अनीता ने मेरे लिंग को कपडे से साफ किया और उस को अपने मुँह मे डाल कर चूसने लगी. फिर उसने मेरे मुँह पर अपनी योनी रख दी. मै उस की खुशबू में योनि को चाटने लगा. जिस पर अनीता आगे पीछे हो कर कूदने लगी…….
दोस्तों! मेरा नाम सागर है. मै मेरठ, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं. ये सच्चाई जो मेरे साथ घटी आज मै उसे आप लोगों को बताने जा रहा हूँ. मै उन दिनो बारहवी कक्षा मे पढता था. मेरे साथ एक लडकी मीतू पढती थी. हमारे घर पास-पास थे, जिस कारण हम अक्सर कामर्स एक साथ एक दुसरे के घर पर पढते थे.
हम उत्तर प्रदेश के निवासी हैं तो बिजली अक्सर आती जाती रहती है, जिस कारण रात को पढाई इनवर्टर मे करते थे. मेरे घर मे इनवर्टर ना होने के कारण मै रात को अक्सर मीतू के घर पर पढता था. जिस कारण अक्सर रात को दस बज जाते थे। मीतू और मै आपस मे काफी अच्छे दोस्त थे. लेकिन वैसे वाले नहीं.
मीतू की मां अनीता एक घरेलू महिला थी, पर वो मीतू की मां नही बहन लगती थी. उम्र का मुझे पता नही कितनी थी पर थी जबरदस्त हसीन. मैने उन को कभी गलत नजर से नही देखा था. ना ही इस बारे मे मुझे ज्यादा जानकारी थी।
पर एक दिन अनीता ने मेरी मां से कहा कि आज उन के घर से उन के सिवा कोई नही है, क्योकि उस के पति काम के सिलसिले मे दिल्ली गये थे. जहां से वो कल आयेंगे और बच्चे चाचा के यहां जन्मदिन मे गये हुए है. बारिश होने के कारण उन के चाचा-चाची अब कल ही भेजेंगे. तो, सागर रात को पढने के बाद मेरे घर पर ही सो जाये तो कोई परेशानी तो नही. मेरी मां ने इस के लिये हां कर दी.
मै रात आठ बजे खाना खा कर मीतू के घर पढने चला गया. और ये सोच कर खुश हुआ कि चलो! आज रात को को कम से कम अधेरे मे तो नही सोना पढेगा। जब मै मीतू की मम्मी अनीता के घर पहुचा तो वो खाना खा रही थी. उस वक़्त अनीता ने पतला सा लाल रंग का गाऊन पहन रखा था. जिस को देख कर मै चौका. क्योकि मैने कभी भी इन को साडी के सिवा नही देखा था।
मुझे देख कर अनीता आंटी बोली- सागर खाना खा लो!
मैने कहा- मै खा चुका हूं.
इस पर वो बोली- और क्या – क्या खाया?
मैने कहा- आलू और रोटी.
वो बोली -अबे बन्दर! खाने के अलावा पुछ रही हूं.
मै फिर चौका क्योकि जिस प्रकार वो बोली ऐसा मैने कभी नही सुना था मै कुछ नही बोला और पढने बैठ गया.
अनीता खाना खा कर रसोई मे चली गई और रसोई मे काम करने लगी। रात लगभग नौ बजे बाहर बारिश तेज होने लगी और बिजली कडकने लगी. जिस कारण अनीता ने मुझे रसोई से बुलाया और कहा कि मै वहीँ रहूँ. क्योकि उन को डर लग रहा है.
मैने कहा- इसमे डरने की क्या बात है?
अनीता बोली – मुझे डर लगता है. बस दस मिनट मे मेरा काम निबट जायेगा. फिर तुम पढाई कर लेना.
मै वही खडा हो गया. अनीता ने लगभग १५ मिनट मे रसोई का सारा काम निबटा लिया। फिर मुझ से बोली- सागर सच मे यदि तुम ना आते तो शायद मै काम नही कर पाती. क्योकि बिजली कडक रही है. जिससे मुझको डर लगता है.
तब मैने कहा- ये तो हो सकता है कि सारी रात हो. फिर क्या होगा?
इस पर अनीता अपने होठो पर जीभ फेर कर बोली- इसलिये तो तुम मेरे साथ मेरे कमरे मे ही सोओगे!
इस पर मै चौका तो वो बोली- फिर ठीक है.. तू मेरे साथ मेरे कमरे मे नही सोयेगा तो मै तेरे साथ तेरे बेड पर सो जाउंगी. क्योंकि रात को मुझे तो सोना है. जागना तो है नही.
मरता क्या नही करता मै अनीता के कमरे मे चला गया और नीचे बैठ कर पढने लगा. अनीता ने तब ही मेरे हाथ से किताब ले कर कहा- रोज देखो ये ही पढता रहता है. कुछ और भी पढ़ लिया कर.
मैने कहा- क्या?
इस पर वो बोली- मुझे!
अब मैं चौका. तब ही अनीता बोली- मेरा मतलब है कि मुझ से बात कर!
लेकिन अब मै उनका असली मतलब कुछ-कुछ समझने लगा। अनीता का मेरे सामने लाल रंग का पतला सा गऊन पहन कर घूमना. मुझ को जानबूझ कर अपने अंग दिखाना.
अब मेरे मन मे भी अनीता के लिये अलग विचार आने लगे. मैने गौर से देखा अनीता की चूचियाँ काफी मस्त थी. और दोनो चूचियों के बीच की घाटी पारदर्शी गाऊन मे काफी गहरी दिखाई दे रही थी. नाभी भी मस्त थी।
अनीता मेरी आँखें देख कर बोली- दूध पियेगा?
मै पता नही किस धुन मे बोल गया- दो थन का.
इस पर वो बोली- बडी देर से समझा! मै तो सोच रही थी कि तू तो बुद्धु है. पर इतना भी नही है. चल आ जा!! दो थन का ही पी ले.
ये कह कर अनीता ने गाऊन उतार दिया और मै भी उनके थनो को पीने लगा. अनीता सिर्फ अब पैन्टी मे थी और मैने निकर व टी- शर्ट पहन रखी थी. मै खडे-खडे ही अनीता की चूचियों को चूसने लगा. अनीता ने भी मेरी निक्कर में हाथ डाल कर मेरे लिंग को पकड लिया।
लिंग को पकड कर बोली- ये तो काफी बडा है!
मै उस की चूचियों को चूसे जा रहा था, अनीता आह-आह करने लगी. मैं उसके कूल्हे को हाथो से दबाने लगा. इतने मे अनीता ने मेरा निक्कर और टी-शर्ट निकाल दिया. और मेरे लंड को देख कर बोली- काफी सॉलिड है. अनीता को ले कर मै बेड पर लेट गया और उसके होठों को चूसने लगा.
दो-तीन मिनट बाद अनीता ने मुझे अपने नीचे लिटा लिया और मेरे उपर बैठ गयी. फिर मेरे लंड को अपने होठों मे ले लिया. दो मिनट मे ही लिंग ने पानी छोड़ दिया. जिस पर अनीता बोली – पहली बार है क्या?
मैने कहा- हाँ!
ये सुन कर अनीता खुश हो गयी और बोली – आज सील खुलेगी. मैंने तो सोचा था कि तू मीतु की सील तोड़ चुका होगा.
अनीता ने मेरे लिंग को कपडे से साफ किया और उस को अपने मुँह मे डाल कर चूसने लगी. फिर उसने मेरे मुँह पर अपनी योनी रख दी. मै उस की खुशबू में योनि को चाटने लगा. जिस पर अनीता आगे पीछे हो कर कूदने लगी. मैने एक बार योनि मे दातं भी मार दिया. जिस पर अनीता ने कहा- प्यार से कर! काटते नही है.
पाचं मिनट बाद हम सीधे हुए. अब मै लिंग को अनीता की योनि मे डालना चाह रहा था. पर मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था. जिस पर अनीता बोली- अभी नही!
मै बोला- एक बार डालने दो! फिर जो कहोगी करूंगा. अनीता ने मुझे अपने उपर लिटाया और लिंग पकड कर सही दिशा मे कर के योनि मे डलवाया. लिंग को योनि में डालने के बाद मै पागलो की तरह कूदने लगा. मेरे लिंग मे दर्द हो रहा था जिस पर मैने ध्यान नही दिया, दस मिनट मे अनीता और मेरा दोनो का पानी छूट गया. मै उसके उपर ही थक कर लेट गया.
अनीता बोली- इतना तो मजा तो तेरे अंकल भी नही देते. अब तो तुझे हर हफ्ते मुझे टाईम देना होगा.
अनीता बोली- कितने दिन से तुझ पर निगाह थी. आज जा कर काम हुआ. उस रात हम ने तीन बार काम किया
सागर गोयल, मेरठ
Ahhhh nice story