किताब पर न्यूज पेपर का कवर किया हुआ था. अब किताब टेबल पर पड़ी थी. इसी बीच पंखे की स्पीड ज्यादा होने से किताब के कुछ पन्ने पलट गए. जब मेरी नजर उस किताब पर पड़ी तो उसमें मुझे लड़कियों की ली गई नंगी फोटो दिखाई दी. अब मैंने वो किताब उठा ली और देखने लगा. उसमें अंदर के सारी लड़कियों की नंगी फ़ोटो थी. तभी अंदर वाले रूम में कुछ आहट हुई तो जल्दबाजी में मैंने वो किताब गलती से मेरी बैग में डाल दी…
इस कहानी का पिछला भाग –घर का राजा भाग – 5
अभी तक अपने पढ़ा कि मेरी तीनों चाची बच्चे के लिए किसी दूसरे से चुदाई करवाने के लिए तैयार हो गई हैं. अब आगे…
उधर मैं सोने गया और फिर इधर मेरी तीनों चाचियां फिर से आपस में बात करने लगीं. बड़ी चाची बोली – क्या हुआ मीना कुछ काम हुआ?
छोटी चाची – क्या दीदी, अभी एक ही दिन तो हुआ है. ये काम थोड़ा आराम से करना पड़ेगा. जल्दबाजी में गड़बड़ हो सकता है.
यह सुन कर मझली चाची बोलीं – हां मीना, तू एक दम सोच समझ कर फैसला लेना. हमें कोई जल्दी नहीं है.
तभी मुस्कराते हुए बडी चाची बोल पड़ी – थोड़ा अच्छा और हैंडसम देखना.
छोटी चाची – हां हां, मैं सब सोच समझ कर और एक अच्छा प्लान बना कर ही सारा काम करूंगी. आप बिल्कुल चिंता न करें.
तभी बड़ी चाची की ओर देख कर मझली चाची बोली – अरे दीदी ये बताओ अगर इतने सालों के बाद हम माँ बन गईं तो सब को शक तो होगा ही न?
यह सुन कर बाद चाची बोली – अरे हां, ये तो मैंने सोचा ही नहीं.
फिर थोड़ा रुक कर वो छोटी चाची से बोली – मीना, तू ये काम कैसे करेगी?
छोटी चाची – दीदी, वो सब आप लोग मुझ पर छोड़ दो. उसके लिए भी मैं कुछ न कुछ कर लूंगी.
बड़ी चाची – अच्छा अब जो भी करना है कर पर थोड़ा जल्द कर.
यह सुन कर छोटी चाची बोली – जल्दी नहीं दीदी, आराम से करना पड़ेगा.
उन दोनों की बातों के बीच ऊब रही मझली चाची अब बोली – अच्छा चलो अब हम सब सो जाते हैं.
इसके बाद तीनों चाची सोने चली गई. दूसरे दिन सुबह मैं उठा और स्कूल चला गया. कल की ही तरह आज भी स्कूल में कुछ नहीं हुआ. शायद हुआ भी हो पर मुझे कुछ होते हुए नहीं दिखा.
फिर घर आकर दोपहर में मैं मैडम के घर पहुंच गया. आज भी मैडम ने नाइटी पहनी हई थी. फिर हमारी बातें शुरू हो गई. थोड़ी देर बाद मैडम बोली – कुछ पियोगे?
यह सुन कर मैं बोला – हां मैडम, एक कप कॉफ़ी पी लूंगा.
मेरे मुंह से यह सुन कर मैडम बोली – क्या बात है! कल तो तुम कॉफ़ी के लिए मना कर रहे थे और आज खुद मांग रहे हो.
मैंने कहा – मैडम, आपने ही तो कहा था कि पहली बार के बाद एन्जॉय करोगे इसीलिए. वैसे कल मुझे भी अच्छी लगी थी.
अब मैडम बोली – अच्छा ठीक है बैठो, मैं कॉफ़ी बनती हूँ.
अब मैं सोफे पर बैठा था और मैडम के घर को देख रहा था. तभी मेरी नज़र बेड के नीचे रखी एक बुक पड़ी. नज़र पड़ने के बाद मैंने वो किताब उठा ली और उठा कर बिना खोले टेबल पर रख दिया.
किताब पर न्यूज पेपर का कवर किया हुआ था. अब किताब टेबल पर पड़ी थी. इसी बीच पंखे की स्पीड ज्यादा होने से किताब के कुछ पन्ने पलट गए. जब मेरी नजर उस किताब पर पड़ी तो उसमें मुझे लड़कियों की ली गई नंगी फोटो दिखाई दी. अब मैंने वो किताब उठा ली और देखने लगा. उसमें अंदर के सारी लड़कियों की नंगी फ़ोटो थी. तभी अंदर वाले रूम में कुछ आहट हुई तो जल्दबाजी में मैंने वो किताब गलती से मेरी बैग में डाल दी.
अब मैडम कॉफी लेकर आई और फिर थोड़ी देर बाद हमने कॉफी पी ली और बातें करने लगे. मैडम बोली – अवि, तुम्हारा गांव बड़ा अच्छा है.
मैं – हां, मैडम अच्छा तो सच में बहुत है.
मैडम – लेकिन तुम्हारे गांव के लोग थोड़े अजीब हैं.
मैं – अजीब हैं मतलब?
मैडम – जब भी मैं बाहर निकलती हूँ तो लोग मुझे घूर – घूर कर देखते हैं.
यह सुन कर मैं बोला – क्या मैडम, अगर आप इस ड्रेस में बाहर जाओगी तो लोग घूर कर देखेंगे ही न.
मैडम – अरे नहीं, मेरा मतलब है जब भी मैं स्कूल जाती हूँ तब. यानि कि मैं साड़ी में भी होती हूँ तब भी लोग घूर – घूर कर मुझे देखते हैं.
अब मैं बोला – मैडम, आप मेरे इस गांव में सबसे सुंदर हो न इसीलिए सब आप को घूर – घूर के देखते हैं.
अब मैडम बोली – अच्छा एक बात और पूछू.
मैं – हां, पूछिये न मैडम.
मैडम – वो दूकान के पास पीले रंग का घर किसका है?
मैं बोला – मैडम वो घर तो हमारे ही स्कूल की लड़की मोना का है.
मैडम – ये मोना कौन सी क्लास में है?
मैं – 12वीं में है मैडम.
मैडम – मैंने उसके घर में एक लड़का भी देखा था.
अब मैं बोला – मैडम, वो शायद उसका भाई होगा. वो भी 12वीं क्लास में है और 2 साल से फेल हो रहा है. पर मैडम ये आप क्यों पूछ रही हो?
मैडम – अरे ऐसे ही, वो क्या है कि जब भी मैं स्कूल जाती हूँ तो वो भी मुझे देखता रहता है.
मैं – मैडम, वो और उसकी बहन दोनों ही बहुत गंदे हैं.
मैडम – गंदे मतलब?
मैं – गंदे मतलब गंदे. मैडम जाने दो इस बात को, अब मुझे भी जाना होगा काफी देर हो गई है. अब कल मिलते हैं.
मैडम – हां चलो ठीक है, कल जरूर आना खाना और कल मेरे साथ ही खाना. ठीक है न?
मैं – ठीक है मैडम.
घर जाने के बाद मैं सीधे ग्राउंड पर खेलने चला गया. लेकिन काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी आज मोना, उसका भाई और बॉयफ्रेंड आज स्टोर हाउस की ओर नहीं आये.
शायद कल की घटना की वजह से वो आज नहीं आये होंगे. फिर खेलने के बाद मैं घर चला गया और खाना खाने के बाद चाचा के साथ कुछ बातें की और फिर अपने रूम की ओर चला गया. अब रात को होमवर्क करने के लिए जैसे ही मैंने अपनी बैग खोली वैसे ही मुझे एक झटका सा लगा.
मेरी बेग में मैडम के घर की किताब पड़ी मिली. अब मैं वो किताब देखने लगा. उस किताब में अलग – अलग लड़कियों की नंगी फोटो थी. उसमें कुछ बड़ी उम्र की औरतों की भी नंगी फोटो थी. उन फ़ोटो में कुछ फोटो स्तन चूसने, कुछ चूत चाटने की, कुछ लंड चूसने की और कुछ चुदाई की थी.
इन सभी फोटो को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर मैंने एक बार मुठ मारी पर मुझे मालूम नहीं था कि इसे मुठ मारना कहते हैं.
किताब पढ़ते – पढ़ते मेरी नज़र आखिरी पेज पर लिखे कुछ शब्दों पर गई. शायद वो मैडम ने लिखा था. उस पर लिखा था, ‘मेरे पति का लंड 6 इंच लंबा है.’ ये पढ़ कर मेरे भी दिमाग में अपना लंड नापने की सूझी.
फिर मैंने अपने बैग से स्केल निकाली और खड़े लंड के साथ लगा दी. लेकिन मुझे लम्बाई पता नहीं चल रही थी तो फिर मैंने अपनी पैंट और चड्डी निकाल दी और फिर एक बार मैंने स्केल अपने लंड से लगा दी.
अब स्केल पर पेन्सिल से मार्क किया और फिर मैंने स्केल को अपने लंड से हटा दिया और फिर अपनी चड्डी और पैंट पहन ली. अब मैं स्केल के मार्क को देखने लगा. तब मुझे अपने लंड की लंबाई पता चली. तभी अचानक बाहर से चाची की आवाज आई “अवि सो जा, देर हो गई है, कल स्कूल भी जाना है.”
यह सुन कर मैंने स्केल और वो किताब बेड के नीचे रख दी और सो गया. दूसरे दिन सुबह उठने के बाद मैं स्कूल गया. उस दिन भी स्कूल में कुछ ख़ास नहीं हुआ. सिर्फ मुझे होमवर्क न करने की वजह से सजा मिली थी. स्कूल के बाद मैं घर आया और मैंने चाची को कहा कि मैं कम खाना खाऊंगा क्योंकि मुझे मैडम ने खाने पर बुलाया है.
फिर दोपहर को मैं मैडम के घर चला गया. उस दिन मैडम ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी और उस साड़ी में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उस दिन मैडम के चेहरे पर वो तेज नहीं था जो हमेशा रहता था. अब मैडम ने दो थाली में खाना लगाया और एक मुझे दे दी और एक उन्होंने ले ली.
खाना सच में अच्छा था. खाना खाने के बाद मैं सोफे पर बैठ गया. फिर थोड़ी देर बाद मैडम बोली – खाना कैसा था अवि?
मैं – अच्छा था मैडम.
मैडम – एक बात बताओ अवि.
मैं – हां पूछिये.
मैडम – क्या तुम यहां से कोई किताब लेकर गए हो?
यह सुन कर मैं झूठ बोला – नहीं मैडम, मैंने कोई किताब नहीं ली. और अगर मुझे कोई किताब चाहिए तो मैं आप से मांग सकता हूँ.
मैडम – ठीक है, शायद मैंने ही कहीं रख दी होगी.
मैं – कोई ख़ास किताब थी क्या मैडम?
मैडम – नहीं, ऐसी कोई ख़ास तो नहीं थी पर मैं रोज रात को उसे पढ़ती थी.
मैं – कोई स्टोरी बुक थी क्या? अगर हो तो मेरे पास भी कुछ स्टोरी बुक है वो मैं आपको ला देता हूँ.
मैडम – नहीं रहने दो, जब मैं शहर जाऊंगी तब ले लूँगी.
अब मैं मन में सोचने लगा कि कहीं मैडम को पता तो नहीं चल गया कि वो किताब मेरे पास ही है मैं कल ही यहां वो किताब लेकर रख दूंगा. यह सोचते हुए मैं बोला – ठीक है मैडम.
उधर मैडम भी मन ही मन सोच रही थी “मुझे पूरा यकीन है कि किताब आवि के पास ही है. मेरे घर में अवि के अलावा और कोई आता ही नहीं और मैं तो किताब हमेशा बेड के नीचे रखती हूँ इसलिए किसी और के ले जाने का सवाल ही नहीं होता. शायद अवि डर गया होगा इसलिए झूठ बोल रहा रहा है. यही सोचते हुए मैडम बोली – कॉफ़ी पियोगे?
मैं – हां क्यों नहीं.
फिर कॉफी पीने के बाद मैं अपने घर चला आया. उस दिन रास्ते में मैं किताब के बारे में ही सोच रहा था.
इस कहानी का अगला भाग – घर का राजा भाग – 7
तो दोस्तों मेरी इस कहानी को पढ़कर कैसा लगा. आप आप मुझे जरूर मेल करें. मुझे पता है कि आप सब गर्म हो गये हो और अपने लंड को हिलाकर शांत कर रहे हो और मेरी गर्म प्यासी आंटियां, भाभियां और लड़कियां तो मस्त हो रही हैं और अपने चूत में उंगली डाल कर जल्दी – जल्दी चला रही हैं. मेरी मेल आईडी – [email protected]
Bhai is forum par katha premi ji ki sari stories daal dijiye jo abhi rajsharma sex stories par dekhne ko milti hai