मैं धोखे से जिगोलो बन गया

मैं अपने ऑफिस के काम से भोपाल गया था. काम खत्म होने के बाद मैं अपने दोस्त के यहां चला गया. जब उसके घर से वापस आ रहा था तो मेरे साथ एक घटना हो गई और फिर मैं जिगोलो बन गया…

हैलो दोस्तों, मेरा नाम समीर और मैं मध्यप्रदेश के देवास जिले से हूँ. मेरी उम्र 24 साल है. यहां पर ये मेरी दूसरी कहानी है. मेरी पहली कहानी को आप लोगों ने काफी पसन्द किया, उम्मीद है यदि भी आप लोगों को पसंद आएगी.

बात पिछले महीने की है. मैं ऑफिस के काम से दो दिनों के लिये भाेपाल गया था. पहले दिन मैं ऑफिस के काम में व्यस्त रहा. दूसरे दिन ऑफिस का काम खत्म करके शाम को मैं भोपाल में रहने वाले एक दोस्त के यहाँ चला गया.

रात का खाना मैंने वहीं खाया. बात करते हुये रात के 11:10 बज गये तो मैंने अपने दोस्त से वापस होटल जाने की इजाजत माँगी और उसके घर से निकल गया.

बाहर सड़क पर आकर मैं किसी टैक्सी या बस का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद मेरे सामने एक सफेद रंग की कार आकर रुकी. मैंने कार की तरफ देखा. तभी कार का शीशा नीचे हुआ. अंदर एक औरत बैठी थीं. उसने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया. फिर मैं गाड़ी के पास चला गया और उसके कुछ पूछने की प्रतीक्षा करने लगा.

कुछ देर बाद वो बोली – कितना लेते हो?

मैं चौंका और बोला – क्या?

उसने मेरी बात को इग्नोर कर दिया और बोली – बताओ,  3 हजार, 5 हजार या ज्यादा?

मैं बोला – नहीं, मैंम ऐसी…

मैं अपनी बात पूरा करता उससे पहले ही वो बोली – मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, जल्दी से गाड़ी में बैठो. पैसे की चिंता मत करो. ज्यादा दे दूँगी. ये कहते हुये उसने गाड़ी का दरवाजा खोल दिया.

दोस्तों, ये सब इतना जल्दी हुआ कि मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था. मैं बस उसकी ही तरफ देख रहा था. तभी वो फिर बोली – अब खड़े-खड़े मुंह क्या देख रहे हो! जल्दी से बैठो गाड़ी में. मैं कुछ सोचने समझने की स्थिति में नहीं था. फिर मैं उसके आदेश का पालन करता हुआ चुपचाप गाड़ी में बैठ गया और वो गाड़ी चलाने लगी.

अंदर बैठने के कुछ देर बाद मैंने उसे गौर से देखा. वो बहुत ही सुन्दर युवती थी. उसकी उम्र करीब 30 साल की थी. उसने जींस और टी – शर्ट पहन रखी थी. जिसमें से उसकी चूची का साईज साफ समझ आ रहा था. उसकी चूचियां 36 की थीं.

अब तक मैं सब समझ चुका था. उसकी चूचियां देख कर मेरा मन कर रहा था कि अभी उसके चूची को पकडूं और मसल कर उनका सारा रस पी जाऊँ. मैं लगातार उसकी ओर देख रहा था.

उसने मुझे अपनी तरफ देखते हुये पाया तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दिया. फिर उसने मेरा नाम पूछा. तब मैंने उसे अपना नाम बताया और उसका नाम पूछा. उसने मुझे अपना नाम मनोरमा बताया.

लगभग आधे घंटे चलने के बाद गाड़ी एक बड़े आलिशान घर के अंदर जाकर रुकी. हम उतरे और फिर मनोरमा ने मुझे अंदर आने के लिए बोला. मैं किसी आज्ञाकारी बालक की तरह उसके साथ अंदर चला गया.

फिर उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और पूछा – क्या लोगे ठंडा या गर्म?

इस पर मैंने कहा – आपको जो पसंद हो.

फिर वो अंदर कमरे में चली गई. जब वो वापस आई तो उसके हाथ में शराब की एक बोतल, सोडा, ग्लास और कुछ खाने की चीजें थी. इसके बाद मनोरमा ने शराब ग्लास में डाल कर एक मुझे दी और एक खुद लेकर मेरे बगल में बैठ गई.

अब हम शराब पीने लगे. दो-तीन पैग चढ़ाने के बाद शराब ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. अब मनोरमा अपने एक हाथ से मेरी जाँघ को सहलाते हुए मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और मसलने लगी.

यह देख मैंने मनोरमा के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और हम दोनों मस्ती में एक – दूसरे के होंठ और जीभ का रसपान करने लगे.

इसी बीच मनोरमा ने मेरे पैंट की ज़िप खोल दी और मेरे तने हुये लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगी. थोड़ी देर बाद हम अलग हुये और बेडरूम में आ गये. बेडरूम में पहुंचते ही मनोरमा मेरे कपड़े उतारने लगी.

इसी बीच मैंने भी मौका देख कर मनोरमा को सिर से पांव तक नंगा कर दिया. अब मनोरमा मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. क्या मस्त दूधिया बदन था उसका! सख्त चूची, चिकना पेट, पतली कमर और दो गोल खंभो के जैसी जांघों के बीच में चिकनी गुलाबी रंग की कोमल चूत थी.

उसे देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था. अब मैं मनोरमा की एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे चूची को हाथ से सहलाने लगा. उसके मुंह से आह निकलने लगी थी और वो मादक सिसकारियां ले रही थी.

थोड़ी देर बाद मनोरमा ने मेरा लण्ड चूसने को कहा तो मैंने चूची चूसना छोड़ दिया और अपना खड़ा लण्ड मनोरमा के मुंह के सामने कर दिया. फिर वो मेरा लण्ड मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और बीच-बीच में मेरे लण्ड को जड़ तक अपने गले के अंदर तक उतार लेती थी.

उसकी चुसाई से ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे पूरे लण्ड को खा जाना चाहती हो. दोस्तों, वो लण्ड चूसने में एक दम माहिर खिलाड़ी थी. थोड़ी देर ऐसा करने के बाद हम 69 की पोजिशन में आ गये.

अब मनोरमा मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं मनोरमा की चूत चाट रहा था. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. मनोरमा की चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और पानी भी निकलने लगा था. अब वो मेरे सिर को अपनी जांघों के बीच में दबा रही थी और अपनी कमर को ऊपर की ओर उछाल रही थी.

करीब 10 मिनट तक इसी तरह चूत चटवाने के बाद मनोरमा ने अपनी जांघों से मेरे सिर को मजबूती से जकड़ लिया और झड़ गई. हालांकि, उसने अभी भी मेरा लण्ड चूसना जारी रखा.

अब मैं मनोरमा के चूत से निकलने वाले नमकीन पानी को चाट रहा था. उसके लण्ड चूसने का तरीका इतना निराला था कि मैं भी अपने आपको ज्यादा देर नहीं रोक सकता था. फिर मैंने मनोरमा से कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ. लेकिन मेरी बात को अनसुना करके वो लण्ड को चूसती रही. तभी एकाएक मेरा पूरा शरीर अकड़ गया और मैंने मनोरमा के मुंह में ही पिचकारी छोड़ दी. मनोरमा मेरा पूरा वीर्य पी गई.

यह तो आप समझ ही गए होंगे कि जरा सी ग़लतफ़हमी से मुझे एक मस्त चूत मिलने वाली थी, पर अफ़सोस ये था कि मैं बहुत जल्दी झड़ गया था. क्या करता दोस्तों, वो लड़की भी तो एक नंबर की चुदक्कड थी. वो मुझे एक कॉलबॉय समझ कर अपने आलीशान घर में अपनी चूत को चुदवाने के लिए लाई थी, ऐसे में उसकी उम्मीद पर खरा उतारना जरूरी था.

थोड़ी देर बाद हम फिर से एक – दूसरे को चूमने लगे. अब एक बार फिर से मेरा लण्ड टाइट होने लगा. फिर मैं मनोरमा की चूत के दाने और भगनासा को अपने हाथों से रगड़ने लगा और दो उंगलियों को उसकी चूत में डाल कर हिलाने लगा था.

अब वो पूरी मस्ती में आकर अपनी कमर को हिलाने लगी. फिर मैंने मनोरमा को सीधा लेटने को कहा और मैं उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख कर लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. ऐसा करने से मनोरमा तड़प उठी और अपनी कमर को ऊपर की ओर उठाने लगी. ऐसा लग रहा था, जैसे वह कह रही हो कि लण्ड को जल्दी से अंदर डालो.

फिर मैं कुछ देर तक उसकी चूत पर ही लन्ड रगड़ता रहा और उसकी उत्तेजना बढ़ाता रहा. फिर जब मनोरमा से रहा नहीं गया तो बोली – समीर, अब और न तड़पाओ, जल्दी से डाल दो अपना लण्ड मेरी चूत में और बुझा दो मेरी प्यास.

अब सिचुएशन को समझते हुए मैंने लण्ड को मनोरमा की चूत के छेद पर रख कर हल्का सा धक्का दिया. इस धक्के के साथ मेरा लण्ड धीरे से सरकता हुआ मनोरमा की चूत में आधा घुस गया. इस पर मनोरमा के मुंह से हल्की सी चीख निकली. जिसे इग्नोर करते हुए मैंने दूसरा धक्का लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लण्ड सरसराते हुये मनोरमा की चूत में घुस गया. इससे वो सिसक उठी.

तब मैंने उससे पूछा – क्या हुआ?

मनोरमा बोली – बहुत दिनों बाद चुद रही हूं और तुम्हारा लण्ड भी मोटा है इसलिए थोड़ी तकलीफ हो रही है.

अब मैं अपनी कमर को आगे – पीछे करते हुये मनोरमा के चूची को चूसने लगा. थोड़ी देर बाद मनोरमा को भी मजा आने लगा था. अब वो नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी और बोलने लगी – समीर चोदो मुझे और जोर से चोदो. फाड़ दो मेरी चूत को, इसमें बहुत आग है. आज अपने लण्ड के पानी से इसकी आग को बुझा दो. मनोरमा अब पूरे जोश में आ चुकी थी.

फिर मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए. लगभग 10 मिनट की चुदाई के बाद मनोरमा झड़ गई और शांत हो गई. अब मैं मनोरमा की गाण्ड मारना चाहता था क्योंकि उसकी गाण्ड बड़ी गुदाज और मुलायम थी.

फिर मैं उसकी गाण्ड को सहलाते हुये बोला – मनोरमा, मैं तुम्हारी गाण्ड मारना चाहता हूँ.

वो मना करने लगी और बोली – नहीं, बहुत दर्द होगा. मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई.

हालांकि, मेरे ज्यादा आग्रह करने पर वो मान गई. फिर मैंने उसकी गाण्ड और अपने लण्ड पर तेल लगाया. इसके बाद मैंने मनोरमा को डॉगी की तरह झुकने को कहा और खुद पीछे आकर मनोरमा की गाण्ड में अपना लण्ड पेल दिया.

दर्द की वजह से वो तड़प उठी पर उसके दर्द की परवाह किये वगैर मैंने उसे चोदना जारी रखा. वो चिल्लाते हुये मुझसे छोड़ने को कह रही थी. लेकिन मैं उसकी परवाह किये बिना उसकी गांण्ड मारे जा रहा था.

कुछ देर बाद मनोरमा को भी मजा आने लगा. अब वो मुझे जोर से चोदने के लिये कहने लगी. फिर मैं भी मनोरमा को अपनी पूरी ताकत से चोदने लगा. अब मैं चरम सीमा पर था. फिर करीब 8-10 धक्कों के बाद मैं मनोरमा की गाण्ड में ही झड़ गया और निढाल हो कर उसके ऊपर ही लेट गया.

इस तरह हमने उस रात तीन बार चुदाई की. सुबह मैंने उससे पूछा – कैसा रहा मेरा साथ? इस पर मनोरमा बोली कि ऐसा मजा तो मुझे कभी आया ही नहीं, मैं इसे कभी नहीं भूल सकती. उसने मुझे पूछा कि क्या तुम आज और रुक सकते हो?

इस पर मैंने कहा – नहीं, मुझे आज वापस जाना है.

वो बोली – वापस कहाँ जाना है?

मैंने कहा – अपने घर, देवास.

देवास का नाम सुनकर वो चौंकते हुये बोली – क्या तुम देवास में रहते हो? मेरे हां कहने पर वो बोली – मैं भी देवास में ही रहती हूं और यहां मेरे पापा का घर है. फिर कुछ सोचने के बाद वो बोली – क्या तुम देवास में मिल सकते हो?

मैंने हां कहा, तो उसने वो मेरा मोबाइल नम्बर लिया और एक किस करके और 8000 रुपये देकर मुझे विदा किया. फिर मैं वापस देवास के लिये निकल गया. ये थी मेरे जिगोलो बनने की शुरुआत. इसके बाद मैं एक प्रोफेशनल जिगोलो बन गया.

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