रंडियों और उनके कस्टमर के आने का सिलसिला जारी था. मेरी नींद उड़ चुकी थी. मैं पहली बार ये सब इतने करीब से देख रहा था. मैं अब कमरे से बाहर निकल कर लॉबी में ही टहल रहा था. रंडियां जब सीढ़ी से उतरतीं तो मेरी और उनकी नजर मिलती. एक ने तो मुस्कुरा कर मुझे आँख भी मारी…..
रमेश का सभी दोस्तों को नमस्कार! दोस्तों मैं एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता हूँ और नवाबों की नगरी लखनऊ से हूँ. मेरी शादी को अभी 3 साल हो चुके हैं. मेरी पत्नी नेहा गोरी चिट्टी तो है लेकिन काफी दुबली पतली है. वैसे तो वो मेरा काफी ख्याल रखती है लेकिन पोर्न फिल्मों को देखने के बाद मेरी सेक्स की फंतासी के हिसाब से वो मुझे सेक्स का सुख नहीं दे पाती. मसलन ओरल सेक्स, गांड चुदाई या डॉगी स्टाइल की चुदाई में उसे कोई दिलचस्पी नहीं है.
और महिलाओं की तरह वो उत्तेजित तो होती है उसका पानी भी झड़ता है लेकिन सेक्स को वो एक काम की तरह निपटा देती है. 28 साल की जवानी में शुरू-शुरू में चुदाई के लिए मिला नया छेद पा कर ही मैं खुश था. लेकिन फिर मुझे भी रोजाना मिशनरी अवस्था में चुदाई करते-करते उबन होने लगी. इधर काम का प्रेशर भी बढ़ रहा था. अब मुझे बहुत सारे ऑफिसियल टूर पे भी जाना होता था.
पिछले माह की बात है. मैं ऐसे ही एक ऑफिसियल टूर पे 3 दिनों के लिए बनारस गया था. बनारस पहुँचने में थोड़ी देर हो गयी थी इसलिए मैं किसी होटल जाने की बजाय सीधा ऑफिस ही चला गया. पूरे दिन काम चलता रहा. फिर शाम को 6 बजे शुरू हुयी मीटिंग रात के 8 बजे तक चली. मीटिंग ख़त्म होने के बाद मैं ऑफिस से निकला. भूख बड़े जोरों की लगी थी इसलिए मैंने तय किया कि पहले खाना खाऊंगा फिर रहने के लिए होटल देखूँगा. मैंने एक रिक्शा किया और उससे किसी रेस्टोरेंट के पास चलने को कहा.
रिक्शे वाला एक 35-40 वर्षीय व्यक्ति था. बड़ा ही बातूनी था. उसने पूछा- साहब! रेस्टोरेंट खाना खाने जायेंगे?
मैं भूख और दिन भर की थकान से थोड़ा उखड़ा हुआ था इसलिए मैंने बोला- नहीं गाना गाने.
रिक्शे वाला- नाराज मत होइए साहब. मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया था. शाकाहारी खाना खायेंगे या मांसाहारी?
मैं- कुछ भी खा लूँगा! बस तुम जाल्दी चलो. इसके बाद अभी मुझे रहने के लिए होटल का भी प्रबंध करना है.
रिक्शे वाला मेरी तरफ मुड़ कर देखा और कहा- साहब रहने के लिए तो मैं एक से बढ़कर एक होटल दिखा दूंगा.
मैंने कहा ठीक है. इसके बाद वो मुझे रेस्टोरेंट ले गया जहाँ मैंने जल्दी से खाना खाया. फिर वही रिक्शे वाला मुझे होटल दिखाने चल पड़ा. मैं किसी सस्ते होटल में ही ठहरना चाहता था.
रास्ते में रिक्शे वाले का मुह फिर चलना शुरू हो गया- साहब! रात में कुछ लेने का शौक तो नहीं है? कहें तो वो भी मिल जाएगा. कहिये तो उसी होटल में ले चलूँ, जहाँ इंतजाम हो जाए.
मैं वास्तव में थका हुआ था तो मैंने सोचा चलो दारू का भी इंतजाम अगर ये कर ही रहा है तो ले चलने देता हूँ. मैंने हाँ कह दिया.
रिक्शे वाला एक होटल के सामने ले गया. मैं पैसे देने लगा तो मना कर दिया. बोला की इस होटल से मुझे कमीशन मिल जायेगा.
मैंने कहा- और जो तूने कहा था कि दारू का भी इंतजाम हो जायेगा वो?
रिक्शे वाला- नन्हीं साहब! मैं दारू के लिए नहीं लड़की के लिए कह रहा था.
मुझे अन्दर से गुस्सा तो आया उसके ऊपर लेकिन कुछ कहा नहीं. मैंने होटल के अन्दर कमरा बुक कराया और अपने कमरे में आ गया. कमरा कुछ खास नहीं था. लेकिन रात गुजारने के लिए ठीक-ठाक ही था. मुझे ये महसूस हुआ की होटल में कोई ज्यादा गेस्ट नहीं ठहरे थे. खैर मैं नहाने चला गया. वापिस फ्रेश होकर आया और सोने की तैयारी करनी लगा और टीवी चालू कर दिया.
अचानक मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी. जहाँ मेरा कमरा था उसी के बगल से सीढियाँ गयी थी. मैंने दरवाजा हल्का सा खोला तो आवाज साफ सुनाई पड़ने लगी. मैं सुनकर चौंक गया. सीढि पे खड़ा होकर एक जोड़ा बात कार रहा था जो मुझे नहीं देख पा रहा था. मैं भी उनके चेहरे तो नहीं देख पा रहा था पर ये पता चल गया की ये कोई रंडी है जो अपने कस्टमर के साथ बात कर रही है. शरीर में एक झुरझुरी सी हुयी. उन दोनों के बीच रेट को लेकर बहस हो रही थी.
फिर होटल का मैनेज़र आया और उन्हें शान्त करते हुए कहने लगा- देखो अगर तुम लोगों को लड़ाई करनी है तो किसी और होटल में जाओ. यहाँ बखेड़ा मत करो.
कस्टमर और रंडी दोनों चले गए. फिर मैं भी अपने कमरे से बहार निकल कर मैनेज़र के पास चला गया. मैनेजर ने मुझे देखते ही पूछा- कुछ चाहिए क्या सर? पानी वानी?
मैं- नहीं. ये दोनों कौन थे?
मैनेजर- जाने दीजिये न सर. क्या करेंगे आप जानकर? आप शरीफ लगते है.
मैने कहा- इसका मतलब ये दोनों शरीफ नहीं थे.
मैनेजर- अब देखिये साहब! होटल की बिजनेस में कम्पटीशन बहुत हो गया है. तो जैसे भी कस्टमर आते हैं हम उन्हें कमरा दे देते हैं. अब उनमे से कुछ आप जैसे होते हैं तो कुछ मजा-मस्ती करने आते हैं.
मैं- और रिस्क? पुलिस का डर नहीं लगता तुम्हें?
मैनेजर- उनको तो अपने कमीशन से मतलब होता है जो हम पहुंचा देते हैं.
मै अपने कमरे में चला आया. कमरे का दरवाजा खुला ही रख छोड़ा. मैं देखना चाहता था की बाहर क्या गतिविधियाँ चल रही हैं. रात के 10 बज चुके थे. रंडियों और उनके कस्टमर के आने का सिलसिला जारी था. मेरी नींद उड़ चुकी थी. मैं पहली बार ये सब इतने करीब से देख रहा था. मैं अब कमरे से बाहर निकल कर लॉबी में ही टहल रहा था. रंडियां जब सीढ़ी से उतरतीं तो मेरी और उनकी नजर मिलती. एक ने तो मुस्कुरा कर मुझे आँख भी मारी.
मुझे अन्दर ही अन्दर एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी. मैनेजर भी आराम कुर्सी पे बैठा मेरी ओर रह रह कर देख रहा था. फिर उसने कहा- क्या देख रहे हैं सर? ये सब तो रोज का है. आप जाकर सो जाइये.
मैंने कहा- कितना लेती हैं ये सब?
मैनेजर- ये तो मुझे भी नहीं पता. मुझे तो बस कमरे के किराए से मतलब रहता है. किसी दिन मेरा भी मूड करता है तो मैं भी सो लेता हूँ. लेकिन बिना पैसा दिए. शायद दूसरों से 500-600 लेती होंगी. पर आप क्यों पूछ रहे हैं? मन कर रहा है क्या?
मैं मुस्कुरा दिया. सच कहूँ तो अब मेरा भी मन करने लगा था पर मैं शांत रहा. मैनेजर मेरी चुप्पी भाँप गया. उसने कहा- आप इन सब के चक्कर में मत पड़ो. ये सब तो सड़कछाप रंडियां हैं. अगर पैसा खर्च करो तो आप के लिए एक मस्त माल का इंतजाम कर सक्कता हूँ?
मेरा हलक सूख रहा था मैंने धीरे से कहा- कितने पैसे?
उसने कहा- 2500 रुपया. 1500 कॉलगर्ल के. 500 कमरे के और 500 मेरा कमीशन.
मैं- लेकिन कमरा तो मै ले चुका हूँ.
मैनेजर- नहीं! उस कमरे में नहीं. आलग कमरे में जाना होगा और रेट भी 500 देना होगा.
मैंने हाँ कर दी. मैनेजर ने फोन घुमाया और आधे घंटे में ही एक कॉलगर्ल आ गयी. थोड़ी मोटी थी लेकिन काफी ख़ूबसूरत थी.
मैंने 2500 मैनेजर को दिए तो उसने 1000 रखकर 1500 वापिस कर दिए और बोला – ये उसे दे देना. सब कुछ करेगी. जैसे चाहो वैसे.
मैं मैनेजर के बताये कमरे में उस लड़की सुप्रिया के साथ चला गया. ये कमरा मेरे कमरे से ज्यादा अच्छा था. कमरे के अन्दर आते ही सुप्रिया मुझसे लिपट गयी और अदा दिखाते हुए बोली- शादी हो चुकी है या नहीं?
मैंने कहा- हो तो चुकी है लेकिन अब मजा नहीं आता.
उसने कहा- कैसा मजा चाहिए तुम्हें?
मैंने कहा- सब कुछ. ओरल, एनल सेक्स सब!!
सुप्रिया ने कहा- मैं ये सब नहीं करती.
मैंने कहा- 1500 के बजाय 2500 ले लो पर मैं जैसा कहूँ वैसे करो!
सुप्रिया- 3000.
मैंने काहा- डन!
अब मैं बिस्तर पे लेट गया और उसे कपड़े उतारने को कहा. सुप्रिया ने कपड़े उतारने शुरू किया. पहले टी शर्ट और जीन्स उतारकर वो मैरून ब्रा और पैंटी में आ गयी. काफी बड़ी चूचियां थी उसकी. पूरा शरीर भरा हुआ था. मेरा लंड तो इतने में ही खड़ा होने लगा था. मैंने उसे पीछे घूम कर उसकी गांड दिखने को कहा. बड़ी अदा से वो घूम कर वो अपने चूतड़ दिखाने लगी. कट वाली पैंटी से उसके चूतड़ का आधा से ज्यादा हिस्सा नंगा ही था.
मैंने उसे झट से अपने ऊपर खींच लिया. और अपने कपड़े उतारने को बोला. उसने एक एक कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. हाय! क्या सीन बन रहा था. चूस-चूस कर उसने मेरे लंड को एकदम कड़क बना दिया. मैंने उसे बेड पे ही लिटा दिया और बारी-बारी से उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी.
उसकी मस्त चूचियां और क्लीन शेव चूत देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया. कुछ देर तक उसकी चूचियों को मसलने के बाद मैंने उसकी टांगों को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत पे लगा दिया. लेकिन उसने अपने बैग की तरफ इशारा करते हुए मुझे वो देने को कहा. जिसमे से उसने कॉन्डोम निकाला और मेरे लंड में चढ़ा दीया.
एक बार फिर मैंने उसकी टांगों को फैला कर उसकी चूत पे हाथ फिराने लगा. वो भी सिस्कारियां भरने लगी. फिर मैंने आपना लंड उसकी चूत में डालकर उसकी चूत ठोकने लगा. बीच-बीच में मैं उसकी चूचियों को भी चूसे जा रहा था. उत्तेजना इतनी ज्यादा थी की मुझे लगा मैं बहुत ज़ल्दी ही झड़ जाऊंगा. मैंने झटके से अपना लंड निकाल लिया और पेशाब करने चला गया.
लंड थोड़ा शिथिल हो गया तो मैं वापिस आया और उससे कहा – मैं अब गांड चोदना चाहता हूँ.
उसने कहा- ठीक है! लेकिन आराम से चोदना. मैंने अभी तक सिर्फ 2-3 बार ही गांड चुदवाई है. और तुम्हारा लंड भी थोड़ा मोटा है. लाओ पहले चूस कर थोड़ा कड़क और गीला कर दूं.
लंड चूस कर सुप्रिया ने फिर से कड़ा कर दिया. फिर उसने कहा- लंड में जितना कडापन होता है उतनी आसानी से अन्दर जाता है.
कहकर सुप्रिया घोड़ी बन गई. उसके बड़े- बड़े चूतड़ और उसकी गांड का छेद मेरे सामने था. मैं अब अपने सपने सरीखी चुदाई करने को तैयार था. मैंने उसकी गांड के छेद पे थूक लगाया और अपना लंड एक ही झटके में उसकी गांड में पेल दिया.
वो चिल्लाई- आआईई……. अबे साले! तुझसे कहा था न, आराम से करना. गांड फाडेगा क्या मेरी?
मैंने कहा- धीरे-धीरे भी उतना ही दर्द होता मेरी जान! घबरा मत! अब धीरे-धीरे करूगा.
कहकर मैंने धीरे- धीरे उसकी गांड चुदाई शुरू की. उसके मुँह से उफ्फ्फ…अआह… की आवाज आने लगी. फिर मैंने स्पीड तेज कर दी और उसकी गांड में ही झड़ गया.
उसने कहा- मजा आया?
मैं थक कर उसके बगल में लेट गया और कहा – हाँ!
उसने मेरे लंड को फिर से चूसना शुरू किया और जब लंड खड़ा हो गया तो वो उस पे सवार होकर चुदाई करने लगी. उसका मेरे लंड पे यूँ कूदना मुझे रोमांचित कर रहा था. मैंने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू किये. सुप्रिया को और मजा आने लगा और वो भी झड़ कर मेरे बगल में लेट गयी.
थोड़ी देर यूँ ही लेटे राहने के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गये.
फिर तो मैं अगले दो दिन भी उसी होटल में ठहरा और सुप्रिया को और दो दिन बुलाकर चोदा.
aap banaras ke kis hotel me gaye the
Bhout bdia story h
Aapki story mujhe bhout psnd aai yrr plz mere sath bhi esa kuch krna cahati ho to batao aap सुप्रिया