वह हमारे खेत में काम करने आती थी. थोड़ी सी मोटी थी लेकिन मुझे तो मोटी लड़कियां पसन्द थीं. फिर मैंने उसे पटाया और एक दिन शाम को जब उसे घर छोड़ने जा रहा था तो मौका देख कर अंधेरे रास्ते पर उसकी चुदाई कर दी…
हेलो दोस्तों, कैसे हो आप सब! आशा करता हूँ आप सब मस्त होंगे! मेरा नाम अमित नेहरा है और मैं गाजियाबाद जिले से हूँ. मेरी उम्र 30 साल है. आज मैं यहां पर अपनी कहानी लिख रहा हूँ. पढ़ने के बाद मुझे बताइयेगा कि आप सब को मेरी यह कैसी लगी? ये कहानी मेरी ज़िंदगी का एक हसीन हिस्सा है.
कुछ लोगों की कहानी ऐसी होती है, जिसे पढ़ने के बाद लगता है कि चूत बहुत आसानी से मिल जाती है और इसके लिए बस लौड़ा खड़ा करने भर की जरूरत होती है. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. लड़की उसकी मर्ज़ी के बिना कभी नहीं मिलती है और दोस्तों भूल कर भी कभी किसी लड़की के साथ जबरदस्ती मत करना. इसमें दोनों की लाइफ खराब होती है. जो भी करो रज़ामंदी के साथ करना चाहिए.
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ. काफी टाइम की मेहनत के बाद मुझे एक लड़की मिली. उसका नाम रेशमा ( बदला हुआ) है. वह बहुत ही अच्छी लड़की है. वह थोड़ी सी मोटी है लेकिन मुझे मोटी लड़कियां पसंद हैं. मोटी लड़कियों में एक खास बात होती है, जो मुझे बहुत पसन्द आती है.
उसकी चूची 34 से थोड़ी बड़ी है और गांड का तो पूछो ही मत. उसकी गांड और जांघ देखते ही हाथ मारने का दिल करता है. उसकी चूत को कपड़ों के ऊपर से देख कर ही मुंह और लन्ड में पानी आने लगता है.
वह अपने परिवार के साथ मेरे खेतों पर काम करने के लिए आया करती थी. जब पहली बार वो आई थी तब मैं उसका चेहरा नहीं देख पाया था. उसने अपना चेहरा अपने दुपट्टे से बांधा हुआ था. पहले दिन बस ऐसे ही मज़ाक करते हुए और काम करते हुए निकल गए और टाइम का पता ही नहीं चला.
मैं तो उसका फिगर देख कर ही उस पर लट्टू हो गया था. अगले दिन उसने अपना चेहरा नहीं बांधा था था और काम करते हुए भी बात कर रही थी. उसके मोटे – मोटे गाल और पतले लिप्स बहुत मस्त लग रहे थे. उन्हें देख कर मेरा मन किया कि बस जाकर उन्हें अभी चूम लूं लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सका.
कुछ दिन ऐसे ही मज़ाक में चलते रहे. अब वो भी मुझसे खुल कर हंसी मज़ाक करने लगी थी. कुछ काम खेत में ऐसे होते थे, जिन्हें औरतें नहीं कर सकती थीं तो उन में मैं उनकी मदद करता था. इस कारण वो मुझसे बड़ी खुश रहती थी.
एक बार ऐसे ही मैंने उसकी मदद की तो वो बोलने लगी आज तो आप ने झप्पी वाला काम किया है! उसकी यह बात सुन कर पहले तो मैं समझ नहीं पाया लेकिन फिर समझते देर भी न लगी. उसकी यह बात सुनते ही दिल बोला कि बस बेटा काम बन गया और लन्ड चूत मिल गई. अब दिल और लन्ड दोनों खुश थे. लेकिन उसने झप्पी नहीं दी.
फिर कुछ दिन ऐसे ही गुज़र गए. एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया कि झप्पी कब दे रही हो तो उसने कहा कि जब टाइम आएगा तब. उस दिन काफी देर तक हमारी बात होती रही. काम खत्म हुआ तो उसकी मां मुझसे बोली कि जाओ पानी ले आओ.
तब मैं रेशमा को बाइक पर बिठा कर खेतों से कुछ दूर स्थित हैंडपंप के पास ले गया. वहां उसने पानी भरा और उसके बाद मैंने उससे झप्पी के बारे में फिर पूछा. कुछ देर सोचने के बाद हामी भरी और झप्पी देने के लिए आगे बढ़ी. साथ में मैं भी आगे बढ़ा और झप्पी देने लगा. फिर करीब 10 सेकेंड में ही वह अलग हो गई.
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था. जिसे हर कोई पहचान सकता था कि क्यों लाल है. खैर, फिर हम वहां से जल्दी ही लौट आए. उसकी मां खेत पर हमारा इंतजार कर रही थीं.
खेत पर आने के बाद मौका मिलने पर मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया. इस पर उसने मुझे अगले दिन जवाब दिया. उसके जवाब देने के साथ ही मैंने उसे उसे किस कर लिया. लेकिन मेरा लन्ड अभी भी चूत के लिके तरस रहा था.
फिर मौका मिलते ही हम दोनों के बीच किस होता लेकिन कभी चुदाई नहीं हो पाई. 3 महीने ऐसे ही निकल गए. वो शर्माती थी इसलिए मैं उसे ज्यादा फ़ोर्स नहीं करता था. मैं चाहता था कि जो भी उसकी पूरी रजामंदी से हो.
लगभग 3 महीने बाद वो दिन भी आ गया. उसकी छोटी बहन को हम दोनों के रिश्ते के बारे में पता था. उस दिन मैं शाम को करीब 7 बजे रेशमा और उसकी छोटी बहन को बाइक पर बिठा कर खेतों से घर छोडने जा रहा था. उसकी मां और सबसे छोटी बहन को टेम्पो से आना था.
वे दूसरे रास्ते से आ रही थीं. फिर मैंने बाइक को एक अंधेरे रास्ते की ओर मोड़ दिया और कुछ दूरी पर जाकर रोक दिया. उस रास्ते पर कोई नहीं आता था. अब उसकी बहन बाइक के पास रुक गई और मैं रेशमा के साथ अंधेरे में कुछ और आगे चले गए.
थोड़ी दूर जाते ही मैंने उसे बाहों में भर लिया और किस करने लगा. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी. हम दोनों खड़े ही थी. मेरा लन्ड लोवर में तंबू बनाये खड़ा था और वहां से बाहर निकलने को तैयार था.
फिर मैंने अपने लन्ड को बाहर निकाल लिया और उसे रेशमा के हाथों में दे दिया. तब उसने उसे पकड़ तो लिया लेकिन किया कुछ नहीं. अंधेरा काफी था. फिर मैंने उसके कपड़े ऊपर करके उसकी ब्रा भी ऊपर कर दी और उसकी चूची को चूसने लगा. इससे वो गर्म होने लगी और मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाकर चुसाती रही.
मेरे लन्ड को अब किसी भी हाल में चूत चाहिए थी. तब मैंने रेशमा से उसके सलवार का नाड़ा खोलने को कहा. इस पर उसने अपनी सलवार पकड़ ली. जब मैंने उससे पूछा तो वो मना करने लगी और कहने लगी कि ये मत करो.
फिर काफी समझाने के बाद वो मान गई और फिर उज़्ने अपने सलवार को छोड़ दिया. तब मैंने उसके सलवार को एक पैर से निकाल दिया और एक में फंसा रहने दिया. उसने पैंटी नहीं पहन रखा था. पूछने पर उसने बताया कि वह पैंटी बस पीरियड के दौरान ही पहनती है.
फिर मैंने उसे वहीं जमीन पर लिटा दिया और उसकी टांगें फैला कर चूत की तरफ झुक गया. अंधेरा तो इतना था कि कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था. लेकिन मैंने अंदाज से उसकी चूत पर जीभ लगा दी. उसकी चूत पहले से इतनी गीली थी कि मुझे आयल की कोई जरूरत ही नहीं समझ आई.
मेरे जीभ लगाते ही वो मुझे हटाने लगी. लेकिन मैं नहीं हटा. अब वो बिल्कुल गर्म हो चुकी थी और मचलने लगी थी. अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था. तब मैं उसके ऊपर आया और अपना लोवर नीचे कर दिया. अब मेरे लन्ड को पकड़ने की जरूरत नहीं थी. लन्ड ने अपना निशाना खुद ही खोज लिया था.
उसकी चूत इतनी गीली थी कि लन्ड के चूत के मुंह पर आते ही मैंने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिया और लन्ड को आगे बढ़ाता चला गया. 2 धक्कों में मेरा पूरा लन्ड उसके भीतर चला गया. अब वो दर्द की वजह से कराहने लगी और मुझे हटाने की कोशिश करने लगी. मगर उत्तेजना के कारण उसके हाथ उसका साथ नहीं दे रहे थे.
चूत में लन्ड फंसा होने के कारण वह पैर भी नहीं चला पा रही थी. तभी उसे चक्कर गया. अब मैं कुछ देर के लिए रुका रहा और उसके नॉर्मल होने का इंतजार करने लगा.
उसके नॉर्मल होने पर फिर मैं कुछ देर बाद लन्ड को आगे – पीछे करने लगा. उसे तब भी दर्द हो रहा था. फिर मैंने धीरे – धीरे अपनी स्पीड बढ़ाई और करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद दोनों ढेर हो गए.
इसके बाद मैंने उसे उठाया. उससे संभला भी नहीं जा रहा था. फिर मैंने उसे गले लगाया लेकिन उसने मुझे धक्का देकर खुद को मुझसे अलग कर लिया. वो मुझसे इस दर्द के लिए नाराज़ थी. इसके बावजूद मैंने फिर से उसे गले लगा लिया. इस बार उसने मुझे हटाया नहीं और मुझे किस करने लगी. इसके बाद फिर हम बाइक के पास आये और उसमें बिठाकर मैं उन दोनों बहनों को उनके घर छोड़ आया.
दोस्तों, ये थी मेरी पहली और सच्ची कहानी. आपको पसन्द आई या नहीं मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]