चार्जर दिया चूत लिया भाग – 2

अभी तक आपने पढ़ा कि मुझे पटना से भागलपुर जाना था तो मैं ट्रेन में सवार होकर जा रहा था. रास्ते में एक बहुत ही खूबसूरत लेडी ट्रेन में चढ़ी और मेरी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई. उसे देखने के बाद मैं उसके साथ करना तो बहुत कुछ चाहता था, लेकिन नहीं कर सकता था…

इस कहानी का पिछला भाग – चार्जर दिया चूत लिया भाग – 1

अब आगे…

खैर, मैं क्या कर सकता था. कुछ भी नहीं! मजबूरी में वापस फ़ोन पर लग गया. तभी कुछ देर बाद उसकी आवाज आयी “हैलो”. मैंने उसकी तरफ देखा और कहा, “जी”.

मेरे बोलने पर उसने कहा कि अगर आपको कोई कष्ट न हो तो क्या मैं आपकी चार्जर यूज़ कर सकती हूँ मेरी बैटरी लो हो गयी है और मुझे भागलपुर जाना है. जाते – जाते रात हो जायेगी और फिर मैं फ़ोन करके किसी को बुला भी नहीं पाऊँगी. ऐसे में मुझे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

मित्रों उसकी आवाज भी गजब की थी! उसकी ज़ुबान से ये बातें सुन कर मुझे बरबस एक शेर याद आ रहा है.

तेरी जुबान से निकले जो बोल तो मानों कोयल भी शरमा जाये…
तू जो अपने जुबान से मर जाने को कहे तो मरने वाले को भी मरने का मजा आ जाये..

अब इसमें मुझे क्या परेशानी हो सकती थी, वैसे भी मेरी बैटरी फुल चार्ज होने ही वाली थी. और अगर नहीं भी होती तो मैं दे देता. नहीं देने पर बात करने का मौका फिर मिलता भी नहीं. अब मैंने अपना पिन निकाल कर उसके मोबाइल में लगा दिया.

फिर मैंने फौरन ही पूछा कि आप भी भागलपुर ही जा रही हैं. तो उसने कहा, “मैं भी मतलब आप भी भागलपुर ही जा रहे हैं”. इस पर मैंने कहा, “जी, मैं भी वहीं का हूँ”. फिर तो हमारे बीच बातचीत होनी शुरू हो गयी. वो बहुत ही फ्रैंक थी.

बातों ही बातों में उसने बताया कि उसकी शादी पटना में ही हुई है और उसका मायका भागलपुर है. उसके पति एयर फोर्स में हैं और साल में दो बार आते हैं. अभी वो नहीं आये थे, तो उसे अकेले मायके जाना पड़ रहा था. उसके ससुराल में उनके अलावा उसकी एक ननद और सास थी.

कुछ देर बाद उसने अचानक से मुझसे पूछ लिया कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं? मेरी कोई थी भी नहीं तो मैंने जवाब दिया कि कोई भी नहीं है. तो उसने कहा कि बातें तो जनाब बड़ी अच्छी बना लेते हैं फिर भी कोई नहीं है!

उसके मुंह से यह बात सुन कर मैंने कहा कि इस पर मैंने ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया और ज्यादा इंट्रेस्ट भी नहीं लिया और ना मैं किसी भी टाइप का नशा करता हूँ. इस पर उसने कहा कि गर्ल फ्रेंड में नशा वाली बात कहाँ से आ गयी. तो मैंने कहा कि मोहतरमा, लड़कियों से ज्यादा नशीली चीज आज तक दुनिया में बनी है क्या? जिसने एक बार भी इनको हाथ लगाया वो इसी का हो गया.

मेरे मुंह से यह सुनकर वो खिलखिला कर के हंस पड़ी. अब मैंने भी मौका देख कर एक शेर मार दिया.

तेरी हंसी, तेरा लहजा, तेरे मासूम से अल्फ़ाज
क्या कहूँ बस, लाजवाब लगती हो.

शेर सुन कर पहले तो वह अचानक से चुप हो गयी, फिर शर्म से उसके चेहरे पर गुलाबी रंगत पर आ गई. यह देख फिर से मैंने उसकी तारीफ़ में एक शायरी बोल दी.

उफ़्फ़ ये जुल्फें तेरी, हाय तेरा ये इतराना
जान कहीं ना ले जाये, तेरा ये शरमाना.
थम जाये ये पल, यहीं दुआ है
खुदा से और क्या मांगे ये दीवाना.

अब शायद वो मुझसे थोड़ा इम्प्रेस हो गयी थी. फिर हम धीरे – धीरे थोड़ा बहुत खुल भी गये थे. शाम के सात बज गए थे. अब मुझे पेशाब आई तो मैं बाथरूम जाने लगा. मैं अपना फोन वहीं छोड़ कर चला गया. थोड़ी देर बाद जब मैं वापस आया तो उसने हड़बड़ा कर मेरा फ़ोन उसकी जगह पर वापस रख दिया.

अब मुझे क्या पता था कि वो मेरा फोन चेक करेगी. मेरे फ़ोन में चुदाई की क्लिप्स भी थीं और अन्तर्वासना की साईट तो खुली ही हुई थी. सैमसंग में तो टैब बटन क्लिक करने पर रीसेंट एप्प्स का पता चल ही जाता है. अब मैंने देखा कि गैलरी में चुदाई वाली फोल्डर खुली हुई थी.

यह देख मुझे थोड़ी शर्म आने लगी. मैं सोच रहा था कि पता नहीं क्या सोचेगी ये अब मेरे बारे में. यही सोच कर अब मैं चुपचाप बैठ गया. तभी उसने मुझे छेड़ा, “तो यही करते हैं जनाब अकेले में.” मैंने कुछ नहीं बोला और चुप ही रह गया.

तब उसने फिर से कहा, “कोई बात नहीं, अब अकेले हो तो यही सब करोगे ना. कोई बुरी बात नहीं है सब कोई देखते हैं. अब तो आम बात है.” दोस्तों, अब ठंड बढ़ गयी थी और बाहर कुछ दिख भी नहीं रहा था तो मेंने खिड़की बन्द कर दी और बगल वाली सीट्स की भी सारी खिड़कियों को बन्द कर दिया.

खिड़कियों को बन्द करते वक़्त मैंने देखा कि पूरी बोगी में नौ या दस यात्री ही थे. उनमें से तीन महिलाएं और चार या पांच पुरुष थे. वो भी उधर साइड में गेट के थे. देखने में वो भी लोकल ही लग रहे थे. शायद डेली ड्यूटी वाले थे जो वापस घर जा रहे थे.

दोस्तों, वैसे भी स्लीपर बोगी छोटी ही रहती है. अब मैंने इस साइड के दरवाजे को लॉक कर दिया और फिर वापस अपने सीट पर गया तो देखा कि उसने अपने कार्डिगन को निकाल कर टांग दिया था और अपने बैग से फर वाला कम्बल निकाल कर ओढ़ लिया था.

मैं सूट में था और सूट ऊपर खुला ही रहता है तो मुझे ठंड लगने लगी. शायद उसे इस बात का एहसास हो गया था. तभी उसने मुझसे कहा, “ठंड लग रही हो तो मेरे पास कंबल में आ जाओ.” मैंने मना किया लेकिन उसने जबरदस्ती मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया.

दोस्तों, लड़कियों का दिल सच में कितना दयालु होता है. वे तुरंत ही आप पर अपना हक़ भी समझने लगती हैं. अब मैंने भी ऊपर का सूट निकाल कर रख दिया. कंबल एक ही आदमी के लिये था और हम दो थे तो लाजमी है कि हमारे बदन आपस में स्पर्श होने लगे थे.

चूँकि उसने अपना कार्डिगन उतार दिया था तो उसकी कमर का हिस्सा खुला ही था और ब्लाउज पहनने की वजह से हाथ भी खुला ही था. दोस्तों, उसका बदन काफी कोमल था. गुलाब की तरह! उसके बदन के स्पर्श का क्या सुखद एहसास था!

अब हम इधर – उधर की बातें करने लगे. तभी उसने कहा, “जरा देखूँ तो जनाब को किस तरह की वीडियो पसंद हैं”. अब मैं उसका चेहरा देखने लगा तो उसने कहा कि तुम देख सकते हो तो मैं क्यूँ नहीं देख सकती. मेरे पति तो हमेशा लाते हैं हम दोनों साथ में ही देखते हैं. मुझे पसंद आएगी तो मैं भी अपने फ़ोन में ले लूंगी.

मैं क्या करता! अब मुझे अपना फोन उसे देना ही पड़ा. फोन देकर मैंने कहा कि जो पसंद हैं जेंडर से ले लो. अब वो देखने लगी. सारी की सारी एचडी में थी. उसके साथ ही मैं भी उसकी पसंद देखने लगा. उसे चूचियों को चुसवाने वाला, लंड चूसने वाला और गोदी में उठा कर चोदने वाला वीडियो कुछ ज्यादा ही पसंद था.

वीडियो देखने साथ-साथ हम बात भी करते जा रहे थे और इयरफोन लगा के चुदाई की क्लिप्स भी देख रहे थे. तभी मैंने गौर किया कि उसकी आवाज थोड़ी लड़खड़ाने लगी थी. कंबल में मैं उसके बदन की गर्मी को बढ़ते हुए महसूस कर सकता था. उसकी आँखें अब गुलाबी रंगत की होने लगी थी.

दोस्तों, इंसान का शरीर एक निवास स्थल है, जिसमें काम, क्रोध, वासना, प्यार, लालच सभी निवास करते हैं और जरूरत होने पर बाहर आ ही जाते हैं. चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लो आप इन्हें रोक नहीं सकते. उसके साथ भी ऐसा ही हो रहा था. वासना उसके शरीर पर भारी पड़ रही थी और वो पूरी तरह से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी.

इधर हालात तो मेरे भी अच्छे नहीं थे. अगर आपके बगल में बगल में एक अतुलनीय सुंदरी चुदाई की क्लिप्स देख रही हो तो मेरी हालात का अंदाज भी आप लगा सकते हैं. फिर मैंने उसके आँखों में देखा तो यौन आमंत्रण साफ नज़र आ रहा था.

यह देख मैंने भी थोड़ी हिम्मत जुटाई और कंबल के भीतर ही उसके जांघों पर हाथ रख दिया. मेरे ऐसा करते ही उसके होंठों से सिसकारी निकल पड़ी. वो सिर्फ सिसकारी ही नहीं थी. वो मेरे लिये आगे बढ़ने का संकेत भी थी. उसे मेरी इस हरकत पर गुस्सा नहीं बल्कि उत्तेजना का अनुभव हुआ था.

अब मैं धीरे से उसकी जांघों को सहलाने लगा था. इससे ‘इस्सस्सस उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़’ की हल्की – हल्की आवाज उसके होंठों से निकलने लगी थी. वो सुखासन में बैठी थी. फिर मैंने उसकी साड़ी को नीचे से खिसका कर ऊपर कमर तक कर दिया.

नीचे उसने बिकनी टाइप की पैंटी पहन रखी थी जोकि अब तक उसके योनि रस से पूरी तरह से भीग चुकी थी. अब मैं उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा. फिर मैंने अपने तर्जनी अंगुली को उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत की दोनों पंखुड़ियों के बीच में रगड़ने लगा.

उसके होंठों से लगातार सिसकारियाँ निकलती ही जा रही थी. लेकिन ट्रेन की आवाज की वजह से उसकी आवाज दब जा रही थी नहीं तो बगल वाले को यात्रियों को तो हल्की आवाज सुनाई दे ही जाती.

इस कहानी का अगला भाग – चार्जर दिया चूत लिया भाग – 3

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