गर्लफ्रेंड को उसके घर में चोदा

स्वाती नक्षत्र की बूंदों की तरह मेरी स्वाती का यौवन  भी अभी अनछुआ था.  पड़ोस में रहने वाले हम दोनों प्रेमियों ने कब सारी हदें पार कर लीं, पता ही नहीं चला. लेकिन उस प्रथम सम्भोग का सुख आज तक हम दोनों भूल नहीं पाए हैं….

हाय! मेरा नाम सौरभ है और मैं इलाहबाद का रहने वाला हूँ। मैं एक इंजिनियर हूँ। ये कहानी आज से 5 साल पहले की है, जब मैं १२वीं में था। जिस लड़की को मैं चाहता हूँ उसका नाम स्वाती  है। उसको जब भी मै देखता था तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था। उसका फिगर 30- 28- 32 है।

स्वाती मेरे पड़ोस में ही रहती थी। उसके घर की छत और मेरे घर की छत आपस में सटी हुयी है। एक दिन जब मैं छत पे टहल रहा था तो वो आई  और हाय बोली। मैंने भी जवाब दिया। कुछ देर बात करते-करते मैंने उससे पूछा – तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है?

तो उसने मना कर दिया और मुझसे पूछा  तो मैंने बोला- है तो कोई नहीं लेकिन किसी को चाहता जरूर हूँ।

उसने तुरंत मुझसे पूछा- कौन है वो?

मैंने बोला – तुम उसको जानती हो।

इतना बोलकर मै वहा से चला गया । अगले दिन शाम को छत पे हम फिर से मिले। उसने मुझसे फिर से पूछा – कौन है वो?

मैंने झट से कहा – तुम!

फिर मैंने पूछा -तुम किसी को चाहती हो?

उसने कहा- हाँ! और वो तुम हो।

मैं तो कब से इस घडी का इन्तजार कर रहा था। इतना सुनते ही मैंने उसे जकड़ लिया और और उसे बेतहाशा चूमने लगा। लेकिन अभी अँधेरा नहीं हुआ था तो ये सुरक्षित नहीं था। हम रात में फिर से मिलने का वादा करके अपने घरों में आ गए।

रात के ठीक १२ बजे जब हमारे घर के लोग सो गए तो हम दोनों छत पे आये। उसके आते ही मैंने फिर से उसे चूमने लगा। कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसके बूब्स दबाता। ऐसे ही काफी देर तक हम दोनों एक दुसरे के जिस्म से खेलते रहे। फिर मैने उसके लोअर को नीचे कर दिया और उसकी गुलाबी पैंटी में हाथ डाल दिया। उसकी चूत से रस बह रहा था और वो पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

मैंने उसकी पैंटी को भी नीचे कर दिया और बैठकर उसकी चूत चाटने लगा। फिर मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डालने की कोशिश की तो वो छटपटाने लगी। उसने कहा- बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने ऊँगली निकाल ली और अपना लंड बहार निकाल कर उसे चूसने को कहा। अब स्वाती मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके मुह में ही अपना लंड पेलने लगा। अति उत्साह की वजह से जल्दी ही मेरा लंड वीर्य छोड़ने लगा। उसके मुँह से ऑक-ऑक की आवाज आने लगी। मैंने सारा पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया। वो सारा पानी पी गयी।

सच में इस मुखमैथुन में हम दोनों को काफी मजा आया। हमने एक दुसरे को आई लव यू बोला और अपने घरों में आकर सो गए।

अगला दिन एक और खुशखबरी ले आया। स्वाती के माता- पिता दो दिन के लिए आगरा जाने वाले थे। घर पे सिर्फ स्वाती और उसका छोटा भाई ही रहने वाले थे।

अगले दिन शाम को हम छत पे फिर से मिले। उसके माता-पिता जा चुके थे और फिर उस्न्ने बताया की उसका छोटा भाई भी ट्यूशन गया है। मतलब रास्ता साफ़ है। मैंने उसे तुरंत अपने आगोश में ले लिया और उसके घर की सीढ़ियों पे ले जाकर किस करने लगा। उसकी चूचियां दबाने लगा। फिर मैंने उसे गॉड में उठा लिया और उसके बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पे लिटा दिया। अभी मैं उसके ऊपर लेट कर कुछ करता इसके पहले ही डोर बेल बज उठी।

मैं तुरंत छत से होते हुए अपने घर आ गया। घर आकर फ़ोन किया तो स्वाती ने कहा की उसका भाई लौट आया था। फिर हमने देर रात मिलने का प्लान बनाया।

रात में जब मेरे घर वाले सो गए तो मैं छत पे आ गया जहाँ स्वाति पहले से ही मौजूद थी। उसका भाई भी सो चुका था। मैंने फिर से उसे गॉड में उठा कर उसके बेडरूम में ले गया और बेड पे लिटा दिया। एक दुसरे के होठों को चूमते हुए हम कब निर्वस्त्र हो गए, पता ही नहीं चला। फिर मैंने एक- एक करके उसकी गोल-मटोल चूचियों को खूब चूसा। इससे वो काफी गर्म हो गयी।

मैंने उसकी टांगों को फैला दिया। देखा कि स्वाती ने अपनी झांटों को साफ़ करके अपनी चूत को चिकना कर रखा था। अब तो मैं पागलों की तरह उसी चूत चुसाई करनी लगा।

वो भी मस्ती में उफ्फ्फ्फ़ आह आह आह आ आ आह  कर रही थी। अचानक उसका पानी निकल गया  और मैं उसका पूरा पानी पी गया। थोड़ी देर बाद हम 69 की अवस्था में आ गए। मैं उसकी चूत फिर से चाटने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी। फिर मेरा और उसका दोनों का पानी एक साथ निकल गया । हम दोनों ने कुछ देर आराम किया।

अब वो मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी। फिर मेरा लंड भी धीरे- धीरे खड़ा हो गया। मैं भी उसकी चूत सहलाने लगा। वो फिर से जोश में आ गयी और बोलने लगी- प्लीज तडपाओ मत! पेल दो मुझे।

मैंने उसे कहा -थोड़ा दर्द होगा।

उसने कहा- होने दो।

मै उसकी चूत के मुह पे अपना लण्ड रख के हिलाने लगा तो वो और तड़पने लगी और बोली- सौरभ प्लीज! अब देर मत करो!

लेकिन मैंने जैसे ही थोडा सा लंड उसकी चूत में पेला तो वो वो दर्द से तड़पने लगी और अपने मुह पे तकिया लगा कर रोने लगी। फिर मैं रुक गया और उसके होठो को चूमने लगा और चुचियो को मसलने लगा। कुछ देर बाद मैंने थोड़ा सा और लंड अंदर किया और उसके होठों को अपने होठों से दबा दिया। उसकी आवाज़ मेरे मुह में गूंजने लगी और मैं रुक गया।

थोडा सा उसको सहलाने के बाद मैंने थोडा सा ही अंदर किया था की किसी अवरोध से मेरे लण्ड पे  दबाव पड़ा और मैंने न चाहते हुए  भी और दबा दिया। उसकी झिल्ली फट गयी और वो फिर दर्द से तड़पने लगी। मैं फिर रुक गया और कभी उसकी चूचियाँ तो कभी उसके होठो को चूसने लगा।

फिर मैंने उसके पैरों को चौड़ा किया अपने होठ उसके होठो पे रख के झटका दिया तो उसके चूत में मेरा 7″ का लण्ड पूरा चला गया। अभी बार फिर से उसकी चीख मेरे मुँह में दब कर रह गयी।

कुछ देर तक उसे सहलाने और चूमने के बाद मैंने हलके झटके देने शुरू किये। अब उसकी आह प्यारी लग रही थी। ये इस बात का प्रतीक था कि अब उसे भी मजा आ रहा है। मैं लगातार उसको पेलता रहा। कुछ देर के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

जब मुझे लगा की मेरा भी पानी आने वाला है तो मैंने उसकी चूत से लंड निकाल कर सारा वीर्य उसकी चूचियों पे ही गिरा दिया।

अब मै थक गया था।  वो उठी और देखी की बिस्तर पे पूरा खून था। उसने बिस्तर चेंज किया और फिर बाथरूम में चली गयी। वापिस आकर बोली- सौरभ! मुझे दर्द भी हुआ और मजा भी काफी आया। फिर वो मेरे सीने से लग कर सो गयी। उस रात को मैंने उसको दो बार और चोदा। सुबह तक उसकी चूत सूज कर पकौड़ा हो चुकी थी।

फिर मै अपने घर चला गया लेकिन उसके बाद जब भी मौका मिलता था तब मैं उसको चोदता था। हमारे प्यार का सिलसिला 4 साल तक चला। इस वक़्त उसकी शादी हो चुकी है। उसको एक बच्ची भी है जो मेरी ही है क्योंकि उसके पति का लण्ड कमजोर और पतला है तो उसने ही मुझसे बोला की मुझको  गर्भ से कर दो, तो मैंने कर दिया। आज वो और मैं ख़ुशी से अपनी-अपनी जिन्दगी जी रहे हैं।

आप सभी लोगो की मेरी ये दास्तान कैसी लगी? जरूर बताये।
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