एक बार मैं अपनी छुट्टी पूरी करके घर से कोटा जा रहा था. बस का सफर था. मेरी स्लीपर सीट के साथ ही एक दूसरे लड़के को सीट मिली थी. रास्ते में मैंने उसकी गांड मारी और खुद की मरवाई भी…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अनिल कुमार है और मैं हरियाणा का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 25 साल है. मेरी एक खूबी है कि मौका मिलने पर मैं लड़के और लड़की दोनों के साथ सेक्स करता हूं. मेरी लंबाई 6 फिट है और मेरे लंड की लंबाई 6 इंच है. यहां पर यह मेरी पहली कहानी है, इसमें अगर कोई गलती हो जाए तो क्षमा करें.
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूं. तब मैं 21 साल का था और कोटा में आईआईटी की तैयारी करता था. एक बार मैं दिवाली की छुट्टियां पर घर आया था. छुट्टी खत्म होने के बाद मैं बस से वापस जा रहा था.
बस मेरे गांव से कोटा तक की थी और स्लीपर में जो एक साथ दो शीट होती है वही बची थी, इसलिये मुझे और एक दूसरे व्यक्ति को वही शीट दे दी गई.
बस मेरे गांव से रात को 9 बजे चलने को हुई. उस समय दूसरा व्यक्ति नहीं आया था तो मैंने कंडक्टर से कहा कि वो अभी तक नहीं आया इसलिए थोड़ा इंतजार कर लो. इस पर कंडक्टर ने बताया कि वो दो स्टेशन बाद चढ़ेगा. फिर बस रवाना हो गयी.
अभी बस 10 मिनट ही चली हुई होगी कि मुझे सर्दी लगने लगी और मेरे पास ओढ़ने को भी कुछ नहीं था. फिर मैं मोबाइल पर सेक्सी फिल्म देखने लगा और धीरे – धीरे अपना लंड हिलाने लगा. इससे मेरे शरीर में थोडी गर्मी हुई और मुझे चस्का भी चढ़ने लगा.
फिर थोड़ी देर बाद किसी ने मेरी स्लीपर का कांच खोला. यह देख मैंने जल्दी से अपना हाथ लंड से हटा लिया. वो वही लड़का था, जिसे मेरे साथ बैठना था. फिर वह आकर बैठ गया.
अब हमने थोड़ी बात की. मैंने उस से उसका नाम पूछा तो उसने सुरेश बताया. इसके बाद फिर वह अपना फोन चलने लगा. मैं भी अपने फ़ोन में बिजी हो गया लेकिन मुझे फिर से ठण्ड लगने लगी. उसके होने की वजह से इस बार मैं लंड नहीं हिला पा रहा था. फिर मुझे ठण्ड के मारे कांपता देख सुरेश में मुझे अपने बैग से ओढ़ने के लिये कम्बल निकल कर दिया. मैंने कम्बल ओढ़ लिया और थोड़ी देर बाद सुरेश ने भी वही कंबल ओढ़ लिया.
कुछ देर बाद फोन चलाते – चलाते मुझे नींद आ गयी. नींद में ही मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड को धीरे – धीरे हिला रहा है. यह महसूस करते ही मेरी नींद उड़ गई. मैंने देखा तो पता चला कि वह सुरेश है.
यह देख कर मैं सोने की एक्टिंग करता रहा. फिर सुरेश ने अपने दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया. इसके बाद वह मेरी पैंट खोलने लगा. लेकिन तभी मैंने अपनी आंखें खोल ली और सुरेश से कहा कि ये सब क्या है? मेरे इस सवाल से सुरेश बेचारा एक बार तो डर गया पर फिर उसने कहा कि तुम्हें भी तो लड़के पसंद है.
उसकी बात सुन कर मैं चौंका और कहा – तुम्हें कैसे पता? तब उसने मुझे मेरा फोन दिया और कहा कि जब तुम्हें नींद आ गयी थी तब मैंने तुम्हारे फ़ोन की गैलरी में सेक्सी फिल्में देखीं. वो सारी गे फिल्म थीं.
तब मैंने उस से अपना फोन ले लिया. वो बेचारा मुझ से माफ़ी मांगने लगा. फिर मैंने भी उसे माफ़ कर दिया क्योंकि मुझे भी तो मज़ा लेना था. इसके बाद मैंने अपना एक हाथ उसके लंड पर रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर.
यह देख सुरेश मुस्कुराने लगा और उसने मुझे होंठों पे एक छोटा सा किश कर दिया. यह देख मैंने कहा कि किस ऐसे नहीं करते. इतना कह कर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों के कब्जे में लिया चूसने लगा. इस तरह हमने करीब 5 मिनट तक किस किया.
फिर सुरेश ने मेरी पैंट उतार दी और खुद भी नंगा हो गया. अब हम 69 की पोजीशन में आ गए और एक – दूसरे का लंड चूसने लगे. करीब 10 मिनट बाद सुरेश ने मेरे मुंह में ही अपना मुठ छोड़ दिया. मैंने उसमें से कुछ को तो निगल लिया और बचा हुआ उसकी गांड पे थूक कर उस पर हाथ फेरने लगा.
अब मैंने सुरेश को अपनी पीठ मेरी तरफ करने को कहा. सुरेश ने वैसा ही किया. सुरेश की गांड को तो मैं पहले ही उसके मुठ से चिकनी कर चुका था और अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर सेट किया और एक जोर के झटके के साथ अपना पूरा लंड उसकी पिलपिली गांड में डाल दिया.
मेरे लंड डालने से सुरेश की चीख निकलने ही वाली थी कि मैंने अपने एक हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया और उसे चोदने लगा. इसके साथ ही मैं अपने एक हाथ से उसके लंड को भी हिलाने लगा. अब उसे भी मजा आ रहा था.
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद जब मेरा मुठ निकलने वाला था तब मैंने अपना लंड निकाला और उसके मुंह में दे दिया. वह एक बार फिर मस्ती से मेरा लंड चूसने लगा. फिर थोड़ी देर बाद मैं उसके मुंह में ही झड़ गया.
इसके बाद सुरेश ने कहा कि अब मैं भी तुम्हारी गांड मारूंगा. मैंने कहा – चलो ठीक है. इतना कह कर फिर मैं पेट के बल लेट गया. इसके बाद सुरेश ने कहा कि बैठ जाओ और अपनी टांगें सीधी कर लो. फिर वो भी मेरे सामने बैठ गया.
तब मैंने कहा कि अब क्या करना है? तो उसने कहा कि बैठे – बैठे ही टांगें ऊपर करो तो मैंने वैसा ही किया. फिर उसने मेरी गांड को चूसा और काफी देर तक उस पर जीभ को फिरता रहा. धीरे – धीरे मेरी भी सिसकियां निकलने लगी थीं.
फिर उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी टांगें पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया. इसके बाद फिर उसने मेरी गांड में धीरे से अपने लंड को धकेल दिया और धीरे – धीरे अंदर – बाहर करने लगा.
अभी तक उसका लण्ड पूरा अंदर नहीं गया था. फिर उसने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ा और अपने लंड से एक जोर का झटका लगाया और तुरंत ही मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया और उन्हें बुरी तरह चूसने लगा. उसका पूरा लंड मेरी गांड में घुस चुका था. मुझे दर्द तो हुआ लेकिन मुंह बंद होने के कारण आवाज न निकली.
कुछ ही देर में उसने अपने झटकों की गति भी बढ़ा दी. करीब 15 मिनट चोदने के बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया और फिर से 15 मिनट तक मेरी गांड को चोदा और फिर जब झड़ने लगा तो लंड बहार निकाला और मेरे पूरे चेहरे पर अपना मुठ लगा दिया. फिर हम उसी हालत में लेट गए.
कुछ देर बाद हमने टाइम देखा तो सुबह के 4 बजे चुके थे. अब एक घंटे में ही मेरा स्टेशन आने वाला था. इसलिए हम अपना – अपना सामान सेट करने लगे. फिर हमने एक – दूसरे के फ़ोन नंबर भी ले लिए.
कुछ ही देर में मेरा स्टेशन आ गया. जब मैं उतरा तो मैंने देखा कि सुरेश भी वहीं उतर रहा था. यह देख कर मैंने उस से पूछा कि भाई यहां क्यों उत्तर गये? तब उसने कहा कि उसका फ्लैट यहीं पास में ही है. उसकी बात सुन कर मैंने कहा कि अरे मैं भी तो यहीं पास ही में रहता हूं.
ये सुन कर दोनों हंसने लगे. फिर उसने कहा कि वह अकेला ही रहता है. फिर मैं अपने रूम चला गया. दोस्तों, उस दिन के बाद तो हमारा मिलना लगा ही रहता था. दोनों मिल कर खूब चुदाई करते थे. कभी एक – दूसरे के साथ तो कभी कोई लड़की को ले आया करते थे.
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