एक विधवा औरत

उसने अपनी चूत के अंदर एक लाल रबर का डिल्डो लिया हुआ था. जिसे वह अपनी दो ऊँगली से चूत के अंदर बहार कर रही थी. मेरा लंड वही खड़ा हो गया, वैसे भी लंड को चूत की खुराक मिले काफी दिन हो गए थे……..

सन 2013 की बात है. तब मैं पुणे मैं नया- नया कॉलेज की पढ़ाई के लिए आया था. पुणे स्टेशन के करीब ही कुछ दिन एक सस्ते होटल में दिन गुजारने के बाद मैंने होटल के ही एक वेटर की मदद से एक किराये का कमरा ले लिया. यह मकान एक विधवा औरत का था. जिसका नाम सुषमा था. मेरी कहानी सुषमा की चूत में लंड देने की ही है.

सुषमा वैसे तो ठीक थी. लेकिन किराया वसूलने ने में वह बहुत अकडू थी. महिना ख़तम होते ही वह रूम में आ जाती थी. उसकी दो बेटियाँ थी. सुमन और नेहा. सुमन कुछ 14 की थी और नेहा केवल 11 की थी.

सुषमा भी भरी जवानी में ही विधवा हो गई थी. उसकी उम्र मुश्किल से 35 की होगी. वह गोरी और भरी हुई काया की मालिकिन थी. मैं उसके लिए दिल में कोई बुरा ख़याल नहीं रखता था. लेकिन एक दोपहर जो हुआ वह मेरे लंड को उठाने के लिए काफी था.

हॉलिडे होने की वजह से मेरी छुट्टी थी. इसलिए मै दोपहर के करीब 1 बजे तक सोया हुआ था. आज मैंने 3 से 6 के शो में मूवी देखने जाने का इरादा बनाया था. मैं उठा और टॉयलेट में गया. तभी मुझे टॉयलेट से सटे दूसरे बाथरूम से आह… आह.. ओह ओह आह…ऐसी आवाजे आ रही थी.

सुषमा के घर में बाथरूम और टॉयलेट के बीच एक इंट का छेद बना था. जिसे इन लोगों ने मोटे कागज से ढँका हुआ था लेकिन अगर कागज को थोडा सरकाया जाए तो झाँका जरुर जा सकता था. मैंने उत्सुकतावश कागज थोडा खोला और अंदर देखा की सुषमा बाथरूम में खड़ी हुई थी. उसकी चूत का भाग मेरे सामने था.

उसने अपनी चूत के अंदर एक लाल रबर का डिल्डो लिया हुआ था. जिसे वह अपनी दो ऊँगली से चूत के अंदर बहार कर रही थी. मेरा लंड वही खड़ा हो गया, वैसे भी लंड को चूत की खुराक मिले काफी दिन हो गए थे. सुषमा को यह हालत में देख मेरे जेहन में उसका सेक्सी बदन अब आँखों के सामने आने लगा, वो बदन जिसे मैं कितने दिनों से नजरअंदाज किए था.

सुषमा मुश्किल से 35 की लगती थी. उसके चूचे भारी और लम्बे काले बाल थे. उसकी आवाज भी मस्त पतली थी, बिलकुल उसकी कमर की तरह. मेरा लंड अब इस विधवा की चूत पाने को बेकरार होने लगा था. मैंने एक बार और अंदर देखा और सुषमा की चूत के अंदर वही डिल्डो की आवाजाही लगी हुई थी. साथ ही में सुषमा आह आह आह करती जा रही थी.

मेरे दिमाग में इस चूत में लंड देने के लिए एक आइडिया आया. मैंने सुषमा को अपनी हाजिरी का अहेसास देने के लिए जोर से खाँसना चालू कर दिया. आह…आह की आवाज अचानक से बंद हो गयी. मुझे पता चल गया की सुषमा समझ गयी की मैं उसे सुन चुका हूँ. मैं टॉयलेट से बाहर  आया और मैं बेसिन के पास खड़े- खड़े ब्रश करने लगा.

तभी सुषमा अपने बदन के उपर टॉवेल लपेट के बाहर आई. उसके मस्त सेक्सी चूचे आधे से ज्यादा दिख रहे थे. मुझे देख के वह शरमा के जा रही थी. आज पहली बार वह मुझे सहमी हुई लगी थी. वरना तो वो हमेशा बिंदास रहती थी. मैं मन ही मन सोच रहा था की यह आज ये लंड ले ले तो बहुत मजा आ जाये. क्यूंकि वह खुद भी आज मस्त गरम थी.

मैं अभी मन में उसे चोदने के रास्ते सोच रहा था तभी चमत्कार हो गया. सुषमा मेरे लिए चाय ले के आई.

उसने मुझे चाय देते हुए कहा- आज आपकी छुट्टी है क्या?…अच्छा हाँ! नेहा लोगों की भी आज छुट्टी है. तो आप की भी होनी ही थी. मुझे पता ही नहीं था की आप घर पे हैं.

मैंने बिना मौका गवाँए कहा- सही कहा! आपको मेरे होने का मालूम नहीं होगा, तभी आप बाथरूम में जोर जोर से चीख रही थीं.  कुछ दुविधा है तो मुझे बता सकती है आप!

सुषमा सन्न रह गई और वो मेरे से नजर नहीं मिला पा रही थी. मैंने फट से चाय ख़तम की और उसे कहा- आइये! मेरे कमरे में बैठते हैं.

सुषमा बोली- मैं बाल सुखा के आती हूँ.

मैंने कहा- रहने दीजिए! आप भीगे बालों में बहुत सेक्सी लग रही है!

सुषमा हंसी दबाने की लाख कोशिश भले कर रही हों मुझे उसके होंठो के कोने में मुस्कान दिख ही गई. रूम में आते ही वो पलंग के उपर बैठ गई. मैं अभी सारा सामान नहीं लाया था. इसलिए बैठने के लिए वैसे भी रूम में और कोई चीज थी नहीं.

मैंने उससे नजरे मिलाते हुए उसे कहा- मैंने आपकी दुविधा वैसे बाथरूम में देख ली हैं. मैं आपका फायदा नहीं उठाना चाहता. लेकिन आपके दर्द को अगर आप चाहे तो बाँट जरुर सकता हूँ.

सुषमा कुछ बोली नहीं और मैं समझ गया की इस ख़ामोशी का मतलब जरुर हाँ ही है. फिर भी मैं एकाद मिनट इस सन्नाटे को झेलता रहा. इधर लंड के बारह नहीं चौदह बजे हुए थे. बड़ी मुश्किल से वह पैन्ट में बैठा था.

सुषमा की आँखे थोड़ी ऊँची हुई. उसने मेरी आँखों से अपनी आँखे मिला दी. उसकी आँखें मानो उस वक़्त मुझे बुला रही थी कि आ जाओ! और अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दो!

मैंने उसके बालो में हाथ फेरा और वह आँखे बन्द करने लगी. वह अभी भी उसी टॉवेल में थी. मैंने उसके मस्त स्तन के उपर हाथ रख दिया और उन्हें दबाने लगा. सुषमा अह.. आह की आवाजें निकालने लगी. मैंने एकाध मिनट तक स्तन को दबाने के बाद उसके बदन पे लिपटे टॉवेल के मोड़ को पकड के खोल दिया.

सुषमा ने इस लम्बे टॉवेल के अंदर ही अपनी जवानी को लपेटा था. अंदर न ब्रा थी ना पेंटी. मेरा लंड तन्ना उठा. सुषमा की चूत मस्त लाल रंग की थी और अभी उसके उपर कोई बाल भी नहीं था. शायद उसने आज ही शेव की थी. मैं नीचे बैठा. उसकी दोनों टांगो के बीच और उसकी एक टांग मैंने उठा के अपने कंधे पर रख दी.

मेरी जीभ तुरंत इस हसीन चूत को छूने लगी. जिसका नमकीन स्वाद मुझे महसूस होने लगा. सुषमा आह- आह कर रही थी और उसकी जीभ उसके गुलाबी होंठो पर घूम रही थी. मैं भी पूरी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल उसे स्वर्गीय अनुभूति करवा रहा था.

सुषमा की चूत तुरंत ही झड़ गई. मैंने जीभ को पूरा उसकी चूत के अंदर घुसाया हुआ था. मैं अंदर उसे इधर उधर फेर रहा था. सुषमा मेरे माथे को अपने हाथ से अपनी चूत पे दबा रही थी. मैंने अपनी पैन्ट की जिप खोली और लंड को खुली हवा में आजाद किया.

मेरा लंड एकदम टाईट हो चुका था और उसे चूत का सहारा चाहिए था. तभी सुषमा के शरीर को झटके लगे और वह मेरा माथा और भी जोरों से चूत पर दबाने लगी. मुझे समझ में आ गया की वह झड चुकी थी.

सुषमा खड़ी हुई और उसने मुझे हाथ पकड के पलंग पर बिठा दिया. अब चूसने की बारी उसकी आई थी. उसने मेरे लंड को टॉवेल से पोंछ के सीधा मुहं में भर लिया. मानो वह कोई कैंडी चूस रही हो, इस तरह टाईट पकड के वो मेरे पूरे लंड को चूसती गई. मेरा लंड दो मिनिट में ही उसके मुहं में वीर्य का एक समुद्र भरने लगा.

सुषमा खड़ी हुई और अपने मुँह में भरा हुआ मेरा वीर्य उसने वही खिड़की से नीचे थूक दिया. मेरी सारी उत्तेजना जैसे की दब गई हो, लंड भी सिकुड़ने लगा था. सुषमा मेरे उपर लेट गई. उसके भीगे हुए ठंडे- ठंडे बदन से मुझे मजा आ रहा था.

दो मिनिट के बाद सुषमा के हाथ मेरे लंड को सहलाने लगे और लंड फिर से तन गया. मैंने अपनी ऊँगली सुषमा की चूत के अंदर कर दी. मैं ऊँगली को तेज चलाके उसका हस्तमैथुन करने लगा. सुषमा लौड़े को और भी तेज चलाने लगी. और थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से अपनी पूरी लम्बाई में आ गया.

सुषमा अब पलंग के अंदर अपनी टाँगे फैला के सो गई. उसकी मस्त मुलायम चूत के गुलाबी होंठ के उपर मैंने लौड़ा रख दिया और फिर धीमे से एक हलका झटका दिया.  एक आह- आह हुई और चूत लंड से भर गई.

सुषमा हिलने लगी और मैं भी उसकी पतली कमर पकड उसे झटके देने लगा. लंड की गर्मी शायद सुषमा को बहुत दिनों के बाद नसीब हुई थी. क्यूंकि वह बहुत रसपूर्वक चुदाई में व्यस्त थी. मैंने उसके स्तन दबाये और साथ ही उसके होंठो को भी चूमना चालू कर दिया.

सुषमा बीच-बीच में अपनी चूत को सिकोड़ लेती थी. जिससे लंड को बहुत मजा आता था. मैंने सुषमा को कुछ 7-8 मिनिट मस्त चोदा और फिर लंड से वीर्य निकलने ही वाला था की मैंने लंड बहार कर दिया. सुषमा अपने स्तन के बीच मेरा लंड रगड़ने लगी और मैं झटके दे के उसके स्तन को चोदने लगा.

वीर्य का फव्वारा स्तन के उपर निकला. इस जबरदस्त चुदाई के बाद सुषमा और मैं साथ में नहाने के लिए चले गए. मैं पुणे तकरीबन एक साल तक रहा. इस दौरान सुषमा से मेरे सबंध बहुत मधुर हो गए थे.

केवल एक बार गर्भ रह गया था तब वो थोड़ी बौखला गई थी. लेकिन मैंने उसे दवाईया ला के दे दी. जिस से वह फिर नार्मल हो गई. मैंने तो इस सेक्सी विधवा को शादी का प्रस्ताव भी दिया लेकिन समाज के डर से वह आगे नहीं आई. लेकिन मैंने अपने लंड से उसकी चूत की भूख शांत कर के कुछ पुन्य जरुर कमा लिया.

[email protected]

 

 

 

5 thoughts on “एक विधवा औरत”

  1. Aapki kahani pad k meri chut me pani aa gya or chudne ka man ho gya .mera bhi man krne lga koe meri chut me bhi land dal k chode

    Reply

Leave a Comment