उस दिन शायद मेरी और भाभी की किस्मत ज़ोरों पर थी. चूँकि गर्मी का मौसम था तो सब लोग छत पर सोने चले गए और मैं पंखा लगा कर कमरे में ही सोया. अचानक रात को भैया को एक इमरजेंसी कॉल आ गया और वो अस्पताल चले गए. रात में करीब 11 बजे भाभी मेरे पास आई और धीरे – धीरे मेरे बाल सहलाने लगी. उनके ऐसा करने से मेरी नींद खुल गई…
नमस्कार मित्रों, मेरा नाम शिव है. मैं कानपुर का रहने वाला हूँ और एक अच्छे शरीर वाला लड़का हूँ. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और आज मैं अपनी एक कहानी यहां पर आप लोगों के साथ साझा करने जा रहा हूँ.
मेरे बुआ के लड़के की हाल ही में नई – नई शादी होने वाली थी. वो एक डॉक्टर हैं. डॉक्टरी की पढ़ाई में उनको कुछ ज़्यादा ही समय लग गया था. जिस कारण उनकी उम्र भाभी की अपेक्षा बहत अधिक है. किसी कारणवश मैं उनकी शादी में नहीं जा पाया. मैं सीधा उनके रिसेप्शन पर गया था.
वहां पहुंच कर पहली बार भाभी को देखा था. भाभी को देख कर ही लग रहा था कि वो उम्र में भैया से काफी छोटी हैं. लेकिन उनका फिगर बहुत ही मस्त था. उनकी लंबाई करीब 5 फिट और 4 इन्च रही होगी. उनका रंग एक दम गोरा दूध जैसा था. लंबे बाल और शादी के मेकअप की वजह से वो कुछ ज़्यादा ही मस्त लग रही थीं.
वो लहंगा पहन कर रिसेप्शन में आई हुई थी. जिसका ब्लाउज कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न मलतब खुला हुआ था. पीछे सिर्फ एक डोर थी बाकी उनकी पूरी गोरी खुली पीठ मेरे लंड को हरा सिग्नल दे रही थी. सभी लोग नए कपल के साथ फोटो खिचवा रहे थे. मैं भी भाभी के बगल में जाकर बैठ गया.
उनसे ऊँचाई पर होने के कारण और उनके मॉडर्न ब्लाउज के कारण उनके चूचों की गहराई मुझे एक दम साफ़ दिखाई दे रही थी. यह मेरे 6 इंच के लौड़े को लगातार सख्त करती जा रही थी. फोटो खिचवाते टाइम मैंने भाभी की पीठ पर धीरे से हाथ रख दिया था. क्या मखमली पीठ थी उनकी!
उनके शरीर की खुशबू मुझे एक दम पागल किए दे रही थी. इसलिए मैं जल्दी ही वहाँ से हट गया. खाना खाते हुए भी मैं उन्हें ही देख रहा था. खाना खत्म कर जब मैं भाभी को देखने गया तो वो मुझे कहीं नहीं दिखीं. उनको ढूँढ़ते हुए मैं उनके रूम की तरफ चला गया. वहां वो अपनी एक सहेली के साथ अपने कमरे में थी और उनकी फ्रेंड उनसे मज़ाक में सुहागरात के बारे में पूछ रही थी और उनकी बात सुन कर हंस रही थी.
मैं भी मज़े लेने के चक्कर में वहीं पर खड़ा हो कर उनकी बातें सुनने लगा. अपनी उस सहेली की सुहागरात वाली बात भाभी लगातार टाल रही थीं. लेकिन उसके ज़्यादा जिद करने पर वो रोने लगीं. जब उनकी फ्रेंड ने उनसे रोने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि, “मेरे भाई से उनकी चूत की आग नहीं बुझ रही है. एक तो उनका लण्ड बहुत छोटा सा है ऊपर से जितना समय उनके लंड को खड़ा करने में लगता है उससे कम ही समय में वो झड़ जाते हैं और भाभी को अपनी ऊँगली से काम चलना पड़ता है.”
यह सुन कर मेरे मन में अन्तर्वासना पर पढ़ी हुई देवर – भाभी वाली ढ़ेरों कहानी याद आ गयी. उन कहानियों में देवर कैसे अपनी चुदासी भाभी की चुदास मिटाता है. मैं इसी सोच में डूबा था और इस वजह से मेरा ध्यान भाभी और उनकी सहेली की बातों से हट गया.
तभी भाभी और उनकी सहेली कमरे के बाहर निकलीं. उनकी सहेली तो सीधा निकल गई और उसका ध्यान मुझ पर नहीं गया पर भाभी ने मुझे देख लिया. वो उसको भेज कर वापस आ गईं और मेरे पास आकर मुझे अपने कमरे में ले गईं और फिर मुझसे पूछने लगी कि, “तुम यहाँ क्यों खड़े थे? तुम हमारी बातें सुन रहे थे न?”
तो मैंने कहा – भाभी, मैं तो बस इधर से निकल रहा था तभी मैंने आपको रोते हुए देखा तो रुक गया और आप भी तो इतनी तेज़ आवाज में बातें कर रही थी कि आपकी बातें सुन कर कोई भी खड़ा हो जाता.
तभी उन्होंने मेरे लण्ड की तरफ इशारा कर के कहा – कोई भी खड़ा हो जाता?
तो मैंने भी उनके चूचों की तरफ देख कर कहा – हाँ भाभी, कोई भी.
भाभी हंस कर कमरे से बाहर की तरफ चल दी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया. उन्होंने मेरे गाल पर किस करते हुए कहा कि, “रात में नीचे ही सोना” और फिर वो कमरे के बाहर चली गयी.
फिर पूरे रिसेप्शन के कार्यक्रम में हम प्रेमी – प्रेमिका की तरह एक – दूसरे को देख – देख कर हंस रहे थे और मौका देख कर एक – दूसरे को इशारे कर रहे थे. ये सब करते हुए पता ही नहीं चला कि कब सारा कार्यक्रम खत्म हो गया.
उस दिन शायद मेरी और भाभी की किस्मत ज़ोरों पर थी. चूँकि गर्मी का मौसम था तो सब लोग छत पर सोने चले गए और मैं पंखा लगा कर कमरे में ही सोया. अचानक रात को भैया को एक इमरजेंसी कॉल आ गया और वो अस्पताल चले गए. रात में करीब 11 बजे भाभी मेरे पास आई और धीरे – धीरे मेरे बाल सहलाने लगी. उनके ऐसा करने से मेरी नींद खुल गई.
वो एक मस्त नाइटी पहने हुए थीं. जिसमें वो क़यामत लग रही थीं. उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और धीरे से मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए बोली – तुम्हारे भैया नहीं हैं.
यह सुनते ही मेरे लंड के साथ – साथ मेरी झांटें भी कड़ी हो गयी. मैंने उनको अपने ऊपर बैठा लिया और झुक कर किस करने लगा. वो भी किस करने में एक दम परफेक्ट थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी. कभी उनकी जीभ मेरे मुँह में जाती तो कभी मेरी उनके मुँह में जाती.
वो कपड़े के ऊपर से ही अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थीं. जिससे मेरा लंड एक दम से सख्त हो गया था. फिर उन्होंने मेरी टी शर्ट उतार दी और मैंने भी उनकी नाइटी को उतार फेंका. उन्होंने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था. उनके चूचे देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा.
अब मैं उनका एक बूब्स चूस रहा था तो दूसरा दबा रहा था. करीब 15 मिनट की चुसाई और दबवाई ने भाभी की गांड फाड़ दी थी. वो सेक्स के लिए पूरी तरह पागल हुई जा रही थी. लेकिन मैं उनका पूरा यौवन लूटना चाहता था तो मैंने उनसे मेरा बाबूराव चूसने को कहा और वो एक दम से मेरे ऊपर आ गई और अपनी चूत को मेरे मुंह के पास करके मेरा लण्ड चूसने लगी.
उनकी जबरदस्त चुसाई से मेरा बुरा हाल हो रहा था. वो कभी मेरे लंड का टोपा चूसती तो कभी पूरा लन्ड मुँह में लेकर गले तक उतार लेती थी. वह बिल्कुल रंडियों की तरह मेरा लन्ड चूस रही थी. इस बीच मैंने उनकी चड्ढी नीचे सरका दी और धीरे से उनके क्लिट में अपनी जीभ लगा दी. इससे वो एक दम से उछल गई और फिर जिस तरह उन्होंने मेरे मुंह में अपनी चूत रगड़ी कसम से पूरा का पूरा मुंह गीला ही गया.
तभी भाभी ने अपना सारा रस मेरे मुंह पर निकाल दिया. मेरा पूरा मुंह का स्वाद बिगड़ गया. फिर मैंने उन्हें जल्दी से हटाया और उनकी नाइटी से अपना मुंह साफ़ किया. भाभी मुझसे बार – बार चोदने के लिए कह रही थी. अब मैंने भी ज़्यादा टाइम न लेते हुए भाभी की टाँगे फैला दी और अपनी पोजीशन लेकर एक जोर का झटका मारा और मेरे इस झटके से मेरा लंड गप्प से भाभी की चूत में समा गया.
अब भाभी ने मुझे कस कर अपने से चिपका लिया और तेज आवाज में बोल पड़ी, “आईईईईई धीरे – धीरे डालो. बहत दिनों के बाद इसमें लन्ड गया है.” उनकी चीख़ सुन कर मैं रुक गया. दर्द कम होते ही भाभी ने अपनी कमर को उठाना शुरू कर दिया. ये देख कर मैंने भी झटके देने शुरू कर दिया.
भाभी की मस्त चुसाई के कारण मैं जल्दी ही झड़ गया. लेकिन मेरी अच्छी भाभी ने मेरा लैंड फिर टन्ना कर खड़ा कर दिया. फिर भाभी कुतिया बन गयी और मैं कुत्ते की तरह उनके चूतड़ पकड़ कर उनकी ठुकाई करने लगा. भाभी पूरे मज़े में चुद रही थी और बहुत ही मादक सिसकारियाँ ले रही थी.
अब मैंने भाभी के दोनों पैरों को मोड़ कर उनके मुँह के पास ले गया. जिससे उनकी चूत पकोड़े की तरह बाहर आ गयी और फिर मैं उन्हें चोदने लगा. इस दौरान वो 5 बार झड़ चुकी थी और उनकी चूत का रस बह कर उनकी गुलाबी गांड तक जा रहा था.
अब मैं भी आपने चरम पर था और फुल स्पीड से ठोक रहा था. तभी मेरा लंड फिसल गया और तेजी से करने की वजह से फिसल कर कर गांड में तीन इंच तक घुसता चला गया. जिससे भाभी ज़ोर से चिल्ला पड़ी. उनकी गांड से हल्का सा खून सा आ गया था. अब वो गुस्सा हो गईं और उठ कर जाने लगी पर गांड की चोट के कारण वो लड़खड़ा गयी और फिर से बैठ गयी.
फिर मैंने उन्हें समझाया कि यह मैंने जान – बूझकर नहीं किया है. यह जो भी कुछ हुआ है यह धोखे से हुआ है और फिर मैंने उनकी गांड पर वैसलीन लगायी. जिससे वो फिर से गरम हो गयी और फिर हमने एक राउंड और चुदाई की.
भाभी मेरी इस चुदाई से बहुत खुश थी और मैं भी बहुत खुश था. फिर भाभी ने मुझे उस दिन से अपना पति मान लिया और खुद मेरी बीबी बन गईं. अब हमें जब भी मौका मिलता है हम चुदाई कर ही लेते हैं. कभी वो मेई घर आ जाती हैं और कभी मैं उनके घर पहुंच जाता हूँ.
तो दोस्तों आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? आप मुझे मेल करके बताना न भूलें. मेरी ईमेल आईडी – [email protected]