अभी तक आप सब ने पढ़ा कि ट्रेन में मिली शादीशुदा औरत ने मुझसे मोबाइल का चार्जर लिया और जब मैं टॉयलेट गया तो उसने मेरे मोबाइल में ब्लू फिल्म देख ली. इसके बाद फिर हम दोनों ने एक ही कम्बल में घुस कर साथ में ब्लू फिल्म देखी. जिससे हमारी वासना बढ़ गई और हम चुदाई को तैयार हो गए. ट्रेन के लोकल यात्रियों के उतर जाने के बाद मैंने सारे खिड़की और दरवाजों को बंद कर लिया और जोरदार तरीके से हमारी चुदाई चालू हो गई…
इस कहानी का पिछला भाग – चार्जर दिया चूत लिया भाग – 4
अब आगे…
अब मेरा पानी नहीं निकला. फिर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे दोनों जाँघो को दोनों हाथों से पकड़ा और ले कर खड़ा हो गया. उसका बदन छरहरा था तो उसका वजन भी ज्यादा नहीं था. पहले तो उसकी समझ में ही नहीं आया कि मैं क्या कर रहा हूँ. जब समझ में आया तो उसने खुद को संभाला और अपने दोनों हाथों को मेरे गले में लपेट लिया.
अब इस स्थिति में जो भी करना था, मुझे ही करना था और उसे तो बस चुदना था. वह मेरे होंठो को चूम कर अपने होंठों को मेरे कान के पास ले गयी और उसने मुझे कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मुझे ऐसे भी चोदेगा. लेकिन इस पोजीशन में चुदने की ख्वाहिश जरूर थी.
इतना कहते हुए वह मेरे कान के भीतर अपनी जीभ को घुसाने लगी. ‘उफ्फ्फ्फ़…’ उसने तो मेरी जान ही निकाल दी थी. उत्तेजना के कारण मेरा बुरा हाल होने लगा था. फिर वह मेरी गर्दन को भी हौले से चूमने लगी. इधर उसने अपना काम शुरू किया तो मैं भी उसे गोदी में उठाये – उठाये ही चोदना शुरू कर दिया.
अब मैंने नीचे से तेजी के साथ धक्के मारना चालू कर दिया था. लंड पूरा का पूरा चूत में घुसाता और सुपाड़े तक बाहर निकलता इसके बाद फिर तुरन्त ही पूरे जोर से चूत में घुसा देता.
मैं लगभग दो या तीन मिनट तक लगातार पूरे तेजी के साथ उसकी इसी तरह चुदाई करता रहा. उसे इस पोजीशन में चुदने का आनंद कुछ ज्यादा ही आ रहा था क्योंकि एक तो लंड पूरा घुस के अंदर – बाहर हो रहा था और दूसरे उसकी दोनों चूची भी मेरे सीने से खूब रगड़ खा रही थी.
वह अब कुछ बोल ही नहीं पा रही थी. बस ‘आअहह उह्ह्ह् हहह्ह उमम्मम, आह मम्मी! चोद दो, चोद दो, हाएए फट गयी मेरी चूत. मैं चुद गयी. और जोर से, और जोर से’ कहती रही.
फिर मैंने उसके कान में अपनी जीभ हिलानी शुरू की और उसके गर्दन पर अपने होंठ चलाये और नीचे से उसकी चूत की धमाकेदार चुदाई करने लगा. बीच – बीच में मैं उसकी चूचियों की जबर्दस्त रगड़ाई और जीभ से चुसाई भी कर देता था.
इतनी उत्तेजना वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह खुद पर काबू ना पा सकी. अब वह ‘आआआह’ चिल्लाते हुए मुझसे जोर से लिपट गयी और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ा दिए. वह अब चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थी और झड़ने लगी थी.
मेरे लंड ने भी जब उसके चूत के पानी को गिरते हुए महसूस किया तो वह भी काबू में न रह पाया. मुझे तो ऐसा लगा, जैसे कि मेरे लंड के उपर गर्म पानी डाल दिया गया हो. फिर मैंने भी अपने वीर्य की पिचकारियों से उसकी चूत भर डाली.
दोस्तों, मैं पहले भी मुठ मारता था, लेकिन आज से पहले मेरे लंड से इतना वीर्य कभी नहीं निकला था और ना ही वीर्य निकलते वक़्त ऐसा एहसास होता था. उस दिन का एहसास तो बहुत अलग था. मुझे परम आनंद की अनुभूति हुई थी.
फिर मैं उसे गोदी में लिये हुए ही सीट पर बैठ गया और उसे गले लगाये हुए ही पीछे पीठ टिक कर आराम से आँखें बंद कर ली. अब मैं खो सा गया था. ना उसे ही होश था और ना मुझे ही होश था. बस हम दोनों एक – दूसरे में खो जाना चाहते थे.
लगभग आधे घण्टे तक हम उसी तरह पड़े रहे. हम दोनों में से कोई नहीं बोला. फिर मैं थोड़ा हिला तो उसने अपना सिर मेरे कंधो से उठाया और मेरी आँखों में देखा. फिर बिना कुछ कहे ही मेरे होंठों को चूम लिया.
अब मैंने उसके सिर के ऊपरी भाग पर चूमा और उससे कहा कि एक बात पूंछू? तो उसने आँख मारते हुए कहा, “जब चोदने के लिये नहीं मना किया तो इसके लिये कैसे मना करूंगी! जो भी पूछना है पूछो.” इस पर मैंने कहा कि हम दोनों पहली बार मिले हैं और तुम शादीशुदा हो. फिर भी चुद गयी. ऐसा क्यूँ?
इस पर उसने कहा कि पता नहीं क्यों लेकिन मुझे तुम्हारी बातों में सच्चाई लगी. मेरे दिल ने कहा कि तुम किसी का भी विश्वास नहीं तोड़ सकते हो. जवाब में मैं सिर्फ मुस्कराया और उसके होंठों को चूमने लगा. फिर मैं उसकी चूचियों पर हाथ लगा कर नर्म चूचियों को सहलाने लगा.
अब उसने अपना फोन चेक किया तो बैटरी फुल चार्ज होने वाली थी और साढ़े दस बज चुके थे. इसके बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि मैं डेढ़ घंटे में स्टेशन पहुंच जाउंगी. मतलब अभी भी हमारे पास डेढ़ घण्टे का वक्त था.
दोस्तों, मैं लगातार उसकी चूचियों को सहलाता जा रहा था. ऐसा करने के कारण कुछ देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया था. तभी उसकी नजर फिर से मेरे लंड पर पड़ी तो वह हंसने लगी.
फिर वह नीचे झुक गई और उसने मेरे लण्ड को गप्प से मुंह में ले लिया. इस बार उसने लंड को हाथ नही लगाया बल्कि होंठों से ही ऊपर नीचे करने लगी. वह लंड को आइसक्रीम की तरह सब तरफ से चाटने लगी.
अब उसने अपना एक हाथ टट्टों पर लगाया और अपने एक हाथ को मेरी छाती पर रख दिया. अब वह मेरे छाती को भी मसलने लगी. कभी वह मेरे लंड को चूसती तो कभी टट्टो को अपने मुंह में भर लेती. अब मैं तो बस अपनी आँखें बंद किये हुए लन्ड चुसाई का पूरा मजा ले रहा था.
इस कहानी का अगला भाग – चार्जर दिया चूत लिया भाग – 6
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