मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा था. फिर मैं थोड़ी देर तक उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसके चूचे को दबाता, उसके होंठों को किस करता और काटता और उसके गले पर किस करता रहा. मैं यही सब थोड़ी देर तक करता रहा…
नमस्कार दोस्तों! सेक्सी लड़कियों और रसीली भाभियो को भी मेरे खड़े लंड का प्यार भरा नमस्कार. दोस्तों, मेरा नाम रमन है और मैं इस टाइम दिल्ली में रहता हूँ. मेरी ये कहानी तब की है, जब मैं स्कूल में पढता था. उस समय मैं यूपी में रहता था. उस टाइम मैं फर्स्ट ईयर में था.
तैयरी के लिए मैंने एक कोचिंग जॉइन की और जब वहां गया तो मैंने देखा कि एक लड़की बहुत ध्यान से मुझे देख रही थी. मैंने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया. तभी उस लड़की ने अपनी फ्रेंड से मेरे बारे में पूछा तो उसने बताया की वह मुझको जानती है.
ऐसे की कोचिंग के 10 दिन निकल गये. तब उसकी फ्रेंड ने मेरा नंबर माँगा तो मैंने अपना मोबाइल नंबर दे दिया. कुछ ही देर में उसका फ़ोन आया कि ऋचा बोल रही हूँ. वो बोली कि मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, घर जाकर फ़ोन करूंगी. मैंने भी कह दिया ठीक है.
माफ करना दोस्तों, मैं तो उस लड़की का नाम ही बताना भूल गया. उस लड़की का नाम ऋचा था और वो बहुत ही सेक्सी माल थी. एक दम गोरा चिकना बदन था उसका. क्या बॉडी थी उसकी! 32-22-30 का मस्त फिगर था. बड़े – बड़े चूचे और मस्त गांड. कोई भी लड़का देखे तो उसका लंड खड़ा हो जाता और फिर वहीं पटक कर उसको चोदने का मन करने लगता.
घर जाकर उसने मुझे फ़ोन किया. थोड़ी देर तक उससे बात हुई और फिर उसने बोला कि वो मुझे पसंद करती है और इतना कह कर ही उसने फ़ोन काट दिया. अगले दिन फ़ोन आया तो उसने आई लव यू बोला तो मैंने भी हां कर दिया.
कुछ दिन तक फ़ोन पर ही हमारी बातें होती रही. फिर मिलना तय हुआ. पहली बार में ही उसने हग करने को बोला तो मैंने वहीं पर उसे हग कर दिया. कुछ दिन तक ऐसे ही बातें और मिलना – जुलना सब जारी रहा. इस दौरान बात करते – करते हम सेक्स की बातों तक भी पहुंच गए.
इसके बाद जब भी मिलना होता तो मैं उसके चूचे दबाता लिप किस करता. वो भी लिप किस करती और मेरे पैंट में हाथ डाल कर मेरे लंड को दबाती और मौका मिलने पर चूसती भी थी. अब तो वो रात – रात भर अपनी चूत में उँगली करती. वो अपने छोटे भाई के साथ सोती थी और अपने भाई से ही अपने चूचे चुसवाती और दबवाती थी.
ये बात सबसे बाद में उसने मेरे को बताई. वह पूरी नंगी होकर अपने भाई के साथ लेटी रहती. एक दिन उसने कहा कि कल स्कूल मत जाना मेरी मम्मी मामा के घर जा रही हैं. तुम कल स्कूल का बोल कर मेरे घर आ जाना. मैंने कहा कि ठीक है मैं आ जाऊंगा.
अगले दिन मैं स्कूल न जाकर सीधा उसके घर चला गया. मुझे देखते ही उसने प्यारी सी स्माइल दी और आकर गले लग गई. उसके बड़े – बड़े चूचे मेरे सीने में गड़ से गए थे. हम लोगों के होंठ एक – दूसरे के होंठ से चिपक गए और कपड़े तो केले के छिलके की तरह कब उतर गए पता ही नहीं चला.
अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और मैं अंडरवियर में बचा था. उसके साथ ऐसा पहली बार हो रहा था, जब वह किसी दूसरे आदमी के सामने इतने कम कपड़ों में थी. इसलिए वो शर्मा के ऊपर भाग गई.
मैं भी उसको पकड़ने के लिए ऊपर भागा और पीछे से उसको पकड़ने की कोशिश की तो उसकी ब्रा मेरे हाथ की पकड़ में आ गई. मैंने उसको पकड़ के खींच दिया. जिससे उसकी ब्रा फट गई. फिर उसने अपने हाथों से अपने चूचे छिपा लिए.
अब मैंने उसके हाथ को हटा कर उसके चूचे को मसल दिया. इससे उसके मुंह से सिसकारियां निकल गई. फिर मैं उसके होंठ पर किस करते हुए उसके चूचे को खूब दबाया. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. अब उसकी चूत मेरे मुँह के ऊपर और मेरा लन्ड उसके मुंह में था.
वो मेरे 6 इंच के लंड को पूरा मुँह के अन्दर लिए थी. मेरा लंड उसके गले तक जा रहा था और उसके मुँह से ‘गूं गूं गूं’ की अावाज आ रही थी, लेकिन वो मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे कि दोबारा उसे मिलेगा ही नहीं.
मै भी उसकी चूत पर थपकी मार रहा था और चूसते हुए हल्के से काट भी लेता था. इससे वो सिहर सी जाती और जोर – जोर से आहें भरती हुई ‘आआआह आआआहहह यस आआह’ करने लगती. अब हम दोनों को बर्दास्त करना मुश्किल होने लगा था.
फिर वो मेरे लन्ड को अपनी टपकती चूत में दबाने लगी तो मैंने भी अपने लन्ड का दबाव उसकी चूत पर बनाया. लेकिन मेरा लंन्ड स्लिप हो गया. फिर मैंने उसकी चूत में उंगली ड़ाल दी और जल्दी – जल्दी अंदर – बाहर करने लगा. इससे बहुत ही जल्दी उसका पानी निकल गया.
अब मैंने फिर अपने लन्ड को उसकी चूत में सेट किया और एक झटका देकर अंदर डाल दिया. मेरा लंड मोटा है. उसे काफी दर्द हुआ और इससे उसकी चीख निकल गई. वो ‘माँ माँ माँ, निकालो निकालो इसको’ करके चिल्लाने लगी.
मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा था. फिर मैं थोड़ी देर तक उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसके चूचे को दबाता, उसके होंठों को किस करता और काटता और उसके गले पर किस करता रहा. मैं यही सब थोड़ी देर तक करता रहा.
थोड़ी देर बाद वो नार्मल हो गई और अपनी कमर हिलने लगी और मेरे लंड को अपनी चूत में और अंदर करने की कोशिश करने लगी. फिर मैंने भी अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया और धकापेल उसकी चूत फाड़ने लगा.
चूंकि उस दिन उसके घर में कोई भी नहीं था तो वो भी खूब चिल्ला – चिल्ला कर अपनी चूत चुदवा रही थी और बोल रही थी, “बहुत तड़पाती है ये साली चूत, अाज इसको फाड़ दो, इसकी प्यास बुझा दो, आज से मैं तुम्हारी हो गई, तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो.”
उस दिन यह खेल बहुत देर तक चला. उस दिन मैंने उसको 3-4 बार चोद कर अपने लन्ड को शांत किया और उसने भी अपनी चूत की प्यास को मैंने अपने वीर्य रस से भरकर बुझा दिया.
उसके बाद तो ये हम लोगों का खेल सा बन गया. हम कहीं बाहर मिलते तो चूचे दबाना और चूसना, होंठों को चूसना और उसका मेरे लंड को चूसना एक आम बात सी हो गई थी.
हमारा यह वासना और चुदाई भरा खेल काफी समय तक चला. इस दौरान मैंने उसे करीब डेढ़ सौ बार चोदा. ये कब, कहाँ और कैसे हुआ, ये मैं आपको अगली कहानी में बाताउंगा? और हां एक बात तो मैं बताना ही भूल गया. एक बार मैंने उससे मूवी हॉल में भी चोदा था, लेकिन वो कैसे, ये मैं अपनी अगली स्टोरी में बताऊंगा.
तब तक के लिए लिए आप मेरी यह कहानी पढ़ें और मेल करके मुझे सुझाव दें. लन्ड वाले और चूत वालियों आपको जहां भी मौका मिले अपनी सेक्स की प्यास को जरूर बुझाएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]