इस कहानी के पिछले भाग में अभी तक आपने पढ़ा कि वरुण और अंश एक रेस्टोरेंट में मिले और काफी देर तक बात करने के बाद बोटिंग के झील चले गए.
इस प्यार को क्या नाम दूं भाग – 2
अब आगे…
धीरे – धीरे चलती बोट से पानी का कलरव हो रहा था. शांत झील में ये पानी का हल्का शोर किसी किसी मधुर गीत के जैसे लग रहा था. तभी अंश बोला – वरुण, एक बात तो बताओ.
वरुण – हां बोलो.
अंश – क्या नाम है उसका?
वरुण – किसका?
अंश – वही तुम्हारा बॉयफ्रेंड, जिससे तुम बात कर रहे थे रेस्टोरेंट में.
वरुण – ओह्ह, वो.. उसका नाम… उसका नाम विकी है… विकी नाम है उसका.
अंश – प्यार करते हो उससे?
वरुण – हां, करता हूँ न, ये भी कोई पूछने की बात है.
अंश – सच में?
वरुण – अब तुम तो साथ हो नहीं तो किसी की जरूरत होगी ही न.
इस पर अंश थोड़ा झेंप गया और फिर संभलते हुए बोला – मेरी याद आती है?
वरुण – हां आती है, मतलब वैसी नहीं बस कभी – कभी. क्या हुआ, तुम इतने सारे सवाल क्यों पूछने लगे?
अंश – कुछ नहीं बस यूं ही, तुम्हें इतने दिनों बाद खुश देखा न तो ये जानने की उत्सुकता हुई कि हमारे दोस्त की इतनी खुशी का कारण कौन सा लड़का है?
वरुण को अंश से झूठ बोलते हुए अच्छा नहीं लगा. एक पल के लिए तो उसने अंश को सब सही – सही बताने का सोच लिया था. वरुण चाहता था कि बोल दे कि वह अब भी अंश से प्यार करता है और उसके ये सवाल नश्तर की तरह उसे चुभ रहे हैं. लेकिन फिर अंश की दोस्ती न खो दे इस वजह से कुछ नहीं बोला.
कुछ देर बाद फिर बात बदलते हुए वरुण अंश से पूछ बैठा – वो आशीष ही था न जिसके लिए तुमने मुझे छोड़ा था?
इस पर अंश कुछ गिल्टी फील करके थोड़ा और संकोच करने लगा और कुछ नहीं कहा. तभी वरुण फिर बोला – अरे तुम्हें तो बुरा लगा शायद, मेरा वो मतलब नहीं था.
जाने क्यों अब अंश फफक कर रो पड़ा. वरुण को कुछ समझ नहीं आया कि उसे क्या हुआ! लेकिन अंश के आंसू उससे ज्यादा तकलीफ वरुण को दे रहे थे. वरुण अंश के बराबर ही बैठा था इसलिए बिना कुछ सोचे – समझे उसने अंश का सर अपने कंधे पर रख लिया और उसे पुचकारने लगा.
वरुण बोला – बस अंश, अरे ऐसे भी कोई रोता है क्या बिलकुल बच्चों जैसे, बस बस, सब ठीक है… मैं भी कितना पागल हूँ कुछ भी कह देता हूँ. मुझे माफ कर देना.
अब अंश धीरे – धीरे सुबकते हुए शांत हो गया. फिर चलती बोट में वो दोनों 1 फिट की दूरी पर जा बैठे. बोटिंग का समय खत्म हो गया था और वे दोनों झील से बाहर आ गए. इसके बाद वापस स्टेशन की तरफ चल दिए.
स्टेशन की तरफ आने के लिए एक उन्होंने एक गार्डन शॉर्टकट लिया. दोनों की चाल बहुत धीमी थी. ऐसा लग रहा था जैसे दोनों में से किसी को भी स्टेशन लौटने की जल्दी नहीं हो.
जरा सा रोने के बाद ही अंश स्नीज़ करने लगा था. वरुण को कुछ समझ नहीं आया था. उसने सॉरी तो बोल दिया था पर उसे अभी तक समझ नहीं आया था कि आखिर उसने ऐसा कहा क्या जिससे अंश को इतनी ठेस पहुंची?
ये सवाल रह – रह कर वरुण को सता रहा था. वो अंश से बात करना तो चाहता था पर समझ नहीं पा रहा था कि कैसे पूछे और क्या पूछे? फिर वरुण ने इस मुद्दे को यहीं खत्म करना ही उचित समझा. उसने सोचा कि हो सकता है अंश की किसी बात पर उसके बॉयफ्रेंड से अनबन हो गई हो. और वैसे भी वरुण का कोई हक़ नहीं था अंश की प्राइवेट लाइफ में दखल देने का.
थोड़ी देर में वरुण की नज़र गुलाब के पौधे पर पड़ी और वो अंश को चलता छोड़ कर भाग कर पौधे के पास गया और एक गुलाब तोड़ लाया. फिर वो वोला – अंश देखो कितना सुंदर फूल है, ये लो तुम रख लो.
अंश – पर वरुण ये तो…
तब वरुण का ध्यान फूल की तरफ गया और वो बोला – माफ करना अंश, मैंने इस तरफ ध्यान ही नहीं कि ये फूल कौन सा है, लेकिन अच्छा लगा इसलिए तुम्हारे लिए ले आया.
अंश – नहीं वरुण, वो बात नहीं है, ये फूल वाकई में बहुत खूबसूरत है. तुमने दिया है इसलिए मैं इसे संभाल कर रखूंगा. मैं सच में इसे अपने साथ रखूंगा, ये तुम्हारी निशानी के तौर पर हमेशा मेरे साथ रहेगा.
अब वरुण से रहा न गया और वो बोला – अंश, तुम इतनी अजीब सी बातें क्यों कर रहे हो, तुम्हारी बात सुन कर मुझे डर लगने लगा है.
वरुण को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या चल रहा है. अंश ने वरुण के इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया और जेब से रुमाल निकाल कर फूल को उसमें लपेट कर जेब में वापस रख लिया.
थोड़ी देर बाद वो दोनों स्टेशन पहुंच गए. 12:50 हो चुके थे. ट्रेन आने में अभी 10 मिनट का समय बाकी था. फिर दोनों वहीं बेंच पर बैठ गए. वो 10 मिनट का समय बहुत तेजी से बीत रहा था.
वरुण अंश से प्यार करता है. आज पहली बार वह अपने प्यार से मिला है और अब पता नहीं फिर दोबारा मिलें भी या नहीं. उधर अंश ने अभी वरुण के साथ जो थोड़े लम्हे बिताए हैं वो उसके लिए याद गार रहेंगे.
दोनों ही एक – दूसरे से दूर नहीं जाना चाहते थे. इसी बीच पता ही नहीं चला कि दोनों कब एक – दूसरे का हाथ पकड़ लिया. दोनों की आंखों में जुदाई के आंसू थे. वरुण हर एक आंसू के साथ अंश को हज़ारों दुवाएं दे रहा था और अंश हर आंसू के साथ वरुण से माफी मांग रहा था.
दरअसल, अंश किसी के साथ रिलेशनशिप में था ही नहीं. जिसके लिए अंश ने वरुण को छोड़ा था वो तो बहुत पहले ही अंश को छोड़ चुका था. वो जनता था कि वरुण को जब ये पता चलेगा कि मैं अब भी अकेला हूँ तो वो टूट कर बिखर जाएगा. और अब तो वरुण रिलेशनशिप में है ऐसे में भला वो कैसे बता सकता है ये सब.
अंश ने हमेशा वरुण जैसा प्यार करने वाला दोस्त मिस करेगा और वरुण हमेशा यही सोचता रहेगा कि वो एक-तरफा प्यार में जी रहा था.
दोनों एक – दूसरे से प्यार करते हैं पर फिर भी कुछ यादों के सहारे ही अपनी ज़िंदगी काट रहे हैं. ट्रेन चलने वाली थी. फिर वरुण ने अंश का हाथ दिया. फिर अंश उठा और अपने में चढ़ गया.
वरुण नज़रें झुकाए सीधा बाहर की बाहर की ओर चल पड़ा. न इसने मुड़ कर देखा न ही उसने मुड़ के देखा. अगर देख लेते तो दोनों को अपने प्यार की परछाई एक – दूसरे की आंखों में दिख ही जाती. फिर शायद न अंश कभी उज्जैन वापस जाता और न ही वरुण उसे जाने देता.
ट्रेन के तेज हॉर्न के बीच दोनों का रुदन दब कर रह गया. वो दिन दोनों की जिंदगी के सबसे याद गार पल बन कर रह गए. इंसान को जीने के लिए भला क्या चाहिए प्यार, प्यार और प्यार. वो दोनों को मिल चुका है दोनों अपनी जिंदगी जी चुके है. अब बस ये देखना बाकी है कि दोनों की उम्र कितनी लम्बी है.
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