब टूटा.. जब मेरे उल्टे होते ही सुंदर ने अपने हाथ में थोडा थूक लेकर मेरी गाण्ड के छेद पर मसल दिया।
उसका थूक एकदम चिकना था और गाण्ड का छेद इससे रसीला हो गया। उसका लंड तो पहले से चूत के रस से सना हुआ था.. जिससे उसमें चिकनाई की कोई कमी नहीं थी।
उसने अपने लौड़े को धीरे से गाण्ड के अन्दर घुसाना चालू किया.. मुझे उसके इस तगड़े लौड़े के गाण्ड में जाने से असहनीय दर्द हो रहा था।
मैंने दोनों हाथ से पलंग की किनारे पकड़ रखे थे.. जिसे मैं जोर से दबा कर गाण्ड मरवाने के दर्द को झेलने की कोशिश करने लगी।
मुझे पीड़ा में देख कर भी सुंदर ने जरा सी भी दया नहीं दिखाई.. बल्कि उसने एक मिनट के अन्दर ही मेरी फूल सी कोमल गाण्ड को अपने मोटे लंड से भर दिया।
अब उसने धीमे-धीमे झटके लगाने चालू कर दिए और लंड गाण्ड से आधा निकाल कर वापस अन्दर घुसेड़ रहा था।
उसके 25-30 धक्कों के बाद मेरा दर्द धीमे-धीमे कम होता गया और अब तो मुझे गाण्ड में लंड से चुदवाने में मजा आने लगा।
मैंने भी अब गाण्ड को मस्ती से हिलाना चालू कर दिया। सुंदर के हाथ मेरे चूतड़ों पर थे और वह मुझे अब उठा-उठा कर लंड से झटके देने लगा था।
कुछ देर बाद ही सुंदर ने और जोर से गाण्ड मारना चालू कर दिया। उसकी चूत मारने की स्टाइल जैसे ही गाण्ड ठोकने की स्टाइल भी मुझे अच्छी लगी और वह इतना हिलने के बाद अब थक चुका था।
उसका वीर्य गिरने ही वाला था कि वह लंड निकाल कर मुझे सीधा करने लगा।
मेरा सीधा होते ही उसने लंड को मेरे स्तनों के ऊपर रख दिया.. मैंने भी उसके लंड को मेरे स्तनों के बीच दबा लिया।
सुंदर ने एकाध-दो बार ही हिलाया और लंड से वीर्य छिटक पड़ा।
मेरे स्तन के ऊपर सुंदर का सारा वीर्य आ निकला।
हम दोनों चुद कर एकदम निढाल हो चुके थे।
दोस्तो, यह थी मेरे भाई के लंड से हुई मेरी चूत और गाण्ड की ठुकाई की कहानी। उस दिन चुदवाने के बाद मुझे बहुत अपराध बोध हुआ और मैं उस दिन से ही बिजली जाने से डरती हूँ.. सोचती हूँ कि ना बिजली जाती.. ना मैं मोमबत्ती जलाती..।
खैर.. जो बीत गया.. सो बात गई..
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chudaii achha tha na mza to aya na
hme bhi kabhi mooka do chodne ka
chudai mubarak
Maja aaya na
kya ye real h
nice story
Bhai se chudai karne me saerm nahi aai