चुदाई का ग्रुप सीक्रेट सेवन भाग – 3

इससे मोनिका को एक दम बड़ी तेज़ उत्तेजना हुई और वह उठ गयी. फिर जब उसने अभय को उसकी गांड में हाथ घुसाते हुए देखा तो काम वासना से भर उठी. अब उसकी चूत भी गीली होने लगी थी तो उसने अभय का हाथ पकड़ा, चूमा और फिर थोड़ी देर के लिए चूसा भी…

इस कहानी का पिछला भाग – चुदाई का ग्रुप सीक्रेट सेवन भाग – 2

अब आगे…

ऐसे ही चलता रहा. तीन दिनों बाद सभी अपना – अपना सामान ले जाकर गाडी में रख दिए. इसके बाद सब लोग गाड़ी में बैठे और अपनी मंजिल को ओर चल दिए. सभी बड़े खुश थे. तभी एकदम से अभय को एक फ़ोन आया.

जिस नंबर से फ़ोन आया था वह अज्ञात था तो अभय थोड़ा हिचकिचाया और फिर उसने फ़ोन शीथल को पकड़ा दिया. शीतल ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ से उसे एक लड़की की आवाज़ आयी.

फिर लड़की बोली, “हाय, मैं प्रेरणा अग्रवाल बोल रही हूँ. क्या मैं अभय सैनी साब से बात कर सकती हूँ?” इस पर शीथल ने कहा, “पहले ये बताइये कि आप उसे जानती कैसे हैं?”

शीथल के इस सवाल पर उसने कहा कि मैं उसकी दसवी कक्षा की दोस्त हूँ और उसके घर के पास ही रहती थी. चूंकि शीथल स्पीकर पर बात कर रही थी इसलिए उसकी बात सुन कर अभय को याद आया कि एक छोकरी थी तो सही. फिर उसने फटाफट से शीथल से फ़ोन लिया और कहा कि वह अभय बोल रहा है.

फिर उनके बीच करीब दस मिनट तक बात हुई और फिर उन्होंने फ़ोन रख दिया. उनकी बात खत्म होने के बाद जिज्ञा ने अभय से कहा, “लो भाई, तुम्हारे तो मज़े हो गए. तुम सबसे मिलने एक सेक्सी लड़की आ रही है.”

उसकी यह बात सुन कर सभी एकदम से खुश हुए क्योंकि लड़कियां भी बाई-सेक्सुअल थीं. प्रेरणा का नाम सुन के तो मोनिका के मुंह से लार ही टपकने लगी थी. एक अभय ही किसी तरह कम नहीं था अब तो एक और कामुक परी आ रही थी.

खैर, वे लोग कुछ देर तक चलते रहे और फिर धीरे – धीरे सो गए. अभय गाड़ी चला रहा था, तो उसने सबको सोता देख उनके मज़े लेना शुरू कर दिया. फिर उसने चुपचाप ऑटोमेटिक स्पीड की और पीछे जाकर उसने मोनिका की गांड में उंगली कर दी.

इससे मोनिका को एक दम बड़ी तेज़ उत्तेजना हुई और वह उठ गयी. फिर जब उसने अभय को उसकी गांड में हाथ घुसाते हुए देखा तो काम वासना से भर उठी. अब उसकी चूत भी गीली होने लगी थी तो उसने अभय का हाथ पकड़ा, चूमा और फिर थोड़ी देर के लिए चूसा भी.

फिर थोड़ी देर बाद वह अभय को चूमने लगी. कम से कम दोनों ने एक घंटे तक चुम्मा – चाटी की और फिर अभय आगे आ गया. इस चुम्मा – चाटी के बीच में ही अभय ने उसकी चूत में उंगली करके उसका पानी निकाल दिया था और उससे परम उत्तेजना दे दी थी और उसने भी अभय का लन्ड हिला के उसका मुठ निकाल दिया था.

करीब चार घंटे गाड़ी से चलने के बाद अब वे लोग एक बड़े जंगल के बीचों – बीच थे. वहां पर एक लॉज था. उस लॉज में से बूढा सा आदमी निकला और उसने उनसे साइन करके अंदर जाने को कहा. उसने बताया कि प्रेरणा मैडम अंदर बैठी हैं और आपका इंतज़ार कर रही हैं.

वह लॉज काफी बड़ा और डरावना सा था. उसके आसपास खाली मैदान तथा जंगलों की बाड़ियां भी थीं. उसके आसपास देख कर अभय रोमांच से भर गया. जबकि, सारी छमियाँ डर गयीं. मयंक की तो पतलून ही गीली हो गयी थी, जोकि एंड्रू ने मौका देख के चूस ली ताकि किसी को पता ना चले.

इसके बाद आठों लोग लॉज के अंदर घुसे और लिविंग रूम में बैठ गए. प्रेरणा वहीं बैठी थी. प्रेरणा की खूबसूरती के बारे में सबने सुन तो रखा था पर जैसा उन्होंने उसे देखा वैसे की किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी.

वह एक दम छोटे कपड़ों में एक अप्सरा जैसी बैठी थीं. उसकी नंगी जाँघें, सांवला रंग, नंगे हाथ, मोटे स्तन, कामुक विपाटन, खूबसूरत चेहरा और कामोत्तेजक लुक देख कर सबके होश उड़ गए.

करीब तीन – चार मिनट तो सब के सब उसको एकटक घूरते ही रहे. इसके बाद सब वहीं पास में बैठ गए. बैठने के बाद उनके बीच बातचीत शुरू हो गई. अब प्रेरणा अग्रवाल ने अपने बारे में बताना शुरू किया. उसने बताया कि वो एक बनिया की लड़की है. इसलिए उसे व्यापार खड़ा करने और गोरे लौंडों से चुदने में मज़ा आता है.

उसने बताया कि एक बार व्यापार के सिलसिले में वो यहाँ आयी थी. तब उसने इस लॉज और इसके आसपास कुछ अजीब सा महसूस किया था. उसे लगा की यहाँ कुछ तो अजीब चल रहा है. अब उसने अभय से कहा कि इसीलिए जब इस बार मैं यहां आई तो तुम्हें बुला लिया.

फिर उनके बीच कुछ देर और बातचीत हुई. इसके बाद फिर सबने खाना मंगवाया गया. सब ने खाना खाया और फिर ऊपर की ओर चले गए. इस बार शीथल, अभय और प्रेरणा एक ही बिस्तर शेयर करने वाले थे, जबकि दूसरे पर एंड्रू और मयंक एक साथ लिपट के सोने वाले थे. अदिति, जिज्ञा, गंगा और मोनिका एक – दूसरे की बांहों में सिमट कर सोने वाली थीं.

कमरे में घुसते ही अभय ने शीथल को दीवार पर दे मारा और उससे सट गया. वह करीब सात – आठ मिनट तक उसके होंठ चूसता रहा, चेहरा चूमता रहा और गाल चाटता रहा. अभय इतनी ताकत से, पागलों की तरह उससे प्यार जाता रहा था कि उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे महीनों बाद एक खूंखार राक्षस को मांस मिला हो.

खैर, हर आदमी की लिमिट होती है. जब लगातार चुम्मा – चाटी से उनका सांस लेना दूभर हो गया तो वो दोनों कुछ क्षणों के लिए रुक गए. तब अभय ने उसे दीवार के साथ लगा कर लन्ड उनकी चूत में पेल दिया.

करीब आधे घंटे तक उसने शीथल को खूब चोदा और फिर उसको उल्टा करके उसकी गांड में अपना हथियार डाल दिया. उधर शीथल “उह उह आह आह” करती रह गयी और इधर अभय उसे पूरा जंगली बन कर चोदता रहा.

आधे घंटे तक उसकी गांड मारने के बाद अभय दूसरी बार झड़ गया. शीथल थक गई थी और इस चुदाई से इतनी प्रभावित हुई कि अभय से लिपट के सो गयी. उसने कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसे भी कोई उसे चोदेगा.

उधर प्रेरणा बैठी – बैठी अभय और शीथल के प्रेमालिंगन को देख रही थी और उत्तेजित हो रही थी. उन्हें देख कर उसकी कच्छी गीली हो रही थी और तो और वो अपनी चूत में भी उंगली कर रही थी. कई बार वो कामोत्तेजना की चरमावस्था पर पहुंची और झड़ गयी थी.

शीथल को चोदने के बाद अभय और शीथल बिस्तर पर पड़ कर सो गए थे. चूंकि प्रेरणा भी थकी हुई थी, इसलिए लेट गयी और सो गयी. अगले दिन जब सुबह सब उठे तो अच्छा मौसम देख के बाहर निकल पड़े.

बाहर उन लोगों को एक बूढा आदमी दिखाई पड़ा. उसने मौलवी जैसे कपड़े पहन रखे थे. इनकी जीप देख कर उसने हाथ देकर जीप को रोक लिया और बोला, “मेरे बच्चों, सब इधर आओ.”

जब वे सब उसके पास गए तो मौलवी ने एक बड़ा पुराना कागज़ निकाला और कहा, “आज से पैंतालीस वर्ष पहले मुझे ये कागज़ का टुकड़ा दिया गया था. कहा गया था कि कुछ लोग आएंगे, उनमे ज़्यादातर छोकरियां होंगी पर जो मर्द होंगे वो बड़े प्रभावशाली होंगे.” फिर थोड़ा रुक कर उसने कहा कि तुम सबकी शक्लों का मुझे एक सपना भी आया था. मैं वो सपना कभी नहीं भुला पाया.” इतना कह कर उसने उन्हें कागज देते हुए कहा, “यह अपनी अमानत लो और चलते बनो.”

सब बड़े ही चकित हुए और गौर से उस बुड्ढे को देखने लगे. फिर अभय ने आगे बढ़कर वो कागज़ ले लिया. जैसे ही अभय ने उस बुड्ढे से वो कागज लिया वो बुड्ढा वहीं गिर पड़ा और मर गया.

यह देख सब चौंक गए. लड़कियां तो पूरी तरह से हिल गयीं थीं. फिर अभय ने जब आगे बढ़ कर उस बुड्ढे को छुआ तो उसका शरीर मिट्टी बन गया. उसके कपड़ों और मिट्टी को जमा करके गैंग आगे निकल पड़ा.

कुछ दूर जाकर सब एक जगह रुक गए. वहां से उन्हें एक जंगल दिखाई पड़ा और सामने एक बड़ा ही भयावह दरवाज़ा खड़ा था. उस दरवाजे पर लिखा था, “आने वालों, कभी रास्ता मत भूल जाना. अगर थोड़ी सी भी भूल हो, तो हमेशा तिरछी नज़र से रोशनी को देखना”.

सब उसे पढ़ कर यही सोचने लगे की आगे का रास्ता बड़ा ही खतरनाक होने वाला है. इस पर मयंक ने कहा कि ज़रूर यह कोई बचने की तरकीब होगी. जब उसने ये बात जिज्ञा को बताई तो जिज्ञा ने मुस्करा कर उसे शाबाशी दी. यह देख कर उसने जिज्ञा को होंठों पर चूम लिया. गनीमत थी कि गंगा वहां से कुछ दूरी पर चल रही थी. इसलिए इस पर कोई हादसा नहीं हुआ.

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