अब वो फिर लिखने लगी तो मैंने देखा कि वो नंबर लिख रही थी. अब मैंने जल्दी – जल्दी उनका नंबर अपने दिमाग में बिठा लिया. इतने में मेरा स्टॉप आ गया और मैंने उतारते ही नंबर डायल किया. रिंग जाते ही फ़ोन पिक हो गया…
हेलो दोस्तों, मैं राहुल बठिंडा से हूँ. आज मैं आप सब को अपनी सच्ची कहानी बताना चाहता हूँ. काफ़ी समय से मैं ये कहानी लिखना चाहता था पर सही समय नहीं मिला. आज मुझे समय मिला है, इसलिए मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ.
दोस्तों, बात उस समय की है, जब मैं चंडीगढ़ में ढ़ता था. शुरु में तो मुझे काफी दिक्कत आई, नया शहर था, नये लोग थे कोई मुझे जानता नहीं था. घर से एडमिशन कराने भी मैं अकेला ही आया था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे घर वाले चंडीगढ़ का रहन – सहन देखें. दोस्तों, मैं मिडिल क्लास फैमिली से हूँ और मेरे माता – पिता पुराने विचारों वाले हैं. अब बाकी तो आप समझ ही गये होंगे.
मेरा एडमिशन हो गया और फिर मैं रहने के लिए कोई रूम देखने लगा. काफी समय के बाद कॉलेज से 4 किलोमीटर दूर मुझे एक रूम मिला. अब मैं रोज कॉलेज बस से ही आता – जाता था. बस में रोज काफी भीड़ होती थी, क्योंकि उसी टाइम ऑफिस स्टाफ भी जाता होता था.
मैं रोज सेक्टर 23 के बस स्टॉप से बस पकड़ता था. मुझे जाते कुछ 20 दिन ही हुए थे कि एक दिन बस में काफ़ी भीड़ थी. कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं थी. दोस्तों, वैसे तो डेली ही भीड़ होती थी, परन्तु उस दिन कुछ ज्यादा ही थी. मैं लेट हो रहा था, इसलिए फिर मैं उसी बस में चढ़ गया.
मेरे पास सिर्फ एक कॉपी थी. मुझे पैर रखने के लिए अंदर जगह बनानी थी और मैंने बड़ी मुश्किल से बना ली. फिर मैंने अपने आस – पास देखा तो मेरे पास लेफ्ट में एक अंकल थे और दूसरी साइड एक बच्चा था. यह देख कर मैंने सोचा कि साली किस्मत ही बेकार है. दोस्तों, भीड़ में किसी को कहीं भी हाथ लगाया जा सकता है, परन्तु आज तो कुछ नहीं हो सकता था.
तभी एक आवाज आई ‘रोबिन हाथ पकड़ो मेरा.’ अब मैंने पीछे मुड़ के देखा तो 30 – 32 साल के आस – पास की एक लेडी सीट पर बैठी थी. उसने ब्लैक पजमी डाली हुई थी और हल्का रेड कुरता भी पहन रखा था. इसके अलावा उसने हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था.
फिर मैंने उसके बच्चे की तरफ देखा, वह बाहर देख रहा था. चूंकि, मेरा रास्ता सिर्फ 15 मिनट का ही होता था, इसलिए मैंने केवल 2 मिनट आंटी पर लाइन मारी. जिसमे आंटी ने 2 बार मुझे देखा और देख कर बाहर देखने लगती.
फिर जब आंटी ने तीसरी बार मेरी तरफ देखा तो मैंने इशारा कर दिया (मैं अपनी उंगली से अपनी पलकें साफ करने लगा). आंटी को समझ नहीं आया कि मैं क्या कह रहा हूँ तो आंटी ने फिर मेरी तरफ देखा तो मैंने फिर से वही इशारा किया और कहा कि साफ कर लो. यह बात मैंने इतना धीरे से बोली कि मुझको भी नहीं सुनाई दिया.
फिर आंटी ने अपने बैग से रुमाल निकला और अपनी पलकें साफ़ करने लगी. पलक साफ़ कर के आंटी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने थोड़ी से गर्दन हिला के इशारा कर दिया कि ठीक है. इतने में एक स्टॉप आया और वहां पर सवारी और चढ़ गयी. अब भीड़ और ज्यादा हो गयी, जिस कारण मुझे एक हाथ के सहारे खड़ा होना मुश्किल हो गया. तो मैंने आंटी से कहा, “आंटी, प्लीज ये कॉपी अपने पास रख लो.”
फिर आंटी ने कॉपी पकड़ के अपने पास रख ली और मैंने अपने दोनों हाथ से ऊपर पोल को पकड़ लिया. इतने में मेरा स्टॉप आ गया और मैंने आंटी से कॉपी मांगी और उतर गया. जब बस चली तो मैंने आंटी की तरफ देखते हुए कॉपी को किस किया.
दोस्तों, अब मैं बता दूं कि आंटी की पलकों पर कुछ नहीं था, ये मेरा अपना तरीका है, मतलब जिसने मेरे इशारे से अपनी पलकों को साफ़ कर लिया, उस पर लाइन मारो तो वो फंस जाती है.
बाकी का मेरा सारा दिन ऐसे ही निकल गया. अगले दिन मैं बस में चढ़ा तो आज ज्यादा भीड़ नहीं थी, पर बैठने को जगह आज भी नहीं थी तो मैं आगे खड़ा हो गया. तभी पीछे से कुछ सवारी चढ़ी. मैंने देखा कि उनमें कल वाली आंटी भी थी.
आंटी को किसी लड़के ने जगह दे दी. उसका बच्चा उसकी गोद में बैठा था. तभी आंटी ने कुछ समय के लिए मेरी तरफ देखा. हमारी आँखें मिली फिर वो बाहर देखने लगी. अब मैं आंटी के पास जाकर खड़ा हो गया.
दोस्तों, यहाँ की लोकल बस की पिछली सीट कुछ ऊपर होती है. मैं आंटी से थोड़ा सा दूर खड़ा हुआ. इतना कि जब बस चले तो मेरा लन्ड आंटी की कोहनी से टच हो और हुआ भी ऐसा ही. अब मैं बार – बार अपना लन्ड आंटी की कोहनी से टच करता रहा. कुछ टाइम बाद आंटी ने अपनी कोहनी हटा ली तो मैंने सोचा साला कहीं मार न पड़ जाये इसलिए मैं भी सीधा हो गया.
थोड़े टाइम मैं मैंने आंटी की तरफ देखा तो वो भी मुझे देख रही थी. तभी उसने अपने हाथ की तरफ इशारा किया. जब मैंने उसके हाथ की तरफ देखा तो वो अपने एक हाथ पर दूसरे हाथ की उंगली से कुछ लिख रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने रिपीट करने को कहा.
अब वो फिर लिखने लगी तो मैंने देखा कि वो नंबर लिख रही थी. अब मैंने जल्दी – जल्दी उनका नंबर अपने दिमाग में बिठा लिया. इतने में मेरा स्टॉप आ गया और मैंने उतारते ही नंबर डायल किया. रिंग जाते ही फ़ोन पिक हो गया.
अब मैं बोला – हेलो
तो सामने से आंटी बोली – हेलो कौन?
इस पर मैं बोला – जी, मैं बस में था.
तो सामने से आंटी ने कहा – अच्छा ठीक है, मैं तुम्हें ऑफिस पहुंच कर कॉल करती हूँ.
आधे घंटे बाद उनका कॉल आया और वो बोली – हेलो, अब बोलो.
मैं बोला – आपका नाम क्या है?
वो बोली – साक्षी वर्मा और तुम्हारा?
मैं – जी, मैं रवि हूँ.
अब साक्षी बोली – तो क्या करते हो रवि?
मैं बोला – जी, मैं बी.टेक कर रहा हूँ. आप?
साक्षी बोली – मैं एक कंपनी में जॉब करती हूँ. चलो, मैं तुम्हें शाम को कॉल करती हूँ बाय.
फिर शाम तक मैं उसके कॉल का वेट करता रहा पर कोई कॉल न आया. डिनर के बाद जब मैं 17 मार्केट घूमने गया तो उसका कॉल आया. फोन पर साक्षी बोली – हां, रवि कैसे हो?
मैं बोला – जी, मैं ठीक हूँ, आप बताओ?
साक्षी – मैं भी ठीक हूँ. अच्छा तुम कहाँ हो?
मैं बोला – जी, मैं 17 मार्केट में हूँ.
अब साक्षी बोली – ओह, मैं भी वहीं आ रही हूँ, तुम मुझे पार्किंग के पास मिलो.
उसकी यह बात सुन कर मैं पार्किंग के पास गया और उसका वेट करने लगा. करीब 15 मिनट के बाद एक i20 कार वहां आकर रुकी और शीशा नीचे करके साक्षी बोली – रवि आओ अंदर.
मैं अंदर बैठ गया और साक्षी से बोला, ये कार किसकी है?साक्षी बोली, “मेरी ही है, पिछले दो दिन से रिपेयर पर थी, आज शाम को आते – आते ले आई. इसलिए मैं बस में जाती थी. मैंने कहा, “ओह्ह, तो ये बात थी.”
अब मैं साक्षी के बेटे के साथ हेलो करने लगा. तो साक्षी उससे बोली, ”हेलो करो रोबिन”. फिर रोबिन ने हेलो की. अब साक्षी ने मुझसे कहा कि मुझे लगा था, तुमने नंबर गलत न नोट कर लिया हो! इस पर मैं बोला, “नहीं जी, किस्मत ने साथ दे दिया, नहीं तो कहाँ मैं कहां आप!”
अब साक्षी बोली, “ये क्या आप – आप लगा रखी है नाम है मेरा नाम लो.”
अब मैं बोला – ओके साक्षी, आपके पति कहाँ हैं?
साक्षी बोली – वो कनाडा गये हैं, कंपनी के काम से. अगले साल मैं भी वहीं चली जाऊंगी.
मैं बोला – अच्छा, तो अब हम कहा जा रहे हैं?
साक्षी – मेरे घर पर, आज तुम मेरे साथ ही रहना.
फिर हम एक बिल्डिंग में गये. वहां उसने कार पार्क की और फिर लिफ्ट से साक्षी के घर गये. अंदर आते ही साक्षी ने गेट बंद किया और बोली, “रोबिन, जाओ बेटे रूम में गुड नाईट.”
जब रोबिन चला गया तो साक्षी मुझसे बोली – तुम क्या पिओगे?
तो मैं बोला – दूध.
इस पर उसने कहा – अभी रात बाकी है पी लेना.
तो मैंने कहा – नहीं, मैं सिंपल दूध को बोल रहा हूँ. मुझे रात को दूध पीने की आदत है.
इस पर साक्षी हंसी और फिर दूध ले आई. दूध पी कर मैं बैठ गया और साक्षी बाथरूम चली गयी. जब वह वापस आई तो उसने सिर्फ पिंक कलर का एक तौलिया लपेट रखा था. उसके गोरे रंग पर पिंक रंग सेक्सी लग रहा था.
फिर साक्षी ने मुझसे कहा कि तुम भी नहा लो. अब मैंने जल्दी से वाश लिया और फिर बाहर एक तौलिया में आ गया. मुझे देख साक्षी ने कहा – इधर आ जाओ.
अब मैं आवाज की तरफ गया तो उधर एक बेडरूम था. अंदर से मीठी खुशबू आ रही थी. साक्षी अंदर ही थी और उसकी आँखे नशीली थी. अंदर हल्का सा म्यूजिक भी था. फिर उसने मुझे हग किया और फिर मैं उसकी गर्दन पे किस करने लगा.
अब मैंने उसके बालों को खोल दिया और फिर कान पर काटने लगा. इससे वो सिसकियां लेने लगी और अब मैं उसके होंठों को चूसने लगा. मैं उसका ऊपर का लिप चूस रहा था और वो मेरा नीचे का लिप चूस रही थी.
काफी टाइम तक हम किस करते रहे. फिर मैं उसे बेड पर ले गया और उसका तौलिया खोल दिया. उसके गोल – गोल मुम्मे देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया. अब मैं उसके मुम्मों पर टूट पड़ा. मैं करीब 30 मिनट तक मुम्मे चूसता रहा और साक्षी ‘ऊओह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह’ करती रही.
इस बीच मेरा तौलिया खुल चुका था और मेरा लन्ड साक्षी की चूत पर रगड़ खा रहा था. धीरे – धीरे मैं उसके पेट पर किस करने लगा. जब मैं किस लेता तो उसका पेट अंदर हो जाता वो साँस अपने अंदर भर लेती. अब मैं अपनी जीभ से उसकी नाभि को कुरेदने लगा, जिससे वो पागल सी हो गयी.
फिर मैं उसकी चूत को चूसने लगा. अब मैंने उसकी चूत के दाने को मुंह में भर लिया और कभी काटता तो कभी चूसता जाता. तभी साक्षी बोली – बस, अब आ जाओ.
फ़िर मैंने लन्ड उसकी तरफ किया, परन्तु उसने चूसने से मना कर दिया. मैंने भी इसके लिए ज्यादा जोर नहीं. फिर मैंने लन्ड को चूत के निशाने पे रखा और धक्का मारा. मेरा लन्ड फच्च की आवाज के साथ अंदर चला गया.
फिर मैं तेज – तेज धक्के मरने लगा. लन्ड न चूसने की वजह से मैं गुस्से में था, इसलिए मैं तेज के साथ कर रहा था परन्तु उसको मजा आ रहा था. कुछ 15 मिनट के बाद मेरा होने को हुआ तो मैंने लन्ड उसके मुम्मों पर रख दिया. जब मेरा निकल गया तो मैं उसके साइड में लेट गया.
इसके करीब 10 मिनट के बाद उसने कहा कि सॉरी रवि, मैंने तुम्हारा साथ नहीं दिया. मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं आनंद के सागर में डूब गयी. इतना मजा आ रहा कि क्या बताऊँ. थोड़ा रुक कर उसने कहा, “इस मजे को मैंने अपने अंदर समा के रख लिया है, थैंक्यू मेरी जान लव यू!”
उसके बाद हम तक़रीबन रोज मिलते थे. कुछ दिन बाद मैं उसके घर पर ही रहने लगा. अब वो सब कुछ करती है. उसने अपनी 2 फ्रेंड की भी चूत दिलवाया है, लेकिन वो सब बाद में. आपको मेरी यह स्टोरी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताना. मेल आईडी – [email protected]