मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता था. वह मुझे बहुत अच्छा लगता था. मैं उससे चुदना चाहता था. वह भी मेरे प्रति आकर्षित था. पहले तो उसने मुझे ब्लू फिल्म दिखाई फिर बाद में मेरी गांड का उद्घाटन कर दिया…
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. दोस्तों, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं और यहां पर प्रकाशित होने वाली हर एक कहानी को मन लगा कर और मज़े लेकर पढ़ता हूं. गे कैटेगरी वाली कहानियां मुझे बहुत रोमांचित करती हैं. आज मैं आपको अपनी एक कहानी सुनाना चाहता हूं, जो मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना पर आधारित है.
अब आपका ज़्यादा समय ना लेते हुए मैं सीधे अपनी कहानी पर आता हूं. मेरा नाम अभिनव है और मैं मूलतः यूपी का रहने वाला हूं. मुझे शुरू से ही मर्दों से बेहद लगाव था. उनके के उभरे हुए हिस्से को देख कर मेरा मन ना सिर्फ रोमांचित ही जाता था बल्कि मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन सी उठने लगती थी और मैं सोचने लगता था कि काश मुझे इसका लंड चूसने को ही मिल जाए, मरवा तो मैं बाद में लूंगा ही.
ये घटना तब की है जब मैंने 12vin क्लास में प्रवेश लिया था. एक लड़का मुझसे उम्र में थोड़ा बड़ा था, जो हमारी कालोनी में ही रहता था. उसको हम प्यार से पुन्नू भाई कहते थे. वैसे तो वो बाइसेक्सूअल था, पर हमारा परिवेश ऐसा था कि हम लड़कियों से ज्यादा बात भी नहीं कर सकते तो चोदने की बात तो बहुत दूर की है.
मैं अक्सर उसके साथ लूडो और चेस वगैरह खेलने उसके घर जाता था. दोस्तों, मैं आप लोगों को एक बात बता देना चाहता हूं मेरी कुछ हरकतें लड़कियों के जैसी हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर लड़के मुझे छेड़ते थे. पुन्नू भी मुझसे मजे लेता था. जब भी वो मेरी लड़कियों वाली हरकतें देखता तो अपने पैंट के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगता था.
पुन्नू कभी – कभी मुझे ब्लू फ़िल्म भी दिखाता था और जब मैं बीएफ देखने में मस्त हो जाता तो वो मेरी छाती को रगड़ने लगता था. उसके ऐसा करने पर मेरे भी मुंह से आह निकल जाती थी और फिर मैं उससे लिपट जाता था.
ऐसे ही चलता रहा. फिर एक दिन जब मैं उससे लिपटा तो उसने मुझसे कहा कि वो मुझे चोदना चाहता है. इस पर मना नहीं कर सका क्योंकि मैं भी ठीक उसी तरह की चुदाई का मजा लेना चाहता था, जैसे की वीडियो में लोग लेते थे. एक – दूसरे को चूमना, लंड मुंह में लेना, सीने से सीने का रगड़ना मैं वो सब कुछ करना चाहता था. लेकिन उन दिन उसके घर पर बाकी लोग भी थे तो कुछ हो सकना सम्भव ही नहीं था.
फिर वो खुशनसीब दिन आ ही गया. उसने मुझे रविवार के दिन अपने घर बुलाया क्योंकि उस दिन उसके घर के सब लोग हफ्ते भर का समान लेने 5 किलोमीटर दूर स्थित मार्केट जाते थे और घर पर कोई भी नहीं होता था. हर बार घर के बाकी सदस्यों के साथ वह भी जाता था लेकिन इस बार उसने सर दर्द का बहाना बना दिया और रुका रह गया.
मैं भी घर पर खेलने का बहाना बना कर उसके यहां पहुंच गया. चूंकि हमारे परिवेश में लड़कों पर ज्यादा पाबन्दी नहीं होती है, इसलिये मेरे घर वालों को उसके घर जाने देने पर कोई ऐतराज नहीं था.
फिर जैसे ही मैं उसके घर पहुंचा उसने जल्दी से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. वो मेरे तरफ प्यासी निगाहों से ऐसे देख रहा था, जैसे कि एक शेर अपने शिकार को देखता है.
इसके बाद उसने आव देखा ना ताव कुण्डी लगा कर सीधे मुझे खटिया (चारपाई) पर धकेल दिया और मेरे ऊपर लेट गया. हाय, क्या फीलिंग थी उस समय की! अब वो मुझे किस करने लगा, ठीक उसी तरह जैसे हमने पिक्चर में हीरो – हीरोइन को किस करते देखा था.
उसने लगभग वो सब कुछ किया जो एक गे मूवी में होता है. मैं तो बस ‘आह आह इस्स्स्स आह्ह्ह इस्सस्स’ ही करता रह गया. फिर उसने मुझे पलटा मतलब पेट के बल लिटा दिया और मेरे कपड़े उतार कर मेरी गांड अपनी जीभ से चाटने लगा.
उसकी इस हरकत से मेरे शरीर में बहुत तेज कम्पन होने लगा और ‘आअह्हहह इस्स्स’ की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं. फिर उसने मुझे सीधा किया और अपना लौड़ा मेरे मुंह में डाल दिया. सच कहूं दोस्तों तो पहली बार उसका लंड मुंह में लेकर बड़ा अजीब सा लग रहा था पर बाद में अच्छा लगने लगा.
उसका लंड साढ़े 5 इंच लम्बा और काफी मोटा था. थोड़ी देर बाद उसने लंड मुंह से निकाला और मुझे घुमा कर मेरी गांड में घुसाने की तैयारी करने लगा. गांड में लंड घुसाने से पहले उसने पास रखी क्रीम को मेरी गांड के ऊपर लगाया, फिर उंगली से छेद के अंदर तक ढेर सारी क्रीम लगा दी ताकि लंड आराम से अंदर जा सके. इसके साथ ही थोड़ी सी क्रीम अपने लंड पर लगाई, ताकि औए ज्यादा चिकनाहट प्राप्त हो.
इसके बाद उसने मेरी गांड के छेद पर पहले लंड रगड़ा और फिर धीरे से उसने गांड में लंड घुसाना चालू किया. मुझे दर्द होने लगा तो जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ उसने घुसाना वहीं पर रोक दिया ताकि मेरे मुंह से चीख न निकले.
इसके बाद मेरा ध्यान दर्द से हटाने के लिए वह मुझसे इधर – उधर की बातें करने लगा. फिर जैसे ही मेरा ध्यान दर्द से हटा वैसे ही अचानक से उसने एक जोरदार धक्का मारा और उसका सुपारा मेरी गांड में घुस गया. मैं तो दर्द के के मारे चीख ही पड़ता लेकिन उसने मेरा मुंह हाथ से दबा दिया और मैं सिर्फ “अह्ह्ह्ह” करता रह गया.
थोड़ी देर बाद जब थोड़ा दर्द शांत हुआ तो उसने धीरे – धीरे मेरी गांड में लंड घुसाना चालू कर दिया. इस बार उसने धक्के मारने तेज कर दिए. दर्द के मारे मैं मचल उठा और उससे प्रार्थना करने लगा कि थोड़ा धीरे – धीरे धक्के मारे. मगर वो मेरी एक भी बात नहीं सुन रहा था.
फिर धीरे – धीरे करके उसने पूरा लंड मेरी कुंवारी गांड में घुसा दिया. अब वो मुझे चोदते हुए किस करने लगा और मेरे बदन पर हाथ से सहलाते हुए मुझे प्यार भी कर रहा था. धीरे – धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और मुझे भी मज़ा आने लगा. अब मैंने भी गांड उठा – उठा कर उसका साथ देने लगा.
करीब बीस मिनट बाद ही वो मेरी गांड में झड़ गया और मेरे ऊपर ही ढेर हो गया. सच कहूं तो जब उसका वीर्य मेरी गांड में निकल रहा था तो ऐसा लग रहा था के किसी ने गर्म पानी छोड़ दिया हो. इस चुदाई के बाद उसने एक – दो बार फिर से मेरी गांड मारी. फिर कुछ महीनों के बाद उसके पापा का ट्रांसफर दूसरी जगह हो गया और वो चला गया. आज भी जब मैं वो पहली चुदाई याद करता हूं तो बहुत रोमांचित हो उठता हूं. कहानी कैसी लगी आप अपने कमेंट्स मुझे [email protected] पर मेल कर सकते हैं.