दोस्तों! मेरी पिछली कहानी काम की तृप्ति- भाग१ में आपने पढ़ा कि कैसे मेरे और मेरी मकानमालकिन के बीच मुखमैथुन का खेल हुआ. किस तरह से उन्होंने मेरा लौड़ा चूस-चूस कर मेरा वीर्यपान किया लेकिन उनकी चूत अभी प्यासी ही थी. अब आगे जानने की लिए पढ़ें….
मैं ऑफिस चला तो आया था पर मेरा ध्यान लगातार घडी पे ही था कि कब शाम हो और मैं घर जाऊं. शाम को खाना खाकर लौटते वक़्त मैंने मिठाई ले ली. घर पहुँचने के बाद दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा किसी अजनबी औरत ने खोला. मुझे लगा वो कोई रिश्तेदार है. मेरी तो सारी ख़ुशी ही उसे देखकर छू हो गयी. मैंने सोचा रात के प्रोग्राम का तो बंटाधार हो गया.
लेकिन कुछ देर बाद जब वो चली गयी तो मैंने पूछा- ये कौन है?
भाभी ने कहा- पड़ोसन थी चली गयी.
मैंने चैन की सांस ली. और कहा- आपको अपना वादा याद है न?
उन्होंने कहा- मैंने कोई वादा नहीं किया था.
फिर वो मुस्कुराकर अपना काम करने रसोई में चली गयीं. खैर मैं भी समझ गया था कि भाभी कहे न कहे उनकी चूत की प्यास तो जाग ही उठी है.
रात को मैं अपने कमरे का दरवाजा खुला रखकर ही लेटा था. करीब 10:30 बजे भाभी आई. कुछ देर बातें करने के बाद उन्होंने खुद ही मेरा लोअर नीचे कर दिया और लगभग 10 मिनट तक वो लौड़ा चूसती रही।
आख़िर मैंने कहा- भाभी अब निकलने वाला है. क्या रोज रोज ऐसे ही होगा? प्लीज़ आपकी चूत तो अभी बाकी है। एक बार उसे चोदने दो!
अब भाभी ने तुरंत अपनी नाईटी उतार दी… तो मैंने उसकी पैन्टी भी खींच कर उतार दी।
अब मैं उसकी चूत में अपना लंड डालने के मूड में था.. पर भाभी ने कहा- पहले मेरी चूत चुसाई करो! तुम बहुत अच्छा चूसते हो!
आज उसकी चूत बहुत मस्त लग रही थी. एकदम सफाचट. साफ़-सुथरी और चिकनी चूत देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया. फिर हम 69 स्टाइल में आ गए।
दस मिनट बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी निकली. भाभी का गला भर गया। वो लौड़ा निकाल कर खांसने लगी और बोली- मेरा गला भर गया है. पर तेरा माल टेस्टी है।
फिर मेरा माल निकल जाने के बाद भाभी फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और उन्होंने लौड़े को अपनी चूत में पेलने का इशारा किया।
मैंने कहा- भाभी बिना कन्डोम के चोदने में मुझे डर लगता है. क्योंकि आजकल एड्स का ख़तरा बहुत ज्यादा है. यह ठीक नहीं है।
भाभी बोली- मुझे मेरे बच्चों की कसम.. मैंने मेरे पति के सिवाय किसी से चुदाई नहीं की है और वैसे भी वो कभी-कभी ही घर आते थे। अब 3 साल से तो बिल्कुल ही अनछुई हूँ. प्लीज़ डालो न! मैं आपको बहुत मज़ा दूँगी।
मैंने तुरंत लाइट जला दी और नंगे बदन में भाभी भाभी की मासूमियत देख रहा था।
भाभी बोली- यार लाइट ऑफ कर दो! अड़ोसी-पड़ोसी शक करेंगे।
मैंने तुरंत लाइट ऑफ की और भाभी को बोला- लौड़े को ज़रा और टाइट करो।
भाभी ने ठीक वैसा ही किया।
फिर मैंने भाभी से पूछा- आपको किस स्टाइल चुदवाने में मज़ा आता है?
वो बोली- जैसे आप चाहो। मुझे तो बस अपनी चूत के लिए तेरा लंड चाहिए.
मैंने भाभी को उल्टा किया और चूत में लौड़ा डालने लगा. उसकी चूत बहुत टाइट और कसी हुई थी। फिर मैंने एकदम से झटका लगाया. मेरा पूरा लंड उसकी चूत की संकरी दीवारों से रगड़ता हुआ चला गया।
‘ओह.. मर गई.. ओह.. ऊऊओह..’ वो चिल्लाने लगी।
मैंने ज़ोर-ज़ोर से झटके लगाने चालू कर दिए. भाभी का चिल्लाना जारी था. फिर कुछ पलों बाद उसे भी चुदाना अच्छा लगने लगा।
वो बोली- यार मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. प्लीज़ ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करो न.
मैं लगातार 4-5 मिनट तक चुदाई करते-करते थक गया था. क्योंकि ये मेरा पहला मौका था और एक बार मेरा माल भी निकल चुका था। मैं अब चूत से बाहर निकलना चाह रहा था।
भाभी बोली- अभी मत निकलना. अभी मुझे जोर से चोदो मेरी चूत फाड़ डालो यार.. फाड़ डालो इसे..
मैंने भाभी की बात मानकर फिर से धक्का लगाना शुरू कर दिए। थोड़ी देर बाद भाभी की चूत ने आंसू छोड़ दिए। फिर मैंने भी माल छोड़ दिया।
अब भाभी बहुत खुश थी. वो सीधी होकर मुझसे लिपट गई और बोली- मेरे राजा! मुझे बहुत मज़ा आया. आप बहुत अच्छे हो.
वो मुझे फिर से चूमने लगी. मैंने भी उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और दोनों यूँ ही लिपट कर सो गए। रात को भाभी नींद में सो रही थी. मैं बीच-बीच में जाग जाता था। सुबह 5.30 बजे थोड़ा उजाला हुआ तो मैंने भाभी को गौर से देखा. नींद में उसका चेहरा बहुत ही मासूम लग रहा था. जैसे कि बहुत सालों के बाद सूकून की नींद सो रही हो।
मेरे से रहा नहीं गया. मैंने उसके माथे, गाल और होंठों पर किस किए, वो जाग गई।
मैं बोला- तुम कितनी मासूम लग रही हो.. तुम यहाँ घर में अकेली रहती हो तो पड़ोस में किसी की नज़र नहीं पड़ी क्या?
वो बोली- मेरे साथ मेरी सास भी रहती है. अभी वो मेरे देवर के पास गाँव में है. क्योंकि उसके लड़की हुई है। इसलिए उनके जाते ही मैंने कमरा किराए पे दे दिया और तुम मुझे पसंद भी आ गए थे. क्या करूँ. अब चूत की खुजली बर्दाश्त नहीं होती थी.
उसके मुँह से यह सुनकर मेरा फिर से लंड खड़ा हो गया। मैंने उसकी टांग उँची करके अपना लौड़ा चूत में डालने लगा. तो वो बोली- मेरे राजा अब मैं आपको मना तो नहीं कर सकती, पर ये काम ज्यादा नहीं करना चाहिए. नहीं तो जिस्म में कमज़ोरी आ जाती है।
मैंने पूछा- तो कब–कब करते हैं?
वो बोली- दो दिन में एक बार.
मैंने ज़िद की तो वो राजी हो गई। मैंने फिर उसकी जमकर चूत चुदाई की।
भाभी कातिलाना अंदाज में बोली- लौड़े पर नई नई जवानी आई है।
तब तक 6.00 बज चुके थे. वो उठ कर चली गई. मैंने भी गेट को अन्दर से बंद कर लिया।
उसने अपने बच्चों को जगाया. उन्हें स्कूल के लिए तैयार किया। मैं भी बहुत खुश था। मैं बाथरूम में नहा रहा था. तभी गेट पर दस्तक हुयी. मैंने तुरंत गेट खोला वो सामने खड़ी थी।
मैं बिल्कुल नंगा था. वो शरमाते हुए बोली- नहा लिए क्या? मैं नाश्ता लाती हूँ और दरवाजा खुला छोड़ कर रसोई में अन्दर चली गई।
जब तक मैंने ड्रेस पहनी, तब तक वो गोभी के परांठे और दही ले आई।
मैंने मना किया तो बोली- जब तक मेरी सास नहीं आती, आप खाना यहीं खाया करो।
मैं फिर ऑफिस चला गया.. शाम को उसने अपने बच्चों से मेरा परिचय कराया।
तब से मैं भाभी और उनके बच्चों से बहुत ज्यादा घुल-मिल गया हूँ और रोजाना रात को हम साथ ही सोते थे। कभी मेरे बिस्तर पर चुदाई होती थी तो तो कभी भाभी के बिस्तर पर चुदाई होती थी। हमने लगभग सारे आसनों में चुदाइ की। वो लम्हा मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक हैं। कोई लडकी और औरत मुझसे मिलना या बात करना चाहती है तो प्लीज़ जरूर करें। मुझे अपने ईमेल भेजें।
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