ये कहानी मेरी और मेरे ऑफिस में काम करने वाली एक आंटी की है. उनके पति उनको संतुष्ट नहीं करते थे इसलिए वह इधर – उधर जुगाड़ लगाती थीं लेकिन फिर आदमियों के व्यवहार देख कर दूरी बना लेती थीं. मेरी इस कहानी में जाने कि कैसे मैंने उन्हें पटाया और उनकी गांड फाड़ चुदाई की…
हेलो फ्रेंड्स नमस्ते! मेरा नाम समीर खान है. दोस्तों, मैं सेक्स का और सेक्सी स्टोरीज का बहुत बड़ा फैन हूँ. मैंने कई सेक्स पोर्टल्स पर कहानियां पढ़ी हैं लेकिन अन्तर्वासना उन सबसे अलग है और इसके कहानियां मुझे बहुत पसंद आईं. इसलिए आज मैं भी यहाँ पर अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ.
दोस्तों, मेरे ऑफिस की एक आंटी ऑफिस के ही स्टॉफ के एक बन्दे को फोन किया करती थीं. वह गुड़गांव में रहता था. आंटी उससे सेक्स की बातें किया करती थीं, लेकिन पागल कुछ समझ ही नहीं पाता था. कुछ टाइम बाद उसने ऑफिस के ही दिल्ली में रहने वाले एक दूसरे बन्दे को दे दिया. वह बंदा उनसे फोन सेक्स किया करता था.
मैं यह सब देख कर परेशान रहता था. मैं सोचता कि मेरी लाइफ में ऐसी कोई आंटी या लड़की क्यों नहीं है जो मुझसे ऐसी बातें करे? अभी दिल्ली वाले उस उसे बात करते हुए यही कोई 2-3 दिन ही हुआ था. एक दिन लंच के टाइम ऑफिस में वह बंदा अपना फ़ोन टेबल पर रख कर बाहर चला गया.
मैंने मौका देख कर उसके फोन से उस आंटी का नम्बर निकाल लिया. कुछ टाइम बाद मैंने अपने फोन से उस नम्बर को डायल किया. उनकी बात सुन कर मेरे बदन में आग लग गई. मैं सोचने लगा कि किस तरह इसको अपनी बाहों में भर पाऊंगा. फिर मैंने आंटी से कहा कि मुझे आप से बात करनी है. लेकिन आंटी ने कहा कि मुझे नहीं करनी है.
तब मैंने कहा कि अच्छा नहीं करनी है तो मत करो लेकिन इतना सुन लो कि मुझे किसी दोस्त की तलाश है और मैं ये भी जानता हूँ कि आपको तो शायद मुझसे भी ज्यादा किसी दोस्त की जरूरत है. फिर इतना कह कर मैंने फोन कट कर दिया.
फिर कुछ देर बाद आंटी का फोन आने लगा. मैंने एक बार, दो बार नहीं उठाया तो वो बार – बार फोन करने लगीं. उन्होंने इतनी बार फोन किया कि आज तक कभी मेरे फोन पर इतनी कॉल नहीं आई थी. अगले दिन फिर मैंने उनका फ़ोन रिसीव किया और बात की. मैंने उनसे उनका नाम पूछा तो उसने अपना नाम संगीता बताया.
थोड़ी देर तक इधर – उधर की बातें करने के बाद मैंने कहा कि आप से थोड़ी ही बात करके मैं जान गया हूँ कि तुम मेरी जान कैसे बनोगी? इस पर उसने कहा कि मेरे पास जान बनाने वाले बहुत फोन आते हैं. तब अचानक से मैंने उससे कहा कि कभी किसी ने तुम्हारी गांड मारी है? और इतने कहने के बाद उसके जवाब का इंतजार किये बिना ही मैंने एक बार फिर से फोन काट दिया. इसके बाद फिर से वह फोन करने लगी लेकिन मैंने दो दिन तक उसका फोन नहीं उठाया.
दो दिन बाद जब मैंने उसका फोन उठाया तो वह बहुत गुस्से में थी. इतनी गुस्से में कि जैसे हम गर्लफ्रेंड – बॉयफ्रेंड हों और महीनों से एक – दूसरे से बात न की हो. तब मैंने कहा कि इतना गुस्सा न हो, मैं एक अच्छा सा होटल देख के अपने दोनों के लिए बुक कर लेता हूँ. इस पर उसने अपनी मूक सहमति दे दी.
फिर मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे हसबैंड क्या करते हैं? वो तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करते क्या? तब वह फिर से भड़क गई और बोली कि मादरचोद है, रोज़ सुबह काम पर चला जाता है और फिर रात में करीब 10 आता है. आने के बाद खाना खाता है और सो जाता है. उसे महीने में बस दो ही बार मेरी याद आती है वो भी तब जब उसकी वासना जगती है.
फिर मैंने कहा कि जान मैं तो तुम्हारी कह के लूंगा और इतनी लूंगा कि तुम्हारी साल भर की जरूरत पूरी कर दूंगा. इससे तुम्हारी सारी तड़प खत्म हो जाएगी. उसके बाद थोड़ी इधर – उधर की बात करके मैंने फोन रख दिया. आंटी से मेरी रोज़ बात होती रही.
अब कहानी में आगे चलते हैं. करीब 1 महीने तक बात करने के बाद मैंने आंटी से मिलने के लिए कहा. पहले तो वह मान ही नहीं रही थी, उसे डर था कि कहीं मैं उसे फंसा न दूं. लेकिन मेरे काफी कहने और भरोसा दिलाने पर वह तैयार हो गई. फिर मैंने एक होटल बुक कर लिया और उसे उसके पास की एक जगह पर बुलाया.
जब वह आई तो उसे देख कर मैं खुश हो गया. कसम से दोस्तों वह बहुत कमाल का माल थी. मैं तो उसको देख के उसके फिगर का अंदाज़ा भी नहीं लगा पाया था. इसके बाद मैंने उसके ऑटो का पैसा दे दिया और फिर एक दूसरी ऑटो करके होटल में गया. रास्ते भर ऑटो में वह चुपचाप थी. कुछ बोल नहीं रही थी. शायद उसे डर लग रहा था.
होटल पहुंचने के बाद मैं उसे सीधा रूम में लेकर गया और उससे बोला कि वेलकम तो हैवेन. इतना बोल कर मैं बेड पर बैठ गया. लेकिन वो सामने रखे सोफे पर ही बैठी रही. वह मेरे पास नहीं आ रही थी. मैं समझ गया कि कोई लड़की कितना भी चुदवासी हो लेकिन पहली बार तो शर्माती ही है.
फिर मेरे कई बार कहने पर वह मेरे पास आई और मैंने उसे बाहों में भर लिया. मैंने उसे पीछे से पकड़ा था तो मुझे उसके बूब्स बहुत टाइट लग रहे थे. मैं कुछ देर तक कपड़ों के ऊपर से ही उनके मम्मों के साथ खेलता रहा. मुझे मज़ा आ रहा था. जब मैंने उनके मम्मों को एक – दो बार दबाया तो वह सिसक उठीं.
उन्होंने टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. फिर मैंने उनकी टी-शर्ट उतार उतार थी. अब वो पिंक कलर की ब्रा और जीन्स में थीं. पिंक ब्रा में उनको देख कर मैं पागल सा हो रहा था. फिर मैंने उन्हें पिंकी कह दिया. जिससे वो थोड़ा सा नाराज़ होने का दिखावा करने लगीं लेकिन फिर ठीक हो गईं. फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को मसलने लगा और निप्पल्स को महसूस करके अपना अपने होंठ फिराने लगा.
अब मैंने उसके ब्रा को खोल दिया. ब्रा खुलने के बाद उसके मम्मे थोड़े ढीले लगने लगे लेकिन इतने भी ढीले नहीं थे कि लटक रहे हों. अब मैं अपने होंठ से उसके मम्मों का रसपान करने लगा. उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं और वह तड़प सी रही थी.
फिर मैं उठा और मैंने उसकी जीन्स खोल दी और साथ में ही अपनी भी उतार दी. इसके बाद मैंने उसके हाथों में अपना लन्ड दिया और मौका देख कर उसकी पिंक पैंटी को भी खींच दिया. अब वह जन्मजात नंगी थी. उसकी चूत पर बाल नहीं थे यानी कि उसने हाल ही में अपनी झांटें साफ की थी. उसकी चूत को देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बहुत दिनों से चुदी नहीं है. उसकी चूत काफी कसावट लिए हुए थी.
अब एक बार फिर से मैं उसके बूब्स पर टूट पड़ा और दोनों हाथों में भर कर दबाने लगा. साथ ही एक निप्पल को मुंह में भर लिया और बच्चे जैसे खींच – खींच कर पीने लगा. वो आवाजें निकाल रही थी, जिससे कई बार मुझे थोड़ी दिक्कत भी होती थी. लेकिन सच में दोस्तों, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं सोच रहा था कि वक्त अब यहीं रुक जाए.
अब वो लंबी – लंबी सांसें लेने लगी. अब मैं उसके गालों के साथ – साथ पूरे बदन को भी चाटने और चूमने लगा. मैंने उसे इस तरह से चाटा और चूमा कि उसकी आंखें एक दम से लाल हो गईं थीं और वह पूरी तरह गर्म हो चुकी थी.
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. उसे बहुत मज़ा आ रहा था और वो कह रही थी कि तुम अभी तक कहाँ थे, मुझे पहले क्यों नहीं मिले, सब साले अपना मतलब निकाल लेते थे और फिर मुझे भूल जाते थे, उन्हें मेरी प्यास से कोई मतलब ही नहीं होता था. लेकिन तुम्हारे साथ करके मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. वह बोलती रही और उसने आगे कहा कि एक बार के बाद तो मैं उनसे बात भी नहीं करती थी और नम्बर चेंज कर देती थी.
तब मैंने पूछा कि मतलब तुम मेरे साथ भी ऐसे ही करोगी? तो उसने कहा कि अरे मेरी जान तू तो चल मेरे साथ मैं तुझे अपना घर ही दिखा देती हूँ. फिर थोड़ा रुक कर उसने कहा कि तुम अलग हो औरों से.
फिर मैं सीधा हुआ और उसकी चूत पर लन्ड टिका दिया. उसकी चूत टपकने लगी थी. मैंने हल्का था धक्का दिया और मेरे लन्ड का टोपा थोड़ा सा अंदर घुस गया. अब मैं ढीला होकर उसके ऊपर लेट गया. इससे मेरे लन्ड पर दबाव बढ़ा और वह सरसराते हुए पूरा अंदर हो गया. मेरा लन्ड काफी बड़ा था इसलिए एक बार तो उसको दर्द हुआ लेकिन फिर वह मुझसे चिपकने लगी. अब उसे मज़ा आने लगा था.
फिर मैं धकापेल चुदाई करने लगा. रफ़्तार की वजह से वह तड़पने लगी थी. उसके मुंह से आहें निकल रही थी. अब तो वह अपनी गांड को उचका – उचका कर मेरा साथ भी देने लगी. कुछ ही देर में वह अकड़ गई और मेरी पीठ पर नाखून गड़ाते हुए मुझे अपने में समाहित करने के इरादे से जोर से अपनी ओर खींच लिया.
इस पर मैंने पूरी ताकत लगाकर अपना लन्ड अंदर पेल दिया ताकि उसको भी संतुष्टि मिले. कुछ देर बाद मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. इस बार वह थोड़ी सुस्त सी थी लेकिन सहयोग पूरा दे रही थी. करीब 5 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया.
कुछ देर बाद मुझमें फिर से खुमारी छाई और मैंने उसकी फिर से चुदाई की. उस दिन करीब 3 घंटे में मैंने 5 बार उसकी चूत चोदी.
अब मुझे उसकी गांड भी मारनी थी. दोस्तों, उसकी गांड बहुत टाइट थी. इतनी टाइट की बिना कंडोम के मेरा लन्ड अंदर जा ही नहीं रहा था. फिर मैंने कंडोम लगाया अजर धक्का मार दिया. मेरे धक्के के साथ आंटी का मुंह खुला का खुला रह गया. उसे बहुत दर्द हुआ. उसने पहले कभी गांड नहीं मरवाई थी.
यह देख कर मैंने सोचा कि चूत तो कुंवारी नहीं है लेकिन गांड तो कुंवारी है. इसी का उद्घाटन करते हैं. भाइयों, लड़की की चूत और गांड में कोल्ड ड्रिंक और दारू जितना अंतर है. चूत कोल्ड ड्रिंक के जैसे सॉफ्ट होती है तो गांड दारू के जैसे हार्ड और ज्यादा नशे वाली होती है. मैंने जम कर उसकी गांड बजाई. कुछ देर बाद उसे मज़ा आने लगा और उसने कहा कि ऐसे मज़ा तो उसे आज तक नहीं आया है. कुछ देर बाद मैं फिर से उसकी गांड में झड़ गया.
फिर मैंने उसे खाना खिलाया और ऑटो में बैठा कर ऑटो वाले को 500 का नोट दिया और फिर हम लोग नोएडा से चल दिए. मैं रास्ते में ही उतर गया और वो वहां से आगे चली गई.
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]