मुखमैथुन का भी अपना एक अलग लुत्फ़ है. हालाँकि अपने पहले सेक्स अनुभव के पहले मुझे भी इसके बारे में कुछ ख़ास पता नहीं था. लेकिन जब मुझे इसका स्वाद मिला तो सच में ये मेरे काम की तृप्ति करने वाला था……
मैं आपका कूल ब्वाय. मेरी उम्र 23 साल है, और मैं अहमदाबाद, गुजरात में एक प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब क रता हूँ।
ये बात 2 साल पहले की है.. जब मेरी कंपनी ने मेरा तबादला यहाँ कर दिया था। शुरू में मैंने 15 दिन तक होटल में ही रुक कर अपने लिए एक कमरे की तलाश शुरू की। आख़िरकार एक कमरा मिला. जिसकी मकानमालकिन एक विधवा औरत थी।
वो अपने 3 बच्चों के साथ रहती थी. एक किशोर लड़की.. उससे छोटा एक लड़का और फिर सबसे छोटी लड़की थी. वे सब भी उसकी मकान में रहते थे।
मैंने वहाँ अपना सामान अपने कमरे में शिफ्ट कर लिया।
मकान मालकिन की उम्र 35 साल के लगभग थी. वो दिखने में स्मार्ट और 25-26 साल की मस्त औरत के जैसे लगती थी। शुरू के 2-4 दिन तक मैं उनसे ज्यादा बात नहीं करता था. ना ही वो मुझसे कोई फ़ालतू बात करना चाहती थी।
फिर एक रविवार के दिन जब मैं कमरे में था. तो मेरे कमरे के सामने मकान मालकिन सब्जी काट रही थी. क्योंकि रसोई में लाइट नहीं थी तो खिड़की की जाली से परदा उठाकर मैंने देखा. उसने गहरे गले वाली नाईटी पहनी हुई थी. उसकी चूचियों के बीच की घाटी साफ़ दिख रही थी और एकदम मस्त माल लग रही थी. मैं काफ़ी देर तक उसे गौर से देखता रहा. मेरा लंड खड़ा हो गया. मेरे मन में अजीब ख्याल आने लगे।
अब मैंने उनसे बात करने की सोची और बोला- भाभी जी क्या कर रहे हो?
अचानक से मेरी आवाज सुनकर वो एकदम से चौंक कर बोली- ओह.. तुम हो क्या? अन्दर बैठे हो, तुम्हें अन्दर गर्मी नहीं लग रही क्या?
उसने इतना कहते हुए मेरे कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर झाँका तो मैं एकदम शर्म से झुक गया. क्योंकि मेरा खड़ा लंड लोवर में से बाहर की ओर उभर कर निकला हुआ था।
वो गौर से उस उभार को देखने लगी और चुपचाप बाहर जाकर अपने काम में लग गई और थोड़ी-थोड़ी देर में खिड़की की तरफ देखने लगी। मैं फिर से उसी खिड़की से उसे देख रहा था।
फिर वो अन्दर जा कर अपने काम में लग गई और मैं बाजार चला गया।
मैं खाना बाहर ही खाता था. सो मैं रात को 9-30 बजे के आस-पास कमरे में आया तो भाभी बोली- आज इतने लेट कैसे हो गए?
मैंने जबाव दिया- मैं तो रोज़ इसी टाइम पर आता हूँ।
भाभी बोली- अच्छा.. खाना कहाँ खाते हो?
मैं बोला- होटल में, पर थोड़े दिनों में ही टिफिन लगवा लूँगा।
भाभी कुछ नहीं बोली.. और मैं कमरे में आ गया।फिर मैंने अपनी ड्रेस चेंज की और लाइट ऑफ करके सोने लगा. मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो उस वक्त 10.30 बज चुके थे। तभी भाभी ने आवाज़ लगाई- आप सो गए क्या?
मै बोला- क्या करूँ? कुछ काम नहीं है, तो सिर्फ सोना ही बाकी है।
उनकी आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी क्योंकि मेरे कमरे के पास ही उनका बाथरूम था और उसका 1 गेट मेरे कमरे में भी खुलता था।
तो मैंने पूछा- आप इसी रूम में सोती हो क्या?
वो बोली- हाँ!
मैंने कहा- पहले इस कमरे में आप सोती थीं?
वो बोली- नहीं.. बड़ी बेटी सोती थी.. वैसे हमारे अन्दर वाले हिस्से में भी 3 कमरे और हैं।
भाभी टॉपिक चेंज करके बोली- आप पूरा अहमदाबाद देख चुके हो क्या?
मैंने कहा- नहीं! अभी ऑफिस में सबसे दोस्ती नहीं हुई है.. सो कहीं भी घूमने नहीं गया।
तो वो बोली- कोई अच्छी सी गर्लफ्रेंड बना लो.. आपको पूरा शहर घुमा देगी।
मैंने एकदम कहा– वैसे आप भी तो मस्त हो।
भाभी बोली- नहीं.. हमारी तो उम्र निकल गई।
मैंने पूछा- आपकी उम्र क्या है
वो बोली- 34.
तो मैंने कहा- आप 34 की लगती नहीं हो. एक बात पूछूँ? आपके पति को क्या हो गया था?
वो बोली- वो फ़ौजी थे और 3 साल पहले एक्सपायर हो गए थे।
इसी तरह बातें चलती रहीं.. फिर मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 11.30 से ऊपर टाइम हो चुका था।
फिर हम दोनों अपने-अपने कमरे में सो गए।
सुबह मुझे भाभी ने आवाज़ लगाई और मेरा गेट खटखटाया तो मैं उठा और मैंने सोचा कि शायद भाभी अन्दर आएगी. क्योंकि अन्दर से मेरी साइड से तो गेट का कुण्डा खुला ही था. पर उसने गेट नहीं खोला और मैं अपने लौड़े को हिलाकर रह गया।
दूसरे दिन फिर रात में हमारे बीच काफ़ी देर तक बातें हुई और रात के 11.00 बजे थे. मैंने तुरंत कहा- आपके बच्चों को हमारी ये बातें सुनाई नहीं देती क्या?
भाभी बोली- वो तो अपने सामने वाले कमरे में सोते हैं और बड़ी बेटी ऊपर के कमरे में सोती है।
तो मैंने कहा- भाभी जी.. तो आपने इधर का गेट क्यों बंद कर रखा है? इसे खोलो।
भाभी बोली- नहीं यार.. परदा तो होना ही चाहिए।
उसने मुझे ‘यार’ कहा था तो मैंने कहा- अपन दोनों तो अब यार हो गए हैं और वैसे भी आप भी अकेली और मैं भी अकेला. ना मुझे नींद आती है और ना आपको।
तो वो हँसने लगी और बोली- मुझे तो नींद आती है.. आपको ही नहीं आती।
मैंने कहा- तो मेरे लिए ही सही. गेट तो खोलो.. प्लीज़ भाभी..
भाभी बोली- ठीक है.. मैं खोलती हूँ पर आप मेरी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नहीं करोगे..
मैंने कहा- आपकी कसम.. प्लीज़.. गेट तो खोलो।
भाभी ने गेट खोला. मैंने भाभी को एकदम से गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। अचानक हुए इस हमले से वो चौंक गयीं.
उन्होंने कहा- मैंने कहा था न, मेरी मर्जी के बगैर कुछ नहीं करना.
मैंने उन्हें छोड़ दिया और पूछा- तो आपकी मर्जी है?
उन्होंने कातिल मुस्कान के साथ कहा- हाँ! लेकिन सिर्फ ऊपर से.
फिर वो मेरे साथ बिस्तर पर आ गई. अब मैं उसे छेड़ने लगा. उनकी नाइटी के ऊपर से ही कभी उसके मस्त-मस्त मम्मे चूसता. तो कभी उसकी चूत पर हाथ लगाता।
वो भी मेरे लोवर के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगीं.
अचानक से मैंने अपना लोअर निकालकर अपना लंड उनके हाथों में पकड़ा दिया.
फिर मैं एकदम नंगा हो गया.. तो भाभी मेरे लण्ड को देखकर बोली- हाय.. इतना बड़ा?
मैंने कहा- अब तक मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया.. यह आपकी चूत पर ही मेहरबान हुआ है।
भाभी मेरे लौड़े को देखने लगीं।
अब मैंने कहा- भाभी ये नाईटी क्यों पहनी हुई है.. प्लीज़ खोलो इसे.
तो वो बोली- नहीं.. मैं ये काम नहीं करूँगी और सब कुछ कर लूँगी।
मैंने उसके जिस्म पर हाथ फेर कर उसकी चूत को जगा दिया और अपना लण्ड उसके हाथ में थमा कर बोला- लो ये आपके लिए ही है. जैसे चाहो इस्तेमाल करो..
मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी. अब भाभी थोड़ी देर तक मेरा हथियार हिलाती रहीं. फिर उन्होंने अपने मुँह को लंड के करीब लाकर अपनी गुलाबी जीभ उसके ऊपर फिराई. हाय! क्या एहसास था? कुछ देर तक उपर-ऊपर से ही जीभ फिराने के बाद उन्होंने एक हाथ से उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और मेरा आधा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया. मुझे तो लगा तुरंत झड़ जाऊँगा.
मैंने अपना लंड उनके मुँह से खींच लिया. क्योंकि मैं इतनी जल्दी नहीं झड़ना चाहता था.
भाभी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं मुझे लगा मैं तुरंत झड़ जाऊंगा. इसलिए निकाल लिया.
फिर मैंने उनसे कहा कम से मम्मे तो चूसने दो! उन्होंने अपनी नाइटी उपर से खिसका दी और उनका गोरा गोल मम्मा मेरे हाथों में आ गया. गोरी चूची पे भूरा निप्पल इतना मस्त लग रहा था कि पूछो मत.
थोड़ी देर बाद उन्होंने फिर से मेरा लौड़ा अपने मुह में ले लिया और चूसने लगीं. वो 69 की पोजीशन में थीं. तो मैंने भी उनकी नाइटी को ऊपर करके उनकी पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पे हल्का सा काटा.
वो बोली- उफ्फ्फ… ये मत करो.
मैंने कहा- आप मेरा चूसो मैं आप का चूसता हूँ.
पहले उसने ना-नुकुर की फिर मान गयी. मैंने उसी पैंटी को साइड किया और उसकी चूत चूसने लगा. इधर भाभी उत्साहित होकर और जोर से मेरा लौड़ा चूसने लगी.
मेरे मुँह से उफ्फ्फ… अआह… भाआआअ…भी..और चूसो… और तेज…. कहकर नीचे से उनके मुँह में अपने लंड के धक्के मारने लगा. आआआह्ह्ह्हह….. की आवाज के साथ मैंने अपना माल उनके मुँह में ही झाड दिया. जिसे वो पी गयीं. फिर वो खड़ी हो गयीं. और बाथरूम में चली गयीं.
कुछ देर बाद आने के बाद उन्होंने कहा- अब सो जाओ! तुम्हारा काम तो हो गया न?
मैंने कहा- लेकिन आप का काम अभी बाकी है.
भाभी ने कहा- वो फिर कभी.
कहकर वो सोने चली गयी.
अगले दिन मैं ऑफिस चला गया. भाभी ने एक हालकी सी स्माइल के साथ मुझे बाय किया. मैंने कहा आज रात आपकी बारी.
उन्होंने कहा- चल हट! रात का रात को देखेंगे!
और मैं निकल पड़ा. रात को क्या हुआ ये जानने के मुझे मेल कीजिये और अगले पार्ट का इन्तजार. मेरी आई डी है…..
इस कहानी का अगला भाग काम की तृप्ति-भाग2 के लियें क्लिक करें.