भीड़ का फायदा उठा कच्ची कली को ट्रेन के बाथरूम में चोदा भाग – 1

कंप्यूटर क्लास के लिए मैं रोजाना ट्रेन से पास के शहर तक जाता था. एक दिन ट्रेन में बहुत भीड़ थी. उसी भीड़ में एक लड़की टॉयलेट करने आई लेकिन भीड़ की वजह से निकल नहीं पा रही थी. मैंनेटॉयलेट तक जाने में उसकी मदद की और इस दौरान उसका फायदा भी उठाया और उसके अंगों से खूब खेला…

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम सूरज है और मैं आपके सामने मेरे साथ घटित हुआ एक वाकया शेयर करने जा रहा हूँ. उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी. ये उन दिनों की बात है, जब मेरी उम्र 21 साल थी. मेरी बॉडी एथलीट टाइप है और डेली एक्सरसाइज की हैबिट के चलते मेरी मसल्स भी काफी अच्छी हैं. चेहरा भी आकर्षक है. कुल मिलाकर आप मुझे एक हैंडसम बंदा कह सकते हो.

बात उन दिनों की है, जब मैं पढ़ाई के लिए अपने गाँव से शहर जाया करता था. हमारे गाँव के पास ही रेलवे स्टेशन है और वहाँ से शहर पहुँचने में 20 मिनट का समय लगता है. जैसा कि आप लोग जानते है कि धार्मिक गतिविधियों और त्योहारों पर ट्रेन में काफी भीड़ हो जाती है.

उस दिन जब मैं स्टेशन पहुंचा तो देखा कि काफी भीड़ थी. मैंने खास ध्यान नहीं दिया और ट्रेन का इन्तजार करने लगा.
कुछ समय बाद ट्रेन आयी तो देखा कि वो खचाखच भरी हुई थी. दरवाजों पर भी यात्री लटके हुए थे. इतनी भीड़ थी कि चढ़ना भी मुश्किल था.

मुझे तो रोज़ ही जाना होता था तो मैंने लोकल का रौब झाड़ा और गेट पर यात्रियों को हटाते हुए एक कोच में चढ़ गया. अन्दर और भी बुरा हाल था. एक – एक बर्थ पर 8-8 लोग बैठे हुए थे. अंदर कोच में निकलना तक मुमकिन नहीं था. अपना तो 20 मिनट का रास्ता है, किसी तरह काट लेंगे, यही सोचकर मैं थोड़ी से जगह बना कर गेट के पास ही खड़ा हो गया.

थोड़ी देर में ट्रेन ने हॉर्न बजाया और चल पड़ी. तभी एक 20-22 साल के एक लड़की भीड़ से निकलते हुए गेट की तरफ आयी और मुझसे रास्ता देने को कहा. मैंने उसकी तरफ देखा और बोला कि अभी स्टेशन आने में 2प मिनट लगेंगे. इतने जल्दी क्या है उतरने की?

मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए उसने बताया कि उसे टॉयलेट जाना है. तब मुझे ध्यान आया कि टॉयलेट तो पास में ही है. इतनी भीड़ में साइड देना आसान नहीं था लेकिन मैंने जैसे – तैसे थोड़ी सी जगह बनायी और उसे आगे आने दिया.

अब वो मेरे जस्ट सामने थी. अब उसके लिए और आगे जाना मुश्किल हो रहा था. वह आगे वाले लोगों से रास्ता देने के लिए कह रही थी. तभी मैंने गौर किया कि उसकी हाईट 5 फुट 3 इंच यानी लगभग मेरे बराबर ही थी. उसके नैन नक्श एक दम तीखे थे.

तभी मेरा ध्यान उसके खड़े होने के तरीके पर गया. उसका एक पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में था और वह बिलकुल मुझसे सट कर खड़ी थी. चूंकि, ट्रेन चल रही थी इसलिए हमारे शरीर भी आपस में रगड़ रहे थे. तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड भी उसके नर्म – नर्म चूतड़ों पर रगड़ खा रहा है.

दोस्तों, उस एहसास के बारे में क्या बताऊँ! यह पहली बार था जब मैंने किसी लड़की को इस तरह स्पर्श किया था हालाँकि, वो मात्र एक संयोग था. इस वजह से मेरी लाख कोशिशों के बाद भी मेरा लंड अकड़ने लगा.

उसे आगे जाने की जगह नहीं मिल पा रही थी क्योंकि भीड़ टॉयलेट की गैलरी तक भरी हुई थी. वो आगे जाने की कोशिश करती पर जगह नहीं बना पाई. जब भी वह आगे जाने की कोशिश करती तो भीड़ की वजह से पीछे आ जाती. इस स्थिति में मेरा लंड और जोर से रगड़ रहा था.

अब लंड लगभग जोश में आ गया था और आधा खड़ा हो चुका था. मुझे ऐसा फील हो रहा था कि अब वो उसे महसूस कर रही होगी. इधर मुझे भी मज़ा आ रहा था.

अभी तक मैं उसके साइड में था. फिर मैं घूम कर पीछे चला गया और अपना लंड उसके चूतड़ों की दरार में सेट कर दिया. एक बार फिर मैंने अपने लोकल होने का रौब झाड़ा और उसकी मदद करने के बहाने लंड का जोर उसकी गांड पर बढ़ाता रहा.

फिर मैं उसे कमर से धक्का देते हुए बाथरूम तक ले गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मेरा लंड उसकी गांड के बीच में था और उसके चलने की वजह से उसका चूतड़ ऊपर – नीचे हो रहा था. इस वजह से मेरा लंड तनकर बुरी तरह टाइट हो गया था.

फिर वो टॉयलेट का गेट खोलकर अन्दर जाने लगी. गेट बंद करते हुए उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए गेट बंद कर लिया. मैं इशारा समझ गया कि उसे भी मज़ा आ रहा था. चूंकि आगे जगह नहीं थी इसलिए मैं भी वहीँ खड़ा रहा.

कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला और बाहर आकर मेरे सामने पीठ करके मुझसे थोड़ा आगे होकर खड़ी हो गयी. ‘स्टेशन कितनी देर में आएगा?’ मेरी तरफ़ देखकर उसने पूछा. मैंने बताया कि बस पांच छह मिनट में पहुँचने वाले हैं. इतना बता कर मैं थोड़ा आगे बढ़ा और उससे सट कर खड़ा हो गया. इससे मेरा तनतनाता लंड फिर से उसकी गांड में चुभने लगा.

तभी लड़की बोली – कितनी भीड़ है निकलना भी मुश्किल है. बड़ी मुश्किल से यहाँ तक पहुँची थी.

मैं बोला – थोड़ी देर में स्टेशन आ जाएगा काफी भीड़ कम हो जायेगी फिर निकल जाना.

लड़की – हाँ, ये ठीक रहेगा.

तब मैंने उससे पूछा – शहर में पढने आती हो?

उसने हाँ में सर हिलाया तो मैंने उसका नाम पूछ लिया. लड़की बोली कि मेरा नाम रश्मि है और में बीएस.सी. कर रही हूँ. बातों ही बातों में मुझे पता चला कि वो मेरे गाँव से दो स्टेशन पहले से आती है. उसे शहर तक आने में लगभग ढाई – तीन घंटे लगते थे.

हम टॉयलेट की गैलरी में काफी अन्दर खड़े थे और वहां लाइट भी नहीं थी. इसके अलावा भीड़ के कारण बाहर की रोशनी भी नहीं आ पा रही थी. ऐसी स्थिति में हमारी हरकतों को कोई देख नहीं सकता था. दूसरी बात सारे लोग गेट की तरह मुंह किए खड़े थे तो डर भी नहीं था. लंड पैंट फाड़कर बाहर आने के लिए मचल रहा था और मेरी साँसें भी गर्म होने लगी थी.

फिर मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और उसके चूतड़ों पर रगड़ने लगा और लंड गांड की दरार में फंसाकर धीरे – धीरे धक्के देने लगा. वो भी धीरे – धीरे आगे – पीछे होकर मेरा साथ दे रही थी.

यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था. फिर मैंने उसकी कमीज पीछे से ऊपर कर दी और उसकी पीठ पर उँगलियाँ फिराने लगा. उंगलियो से मैं उसकी ब्रा के हुकों को छेड़ रहा था. इसी बीच उनके हाथ पीछे कर मेरे हाथ को रोक लिया. मैंने भी अपना हाथ कमीज से निकालते हुए उसके हाथ को पकड़ा और अपना लंड उसके हाथ में दे दिया.

पहले वो हाथ छुड़ाने लगी पर मैं कहाँ छोड़ने वाला था. मैंने भी उसकी मुट्ठी पर दबाव बनाया और लंड को आगे – पीछे करने लगा. थोड़ी देर बाद जब उसकी पकड़ मेरे लंड पर कसने लगी तो मैंने उसका हाथ छोड़ दिया.

अब वो बड़े इत्मिनान से मेरे लंड को सहला रही थी. वह अपनी नर्म उंगलियों को लंड की जड़ तक ले जाकर मेरे अण्डों को सहलाती और फिर मुठ्ठी कसकर लंड के टोपे तक लाती. दोस्तों, मुझे ऐसा फील हो रहा था जैसे मैं जन्नत में होऊँ. मैंने पहली बार किसी लड़की के हाथ में अपना लंड दिया था.

फिर वो मेरे लंड के टोपे को मुठ्ठी में भर कर जोर – जोर से रगड़ने लगी. उसके ऐसा करने से मुझे लगा कि मैं जल्दी ही जड़ जाऊँगा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मेरी हालत समझ कर वो धीरे से सर नीचे करके मुस्कुराने लगी.

थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और उसके पेट को सहलाते हुए बूब्स तक ले गया. क्या मुलायम बूब्स थे! मीडियम साइज़ के! बिलकुल वैसे ही, जैसे मुझे पसंद थे. फिर मैं उसके दुपट्टे के नीचे हाथ ले जाकर धीरे – धीरे उसके बूब्स को दबाने लगा.

इससे मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मेरा लंड फूलने लगा. उसके हाथ अभी भी मेरे लंड को सहला रहे थे. फिर वो धीरे से अपने पंजों पर खड़ी हुई और मेरे लंड को गांड के नीचे अपनी टांगों के बीच में कर लिया. इसके बाद फिर पीछे से हाथ निकाल कर आगे ले आई और उंगलियों से लंड के टोपे पर दबाव बना कर उसे चूत के ऊपर रगड़ने लगी.

मुझे कपड़ों के अन्दर से ही उसकी चूत की गर्मी महसूस हो रही थी. मेरे हाथों का दबाव उसके बूब्स पर बढ़ता जा रहा था और उधर वो खुद भी कमर को धीरे – धीरे हिला रही थी.

अब ट्रेन की स्पीड कम होने लगी थी. मैंने धीरे से उसके कान में कहा – स्टेशन आने वाला है. इतना कह कर मैंने उसके गाल पर किस किया तो उसने भी मुंह मेरी तरफ़ घुमा दिया. फिर मैंने उसके होंठों पर किस किया और उसे अपने सीने से कस लिया. तभी ट्रेन रुकी और फिर हम अपने कपड़ों को ठीक कर उतर गए.

स्टेशन पर उतरने के बाद मैंने उससे वापसी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह शाम को 6 बजे वाली ट्रेन से वापस जाएगी. मैं भी उसी ट्रेन से जाता था तो मैंने उससे एक घंटे पहले स्टेशन आने के लिए कहा.

उसने बताया कि वो शाम 4 बजे कॉलेज और ट्यूशन से फ्री तो हो जाती है लेकिन स्टेशन आने की बजाय वो अपनी सहेली के घर पर चली जाती है. दोस्तों, उसने बताया कि उसकी सहेली का घर पास में ही है. फिर शाम को 5 बजे मिलने का वादा कर हम दोनों अपने – अपने रास्ते चले गये.

कहानी का अगला भाग – भीड़ का फायदा उठा कच्ची कली को ट्रेन के बाथरूम में चोदा भाग – 2

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