उस औरत की चूत मेरी पहली और आखरी मंज़िल बन गयी थी. चाची का पूरे दिन जवाब नहीं आया. रात को 11 बजे चाची ने मुझे एक बहुत ही भद्दा सा नॉन-वेज जोक भेजा. ये इस बात का सबूत था कि अगर हम दोनों को उस समय एक बिस्तर पर छोड़ दिया जाता तो हम चुदाई करके पलंग तोड़ देते…
मैं दिल्ली के पास नोएडा का रहने वाला हूँ और मेरा नाम कौशल शर्मा है. मेरी उम्र 25 साल है. दोस्तों, मैं हस्तमैथुन का आदी हूँ. ये 7-8 साल पहले शुरू हुआ. उस समय मैं सर्दियों में रात को मुनक्के खा – खा कर रात को कड़कपन महसूस होने लगा. 30-35 साल की औरतों को देख कर निगाहें उनके बदन के उन कोनों को ढूंढने लगीं, जहाँ वो थोड़ी भी नंगी दिख जाएं.
सोलह – सत्रह साल के लड़के के सामने घर में आने वाली कोई औरत दुपट्टा नहीं संभालती थी. उन औरतों के छोटे बच्चे होने के कारण उनके स्तन थोड़े बढ़े हुए होते हैं, और ब्लाउज के अंदर स्तनों के बीच की दरार लगातार दिखती रहती है.
गर्मियों के दिनों में गर्दन पर और बाहों पर आया पसीना मुझे अलग ही तरह से मदमस्त कर देता था. मन करता था कि उन सभी औरतों को किसी तरह छू लूँ और सहलाऊँ.
10 साल पहले घर में एक नयी औरत आयी. मेरे सबसे छोटे चाचा की दुल्हन. उसके नवविवाहिता वाले चूड़े को देख कर कुछ कर जाने का मन करता. उसके गोरे उजले रंग को देख कर मेरा उसे पा लेने का मन करता था.
चाची का चेहरा कुछ खास सुंदर नहीं था, मगर उसमें एक अजीब सा निमंत्रण था. जब वो हमारे घर में सोती तो उसके ऊपर नंगा कूदने का मन करता था. चाची बहुत ही मज़ाकिया किस्म की थी. वह जब भी बच्चे की कामना करती तो कहती कि उसकी शक्ल और अक्ल दोनों मेरे जैसी हो.
मगर जब बच्चा हुआ तो उनका शुरुआती पतलापन जाता रहा और गिठमिठे शरीर पर स्तनों और पीछे की ओर कुछ चर्बी जमा हो गयी. एक बार तो मैं उनके कमरे में उस समय चला गया था, जब वो चाचा को कम्बल के अंदर सहला रही थी. दोनों ने कार्यक्रम ऐसे जारी रखा जैसे मैं कुछ न जानता होऊं.
मुझे बच्चा जानकर चाची मेरे सामने बेधड़क बिना दुपट्टे के, गहरे गले वाले कुर्ते पहन कर घूमती थीं. जब झाड़ू लगाते हुए वो झुकती तो उन्हें देख कर आती नींद चली जाती और फिर मुठ मार कर ही चैन मिलता.
कुछ साल बीते और मैं 19-20 साल का हो गया. मेरे शरीर के बालों और लिंग के कड़कपन के साथ चाची के बर्ताव में भी कुछ बदलाव आया. अब वो हंसी-मज़ाक तो करती मगर कुछ कम.
उनका लड़का भी तीन साल का हो गया था और उसके पालने में चाची की जवानी कुछ ज़ाया हो गयी. उनके चेहरे का रंग थोड़ा फीका पड़ गया था. पहले जब माँ, चाची के घने बालों की तारीफ़ करती तो मैं समझता नहीं था. अब समझ आया कि एक औरत के बनाने में बालों का क्या हाथ होता है. कुछ साल पहले मैं चाची को सोचकर ही मुठ मारा करता था. आना-जाना कम होने से वो भूख और बढ़ गयी.
कॉलेज में जाने पर मुझे स्मार्टफोन मिला और उसके साथ ही मुझे रोज़ाना का इंटरनेट भी मिला. पहले तो मैं पॉर्न से काम चलाता रहा, मगर बाद में चिट्टी चमड़ी और एचडी वाले नकली प्यार से ऊब गया.
एक दिन वॉट्सऐप पर एक रोमांटिक मैसेज आया. सामने वाले से पूछा तो पता चला कि चाची ने भेजा था. मैसेज में कुछ गलत नहीं था, मगर शायरी ज़रूर थी, और भारी स्तनों वाली उस औरत के लिए मेरे लिंग में वासना ही नहीं थी बल्कि शारीरिक ही सही लेकिन असली प्रेम था.
उस मैसेज ने मेरे अंदर वही चिंगारी फिर सुलगा दी. मैंने जवाब में एक और रोमांटिक मैसेज भेज दिया. रिप्लाई में चाची ने दिल वाला आइकॉन भेजा, जिसने मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर दिया. अब मैंने ठान लिया कि ज़िंदगी की पहली चुदाई इसी औरत की करनी है.
रोमांटिक मैसेज का सिलसिला लगभग 2 महीने चला. फिर एक दिन हिम्मत करके मैंने एक नॉन-वेज जोक भेज दिया. चाची अगर ऐतराज़ करती तो कह देता गलती से फॉरवर्ड हो गया नहीं तो मामला सीधा बीएफ़ पर ठहरता. मैं मन ही मन ये सोच सोच के मुठ मारता कि अगर मेरी और चाची की बीएफ़ बने तो देखकर क्या मज़ा आएगा!
उस औरत की चूत मेरी पहली और आखरी मंज़िल बन गयी थी. चाची का पूरे दिन जवाब नहीं आया. रात को 11 बजे चाची ने मुझे एक बहुत ही भद्दा सा नॉन-वेज जोक भेजा. ये इस बात का सबूत था कि अगर हम दोनों को उस समय एक बिस्तर पर छोड़ दिया जाता तो हम चुदाई करके पलंग तोड़ देते.
अब तो मौके की तलाश होने लगी. मैंने चाची को और मैसेज भेजे. उसके जवाब भी आये. इस बीच मैं 2 महीने और तड़पा. फिर खबर आई कि चाचा को 2 दिन के लिए गुजरात जाना था. उनके गुजरात न जाने की स्थिति में नौकरी पर बन पड़ती.
बच्चा अभी छोटा ही था और चाचा की गैरमौजूदगी में रात को डर जाता. इसलिए चाची ने माँ को रात के लिए वहां ठहर जाने को कहा. मगर ये मज़ाक करने जैसा था, क्योंकि माँ खुद रात को डर जाती थी.
घर के पीछे जंगल सा था और घर में मर्द न होने पर औरतों का डरना लाज़मी था. पापा खुद घर देर से आते थे और खाते ही सो जाते थे. फैसला हुआ कि चाची के पास मैं जाऊंगए. असल में चाची भी चाहती यही थी. इसका मुझे बाद में अहसास हुआ.
उस पूरे दिन मैंने खजूर खाये और दंड पेले, क्योंकि रात को चाची को पेलना था. मैं शाम को ही कॉलेज से उनके घर पहुँच गया. मैंने हल्का ही खाना खाया और जल्दी बिस्तर पर चला गया. चाची को अभी बच्चे को सुलाना था. लगभग एक घंटे बाद चाची बिस्तर पर आने को हुई.
अब तक उम्मीद जा चुकी थी और मैं हिचकिचाहट में सोफ़े पर सोने चला गया. मगर चाची ने मुझे बिस्तर पर ही बुला लिया. शायद अब भी वो मुझे बच्चा ही समझ रही थी.
मैं पसीने पसीने हो रहा था. खड़ा लंड छुपाना मुश्किल हो रहा था. चाची ने लाइट बुझा दी और चादर ओढ़ ली. मैं सोच ही रहा था कि बाथरूम में जाकर किस तरह मुठ मारूं, की अचानक चाची ने अपना सर मेरे कंधे पर डाल दिया. मैंने सन्न रह गया. फिर चाची ने आँखें खोली और मुझे देखा.
तभी मैंने अपने होंठ चाची के गालों पर रख दिए. अब हम दोनों ने एक – दूसरे को जकड़ लिया. मैंने पजामा उतार के दूर फेंका और अपनी एक टांग चाची के ऊपर धर दी.
मौका आ चुका था. चाची ने कहा कि उसे बच्चा चाहिए. फिर मैंने तसल्ली से उसके कपड़े उतारे. मेरा लंड प्यार के बुखार में उबल रहा था. अब मैंने पर्स से कंडोम निकलने का विचार त्याग दिया. जैसे ही मैंने चाची की सलवार उतारी, उसकी गोरी जाँघे देख कर मुझे पता नहीं क्यों ये लगने लगा कि उसके अगले बच्चे का बाप मुझे ही होना था.
अब मैंने चाची से दूध पिलाने को कहा. मगर जब उसने कहा कि मैंने उसे खाने के टाइम पर क्यों बताया, तो मैंने उसके नीचे हाथ घुसेड़ कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. चाची शर्म के मारे हाथों से चूचियां छिपाने लगी. मगर मैंने जैसे ही उसकी चूत रगड़नी शुरू की, वो ढीली पड़ गयी. फिर हमने जल्दी से बच्चे को सोफे पर लिटाया क्योंकि बिस्तर पर ताबड़तोड़ ठुकाई जो होनी थी.
मेरे होंठ चाची के चूचियों से लगने की देरी थी कि चाची शर्म से तार – तार हो गयी. अब मैंने पूरे दम से उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया, मगर दूध की एक बूँद न निकली.
थोड़ी देर में मुझे लगा कि मैंने अब चोदना शुरू नहीं किया तो मैं वहीं झड़ जाऊंगा. फिर मैंने अपना ध्यान चाची की चूचियों से हटा कर नीचे की ओर किया. मैंने उनके गोरे – गोरे घुटनों को पकड़ कर टांगें खोल दीं और अपना लंड, जो अब अकड़ के मोटा भी हो गया था, उसकी चूत से टच कर दिया.
अव चाची ने शर्मा गईं और अपने शरीर को उठाकर मेरी ओर फेंका और मुझ से चिपक गयी. हमने फिर एक – दूसरे को चूमा और मैंने उसकी चूचियों और जाँघों को खूब मसला.
अब मैंने अपना लंड पकड़ कर अंदर डाल दिया. ये किसी औरत के साथ सेक्स का मेरा पहला एक्सपीरियंस था. तभी मैंने लंड को ऐंठा ताकि सहवास ज़्यादा देर हो सके, और धीरे-धीरे से धक्के लगाना शुरू किया.
लगभग एक मिनट के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और सारा रस चाची की चूत में छोड़ दिया. मैं बहुत थक चुका था. उस रात मैंने चाची को 2 और बार चोदा और सुबह 11 बजे तक सोता रहा.
तो दोस्तों, आप सबको मेरी यह कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी –
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