मैं अपनी गर्दन थोड़ी उठाते हुए आँटी के होंठ चूमने लगा। आंटी भी पूरा साथ देने लगीं। होंठ चूमते-चूमते मैं अपने दोनों हाथो से आँटी के दोनो बूबे दबाने लगा। आंटी पूरी तरह से मस्त होकर सिसकारियाँ लेने लगी….
अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को मेरे खड़े लंड का सलाम। आज से 1 महीने पहले तक मैं भी कुँवारा ही था। अभी कुछ ही दिन पहले की बात है। मेरी ज़िन्दगी मे एक ऐसी घटना घटी जिसने मेरी ज़िन्दगी बदल दी और मेरे लण्ड को असीम तृप्ती दी। तो दोस्तों अब मैं कहानी पर आता हूँ।
मेरी उम्र 24 साल हो गयी थी और मैं अभी तक कुँवारा ही था। हर समय मेरे दिमाग मे चूत और बोबे घूमते रहते थे। जिस भी लड़की को देखता तो यही सोचता था की काश ये चोदने के लिए मिल जाये तो मज़ा आ जाये। पर मुझे कहीं से कोई आशा नज़र नही आ रही थी। और मैं रण्डियो के साथ अपनी वर्जिनिटी नही खत्म करना चाहता था।
मैं नोएडा मे अपने एक दोस्त के साथ रहता था। वो हर रविवार को अपनी गर्लफ़्रेंड को रूम पे लाके बजाता था और मुझे बाहर भेज देता था। मेरा दिमाग और खराब हो जाता था। चूँकि मेरी कोई गर्लफ़्रेंड नही थी तो मैं कोई भी मज़ा नही कर पाता था। पर शायद क़िस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था।
मेरे दोस्त की नौकरी मुम्बई में लग गयी और मैं अकेले दिल्ली मे एक दूसरे फ्लैट मे शिफ्ट हो गया। मकान मालकिन एकदम टोटा माल थी। उम्र करीब 35 की होगी पर लगती 25 की थी। पहले दिन से ही लाइन् दे रही थी। जैसे- जैसे दिन बढ़ते गए मेरी उससे खूब बात होने लगी। मेरी जॉब नाइट शिफ्ट मे होती थी और दिन भर मैं घर पे ही होता था। उसके घर मे उसका पति था, जो सुबह 9 बजे ऑफिस चला जाता था और एक 13 साल की बेटी थी जो सुबह 8 बजे स्कूल चली जाती थी।
रोज़ 11 बजे वो मुझे चाय देकर उठाती थी। उसके बाद से हमारी बात शुरू होती थी। एक दिन वो मुझे चाय देने आई तो बहुत उदास लग रही थी तो मैंने पूछा – आँटी क्या बात है? आज आप बहुत उदास लग रही हैं।
तो उसने कुछ नही बोला और चुपचाप चली गयी। अगले दिन शनिवार होने की वजह से मेरी छुट्टी थी तो मैं रात को घर पे ही था। रात को 12 बजे के आसपास मुझे किसी के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। मैं उठ के बाहर गया तो पता चला की आँटी अंकल पे बहुत चिल्ला रही थी। मुझे उस वक़्त कुछ भी बोलना ठीक नही लगा तो मैं चुप चाप अपने रूम मे आके सो गया।
अगले दिन जब आंटी मुझे चाय देने आयीं तो मैंने आँटी से रात के बारे मे पूछा। पहले तो आंटी ने बताने से मना कर दिया पर मेरे बहुत ज़ोर देने पे आंटी ने मुझसे कसम ली कि मैं ये बात किसी को नही बताऊंगा। मैंने आँटी की दोनो बाहें पकड़ के कहा- आप मुझपे विश्वास कर सकती है।
मेरे इतना बोलने के साथ ही आँटी रोने लगीं। इतने मे मैंने आंटी को गले से लगाते हुए चुप कराया। आंटी के गले लगते ही उनके दोनो बोबे मेरे सीने से लगे थे। मेरा लन्ड उफान मारने लगा। ये मेरे लिए पहली बार था जब किसी के बोबे मेरे सीने से दब रहे थे। फिर जब आंटी शांत हुईं तो बताया- तुम्हारे अंकल कुछ नही कर सकते. वो कभी भी मुझे वो सुख़ नही दे पाते जो की एक मर्द अपनी बीबी को देता है। और मैं अधूरी सी रह जाती हूँ।
फिर उसने बताया कि वो इसीलिए आजकल थोड़ी उदास रहती है। मैंने आंटी के आंसू पोछते हुए उनके होठों को चूम लिया. फिर आंटी को बोला – मैं आपकी ये परेशानी दूर कर दूँगा।
आंटी ने मुझे प्यार से गाल पे एक चपत लगते हुए बोला- हट पगले! आँटी के साथ ये सब करेगा?
फिर आँटी ने मुझसे पूछा- कोई गर्लफ़्रेंड है?
मैंने तपाक से बोल दिया- आप हो ना तो गर्लफ़्रेंड की क्या ज़रूरत?
फिर वो बोली- आजतक तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया?
मैंने कहा- नहीं।
इसपर आँटी हँसने लगीं और कहा की आज रविवार है सब लोग घर पे ही हैं और मुझे बहुत काम है। फिर जाते जाते एक क़ातिल मुस्कान दे गयी। मेरा मन बल्लियों उछलने लगा। लंड उफान मारने लगा। इतने दिनों का सपना जो पूरा होने वाला था।शाम को आंटी मेरे लिए चाय लेकर आई तो मैंने आँटी को गले लगा लिया।
आँटी बोली – थोड़ा सब्र करो! आज सबलोग घर पे ही हैं. मैं कल आउंगी।
मेरे लिये रात काटना मुश्किल हो रहा था। मैंने उस रात आंटी के नाम की 2 बार मुठ मारी। फिर रात भर अगले दिन के सपने देखते- देखते कब नींद लग गयी पता ही नही चला। अगले दिन सोमवार था। 11 बज गये थे और मैं अभी तक सो रहा था। इतने मे आँटी चाय लेकर आयीं। चाय टेबल पे रख दिया और मेरे पास आकर मेरा सिर चूमने लगीं।
मेरी नींद खुली तो मेरी आँखो के सामने आँटी के 2 बड़े बड़े बूबे झूल रहे थे। मैंने बिना कुछ सोचे दोनो बूबे पकड़ के ज़ोर से दबा दिए। इसपर आंटी चीख पड़ी और बोली- आराम से कर पगले! अब मैं पूरी तरह से तेरी ही हूँ।
फिर मैं अपनी गर्दन थोड़ी उठाते हुए आँटी के होंठ चूमने लगा। आंटी भी पूरा साथ देने लगीं। होंठ चूमते-चूमते मैं अपने दोनों हाथो से आँटी के दोनो बूबे दबाने लगा। आंटी पूरी तरह से मस्त होकर सिसकारियाँ लेने लगी। फिर आँटी ने तड़ाक से मेरा शर्ट उतार दिया और मेरे सीने को ताबड़तोड़ चूमने लगीं। मेरे तन-बदन मे आग लग रही थी। लंड पूरे उफान पे आ गया था।
मैंने भी आंटी का ब्लाऊज़ उतार दिया। अब मेरे सामने आँटी के 2 बड़े- बड़े बूबे ब्रा की कैद से बाहर निकलने को तड़प रहे थे। मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया। अब आँटी के दोनों बूबे मेरे सामने आज़ाद थे। मैं तो जैसे पागल हो गया था। मैं आँटी के दोनो बूबे पागलो की तरह बारी बारी से चूसने लगा।
आंटी के बूबे एकदम लाल हो गये थे। फिर आँटी ने मुझे खड़ा कराया और झटाक से मेरा पैन्ट और चड्डी एक झटके मे उतार फेंका। फिर मेरा लंड अपने हाथ मे लेकर बोली- तेरा तो बहुत बड़ा है रे! मज़ा आ जायेगा.
और फिर उसे अपने मुँह मे लेकर पागलों की तरह चूसने लगीं। मैं तो जैसे जन्नत मे पहुँच गया था। मैंने आँटी को बोला- मेरा निकलने वाला है.
आँटी ने बोला- कोई ना, पहली बार मे होता है. तू मेरे मुँह मे ही निकाल दे।
आँटी मेरा लंड चूस ही रही थी कि मेरा निकल गया और वो मेरा पूरा माल पी गयी. जैसे कोई बच्चा मिल्कशेक पी रहा हो। फिर आँटी तडाक से अपना पेटीकोट खोल के बेड पे लेट गयी और मुझे ऊपर आने का ईशारा किया। मैं झट से ऊपर पहुँच गया और आँटी की चूत पे मुँह लगा दिया। आंटी पागलो की तरह सिस्कारिया लेने लगी। मैं अपनी जीभ आँटी की चूत मे घुसाने लगा।
आँटी मजे मे गालियां दे रही थी- और जोर से चूस! माधरचोद, चूस- चूस के पानी निकाल दे। बहुत दिनों से प्यासी है ये चूत। चूस माधरचोद! और जोर से चूस!
मैं भी पूरे जोश में आँटी की चूत चूसने लगा। इतने मे आंटी झड़ गयीं। और मैं भी आंटी के बगल मे लेट गया। 2 मिनट बाद आँटी फिर से मेरा लंड चूसने लगी। मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था।
आंटी भी पूरे जोश मे चिल्लाने लगी- अनंत अब मुझे चोद दो! फाड़ दो मेरी चूत को! इसका भोसड़ा बना दो। आग लगी हुई है इसमे, प्लीज़ कुछ करो नहीं तो मैं मर जाउंगी।
मैं उठ गया और आंटी की दोनो टाँगे उठा ली और अपना लंड सेट करने लगा. आँटी की चूत पर। मैंने एक बार कोशिस की पर लंड फिसल कर बाहर आ गया। फिर आंटी ने खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपने चूत पे सेट किया और इसके साथ ही मैंने अपना लंड आँटी की चूत मे एक ही झटके मे पेल दिया। आँटी की चीख निकल गयी।
आंटी गालियां देने लगी- मार देगा क्या?
पर मैं तो शायद इस दुनिया में था ही नही। मैं तो जन्नत की सैर पर था। मैं सटासट चोदे जा रहा था और आँटी गालियां बके जा रही थी। लगभग 5-7 मीनट बाद आँटी बोलीं- मेरा निकलने वाला है.
मैंने आँटी से बोला- मेरा भी।
इसपर आँटी मस्ती मे गाँड उछाल- उछाल कर मेरा साथ देने लगीं। और फिर हम दोनो साथ हीं ढीले पड़ गये। मैं आँटी के पेट के ऊपर लेट गया। करीब 10 मिनट बाद मैं फिर से आँटी के बूबो पे भिड़ गया। और मेरा लौड़ा फिर से सलामी देते हुए खड़ा हो गया। मैंने आंटी को एक और बार चोदा। नये नये स्टाईल मे। आँटी हैरान थीं।
उसने मुझसे पूछा- तुमने तो कभी सेक्स किया ही नही है तो इतने सारे स्टाईल कैसे जानते हो?
मैं हँसने लगा और बताया- मैं ब्लु फ़िल्में खूब देखता हूँ।
आँटी ने मुझे सीने से लगा लिया और बोलीं – तुमने मुझे आज मुझे वो सुख़ दिया हैं जो की मुझे मेरा पति तक नही दे पाया। अब मैं हमेशा के लिए तुम्हारी हूँ। मैं चुप- चाप बिना कुछ बोले आँटी के बूबों पे सर रख के सो गया। अब मैं क्या बोलता, उसके दुख के आगे तो मेरा दुःख बहुत छोटा लग रहा था। और फिर चाकु ख़रबूज़े पे गिरे या ख़रबूज़ा चाकु पे। कटता तो खरबूजा ही हैँ।
तो दोस्तो ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी। उसके बाद तो आँटी मेरा पर्मानेंट जुगाड़ बन गयी थी। जब मन करता एक ट्रिप मार लेता था. कभी लम्बा ट्रिप तो कभी छोटा ट्रिप। मेरा लंड अब कुँवारा नही था। फिर कुछ दिन बाद कैसे आँटी ने अपनी एक शादीशुदा दोस्त को मुझसे चुदवाया वो मैं अगले कहानी मे बताऊंगा। तब तक के लिए खड़े लंड का सलाम।
nice