जब मैं कॉलेज पढ़ाई के लिए गया तो उस टाइम मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. वहां कॉलेज में मेरे साथ मेरे दोस्त की बहन भी पढ़ती थी. एक दिन मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार किया तो उसने स्वीकार कर लिया. फिर हम किस – किस मोड़ से गुजरे ये जानने के लिए कहानी पढ़िए…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जय है और मैं गुजरात का रहने वाला हूं. अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली स्टोरी है तो अगर लिखने में थोड़ी – बहुत गलती हो जाए तो माफ़ कर देना. ये मेरे पहले सेक्स की कहानी है. जिसमें मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपने दोस्त की बहन को चोदा. मेरी इस कहानी को पढ़ने वाली प्यारी भाभियों और लड़कियों आप सब अपनी – अपनी चूत को संभालो क्योंकि इसे पढ़ कर आपकी चूत गीली होना पक्का है.
ऐसी बातों में टाइम गंवाने से बेहतर है कि मैं कहानी की नायिका के बारे में ही कुछ बता दूं. मेरे दोस्त की बहन का नाम स्वीटी (बदला हुआ) है. वो देखने में थोड़ी मोटी है पर बहुत प्यारी है. उसके बूब्स का साइज 34 है और गांड के बारे में तो कहना ही क्या! बड़ी मस्त गांड है उसकी.
अब मैं अपनी स्टोरी पर आता हूं. बात 8 साल पहले की है, जब मैं कॉलेज में आया था. वह भी वहीं मेरे कॉलेज में ही पढ़ती थी. कॉलेज में दूसरे लड़कों – लड़कियों को साथ देख कर मेरा भी मन गर्लफ्रेंड बनाने का करने लगा. लेकिन मेरी किसी लड़की से ज्यादा पहचान थी नहीं. चूंकि अपने दोस्त की वजह से मैं अक्सर स्वीटी के घर जाता रहता था तो उससे मेरी पहचान हो गई थी.
फिर एक कॉलेज में ही मैंने उसको प्रपोज कर दिया और उसने भी प्रेम निवेदन स्वीकार कर लिया. अब क्या था. अब हमारे बीच बातें होने लगीं. चूंकि उस टाइम मोबाइल फ़ोन आ गए थे तो हम फ़ोन पर भी बात करने लगे.
करीब 20 दिन तक बातचीत करने के बाद हमने एक रात मिलने का निश्चय किया. दोस्तों, उसका घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था तो उस रात 11 बजे मैं उससे मिलने, उसके घर की खिड़की पर पहुंच गया.
वह खिड़की खोल कर मेरा इंतज़ार कर रही थी. हमने काफी देर तक बातें की. फिर उस दिन हमने पहली बार किया. मुझे इतना मज़ा आया दोस्तों कि मैं बता नहीं सकता. उसकी किस करने की अदा का मैं फैन हो गया.
अब हम रोज रात को मिलने लगे. जिस दिन न मिलते उस दिन हमें चैन ही नहीं आता था. ये हमारी कमजोरी बन गई थी. जब भी हम मिलते वो अपने घर में खिड़की पर होती और मैं बाहर. कुछ दिन तो सिर्फ चुम्मा – चाटी चलती रही. फिर धीरे – धीरे हम आगे बढ़ने लगे और अब मैं खिड़की से अपना हाथ अंदर करके उसके बूब्स भी दबाने लगा था. हमें बहुत मज़ा आता था.
ये सिलसिला करीब 1 साल तक चलता रहा. फिर हमारी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो गई और धीरे – धीरे हमारी बातें भी बंद हो गईं. अब मैं शहर में जॉब करने लगा और उसी में बिजी हो गया.
करीब 1 साल बाद अचानक मेरे पास उसका कॉल आया और हमारी बातें फिर से होने लगीं. चूंकि हम पिछली बार ही काफी खुल चुके थे और हमारे बीच छुपाने के लिए कुछ नहीं था सो हम फोन सेक्स करके मज़े लेने लगे. एक दिन उसने मुझे फ़ोन किया और बोली – कैसे हो जानू?
मैं – बढ़िया हूं. तू कैसी है?
स्वीटी – तेरी याद बहुत आती है. अब कब आएगा गांव?
मैं – जल्द आऊंगा स्वीटी मेरी जान. और इस बार आने के बाद मैं तेरे साथ वो सब कुछ करूंगा जो अभी तक हमने नहीं किया.
स्वीटी – कैसे करेंगे जानू? घर में सब लोग होते हैं तो मौका ही नहीं मिल पायेगा! मैं भी तो कब से चाहती हूं कि तू मेरे साथ सब कुछ करे.
मैं – ओह्ह मेरी जान स्वीटी! तेरी इतनी सेक्सी बातें सुब कर ही मेरा खड़ा हो गया.
स्वीटी – क्या कर हो आप अभी?
मैं – अपने खड़े लंड पर हाथ फिरा रहा हूं और तुम?
स्वीटी – मैं भी तो अपनी चूत को हाथ से सहला रही हूं जानू.
मैं – मुंह में लंड ले ना मेरा मेरी जान.
स्वीटी – हां जान ले रही हूं. आह ओह्ह ओह्ह हां बड़ा मज़ा आ रहा है. तुम्हारा लंड चूसने में मुझे बहुत मज़ा आता है जानू. हां जानू ऐसे ही मुंह में धीरे – धीरे धक्के लगाते रहो.
मैं – आह मेरी जान स्वीटी! सच में तू कितनी स्वीट है! कितना मज़ा आ रहा है मुझे मैं बता नहीं सकता.
स्वीटी – जय, तू भी तो चूस न मेरी चूत.
मैं – आह, हां जान तेरी चूत तो एक दम रसीली और टाइट है. बहुत मज़ा आ रहा है.
स्वीटी – तो तू आकर चोद दे न और ढीली कर मेरी चूत को. अब मुझसे रहा नहीं जाता. डाल दे अपना लम्बा लंड मेरी अनछुई चूत में.
मैं – हां जानू, फैला अपनी टांगें तो मैं एक ही झटके में पूरा लंड तेरी चूत में पेल दूं.
स्वीटी – मैं चौड़ी कर रही हूं अपनी चूत. अब बस तू डाल दे सीधा अंदर.
मैं – और ये गया मेरा लम्बा लंड तेरी चूत में. ले और ले. बच्चेदानी से टकरा रहा है न मेरा लंड. बता और कितना अंदर करूं?
इतना कह कर मैंने अपने लंड की मुठ मारने लगा. दूसरी तरफ स्वीटी ने अपनी चूत में उंगली डाल ली और अंदर – बाहर करने लगी. फिर बोली – हां जानू ऐसे ही करते रहो, बहुत मज़ा आ रहा है. आह आह हां बस थोड़ा और तेज, और तेज…
करीब 5 मिनट तक हस्त मैथुन करने के स्वीटी जोर से सिसकारी लेने लगी और अगले ही पल उसका पानी छूट गया. वह बोली – आह जानू मैं तो गई. अब मेरी भी छूटने वाला था तो मैंने कहा – बस अब मैं भी आने वाला हूं, बता कहां निकलूं?
स्वीटी – आह जानू, ऐसा करो आज तो तुम मेरे अंदर ही निकाल दो. आगे जो होगा देखा जाएगा. मैं आई – पिल ले लूंगी.
फिर मैंने ‘आह आह ले आज मैं अपने वीर्य से तेरी चूत को भर ही देता हूं’ कहते हुए झड़ गया. मेरे लंड ने जोर की पिचकारी मारी. कुछ माल बाहर फर्श पर गिरा और मेरे हाथ में. फिर स्वीटी बोली – आज तो मज़ा आ गया जानू. उम्मा. आई लव यू. जवाब में मैंने भी लव यू कहा. तब वह बोली – कब आओगे? आओ न जल्दी. मैंने कहा – हां जान, जल्दी ही आता हूं.
अब ये हमारा रोज का सिलसिला बन गया. हम रोज फ़ोन पर बातें करते और फिर धीरे – धीरे हमारी बातें फ़ोन सेक्स की ओर मुड़ जातीं. हमें मज़ा तो आ रहा था लेकिन ये सिर्फ काल्पनिक सुख था. असली सुख का हमें इंतज़ार था. वो किस तरह हमें हासिल हुआ? ये मैं आप सबको कहानी के अगले भाग में बताऊंगा. तब तक के लिए नमस्कार! और हां कहानी कैसी लगी? मेल करके बताना मत भूलना. मेरी मेल आईडी – [email protected]
इस कहानी का अगला भाग – दोस्त की बहन से प्यार, फोन सेक्स और चुदाई भाग – 2