देवर से चुद गई- भाग 1

वो मेरे सामने ही बैठा था और उसकी नज़र मुझ पर ही थी. कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ पेटीकोट में डाला और अपनी चूत को खुजाने लगी. जिस वजह से मेरा पेटीकोट थोड़ा और ऊपर खिसक गया…

नमस्कार दोस्तों! मैं आपका पुरू एक बार फिर अपनी कहाँनी लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ. मेरी पिछली कहानी में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने अपनी सलहज को चोदा. एक बार बातों के दौरान मेरी सलहज ने मुझे बताया कि कैसे उन्होंने अपने देवर से चुदवाया था. उनकी कहानी मैं उन्हीं के शब्दों में आपके सामने रख रहा हूँ.

मैं गाँव की एक सीधी- साधी लड़की हूँ. 19 साल की उम्र में मेरी शादी दूर के एक गाँव में कर दी गई थी. मेरे ससुराल में मेरे पति, उनका छोटा भाई और मेरे ससुर बस तीन लोग ही थे. शादी के कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि मेरे पति एक नंबर के शराबी हैं. मेरे घर में बस दो ही कमरे थे और साथ में एक रसोईघर भी था. ससुर जी घर के बाहर ही सोते थे. मेरा देवर की उम्र 20 साल थी और वो हमारे बगल के कमरे में सोता था.

घर में बाथरूम न होने की वजह से सभी लोग बाहर आँगन में ही नहाते थे. अपने देवर को सुबह मैं ही जगाती थी. मैंने कई बार उसकी लुंगी में तम्बू बना हुआ उसका लण्ड देखा था. मैं उससे खुल कर मजाक करती थी और वो भी मुझसे हमेशा मजे लेता रहता था.

मैं भी आंगन में ही नहाती थी तो जब भी मैं नहाने के लिए जाती थी, वो छुपकर मुझे देखता रहता था. ये बात मुझे पता थी. चूंकि मैं हमेशा पेटीकोट को अपने सीने पर बांधकर नहाती थी और नहाते हुए भीग जाने के बाद पेटीकोट मेरे बदन से चिपक जाता था और मेरे बड़े- बड़े नितम्भ और उनका मनमोहक कटाव एक दम साफ नजर आने लगता था. ये दृश्य उसके लिए बहुत ही उत्तेजक होता था. मुझे इस तरह देख कर वो रोज ही मुठ मारा करता था.

क्योंकि मेरे पति रात को हमेशा नशे में ही आते थे और आते ही मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल देते और मुझे जल्दी- जल्दी चोद कर तुरंत ही अपना माल गिरा देते और सो जाते. मैं रात भर तड़पती रहती थी.

इस कारण अब मैं अपने देवर को पटाने के बारे में सोचने लगी. अब मैं जब भी उसको जगाने जाती तो केवल पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही जाती थी. और अब पति के जाने के बाद मैं घर में भी दिन भर पेटीकोट और ब्लाउज में ही रहने लगी थी.

एक बार मेरे पति और मेरे ससुर एक रिश्तेदारी में 10 दिन के लिए चले गए. घर में अब केवल मैं और मेरा देवर ही थे. अगली सुबह जब मैं अपने देवर को जगाने गयी, तो मैंने जानबूझकर अपने ब्लाउज के ऊपर के चारों हुकों को खोल लिया था. जब वह जागा तो उसको जागते ही मेरे 36 इंची चूचों का पूरा दर्शन हो गया. वो आँखें फाड़े मेरे चूचे ही देखता रह गया और उसका लण्ड खड़ा होकर पजामे में तम्बू बन गया.

मैंने हँसते हुए उससे कहा- छोटे, अच्छे हैं?

वो बोला- हाँ भाभी, बहुत अच्छे हैं.

मैंने पूछा- क्या?

मेरे इतना पूछने पर वह झेंप गया और फिर मैं हँसते हुए उससे बोली- अच्छा चल, हाँथ- मुह धो ले. मैं तेरे लिए चाय बनाती हूँ. इतना कहकर मैं रसोई में चली गयी. फिर चाय बनाकर मैंने उसको दे दिया और उसके सामने ही पैर मोड़कर इस तरह से बैठ गयी कि मेरी चूत उसको साफ- साफ नजर आ सके.

वो मेरे सामने ही बैठा था और उसकी नज़र मुझ पर ही थी. कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ पेटीकोट में डाला और अपनी चूत को खुजाने लगी. जिस वजह से मेरा पेटीकोट थोड़ा और ऊपर खिसक गया. अब उसे मेरी चूत अच्छे से दिखने लगी थी और उसका लौड़ा भी पूरा तन कर खड़ा हो गया था.

जिसे देख कर मैंने उसकी तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुरा दिया तो वो शर्मा कर अंदर चला गया. मैंने घर के बाक़ी के काम निपटाए और छोटे से कहा कि छोटे मैं थोड़ी देर में नहाकर आती हूँ. फिर मैंने आँगन में पानी रखा और कपड़े उतारकर पेटीकोट को सीने से बांध लिया (ढीला) और नहाने बैठ गयी. मैंने अपने ऊपर पानी डाला और फिर ब्लाउज को आगे से खोल कर अपनी चूचियों को मलने लगी. आज मैं इस तरह बैठी थी की छोटे को मेरी पूरी चूचियाँ आराम से दिखाई पड़ें.

फिर मैंने अपने पैरों को खोल दिया और अपनी चूत पर बाल हटाने वाली क्रीम लगाने लगी और फिर कुछ देर बाद उसको धोकर साफ़ कर दिया. अब मेरी चूत एकदम साफ़ हो गई थी. फिर मैंने अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और नहाने लगी. नहाने के बाद मैं कपडा बदलने के लिये जैसे ही खड़ी हुई तो पेटीकोट ढ़ीला होने के कारण नीचे सरक गया और अब मैं अपने आंगन में पूरी नंगी खड़ी थी. मैंने तुरंत ही तौलिया उठाया और अपने नंगे बदन को पोछने लगी. इसके बाद मैंने फिर से पेटीकोट पहना और अपने कमरे में आ गई.

कुछ देर बाद मैंने छोटे को बुलाया और उससे कहा- छोटे, जरा मेरे बदन पर तेल की मालिश कर दे, बहुत दर्द कर रहा है. वो झट से गया और रसोई से तेल ले कर आ गया. मैं अपने बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और अपने पेटीकोट को ऊपर से खोल कर कमर तक खिसका दिया. छोटे ने अपने हाथों में तेल निकाला और फिर मेरी पीठ की मालिश करना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद मैं उससे बोली जरा नीचे तक करो. तो वो मेरी कमर तक मालिश करने लगा.

फिर मैंने उससे और नीचे तक मालिश करने को कहा. अब उसके हाथ मेरे चूतड़ों तक मालिश करने लगे. उसके हाथों का स्पर्श पाकर जब मैं अपने आप को रोक न पाई तो नीचे से मेरी चूत बहने लगी. वो अब जोर- जोर से मेरे चूतड़ों को दबाने लगा था. उसके हांथ अब मेरी गाण्ड पर आने लगे थे.

तभी वो अचानक से बोल पड़ा- भाभी, आपकी गांड बड़ी सुन्दर है.

मैंने कहा- अच्छा! तूने किसी की गाण्ड देखी है क्या?

तो वह बोला- नहीं किसी और की तो नहीं देखी है पर आपकी बहुत सुन्दर है.

मैंने कहा- चल अच्छा अब ठीक से दबा- दबा कर मालिश कर. अब तो वह मेरी गांड के छेद तक पहुंच गया और मेरी गांड़ के छेद पर अपनी अंगुली लगाने लगा. मैं उससे बोली- छोटे, पेटीकोट को खींच कर उतार दे वरना खराब हो जाएगा. मेरा इतना कहना था कि उसने तुरन्त ही खींचकर मेरा पेटीकोट उतार दिया. अब मैं छोटे के सामने बिलकुल नग्न अवस्था में उल्टा लेती थी.

कुछ देर रुकने के बाद अब मैंने अपनी टांगे खोल दी थी और वो मेरे दोनो टांगों के बीच में बैठा हुआ था और उसकी नजर सीधा मेरी खुली हुई चूत पर पड़ रही थी. वह ललचाई नजरों से मेरी चूत को देक्ज रहा था पर कर कुछ नहीं पा रहा था. उसके हाँथ अब मेरे भरे हुए चूतड़ और मेरी गाण्ड की गोलाइयों पर घूमते हुए मेरी जांघ पर आ रहे थे. क्या बताऊँ दोस्तों मुझे कितना मज़ा आ रहा था? उधर वो तड़प रहा था और मेरी मालिश कर रहा था और इधर मैं उसके द्वारा मेरी गांड़ औऱ कमर की मालिश करने की वजह से मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गई थी.

बाकी कहानी अगले भाग में

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी- [email protected] है.

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