मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं. वह बहुत खूबसूरत थीं. मैं उन्हें चोदना चाहता था लेकिन डरता था. एक बार मुझे उनके साथ सोने का मौका मिला. फिर किसतरह मैंने उनकी चुदाई की ये इस कहानी में पढ़िए…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम आशीष है और मैं लखनऊ का रहने वाला हूं. मैं अंतरवासना का नियमित पाठक हूं और पिछले कई सालों से यहां प्रकाशित कहानियों को पढ़ रहा हूं. यहां की ढेर सारी कहानियां पढ़ने के बाद मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी कहानी आप सब के साथ शेयर करूं. दोस्तों, यह एक सच्ची कहानी है, जिसमें मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने अपने पड़ोस की आंटी को चोद कर उन्हें काम सुख दिया.
कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आप लोगों को अपने बारे में बता देना चाहता हूं. मेरी उम्र 21 साल है और अपने बॉडी की बात करूं तो बिलकुल फ़िट हूं. मेरे लंड का साइज़ 6 इंच है.
अब सीधा अपनी कहानी पर आता हूं. हमारे पड़ोस में एक अंकल-आंटी रहते थे, जिनके दो बच्चे थे और दोनों ही पढ़ाई के लिए बाहर रहते थे. आंटी के बारे में आपको क्या ही बताऊं!वो बहुत ही सेक्सी थीं. उनको देख किसी का भी लंड खड़ा हो जाता था. उनके फ़िगर का साइज 34 32 34 था.
बात करीब तीन महीना पहले की है. अंकल को किसी जरूरी काम से बैंगलोर जाना था तो अंकल ने मेरे घर आकर मेरी मां से बोला कि आप आशीष को हमारे यहां रात में सोने की लिए भेज दीजियेगा तो मेरी मां ने उन्हें हां कर दिया.
फिर अगली सुबह अंकल चले गये. उस दिन जब शाम में आंटी मुझे मिलीं तो बोलीं कि बेटा आराम से 10 बजे तक आ जाना. मैं भी आंटी को बहुत पसंद करता था इसलिए मैं भी उनके घर जाने के लिए बहुत उत्सुक था. फिर जैसे ही 10 बजे मैं खा – पीकर उनके घर पहुंच गया.
उन्होंने मुझे आगे वाले कमरे में सोने को बोला तो मैं भी वहां जाकर आराम से सो गया. रात में 1 बजे के क़रीब मेरी नींद खुली. मुझे प्यास लगी थी इसलिए मैं पानी पीने गया तो मैंने देखा कि आंटी के कमरे का दरवाज़ा खुला था और छोटी वाली लाइट भी जल रही थी. यह देख कर मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ गया और साइड से देखा तो पाया कि आंटी अपना सलवार नीचे करके अपनी चूत में उंगली डाल रही हैं और साथ ही मोबाइल में कोई वीडियो भी देख रही हैं.
यह देख मैं समझ गया कि वो पोर्न देख रही हैं और उनसे कंट्रोल नहीं हो रहा तो उंगली कर रही हैं. ये सब देख मेरा लंड भी खड़ा होकर लोअर से बाहर आने को बेताब होने लगा. फिर मैं बाथरूम गया और वहां जाकर उनके नाम की मुठ मारी और वापस आकर सो गया.
फिर अगली सुबह मैं अपने घर आ गया. चूंकि अंकल एक हफ्ते के लिए गये थे तो अभी उनके आने में समय था. इसलिए मैं बहुत खुद था. मुझे लग रहा था कि शायद मुझे आंटी की हवस शांत करने का मौक़ा मिल जाए.
उसी रात मैं फिर उनके घर सोने गया. तब उन्होंने मुझसे कहा कि तुम मेरे साथ पीछे वाले कमरे में ही सो जाओ क्योंकि मुझे अकेले सोने की आदत नहीं है और डर भी लगता है. मैंने जैसे ही उनके मुभ ये बातें सुनी, मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं आंटी को चोदने की सोचने लगा.
तभी आंटी ने मेरी तरफ देखा और बोलीं कि क्या सोच रहे हो? लेकिन मैंने उनकी बातों को नज़रंदाज़ कर दिया और बिना जवाब दिये उनके कमरे की तरफ चल पड़ा. वहां पहुंच कर मैं बेड से सटे सोफा पर लेट गया. यह देख उन्होंने मुझसे कहा कि वहां मत लेटो आराम से बेड पर ही सो जाओ.
यह सुन कर मैं मन ही मन खुश तो बहुत हुआ लेकिन दिखाने के लिये कहा कि नहीं मैं यहां ठीक हूं. फिर वो बोलीं कि आ जाओ कोई दिक्कत नहीं है तो मैं बेड पर लेट गया और वो भी आकर मेरे बगल में लेट गयीं. फिर हम ऐसे ही इधर – उधर की बातें करने लगे. थोड़ी देर बाद वो दीवार की तरफ सर करके सो गयीं.
उनकी गांड जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद थी वो मेरी तरफ थी, जिसे देख उनको तुरंत चोदने का मन कर रहा था लेकिन मैंने अपने आप को कंट्रोल किया और सोने की कोशिश करने लगा. लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी. इसलिए मैं बस ऐसे ही लेटा था.
तभी मैंने देखा कि आंटी की मैक्सी ऊपर उठ कर उनके घुटनों के पास आ गयी है, जिससे उनके गोरे – गोरे पैर दूध जैसे झलक रहे हैं. यह देख मैं हिम्मत कर उनके पैरों के पास गया और उनको छूने लगा.
फिर धीरे – धीरे ऊपर बढ़ते हुये मैं उनके चूतड तक पहुंच गया और उस पर हाथ फेरने लगा. दोस्तों, उनके चूतड़ काफ़ी बड़े थे और मैं अपने आप को रोक नही पा रहा था. मेरा मन बस यही कर रहा था कि उनकी मैक्सी ऊपर करके तुरंत उनको पेल दूं, मगर डर के कारण मैंने कुछ नहीं किया.
3-4 दिन तक मैं ऐसे ही उनके चूतड़ों को सहलाता रहा. फिर एक दिन आंटी ने बहुत ही सेक्सी मैक्सी पहन रखी थी और इसमें वो बहुत हॉट लग रही थी. नीचे झुकने पर उनके मम्मे साफ़ झलक रहे थे. यह देख मैंने सोच लिया था कि कैसे भी हो लेकिन आज इनको चोद के ही रहूंगा.
फिर हम सोने चले गये. जब मैंने देखा कि वे सो गयी हैं तो रोज की तरह ही उस दिन भी मैं उनके चूतड़ों को दबाने लगा. दोस्तों, उस दिन उन्होंने अपनी मैक्सी के ऊपर के बटन बंद नहीं किया था. इसलिए फिर धीरे – धीरे मैंने मैक्सी के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उनके मम्मों को दबाने लगा. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
इसी बीच पता नहीं कब उनकी नींद खुल गयी और उन्होंने मुझे ये सब करते हुए देख लिया. उन्हें जागा देख मैं काफ़ी डर गया. मुझे लगा कि अगर आंटी ने ये बात अंकल को बता दिया तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी. इसलिए मैं तुरंत उनको सॉरी बोलने लगा और कहने लगा कि आंटी मुझे माफ़ कर दो, गलती हो गयी अब ऐसा नहीं करूंगा, प्लीज़ आप अंकल को मत बताना.
मेरी बात सुन कर आंटी बोलीं, “डर क्यों रहे हो बेटा, आज तक नहीं डरे तो अब क्यों?” ये बात उनके मुंह से सुन कर मैं बिलकुल दंग रह गया. फिर थोड़ा रुक कर वो बोलीं कि डरो मत मुझे तो बहुत मज़ा आता है, तुम्हारे अंकल तो मुझे ख़ुश कर ही नहीं पाते हैं.
उनकी ये बातें सुन मैंने उनको पकड़ा और उनके होंठ पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें किस करने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैं उनके चूचों को भी ख़ूब मसल रहा था.
अब आंटी बिलकुल गर्म हो चुकी थीं और उनके मुंह से ‘आह आह उई और दबाओ, चोद दो मुझे, चोदो’ की आवाज़ें आ रही थीं, जो पूरे कमरे में गूंज रही थीं. फिर मैंने फटाफट आंटी की मैक्सी को निकाल दिया. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी. अब वो मेरे सामने सिर्फ़ लाल रंग की पैंटी में थीं.
यह देख मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं उनकी चूचियों को दबाने और चूसने लगा. लगभग 10 मिनट तक मैंने चूचियों को दबाया और उन्हें चूसा. उसके बाद मैंने उनकी पैंटी निकाल फेंकी. उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं थे, बिलकुल दूध जैसी गोरी चूत थी.
यह देख मुझसे रहा न गया और मैंने अपनी जीभ उनके चूत पर रख दी और उन्हें चूसने लगा. वो इतनी गर्म हो गयी थीं कि मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थीं और बोल रही थीं, “चूसो इसे, पी जाओ मेरा सारा रस, आज रात मैं तुम्हारी हूं, सिर्फ तुम्हारी”.
उनकी ये सब बातें मेरे जोश को और बढ़ा रही थीं. फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े खोले और अपने लौडे को उनके मुंह में देने लगा. फिर जैसे ही उनकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी वो चौंक गईं और कहने लगीं, “इतना बड़ा है तुम्हारा, ये तो मेरी चूत ही फाड़ देगा’. फिर उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगीं. उन्होंने क़रीब 10 मिनट तक मेरे लंड को चूसा. अब उनसे बिलकुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था तो वो बोलने लगी कि अब और ना तड़पाओ मुझे, जल्दी से बुझा दो मेरी प्यास.
उनकी बात सुन कर मैंने बिलकुल भी देर ना करते हुए उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया. जैसे ही मैंने अपना लंड अन्दर डाला वो चीख़ कर चिल्लाई क्योंकि वो बहुत दिनों से चुदी नहीं थीं. उनकी चीख सुन कर मैं कुछ देर के लिये रुक गया.
फिर जब उन्हें आराम लगा तो वो मेरा पूरा साथ देने लगीं. अब वह गांड हिला – हिला कर चुद रही थीं. इसी बीच वो एक बार झड़ भी चुकी थीं. अब मैं भी आने वाला था तो मैंने चूत से लंड निकाल कर उनके मुंह में दे दिया और सारा माल पिचकारी के तरह उनके मुंह में निकाल दिया.
फिर उन्होंने मेरे लंड को चूस – चूस कर साफ़ कर दिया. फिर हम बाथरूम गये और वहां जाकर हमने सब साफ़ किया और वापस आकर सोने लगे. फिर सुबह जब मैं अपने घर जाने लगा तो आंटी ने मुझे थैंक्स बोला और एक ज़ोरदार किस देकर कहा कि अब जब भी मेरा मन करेगा मैं तुम्हें ज़रूर याद करूंगी. फिर मैं अपने घर चला आया.
दोस्तों, आज भी जब हमें मौक़ा मिलता हम जी भर के चुदाई करते हैं. बाद में आंटी ने मुझे अपनी एक सहेली की भी चूत दिलाई, लेकिन वो कहानी फिर कभी. मेरी यह कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]
Aachi lagi kahani aashish Bhai kaha rehte ho ye toh comment Mai dala hi nahi plz comment kare
Nice