चार्जर दिया चूत लिया भाग – 4

अभी तक आपने पढ़ा कि ट्रेन में चढ़ कर मेरे बगल में बैठी शादीशुदा भाभी ने मेरे से चार्जर लिया और फिर मेरे बाथरूम जाने पर मेरे मोबाइल में पड़ी ब्लू फिल्म देख ली. फिर हमने साथ में ब्लू फिल्म देखी और गर्म हो गए. इसके बाद हमारा खेल शुरू हो गया. एक स्टेशन पर कोच में बैठे सब लोग उतर गए तो मैंने सब दरवाजे और खिड़कियां बन्द कर ली और वो मेरा लन्ड चूसने लगी.

इस कहानी का पिछला भाग – चार्जर दिया चूत लिया भाग – 3

अब आगे…

अब हम चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थे. अब मैं सीट पर दोनों पैरों को नीचे कर के बैठ गया और वो मेरे जांघों के उपर वज्रासन की स्थिति में बैठ गयी. सिर्फ अंतर ये था कि उसने वह दोनों पैर को मोड़े हुए थी और मेरे कमर के दोनों साइड में लगा रखा था.

अब उसका चेहरा ठीक मेरे चेहरे के सामने था. अब हमारे लब फिर से आपस में जुड़ गए. अब मैंने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा को और एक हाथ से उसकी चुचियों को दबाने लगा.

दोस्तों, मैं एक फिर से पूरी तरह से तैयार था. अब उसने अब अपने चूतड़ों को उठाया और हौले से मेरे लंड के सुपाड़े पर चूत रख कर हौले – हौले से दबाने लगी.

इस पर मैंने भी थोड़ा कमर को उचकाया तो लंड का सुपाड़ा अंदर चला गया. उसकी चूत तो पहले से ही पानी छोड़ने की वजह से गीली हो गयी थी तो ज्यादा परेशानी नहीँ हुई. अब वह थोड़ा चीख़ी और उसके मुंह से ‘आआह’ की आवाज निकल गई.

उसकी आवाज सुन कर मैंने पूछा कि तुम्हारा तो पहली बार नहीं है न तो फिर क्यों चिल्ला रही हो? इस पर उसने बताया कि उसकी दो साल पहले ही शादी हुई है और वो ज्यादा चुदी भी नहीं क्योंकि उसके पति कम ही रहते हैं और इस बार तो वो पांच महीने से आए भी नहीं हैं तो चूत थोड़ी टाइट भी हो गयी है.

अब मैंने उसकी एक चूची को बाएं हाथ से पकड़ा और दाएं हाथ को उसके कमर पर थोड़ा कस दिया. हमारे होंठ तो अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे. अब जब मैं उसके मुंह में जब भी अपनी जीभ को डालता वह कुल्फी की तरह जीभ को चूसने लग जाती. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

अभी सिर्फ मेरे सुपाड़े का ही उसके चूत में प्रवेश हुआ था और वह ऊपर से अपनी कमर को उठाये हुए ही हिला रही थी. तभी मैंने उसकी कमर को जोर से पकड़ा और नीचे से अपनी कमर को जोर से उचका दिया. इससे वह छटपटा गयी, लेकिन वह पूरी तरह से मेरे शिकंजे में थी इसलिए छूट न पाई.

अब मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा करीब आधा लन्ड उसकी चूत में घुस चुका है. इसके बाद के बार फिर से मैंने उसी तरह का शॉट लगाया तो मेरा लंड पूरी तरह से उसकी चूत में घुस गया. वह अपना मुंह मेरे मुंह से हटा के जोर से सिसकारी लेने लगी.

दोस्तों, मुझे महसूस हो रहा था कि जैसे मेरा लण्ड किसी गर्म और मुलायम गद्दे से चारों तरफ से दबा दिया गया हो. मेरा लंड भी लोहे की रॉड की तरह टाइट हो गया था. अब उसके चूतड़ पूरी तरह से मेरी जांघो में लग गए थे और मेरा लण्ड उसकी चूत में अपनी जगह अच्छे से बना चुका था.

अब उसने अपने दोनों हाथों का घेरा बना कर मेरी गर्दन पर लगा दिया. अब उसकी दोनों चूचियाँ मेरे मुंह के सामने थी. फिर मैंने एक पर अपना मुंह लगाया और चूसने लगा. इसके साथ ही मैंने भी अपने दोनों हाथों को उसके गोल-मटोल चूतड़ों पर लगा दिया.

अब मैंने उसको चूतड़ों के सहारे उसके शरीर को तब तक उठाया, जब तक उसकी चूत से मेरे लंड के सुपाड़े का लगभग ऊपरी सिरा तक नहीं निकल गया. इसके बाद वह अपने चूत को मेरे लंड के ऊपर रगड़ने लगी. एक बार फिर मैंने उसकी कमर को पकड़ा और ऐसा धक्का दिया कि उस एक ही बार में पूरा लंड उसके चूत की जड़ तक समा गया.

अब वह भी जोर से मेरे से लिपट गयी और ‘आअह्ह्ह्ह’ की आवाज करते हुए लय में अपने चूतड़ों को हिलाने लगी. मैं भी उसके चूतड़ों को पकड़े दबाने लगा था. दूसरी तरह उसकी चूचियों को भी चूस – चूस कर मैंने लाल कर दिया था.

अब ट्रेन की ‘धड़ाधड़’ और चुदाई की ‘फ़काफ़क फ़काफ़क’ एक – दूसरे से सुर मिलाने लगी थी. इस आसन में चुदाई के दौरान हमें ट्रेन के हिलने से भी सहायता मिल रही थी. अब हम दोनों ही ‘आआआआअह ओह्ह्ह्ह्ह्ह ह्हह्हह्हह्हह’ जैसी आवाजें निकालने लगे थे.

दोस्तों, वह तो अब चुदाई में पूरी तरह से खो ही गयी थी. वह हिल रही थी और इसके साथ ही ‘चोदो मुझे, चोदो मुझे’ भी कहती जा रही थी. वो बोल रही थी, “हाँ मेरे राजा बस इसी तरह से, और जोर से चुदाई करो. चोद दो मेरी चूत को बहुत परेशान करती है. सारी रात अंगुली करती रह जाती हूँ लेकिन मज़ा नहीं आता. आज मेरी चूत की प्यास को बुझा दो. मेरे चूचियों को खा जाओ. दबा – दबा के इनका दूध निकल दो.”

उसकी यह बात सुन कर मैंने कहा, “मेरी रानी, अब तुझे अंगुली करने क्या जरूरत है? मेरा लंड है ना, जब चाहे पटना में बुला लेना, आकर चोद जाया करूँगा. अब तेरी चूत में तेरी अंगुली की नहीं मेरे लंड की जगह है.” फिर थोड़ा रुक कर मैंने कहा, “तेरी चूत तो बहुत टाइट है मेरी जान, मेरे लिये रखी थी क्या?”

इस पर उसने कहा, “हां जानू, देखो न तुम्हारे लिये ही तो मैंने अपने चूत की सफाई भी की है. घुसा दो अपना पूरा लंड, फाड़ दो मेरी चूत को. अकेले में बहुत तड़पती है. पांच महीने से प्यासी है और लंड खोज रही है.”

फिर थोड़ा रुक कर बोली, “चोदो मुझे, और जोर से, और जोर से, और जोर से चोदते रहो, जब तक मेरी चूत का पानी न निकल जाये. उफ़्फ़्फ़्फ़ हाआआयईई इस्सस बड़े दिनों के बाद लंड मिला है. आज तो जी भर के चुदूँगी.” उसके मुंह से लगातार ‘ऊऊम्मम आआह्ह्ह्ह’ की आवाजें निकल रही थी. इसके अलावा वो पता नहीं और क्या – क्या बोले जा रही थी.

मैं इधर लगातार अपने कमर को हिलाता जा रहा था और वो भी उधर से ताल में ताल मिलाते हुए अपनी कमर को हिला रही थी. मेरा लंड पूरी तेजी से चूत में अंदर – बाहर सटासट – सटासट अपनी जगह बना के चूत को अपना बनाने की कोशिश में लगा हुआ था और इधर चूत भी लन्ड को पूरी तरह अपना चुकी थी.

जैसे ही लंड उसके भीतर जाता, वैसे ही वह अपने चूत को दबा देती थी. जिससे चुदाई का मजा और भी बढ़ता जा रहा था. उसके ऊपर – नीचे होने पर उसके दूध भी हिलते हुए और भी सेक्सी लगते थे. ऐसी हालात में कोई बूढ़ा आदमी भी उसे देखे तो भले ही वह खड़ा ना हो पाये, लेकिन उसका लंड जरूर खड़ा हो जायेगा.

हमें चुदाई करते हुए करीब पन्द्रह या बीस मिनट हो गए थे और मैं लगातार उसकी चुदाई करते हुए उसकी चूत का भोसड़ा बनाने पर लगा हुआ था. अब मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैं जरा सा रुक गया और उसके चूचियों को अपने दोनों हाथों से जोर – जोर से मसलने और चूसने लगा.

इस कहानी का अगला भाग – चार्जर दिया चूत लिया भाग – 5

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