चाची की जोशीली चुदाई

मेरे चाचा की नई – नई शादी हुई थी. लेकिन चाचा, चाची की प्यास बुझा पाने में सक्षम नहीं थे. इसलिए चाची वासना की आग में जलती रहती थीं और खुद से ही अपनी वासना शांत करने का प्रयास करती थीं. एक दिन मैंने उन्हें हस्तमैथुन करते देख लिया. फिर किस तरह मैंने उनकी चुदाई की ये जानने की लिए कहानी पढ़ें…

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम रमन है और मैं 22 साल का हूं. दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहा हूं, जिसे सुन कर आप सब हैरान रह जायेंगे. यह मेरी साथ घाटी एक सच्ची घटना है. उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी.

मेरे पिता जी की शादी काफी पहले हो गई थी. चूंकि उनके छोटे भाई यानी कि मेरे चाचा ने तब शादी करने से मना कर दिया था इसलिए काफी समय तक उनकी शादी नहीं करवाई गई. चाचा का शादी से मना करने का कारण यह था कि वो एक लड़की से प्यार करते थे और उसी से शादी करना चाहते थे. लेकिन घर वाले राजी नहीं हो रहे थे.

बाद में हार मान कर घर वालों ने चाचा को अपनी प्रेमिका से शादी करने की इजाजत दे दी. वो लड़की भी चाचा से बहुत प्यार करती थी. फिर उसी महीने चाचा की शादी करवा दी गई.

लेकिन ये शादी के अगले दिन ही चाचा को काम के सिलसिले में मुंबई जाना पड़ा. इसी कारण वो अपनी सुहागरात भी नहीं मना पाये थे. अब चाची घर पर ही अकेली रह गईं.

चाचा मुंबई से करीब 2 महीने बाद वापस आये. चाची बहुत खुश थीं. चाचा के वापस आने वाली रात अचानक से बिजली चली गयी. मेरे पिताजी और माताजी तो अपने बेडरूम में आराम से सो गए, लेकिन मुझे गर्मी लग रही थी तो मैं छत पर चला गया.

गर्मी की वजह से मुझे नींद ही नहीं आ रही थी इसलिए मैं छत पर टहलने लगा. तभी मेरा ध्यान चाचा के छत की तरफ गया. मैंने देखा कि चाची मेरे चाचा को कुछ करने के लिए कह रहीं थीं. दूर होने के कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था कि चाची क्या कह रही थी, तो उनकी बात सुनने के लिए मैं उनकी छत के काफी करीब चला गया.

वहां से मैंने सुना की चाची, चाचा को चोदने के लिए कह रहीं थीं. उनकी बात सुन कर चाचा बोले कि उनका लंड छोटा सा है और साथ में उसमें से वीर्य भी नहीं निकलता साथ ही वो खड़ा होने से पहले झुक जाता है. चाचा की बात सुन कर चाची की आंखें भर आयीं और वह रोने लगीं. हालांकि, बाद में वो लोक लाज के चलते किसी से इस बात को कह नहीं पायीं.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गये. करीब 4-5 महीनों के बाद मेरे पिता जी, चाचा जी और माता जी 1 हफ्ते के लिए गांव जाना पड़ा. अब अपने घर में मैं अकेला था और चाचा के यहां चाची अकेली बची थीं. मेरे खाने – पीने के सारी जिम्मेदारी उनकी ही थी.

अब मैं रोज उनके यहां जाता और खा – पीकर आ जाता. एक दिन अचानक से मैं चाची के यहां चला गया. मेन गेट खुला था तो मैं सीधा उनके कमरे में घुस गया. घुसते ही मैंने देखा कि चाची या तो हस्तमैथुन कर रही थीं या फिर अपनी चूत सहला रहीं थीं और वह साथ में ही उनके मुंह से ‘आई ऊई’ की आवाजें भी निकल रहीं थीं.

उन्हें देख कर मैं ठिठक गया. तभी उनकी नज़र मुझ पर पड़ी. उन्होंने जैसे ही मुझे देखा वह डर गईं और झट से अपने हाथ को चूत से दूर कर लिया. फिर वह तुरंत ही भाग कर टॉयलेट में चली गईं. मैं जस का तस वहीं खड़ा रहा. दोस्तों, वह पल मैं कभी भूल नहीं सकता क्योंकि उस दिन मैंने पहली बार चाची की प्यासी चूत देखी थी.

फिर करीब दो दिन तक मैं चाची से कुछ न बोला और न ही वो मुझसे कुछ बोलीं. मैं चुपचाप उनके यहां जाता और खाना खाकर वापस आ जाता.

फिर एक दिन रात को मैं चाची के कमरे में गया और जाकर उनके बगल में लेट गया. चाची ने मुझसे कुछ नहीं कहा. न ही उन्होंने मेरे लेटने का कारण पूछा और न ही मुझे वहां से उठने को कहा. मेरे पैर चाची के पैरों से टच हो रहे थे लेकिन इसके बावजूद वो कोई विरोध नहीं कर रही थीं. इससे मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई.

कुछ देर मैं ऐसे ही चुपचाप लेटा रहा. फिर मैंने चाची को उनके नाम ‘सुमित्रा’ से पुकारा और कहा कि अब आप मेरी चाची नहीं हो, अब मैं आपको मेरी पत्नी बनाना चाहता हूं. ताकि हमारे बीच रिश्ते की बंदिश न आये और मैं जम कर आपको चोद कर हम दोनों की वासना शांत कर सकूं.

वो मना करने लगीं. तब मैंने कहा कि ऐसे कब तक आप अपने हाथ से अपनी प्यास बुझाती रहेंगीं? उन्होंने कहा कि मतलब क्या है तुम्हारा? तब मैंने कहा कि आपको तो ये पहली रात से ही पता चल गया है कि चाचा जी कुछ कर नहीं पाते. यह सुन कर थोड़ी न – नुकर करने के बाद वह राज़ी हो गईं.

फिर मैंने उनसे मुझे गले लगाने को कहा. वह झट से मेरे गले लग गईं. पहले मैंने उनके होंठों को चूमा और फिर वो भी मेरे होंठों को चूमने लगीं. इसके बाद मैंने उन्हें गले लगाया और उनकी गांड को दबाने लगा. बहुत मज़ा आ रहा था दोस्तों. मैंने ऐसा करीब दस मिनट तक किया.

फिर मुझे उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हे चोदना नहीं आता है क्या, जो सिर्फ तुम मेरी गांड को ही दबा रहे हो. उनके ऐसा कहने पर मैंने उनके दूध को दबाना शुरु किया. यह देख थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे फिर टोका और कहा कि तुम बस दबाते ही रहो, कुछ मत करो, यहां मेरी जान निकली जा रही है और तुम्हें दबाने की पड़ी है.

उनकी बात सुन कर मैं समझ गया कि चाची को क्या चाहिए. फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उन्हें चूसने के लिए दे दिया. अब वो मज़े से मेरा लंड चूसने लगीं. थोड़ी देर लंड चुसाने के बाद फिर मैंने अपना लंड उनके मुंह से बाहर निकाल लिया.

अब मेरा ध्यान उनकी चूत की तरफ गया. जब मैंने उनकी चूत पर हाथ लगाया तो मुझे पता चल गया कि उनकी चूत गीली हो गयी है. अब मैंने उनकी चूत चाटने का मन बना लिया. फिर मैंने उनकी चूत पर मुंह लगाया और मज़े से चाटने लगा. चूत पर जीभ लगते ही वो “आहें” भरने लगीं.

दोस्तों, उनकी चूत से इतनी मादक खुशबू निकल रही थी कि मैं उसमे घुसा चला जा रहा था. उनकी चूत से जो बूंद – बूंद करके काम रस टपक रहा था, मैं उसकी एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहता था. मैं उनकी चूत से निकलने वाला वह खारा पानी मज़े से पीता जा रहा था और वो आराम से लेट के चूत चुसाई का मज़ा ले रही थीं.

दूसरी तरफ मेरा लंड भी उनकी चूत में जाने को फड़फड़ा रहा था और उससे लार सी निकल रही थी. अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था. फिर मैं सीधा हुआ और मैंने उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया. चूंकि उनकी चूत में पहली बार लंड घुस था इसलिए थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन चाचा के मना करने के बाद वह अपनी प्यास बुझाने के लिए मूली – बैंगन का इस्तेमाल करने लगी थीं, इसलिए उनकी सील टूट चुकी थी.

इस कारण मेरा लंड उसके अन्दर तक आसानी से घुस रहा था. यह मेरे लिए एक अलग अनुभव था इसलिए मैं धक्के पर धक्का देता रहा. करीब 10 मिनट बाद मैं जोर चिल्लाया “आह सुमित्रा” और मेरे लंड में से वीर्य की एक तेज धार निकली जिससे चाची की चूत भर गयी. अब मुझे सुस्ती सी आने लगी थी और मैंने चोदना बन्द किया.

अब तक वो भी 2 बार झड़ चुकी थीं. फिर वो मेरी छाती पर सिर रख कर सो गयीं. सुबह हम दोनों सोकर देर से उठे. उठते ही चाची मेरे साथ टॉयलेट गयीं जहां पर मैंने उनका पेशाब पिया और उनकी टट्टी भी खायी. उस दिन के बाद जब भी मैं और चाची अकेले होते है, चुदाई जरूर करते हैं. कहानी कैसी लगी, कमेंट करके बताना मत भूलना.

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