मैं अपने बुआ के यहाँ आया था. जहाँ मेरे बुआ की लड़की की बेटी भी मेरे साथ थी. उसको पटाकर उसकी मर्जी के बिना मैंने उसको चोदा लेकिन कैसे ये जानने के लिए आपको कहानी पढ़नी होगी…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अनिरुद्ध है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरा कद 6 फुट है. मैं दिखने में थोड़ा पतला हूँ पर दिखता अच्छा हूँ. मैं पिछले 6 साल से अन्तर्वासना का पाठक हूँ और इस की लगभग हर कहानी मैंने पढ़ी है. इस कहानियों को पढ़ कर कई बार मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी लिखूं लेकिन किसी न किसी कारणवश हो नहीं पाया. आखिरकार आज वह दिन आ गया और मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ.
बात 2 साल पुरानी है. तब मैं इंजीनियरिंग के सेकेंड ईयर का छात्र था. गर्मियों की छुट्टी चल रही थी. दोस्तों, हर बार छुट्टियों में मैं बुआ जी के गांव जाता था. इस बार भी मैंने प्लान बनाया. मुझे 14 जून को जाना था.
मेरी बुआ जी का बेटा हमारे यहां ही रहता है. उन्होंने मुझसे कहा कि उनकी बहन और भांजी कल आएंगी तो उनके साथ ही चले जाना. मैंने मान गया.
अगले दिन मैं भैया के साथ निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन गया. वहाँ दीदी आई हुई थीं. उनके साथ उनकी बेटी भी थी. उनकी बेटी मुझसे 4 महीने बड़ी थी. उस दिन मैंने उसे 6 साल बाद देखा था. तब वह काफी आकर्षक लग रही थी. चूंकि वह मेरी भांजी लग रही थी तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
रास्ते में वह मेरे साथ ही बैठी थी और दीदी सामने बैठी थीं लेकिन थोड़ा हट के थीं. अब हमारे बीच बातों का दौर शुरू हुआ. पहले इधर – उधर की बात हुई. उसने अपने कॉलेज की मस्ती के बारे में बताया. इसी बीच उसने बताया कि उसके कॉलेज के एक लड़के ने एक बार टीचर को रन्डी बोल दिया था. चूंकि दीदी डोर थीं इसलिए फिर धीरे – धीरे वह खुल के बात करने लगी.
वो बोली – तू अपनी स्टोरी तो बता.
मैंने कहा – किस स्टोरी की बात कर रही है तू?
वो – मुझे पागल मत समझ सब पता है मुझे. इतना भोला बनने की जरूरत नहीं है. तेरे अफेयर के बारे में पता है मुझे. अब तू खुद बतायेगा या मैं शुरू करूं.
यह सुन कर फिर मैंने उसे सब कुछ बता दिया. अब मैं हल्का सा बहकने लगा. इसके बाद फिर मैंने उसकी तरफ गौर से देखा. मैंने अन्दाज़ लगाया कि उसका फिगर 34 27 35 का रहा होगा.
फिर हम गांव पहुंच गए. वहां पहुंचने के बाद 5-6 दिन तो ऐसे ही उसके साथ मस्ती करने में निकल गये और हमें पता ही नहीं चला. इसके बाद मैंने वहां से आने का प्रोग्राम बना लिया. फिर मैंने उससे कहा कि मैं कल जा रहा हूँ. उस दिन तक तो सब ठीक रहा और उसने मेरी बहुत केयर की.
अगले दिन वो सुबह से ही बिलकुल शांत थी. मैंने उससे कारण पूछा तो उसने नहीं बताया. मौका मिलते ही मैं उससे पूछता. ऐसे ही शाम हो गयी. शाम को अकेले में मिलने पर उसने मुझसे कहा कि तू रुक नहीं सकता. मैंने पूछा कि क्यों तो उसने बताया कि मैं यहाँ बोर हो जाऊंगी.
तब मैंने कहा – लेकिन मुझे जाना है.
वो – जा चला जा. जरूरत नहीं है यहाँ रुकने की.
मैं बोला – गुस्सा क्यों कर रही है?
वो – तू जा! हो सके तो अभी चला जा नहीं तो कल सुबह चुप चाप निकल जाइओ!
मैं – ठीक है नहीं जा रहा.
वो – नहीं तू जा, कहे तो मैं छोड़ के आऊं?
मैं – क्यों गुस्सा कर रही है? बोला न नहीं जाऊंगा.
कुछ देर बाद उसका गुस्सा शांत हो गया. अगले दिन जब मैं खाना खा रहा था तो वो दूर खड़ी मुझे देख रही तो मैंने बिना आवाज करे कहा आई एम फॉल इन लव विथ यू. तब वो तुरन्त मेरे पास आई बोली – क्या कहा तूने?
मुझे पता था कि उसने समझ लिया था कि मैंने क्या कहा? फिर मैंने उसे टालने की कोशिश की लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी. तब मैंने उससे कहा कि बाद में बता दूंगा तो उसने पूछा कब? मैंने कहा रात में.
रात हुई तो वह मेरे पास आई और कहा – चल, अब बता क्या कह रहा था उस टाइम? मुझे डर लग रहा था! समझ में नहीं आ रहा था कि उससे क्या बोलूं? फिर थोड़ी हिम्मत करके मैंने कहा कि पहले तू वादा कर कि किसी से कुछ नहीं कहेगी. इस पर उसने कहा – ऐसा क्या कहने वाला है?
मैंने कहा – नहीं, पहले वादा कर. तब उसने कहा ठीक है. फिर मैंने हिम्मत कर के कह दिया कि मुझे प्यार हो गया. उसने कहा अच्छा! फिर करीब एक मिनट तक शान्ति बनी रही. इस शान्ति को उसने ही तोड़ते हुए उसने पूछा कि किससे? तो मैं बोला कि तुझे नहीं मालूम? उसने कहा – नहीं, मुझे नहीं मालूम.
अब मैं चुप रहा. उसने फिर पूछा कि बता कौन है वो? इस बार बिना कुछ सोचे – समझे मैंने एक झटके में कह दिया कि तुझसे. अब जो उसका जवाब था, उस सुन कर मैं हैरान रह गया. उसने कहा – इतना टाइम लग गया ये बात बोलने में? फिर इतना कह कर वो जाने लगी.
तब मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला कि मुझे जवाब चाहिए. उसने कहा कि कल दूंगी और इतना कह कर वो चली गयी.
अगले दिन मैंने उससे दो बार पूछा, मगर उसने टाल दिया. दोपहर में जब सब सो रहे थे तो मैंने उससे कहा कि मुझे किस चाहिए. उसने मना कर दिया. मगर मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसे किस कर दिया. तब उसने मेरा प्रपोजल स्वीकार कर लिया.
दो दिन तक हमें कुछ करने का मौका नहीं मिला. दो दिन बाद एक अच्छा मौका मिला. उसकी माँ और नानी दूध निकालने गई थीं. घर पर मैं वो और भाभी थे. भाभी बर्तन साफ कर रही थीं. मैं और वो अन्दर कमरे में थे.
इस मौके का फायदा उठा कर पहले मैंने उसे किस किया. उसके नर्म होंठों में गजब का नशा था. करीब 5 मिनट तक हम किस करते रहे. फिर मैंने उसका टॉप उठा के उसके पेट को चूम लिया. उसने कुछ नहीं कहा. अब मेरा लन्ड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.
फिर उसकी ब्रा को साइड कर के मैं उसके एक बूब्स चूसने लगा और दूसरे हाथ से ब्रा को ऊपर कर के उसके चूचक को दबाने लगा. गजब का मजा आ रहा था. थोड़ी देर बाद उसने कहा कि अब बस कर कोई आ जाएगा.
तब मैंने कहा कि रुक थोड़ी देर. इतना कह कर मैंने अपना लन्ड निकला और उस के हाथ में दे दिया. अब वो लन्ड को आगे – पीछे करने लगी. उसके नर्म हाथों का स्पर्श मुझे पागल किये जा रहा था.
फिर मैंने उससे लन्ड मुंह में लेने को कहा. मगर उसने मना कर दिया. फिर मैंने उसे लिटा दिया और लन्ड को दोनों बूब्स के बीच में रगडने लगा. वो इसके विरोध में थी लेकिन मैं माना नही और 1-2 मिनटों के बाद मैं उसके बूब्स पर ही झड़ गया.
मेरी इस हरकत से वो चिल्ला पड़ी लेकिन मैंने उसे मना लिया. इसके बाद मैं उसे एक दूसरे कमरे में ले गया. उधर कोई आता – जाता नहीं था. फिर मैंने उसे नंगा कर दिया. नंगा करते ही वो शरमा कर सिकुड़ गई. फिर मैंने उसके चेहरे को हाथ से ऊपर किया और चूमने लगा. थोड़ी देर बाद वह भी मेरा साथ देने लगी.
इसके बाद मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए. फिर मैंने उसे फर्श पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया. इसके बाद मैंने उसकी चूत पर अपना लन्ड रखा तो सिमटने लगी. फिर मैंने उसके पैर खोले और हल्के से धक्का दे दिया. जिससे मेरे लन्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में फंस गया. उसे थोड़ा दर्द हुआ लेकिन उसने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने एक और धक्का दिया. अब मेरा आधा लन्ड उसकी चूत में घुस चुका था. उसका पहली बार था और दर्द की वजह से वह छटपटाने लगी थी. लेकिन मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और एक धक्का मारकर पूरा लन्ड अंदर कर दिया. उसकी सील टूट चुकी थी.
फिर मैं कुछ देर तक उसके मम्मों को मसलता हुआ पड़ा रहा. थोड़ी देर बाद जब मुझे महसूस हुआ कि उसका दर्द कुछ कम हो गया है तो मैं धक्के देने लगा. कुछ धक्कों बाद वह भी फॉर्म में आ गई और नीचे से उछल – उछल कर चुदवाने लगीं.
मैं धक्के मारता रहा. तभी अचानक उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसकी चूत में एक सैलाब सा उमड़ा. जिसमें मैं बह गया. मेरे वीर्य से उसकी चूत भर गई थी. अब मैं निढाल हो कर उसके ऊपर लेट गया. थोड़ी देर बाद हमने कपड़े पहने और बाहर निकल आये.
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