गांव वाली चाची को रात में चोदा

अगली रात को जब मैं खाना खा चुका तो मैंने चाची को कहा कि खाना खाने के बाद आप टेरेस पर आ जाना. मेरी बात मान कर खाने के बाद वो आ गयी. उसके वहां आते ही मैंने उन्हें पकड़ लिया और किस करने लगा. साथ ही साथ बूब्स भी दबाने लगा…

हेलो दोस्तों, ये कहानी मेरी और मेरी चाची की चुदाई की बिलकुल सच्ची घटना है. आज मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी चाची को पहली बार चोदा था?

मेरी चाची करीब 30 साल की हैं. उनका रंग गोरा है और शरीर भरा हुआ. दोस्तों, वो बहुत ही ज्यादा सेक्सी हैं. जो भी उसे देख ले तो उसका दीवाना हो जाता है. मेरी चाची गाँव में रहती हैं.

अब आप लोगों का वक्त खराब न करते हुए मैं सीधे अपनी सेक्सी कहानी पर आता हूँ. बात कुछ 1 साल पुरानी है जब मेरी कॉलेज की छुट्टी हो गई थी और मैं घर आया हुआ था. घर आए हुए मुझे करीब 6 दिन हो गये थे. फिर एक दिन मैंने गाँव फोन किया तो चाची ने फ़ोन उठाया. मेरी उनसे बातें होती रही.

फिर मैंने उन्हें अपने घर आने को कहा. मैंने उन्हें बताया कि मेरे कॉलेज की छुट्टी है और मैं घर आया हुआ हूँ. मेरे घर आने की बात सुन कर वो बोलीं कि मैं तुमसे मिलने जरूर आउंगी. जिस दिन तेरे चाचा को छुट्टी मिलेगी उसी दिन आऊंगी.

दोस्तों, मेरे चाचा किसान हैं. गाँव में मेरे चाचा, चाची और दो भाई और बहनें हैं. वे दोनों मुझसे काफी छोटे हैं. जब चाची ने आने की बात कही तो मैं तो बहुत खुश हुआ. क्योंकि मुझे अपनी डार्लिंग सेक्सी और हॉट चाची से मिलने का मौका मिलने वाला था.

दोस्तों, शुरुआत में चाची के लिए मेरे मन में कोई बुरे विचार नहीं थे. लेकिन बाद में कभी – कभी उनको चोदने का मन करता था तो मैं सोचने लगता था. मैं सोचता कि कैसे उसे चोदा जाए और मौका न मिलने पर उनके नाम की मूठ मार लेता था.

मैं जब भी गांव जाता तो चुपके से चाची की पैंटी सूंघ के मूठ मारता था. मुझे उसमें बहुत ही ज़्यादा मज़ा आता था.

एक – दो दिन बाद अब चाचा ने टाइम निकाला इसके बाद चाची और दोनों बच्चों के साथ आ गये. जब मुझे पता चला कि चाची आने वाली हैं तो मैंने भी सोच लिया कि इस बार कुछ करके ही रहूँगा. उस दिन मेरा तो मन बस उनको चोदने का करने लगा.

फिर क्या था चाची जैसे ही घर में एंटर हुई तो मैंने उन्हें विश किया और फिर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया. शायद इसलिए क्योंकि मैं बहुत दिनों के बाद उनसे मिला था. उनके बड़े – बड़े बूब्स मेरे सीने से दब रहे थे. इस वजह से मैं सातवें आसमान पर पहुंच गया था और मेरा लौड़ा खड़ा होकर उनकी पूसी को टच करने लगा था.

उस टाइम मेरा मन कर रहा था कि उन्हें वहीं पर लिटा कर चोद दूं. लेकिन नहीं हो सकता था क्योंकि सारे घर वाले वहीं पर खड़े थे. इस वजह से मुझे अपने लंड को शांत करना पड़ा. लेकिन चाची मेरे मनोभावों को थोड़ा – थोड़ा समझ गईं थीं और उन्होंने मेरे साथ उस टाइम आई कॉन्टैक्ट बनाए रखा और अपने नीचे वाले होंठों को बड़े ही मादक अंदाज में दबा लिया. अब मुझे पूरा सिग्नल मिल गया था और सच पूछिए मैं तो था भी इसी के इंतज़ार में.

फिर उस दिन शाम को हुआ ये कि हम सब ने मॉल जाने का प्लान बनाया. मॉल हमारे घर के पास ही था. शाम को जब हम सब तैयार होकर एक गाड़ी बैठ के चलने लगे. इस दौरान मेरी किस्मत तेज थी और मुझे चाची के साथ वाली पीछे की सीट मिल गई. यह देख कर ही मुझे मज़ा आ गया.

फिर हम मॉल की तरफ जाने लगे. रास्ता में तमाम खड्डे थे जिस कारण गाड़ी हिल रही थी. गाड़ी हिलाने पर मैंने मौके का पूरा फायदा उठाने की सोची और कभी चाची के बूब्स को टच करता तो कभी – कभी उनकी चूत को छू देता.

मेरी इस हरकत पर चाची ने एक बार भी ऐतराज नहीं किया. इससे मेरा मन और भी पक्का हो गया. इस कारण मेरा लंड इतना टाइट हो गया था कि जीन्स के ऊपर भी खड़ा दिख रहा था.

अब हम मॉल पहुँच गये थे. शॉपिंग करने के दौरान समान देने के बहाने मैंने बहुत बार चाची का हाथ पकड़ा. लेकिन उन्होंने कहा कुछ नहीं बस नॉटी सी स्माइल दे देती. हमने अपने समान खरीद लिए और फिर घर के लिए निकल पड़े.

जब हम घर पहुँचे तो मम्मी खाना बनने जा रही थी. मैं और चाची एक ही रूम में बैठे थे और बच्चे वहाँ इधर – उधर खेल रहे थे. मैंने अपने पैर से चाची के पांव को छू रहा था और हम एक – दूसरे की तरफ बिना पलकें झपकाए देख रहे थे.

इस दौरान चाची अपने नीचे वाले होंठ को दबा के मुझे लाइन दे रही थी पर वहाँ बच्चे थे. इसलिये और कुछ खास नहीं हो पाया.

रात को खाना खाने के बाद मम्मी और चाची बेड रूम में सो गईं. मैं लॉबी में लेट गया था और वहीं से चाची की गांड को देख रहा था. चाची ने पेंटी नहीं पहनी थी और उनकी सलवार गांड की दरार के बीच में आ रही थी. उन्हें ऐसे देख कर मेरा तो मन मचल गया और मैं चाची की गांड को देखते – देखते अपने अंडर वियर में ही झड़ गया. फिर पता नहीं कब मेरी आंख लग गई और मैं सो गया.

रात को मेरी आँख खुली तो मैंने सोचा कि क्यों कुछ ट्राई किया जाए. यही सोच कर पहले मैं चाची के पास गया और फिर पीछे उनकी गांड को टच किया. लेकिन तभी मेरी नज़र मम्मी पर पड़ी. मैंने देखा कि मम्मी भी हिल रही थी तो मैं वापस आ गया. क्योंकि मेरी मम्मी हल्के से शोर से ही जग जाती हैं.

तभी अचानक मुझे चाची की पैंटी के बारे में याद आया तो मैं उसे खोजने वॉशरूम में गया. लेकिन अफ़सोस मुझे वहाँ कोई पैंटी नहीं मिली. फिर मैंने उनके बैग में चेक किया तो मुझे साइड में रखी उनकी पैंटी दिख गई. जिसे मैंने निकाल लिया और अपने बेड पर जाकर चाची को सोचते हुए उनकी पैंटी में मुठ मार दी और फिर ले जाकर उनके बैग में उसी जगह पर रख दिया. इसके बाद मैं सो गया.

सुबह जब मैं उठा तो देखा कि चाची एक दम नॉर्मल थीं. मेरे प्रति कोई नेगेटिविटी मुझे नहीं दिख रही थी. यह देख कर मैं 100 प्रतिशत श्योर हो गया. इसके बाद फिर जब मैं चाची के पास से जाता तो उनकी गांड़ पर हाथ फेर देता था.

अगली रात को जब मैं खाना खा चुका तो मैंने चाची को कहा कि खाना खाने के बाद आप टेरेस पर आ जाना. मेरी बात मान कर खाने के बाद वो आ गयी. उसके वहां आते ही मैंने उन्हें पकड़ लिया और किस करने लगा. साथ ही साथ बूब्स भी दबाने लगा.

इतने में ही किसी के ऊपर आने की आवाज़ आई और हम अलग हो गये. लेकिन जब कोई नहीं आया तो मैं फिर से चाची पर टूट पड़ा और अंधेरे में ले जाकर जल्दी से उनका ब्लाउज खोल दिया. फिर मैं उनका दूध पीने लगा. अब चाची भी मेरा साथ देने लगी थीं.

दोस्तों, हमारे पास टाइम कम था और कभी भी कोई ऊपर आ सकता था तो हमने जल्दी से अपना काम करने का निश्चय किया. फिर मैंने उन्हें वहीं साइड में लिटाया ऑड उनका पेटिकोट ऊपर किया और पैंटी नीचे खींच कर उनकी चूत पर अपना लन्ड सेट कर दिया और हल्के से धक्का लगा दिया.

मेरे इस धक्के से आधा लन्ड अंदर चला गया. तभी मैंने एक दूसरा धक्का लगाया और पूरा लन्ड उनकी चूत में सरका दिया. इसके बाद मैं जल्दी – जल्दी धक्के लगाने लगा. करीब 5-7 मिनट की चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया. इस दौरान वो भी दो बार झड़ चुकी थीं.

फिर हमने जल्दी से अपने कपड़े पहने और एक – दूसरे को किस करने के बाद नीचे आ गए. अगले दिन सुबह चाची चाचा अपने बच्चों के साथ गांव वापस चले गए.

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