लन्ड ने बनाया चूत में आशियाना

फिर उसने अपनी निगाहें फेर ली. तब मैं समझ गया कि अब तो मेरा काम बन सकता है. फिर मैंने बल्ब को लगाया और उतरते हुए एक बार फिर उसके मम्मों पर हल्के से हाथ फेर दिया. इस बार उसने अपनी निगाहें मुझसे मिलायी और कुछ सेकंड के बाद मैं उसके चेहरे को अपने हाथों में भर कर किस करने लगा. तभी उसने कहा कि अभी मम्मी आ जाएंगी. फिर मैं उसके मम्मों को दबा कर वहां से चला गया…

नमस्कार साथियों! मेरा नाम राज है और मैं पिछले कई वर्षों से अन्तर्वासना पर लण्ड और चूत की उन गर्मा – गर्म कहानियों का नियमित पाठक रहा हूं जिनको पढ़ने से बुर गर्म होकर लण्ड से अपनी खुजली मिटाने की कामना करती है तथा लण्ड भी बुर में जाने के लिए सभी बाधाओं को तोड़ देना चाहते हैं.

आज मैं, आप सभी के समक्ष मेरे साथ घटित हुई अपनी एक सच्ची कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि यह आप सभी को अवश्य पसंद आयेगी.
दोस्तों, मैं इलाहाबाद में रह कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता हूँ. वहां पर मैं एक रुम किराए पर लेकर रहता हूँ. मैं जिस मकान में रहता हूँ वहां पर मकान मालिक का परिवार भी रहता है.

मकान मालिक की एक बेटी है और मेरे मकान मालिक आर्मी में है जो कभी – कभार ही घर आते हैं और आकर उसकी मां की प्यास बुझा कर चले जाते हैं. दोस्तों, उसकी पुत्री का नाम नताशा हैं और वह बी. ए. में पढ़ रही है. वह इतनी गजब की माल है कि मैं आप से नहीं बता सकता.
क्या मस्त जिस्म है उसका! उसकी छाती पर तो मम्मे के उभार को देखते ही बनता है. वह जितनी गोरी है उससे भी ज्यादा मुझे सेक्सी लगती है.

उसे देख कर मेरा 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लण्ड खड़ा हो जाता है. मैं जब से वहां गया था तभी से मैं उसे चोदने का विचार बनाने लगा था. लेकिन मौका ही नहीं मिल रहा था. एक दिन नताशा के रूम का बल्ब फ्यूज हो गया. उसे देखने के लिए उसकी मां ने मुझे बुलाया और कहा कि राज, जरा नताशा के रूम का बल्ब देख लेना, वह जल नहीं रहा है.

तब पहली बार मैं नताशा के रूम में गया. जहां पर बहुत ही ज्यादा अंधेरा था. उसकी मां मोमबत्ती जला कर लायी और नताशा से कहा कि बेड पर स्टूल रखकर उसे पकड़ लो, जिससे कि राज देख सकें कि इसमें क्या हुआ है तो नताशा ने वैसा ही किया.

अब मैं स्टूल पर चढ़ कर बल्ब को निकाल लिया और देखा तो उसका फिलामेन्ट टूटा हुआ था. तब मैंने कहा – आन्टी, यह तो फ्यूज हो गया है.

तब उन्होंने कहा कि बाजार चले जाओ और एक बल्ब लाकर लगा दो. मैं मार्केट गया और वहां से बल्ब ले आया. तब मैंने उसकी माँ के पास गया तो देखा मुझे वह आटा गूंथ रही थी. तभी उन्होंने नताशा से कहा – नताशा, जाकर बल्ब लगवा दो.

फिर मैं जाकर स्टूल पर चढ़ गया और नताशा ने स्टूल को पकड़ लिया. चढ़ने के बाद मैंने उससे बल्ब मांगा और जब नताशा बल्ब देने लगी उस समय मेरा हाथ उसके मम्मों पर टच हो गया. उससे वह थोड़ा सा सहमी और मेरी तरफ देखने लगी. मैं अभी भी उसके मम्मों को घूर रहा था. ऊपर वे से ऐसे लग रहे थे जैसे दो पहाड़ियों के बीच में कोई संकरी सी घाटी हो.

फिर उसने अपनी निगाहें फेर ली. तब मैं समझ गया कि अब तो मेरा काम बन सकता है. फिर मैंने बल्ब को लगाया और उतरते हुए एक बार फिर उसके मम्मों पर हल्के से हाथ फेर दिया. इस बार उसने अपनी निगाहें मुझसे मिलायी और कुछ सेकंड के बाद मैं उसके चेहरे को अपने हाथों में भर कर किस करने लगा. तभी उसने कहा कि अभी मम्मी आ जाएंगी. फिर मैं उसके मम्मों को दबा कर वहां से चला गया.

अगले दिन सुबह मैंने मौका तलाश कर नताशा को पकड़ कर उसके मम्मों को फिर से दबाया और उसके बुर में हाथ डाल कर कहा आज रात को जब मम्मी सो जाये तब तुम मेरे रूम में आ जाना. तभी उसकी मम्मी ने उसे आवाज लगाई और वह भाग गयी.

अब मैं रात को उसका इन्तजार करने लगा. रात्रि के करीब 10:55 बजे नताशा अपनी बुर चुदवाने के लिए मेरे पास आ गयी. वह आकर मेरे बगल में बैठ गई. अब मैं उसे पकड़ कर उसके होंठों को पीने लगा. इससे वह भी नशे में हो गयी, और जम कर मेरा साथ देने लगी.

अब मैं उसकी कमीज़ में हाथ डाल कर उसके मम्मों को दबाने लगा. फिर मैं झटके से उसकी कमीज़ को उसके जिस्म से उतर कर फेंक दिया. अब उसके मम्मे मेरे सामने स्वतंत्र रूप से झूल रहे थेे. उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी. अब मैं उसके मम्मों को पीता जा रहा था और लगातार दबाता भी रहा. जिस कारण उसके मम्मे बहुत टाईट हो गये थे.

अब नताशा बिल्कुल मदहोश हुई जा रही थी. लगभग 20 मिनट तक ऐसा करने के बाद मैंने उसे अपना लण्ड पकड़ा दिया और उससे कहा – लो जानेमन, अब इसे अपने मुँह में ले लो.

वह उसे मुंह में लेने से मना करने लगी. तभी मैंने उसका मुंह खोला और उसमें अपना लण्ड डाल दिया और उसके सिर को पकड़ कर आगे – पीछे करने लगा. कुछ समय के बाद उसको भी मजा आने लगा और अब वह लण्ड को हाथ में लेकर उसे चूसती जा रही थी.

इस दौरान मुझे बहुत आनंद मिल रहा था. मैं तो जैसे पागल होता जा रहा था और कुछ समय के बाद मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया. जिसे पूरा ही वह गटक गई और लण्ड को बिल्कुल साफ कर दिया. कुछ देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया.

अब मैं उसकी चूत चुदाई करने के लिए एक दम तैयार था. मैंने जैसे ही उसकी लोवर को खींच कर उतारा तो मेरे सामने जो नजारा था उसे देखते ही मैं दंग रह गया. पैन्टी में साली बहुत पानी छोड़ चुकी थी. इस पानी के कारण उसकी पैन्टी पूरी भीग गयी थी और उसकी टाईट बुर से बिल्कुल चिपकी हुई थी.

अब मैंने उसे बिस्तर पर लिटाकर, उसकी चूत पर से पैन्टी को निकाल दिया और उसकी टागों को चौड़ा करते हुए उसकी सील पैक चूत में अपनी जीभ को डाल कर उसके चूत रस का स्वाद लेने लगा. अब नताशा बिल्कुल छटपटा रही थी और कह रही थी कि अब और मत तड़पाओ, अपना लण्ड अब मेरी चूत में डाल कर जल्दी से इसको चोदो, खूब चोदो.

तभी मैंने उसके नीचे तकिया लगाया और उसके पैरों को अपने कंधों पर रख कर उसकी चूत में तेजी – तेजी से अंगुली करने लगा और अपनी अंगुली उसके चूत रस में भिगोता जा रहा था.

अब मैंने उसके चूत के दोनों फांकों को हाथों से चौड़ा कर के उसमें अपना लण्ड सेट किया और खूब जोर का एक धक्का लगाया, जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ 4 इंच तक घुस गया. जिससे उसके बुर से खून बहने लगा और वह मेरा लण्ड अपनी चूत में लेकर तड़प रही थी.

उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे और उसका मुंह दर्द के कारण लाल हो गया था. तब मैं रूक गया और उसे किस करने लगा. करीब 10 मिनट के बाद जब उसका दर्द कुछ कम हो गया, तो मैं लण्ड को धीरे – धीरे आगे – पीछे करने लगा. कुछ समय बाद उसे भी मजा आने लगा, और वह अपनी गांड़ को उठा – उठा कर लण्ड का साथ देने लगी.

तभी मैंने मौका देख कर एक तगड़ा शॉट लगाया. जिससे मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर की गहराई में घुसता चला गया. तभी वह जोर – जोर से चिल्लाने लगी और मुझसे लन्ड बाहर निकालने के लिए बोलने लगी.

लेकिन मैं उसकी बुर में लण्ड डाले – डाले ही तब तक उसे किस करता रहा, जब तक उसे आराम नहीं मिल गया.
करीब 15 मिनट के बाद मैं फिर से लण्ड को उसकी बुर में आगे – पीछे करने लगा. अब वह अपनी चूत को ऊठा – उठा कर चुदवा रही थी. इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी.

अब मैं उसे तेज – तेज पेलता जा रहा था. तभी उसका शरीर फिर से अकड़ने लगा. तब मुझे पता चला कि अब यह झड़ने वाली है. अब कमरे में सिर्फ ‘आह, आह, ऊह, ऊह और फच्च – फच्च की ध्वनि गूंज रही थी. कुछ समय के बाद अब मैं भी झड़ने वाला था तो उससे पूछा कि बुर में निकालूं या मुंह में?

तो उसने कहा कि चूत में ही गिरा दो न. फिर मैं उसकी बुर में ही झड़ कर उसके ऊपर लेट गया और उससे किस करने लगा. ऐसा ही करीब 10 मिनट तक करने से मेरा लण्ड उसकी चूत में घुसा हुआ ही फिर खड़ा हो गया. तब मैंने अपने लण्ड को उसकी बुर से निकाला और फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए.

मेरा लन्ड उसके मुंह में था और मैं उसकी चूत को लगभग 15 मिनट चाटता रहा उसके बाद एक बार फिर मैंने उसे घोड़ी बना कर एक ही झटके में लण्ड उसकी बुर में पेल दिया और उसे खूब चोदा. फिर मैं बिस्तर पर ही लेट गया और नताशा को अपने लण्ड पर बिठा कर अपनी बुर चुदवाने के लिए कहा.

मेरे लण्ड से उसकी बुर की खुजली मिट ही रही थी इसलिए वह बड़े मजे से ऐसा कर रही थी और अंततः हम दोनों एक साथ ही झड़ गये. उसकी बुर बजाते – बजाते हमें समय का अनुमान ही नहीं लग पाया. हमने जब समय देखा तो 4:30 बज रहे थे.

उस रात नताशा की इतनी अधिक चुदाई हो चुकी थी जिसके कारण उसकी चूत फूल कर बिल्कुल लाल हो गयी थी. उस समय उसकी चूत में इतना दर्द हो रहा था कि वह चल भी नहीं पा रही थी. फिर मैंने एन्टी प्रेग्नेंसी की गोली देकर उसे उसके कमरे में भेज दिया.

उस दिन के बाद से अब नताशा बिना बुलाए ही मौका मिलने पर रोज रात को अपने बुर की खुजली मेरे लण्ड से मिटवाने के लिए मेरे पास भाग कर आती है और हम दोनों रात भर खूब चुदाई करते हैं.

साथियों आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? आप मुझे अवश्य बताइयेगा. मेरी मेल आईडी – [email protected]

Leave a Comment