इतना कह कर माँ मेरे होंठों पर अपने नरम होंठ रख कर मेरा मुंह बंद कर दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी. अब मैं भी मूड में आ गया और उनका साथ देने लगा. ये किस करीब 5 मिनट तक चला…
हेलो दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है और मैं आशा करता हूँ कि ये आपको पसंद आएगी. मेरा नाम रवी है और मैं 18 साल का हूँ. ये कहानी मेरे और मेरे माँ के बीच हुई सच्ची घटना है.
दोस्तों, मेरी माँ का नाम संगीता है. एक बार मेरे पिता जी अपने काम से आऊट ऑफ स्टेशन गये थे और उनको आने में अभी 2 हफ्ते बाकी थे. शाम का समय था और मैं घर पर बैठ कर टीवी देख रहा था. मेरी माँ किचन में खाना बना रही थी.
तभी फोन बजा. मैंने फोन उठया तो फोन पर दूसरी तरफ मां की सहेली शांती आंटी थीं. फिर मैंने माँ को आवाज दी और कहा कि मां आपका फोन है. तो मां बोली कि रुको मैं अभी आती हूँ.
फिर माँ किचन से बादर आते ही बोलीं, “किसका फोन है?” मैं बोला कि शांती आंटी का है. फिर मां उनसे बात करने लगीं. माँ बोली, “क्या हाल चाल हैं तेरे, बहुत दिन बाद फोन किया!”
उधर से शांती आंटी बोलीं कि तेरा काम हुआ कि नहीं? इस पर माँ ने कहा, “अरे नहीं हुआ, और तेरा?” तो शांती आंटी बोलीं, “मेरा तो मत ही पूछ, मैं तो अब दिन रात राहुल से चुदवती हूँ. मेरी तो फैन्टसी सच हो गई. चिंता न कर तेरी भी हो जायेगी.”
इस पर माँ बोलीं, “अरे यार, अपनी भी क्या मस्त फैन्टसी है बेटे से चुदवाने की! ये छोड मुझे बता कि ये हुआ कैसे?” इस पर शांती आंटी बोलीं कि मैंने राहुल के पापा के बाहर जाने के बाद उसे सीधा बता दिया.”
माँ बोली – क्या बता दिया?
शांती आंटी – मैंने राहुल से कहा कि मुझे तुझसे चुदवना है.
माँ – फिर?
शांती – वो बोला, “माँ मैं जो बात तुमको नहीं कह पा रहा था, वो बात तुमने कह दी. बस फिर क्या, अब दिन हो या रात मैं राहुल से हरदम चुदवती हूँ.”
माँ बोलीं – तेरी तो निकल पड़ी, पर मैं नहीं कह सकती. मुझमे इतनी हिम्मत नहीं है. तू मुझे कुछ नया आइडिया बता.
शांती – एक काम कर तू रवी पर नजर रख कि वो तुझे घूरता है कि नहीं और अगर वो तुझे घूरता है तो तभी उसे सीधा बता दे कि तू उससे चुदवाना चाहती है.
माँ बोलीं – अगर कुछ गड़बड़ हुई तो?
शांती – अब अगर मगर कुछ नहीं.
माँ – पर!
शांती – इतना क्यों घबरा रही हो?
माँ – यार मुझमे तुम्हारे जितनी हिम्मत नहीं है.
शांती बोली – क्या यार, अच्छा रूक, मैं कुछ सोचती हूँ.
माँ – हां
कुछ देर बाद शांती बोली कि एक काम कर, तू उसे अपने जलवे दिखा. अगर वो कुछ तुझमें दिलचस्पी लेता है तो समझ ले कि तेरा रास्ता साफ है. फिर थोड़ा रुक कर बोलीं कि अच्छा चल अब राहुल बाथरूम में है और मुझे आवाज दे रहा है.
माँ – क्यों उसने टॉवल नहीं लिया क्या?
शांती – अरे नहीं, मैं उसके साथ नहाने जा रही हूँ. चल तुझे फिर से जल्दी ही फोन करूंगी. मुझे खुशखबरी देना हां, ओके बाय!
जब फ़ोन कट चुका तो मैं मां के पास पहुंच गया और माँ से बोला, “इतनी क्या बातें हो रही थी आंटी के साथ?” माँ बोलीं, “नहीं कुछ नहीं, अरे शांती बता रही थी कि वो राहुल के साथ घूमने जाने वाली है.” इस पर मैं बोला, “अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है.”
अब माँ बोली, “तू टीवी देख मैं जरा नहाकर आती हूँ.” यह कहकर माँ चली गईं. थोड़ी देर बाद माँ ने कहा, “रवी, जरा यहां तो आना.” मैं बोला, “आया माँ, और मैं माँ के बेडरूम में गया. वहां का सीन देखकार मैं तो पूरा हिल गया. माँ कमर पर टॉवल लपेट कर खड़ी थी और ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रही थी.
उन्हें इस हालात में देख कर मैं थोड़ा घबरा गया और बोला, “सॉरी माँ, लेकिन क्या हुआ?” माँ बोलीं, “अरे, जरा ब्रा का हुक तो लगा दे, मुझसे लग ही नहीं रहा है.”
मैं बोला, “माँ तुम ही लगा लो, मैं आपको ऐसे कैसे देख सकता हूँ?” माँ बोलीं, “अरे लगा दे, मुझसे नहीं लग रहा है.” फिर मैंने ब्रा के दोनों साइड पकड़ कर हुक लागने लगा. ब्रा थोडा टाइट था तो मैंने थोडा जोर लगा दिया. इससे माँ के मुंह से हल्की सी आवाज निकल गई.
मैं बोला, “सॉरी माँ दर्द हुआ क्या? लेकिन थोड़ा जोर लगाना ही पड़ेगा नहीं तो हुक लग ही नहीं पायेगा.” माँ बोली, “ठीक है, पर जरा कम जोर लगाना.”
अब मैं फिर से ब्रा का हुक लगाने लगा. मेरा हाथ माँ की गोरी चिकनी पीठ पर छू रहा था. इस छुआ छाई में मेरा 6.5 इंच का लंड खड़ा होने लगा और जोर लगाने के कारण मैं थोड़ा आगे सरक गया तो मेरा खड़ा लंड माँ के भरे हुए गद्देदार हिप को टच हो गया.
अब मां बोली, “अरे ये क्या चुभ रहा है मुझे पिछवाड़े में?” माँ को तो इसी मौके की तलाश थी. इतना कह कर उसने हाथ पीछे ले जाकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे दबाने लगी.
मैं बोला, “माँ, ये क्या कर रही हो?” तो माँ बोली, “अरे, ये चुभ रहा है.” ये कह कर माँ पलट जाती हैं और मेरी आखों में देखने लगती हैं.” फिर माँ बोलीं, “इतना बडा हो गया मेरा बेटा!” और फिर उन्होंने मेरे चड्डी में हाथ डाल के लंड को सहलने लगी.
अब मैं बोला, “माँ, ये क्या कर रही हो तुम?” माँ बोली, “अपने बेटे से प्यार कर रही हूँ. क्या तुझको ये पसंद नहीं आया?” अब मैं बोला, “आहह्ह पसंद आया माँ पर तुम मेरी माँ हो!” माँ बोली, “हां, ये सच है के मैं तेरी माँ हूँ पर मत भूल कि मैं एक औरत हूँ और तू एक मर्द और मैं चाहती हूँ कि तू अपनी मर्दानगी मुझपर दिखाए.
इतना कह कर माँ मेरे होंठों पर अपने नरम होंठ रख कर मेरा मुंह बंद कर दिया और मेरे होंठों को चूसने लगी. अब मैं भी मूड में आ गया और उनका साथ देने लगा. ये किस करीब 5 मिनट तक चला.
अब माँ ने कहा, “मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे खूब प्यार करो.” यह कह कर उन्होंने मेरी टीशर्ट और चड्डी निकाल दी. अब मैं माँ के सामने सिर्फ फ़्रेंची में था. फिर माँ मुझे खींचकर बेड पर ले गई. माँ के कंधों पर जो खुली हूई ब्रा थी वो मैंने निकाल दी. अब माँ की 38 की चूचियां मेरे सामने हिल रही थी. निप्पल भूरे रंग के थे.
फिर मैंने घुमा कर माँ को बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ कर चूचियाँ चूमने और चूसने लगा. मां बोलीं, “बेटा, मुझे तेरा लंड चूसना है.” इतना सुन कर मैं खड़ा हो गया.
माँ ने मेरी फ्रेंची निकाल दी और मेरा 6.5 इंच को अपने नरम होंठ में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. मुझे सहना मुश्किल हो गया और 5 मिनट में मैंने पूरा अपना माल माँ के मुंह में गिरा दिया. माँ मादक अंदाज में उसे पूरा गटक गई.
फिर माँ अपनी चूत खोल दी और बोली, “अब मुझे मज़ा दो. अब मैं माँ की चूत चूसने लगा. कुछ देर बाद माँ ने पानी छोड़ दिया. अब तक मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया था. अब मैंने माँ को नीचे किया और चूत चौड़ा करके लन्ड रख दिया. अब माँ तड़पने लगी थी.
फिर मैंने हल्का सा धक्का देकर लन्ड अंदर सरका दिया. अब माँ के मुंह से सिसकारी निकल रही थी. करीब 10 मिनट की चुदाई में माँ की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. उनकी चूत का गर्म पानी पाकर मेरे लन्ड ने भी अपना पानी छोड़ दिया. मैं माँ के ही चूत में झड़ गया.
उस दिन से हमारी कहानी शुरू हो गई. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]