फिर मैंने तेल लिया और भैया की कमर पर लगा दिया. उफ्फ क्या सेक्सी बॉडी थी भैया की! मैंने कभी हल्के हांथों से तो कभी हार्ड से मालिश शुरू की. मैं उनकी कमर से टाँगो तक और फिर धीरे – धीरे ऊपर बाजुओं की मालिश करने लगा…
हेलो दोस्तों, मैंने कई सालों तक अन्तर्वासना की कहानियों का लुत्फ़ उठाया है. काफ़ी अरसे से मैं यह सोच रहा था कि किसी वक़्त अपनी कहानियाँ भी लिखूं. लेकिन मौका ही नहीं मिल रहा था. आखिरकार, आज वो दिन आ ही गया. मेरी यह पहली कहानी है और सत्य घटना पर आधारित है यानी कि मेरी अपनी कहानी.
मैं 28 साल का दिल्ली में रहने वाला एक नौजवान युवक हूँ. यह कहानी मेरे कॉलेज के दिनों की है. बात है बरसात की एक रात की है. उस वक़्त मैं एक पेयिंग गेस्ट की तरह दिल्ली में रहता था.
मैं जिस घर में रहता था, वहाँ पर और भी कई लड़के रहते थे. कुल मिलाकर करीब 7-8 लड़के रहे होंगे. सभी की उम्र यही कोई 20-26 के बीच की होगी. उनमें से कई लड़के उस वक़्त मेरी ही तरह पढ़ाई कर रहे थे.
उन सब में से 3 लड़के ऐसे थे जो नौकरी कर रहे थे. उम्र में वही सब बड़े थे, तो हम सब उन्हे भैया कह कर बुलाते थे. उन तीनों में से मेरे फेवरिट थे दीपक भैया. वो कोई 25 साल के हरियाणवी जाट थे. सुंदर और गोरे शरीर वाले, कद 6 फीट, चौड़ी छाती, हल्के बालों से भरा शरीर, और एक दम नशीले लिप्स थे उनके. मुझे वह बहुत पसंद आते थे, और उन्हें मैं.
मैं अक्सर उनके कमरे मैं बैठ कर घंटों उनसे बातें करता था. वो मुझे कई बार अपने साथ बाइक पर घुमाने ले जाते थे. उसके साथ मैं एक दम चिपक कर बैठा रहता था. उन्होंने मुझे कभी माना नहीं किया, बल्कि कई बार रात में जब हम दोनों साथ – साथ घूम रहे होते थे तो वो मेरा हाथ अपने सीने पर रखवा लेते थे.
उन्हें ऐसा करने में बड़ा मज़ा आता था और मैं तो माना करने वाला था नहीं. कई बार मैं जान बूझ कर अपना हाथ उनकी गोदी में डाल देता था और हल्के से उनका लंड सहला देता था. वो भी मुझे रोकते नहीं थे पर उससे ज़्यादा करने की मुझ में हिम्मत नहीं होती थी.
मैं हमेशा सोचता था कि उनका कितना बड़ा लंड होगा, पर कभी देख नहीं पाया. लेकिन मुझे इतना ज़रूर पता था कि एक दिन मैं उनसे ज़रूर चुदूँगा.
फिर एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा था. तभी भैया आ गए. उनको देख कर मैं बोला, “अरे भैया, आप आज काफ़ी जल्दी आ गये…”
उन्होंने कहा, “हां, आज ज़्यादा काम नहीं था और साथ में यह बारिश के बादल, मैंने सोचा बारिश होने से पहले ही घर चलता हूँ”
“अच्छा किया आपने, मैं भी आज कॉलेज से जल्दी आ गया था.”
भैया बोले, “यह बता अपने बड़े भाई की मालिश कर देगा क्या आज, बड़ा थक गया हूँ रे आज”
“यह भी कोई कहने की बात है, ज़रूर कर दूँगा, आप बस लेट जाओ.”
मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे, आज तो बिना कुछ किए ही भैया का बदन टच करने को मिलेगा. फिर भैया बिस्तर पर उल्टा लेट गये और मैं उनकी कमर दबाने लगा. अचानक भैया ज़ोर से हंसे. उनको हंसते देख कर मैंने कहा, “क्या हुुआ भैया?”
वो बोले, “अरे पागल, कम से कम कपड़े तो उतार मेरे. ऐसे कैसी मालिश है तेरी.”
“ओहो! मैं तो भूल ही गया था.”
फिर मैंने भैया की शर्ट और बनियान उतार दी और फिर धीरे से उनकी पैंट भी खीच दी. उनका शरीर देख कर मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गये और जी में हलचल शुरू हो गयी थी. भैया बहुत सेक्सी लग रहे थे. उनके शरीर के छोटे – छोटे बाल, उनकी मसल्स और साथ में वो पसीने की महक! कुछ सेकेंड्स तक तो मैं देखता ही रह गया.
तभी भैया बोले, “अब सोचता ही रहेगा कि मालिश भी करेगा?”
“हां हां भैया… करता हूँ.”
फिर मैंने तेल लिया और भैया की कमर पर लगा दिया. उफ्फ क्या सेक्सी बॉडी थी भैया की! मैंने कभी हल्के हांथों से तो कभी हार्ड से मालिश शुरू की. मैं उनकी कमर से टाँगो तक और फिर धीरे – धीरे ऊपर बाजुओं की मालिश करने लगा.
फिर भैया बोले, “तेरे हाथों में तो जादू है रे, मुझे क्या पता था कि तू इतनी बढ़िया मालिश करता है!”
भैया से अपनी तारीफ सुन कर मैंने कहा, “भैया, अब सीधे लेटो न.”
भैया बोले, “यह ले, छोटे.”
फिर भैया जब सीधे हुए तो जिसका काफी वक़्त से मैं इंतज़ार कर रहा था वह मेरे सामने आ गया. भैया का लंड उनकी चड्ढी में एक दम ताना हुआ था. वह कम से कम 8 इंच का हठोड़ा लग रहा था.
फिर मैंने उसे नज़र अंदाज़ करते हुए भैया की छाती कर तेल लगाने लगा. फिर मैं नीचे गया और उनकी टाँगों पर भी तेल लगाया और मालिश शुरू कर दी. इस दौरान कभी – कभी मेरा हाथ उनके लंड से टच हो जाता था. तब उनका लन्ड ज़ोर से झटका मरता था और भैया की भी सिसकी सी निकल जाती थी.
थोड़ी देर जब मैंने उनकी जाँघ की मालिश की तो भैया ने कहा कि रुक इसको भी उतार देता हूँ, इससे तुझे प्रॉब्लम नहीं होगी. वैसे भी तू भी तो लड़का है, तुझसे क्या शर्माना.”
इस पर जब मैंने कुछ भी नहीं कहा तो भैया ने एक ही बारी में अपनी फ्रेंची उतार कर कोने में फेंक दी. उनका विशाल लंड अब मेरे सामने था. जिसे देख कर मेरे मन में लालच और मुँह में पानी आ गया. फिर मैंने भैया की जाँघ की आराम से मालिश करनी शुरू की और धीरे से उनके टट्टों को उठा कर उनके नीचे मालिश करने लगा.
इस पर भैया ने एक बड़ी सी सिसकी ली लेकिन मुझे कुछ नहीं कहा. जिससे मेरी और भी हिम्मत बढ़ गयी. फिर मैंने आराम से उनके लंड को पकड़ा और उस पर भी तेल लगा दिया.
लन्ड पर तेल लगाते ही भैया बोले, “आह…मज़ा आया यार.. थोड़ा कस कर मल तो दे, बड़े दिन हो गये..”
अब मैंने थोड़ा सा और तेल लिया और फिर भैया के लंड पर लगा दिया. इसके बाद मैं उनके लन्ड को ऊपर – नीचे करने लगा. फिर धीरे से मैंने उनका टोपा निकाल कर देखा तो उस में से चिपचिपा सा रस बह रहा था. जिस पर मैंने जीभ लगा कर चाट लिया और तेल लगा कर उनकी मुठ मारने लगा. इतने मैं खूब तेज मूसलाधार बारिश होने लगी.
बारिश देख कर भैया उठ कर बैठ गए और मुझसे बोले, “छोटे, आ जा बाहर चल कर बारिश में नहाते हैं.”
इस पर मैं बोला, “हां भैया, बड़ा मज़ा आएगा. और आज मुझे आइस क्रीम भी खानी है.”
इस पर भैया बोले, “चल मैं ले चलता हूँ ”
अब भैया ने अपनी निकर पहनी और ऊपर एक पतली सी टी-शर्ट डाल ली. फिर बारिश में हम दोनों निकल पड़े. बाहर ले जाकर भैया ने मुझे आइस क्रीम दिलाई और वापस आने लगे.
इस कहानी का अगला भाग – भैया से गांड मरवाकर गांडू बना भाग – 2
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