मेरी प्यारी चाची

चाची के पुष्ट नितम्ब और मांसल जांघे मुझे हमेशा आकर्षित करती थी. जाने कितनी वीर्य की बूँदें उनका नाम लेकर निकली थीं. पर वो भी मौका आया जब उनकी चूत का दरवाजा मेरे लिए हमेशा खुल गया…..

मैं मोहित, लखनऊ का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 23 साल है और दिखने में भी ठीक ठाक हूँ. ये कहानी एक सच्ची घटना है जो की मेरे साथ 1 महीने पहले घटी थी.

मेरी इंजीनियरिंग की पढाई ख़त्म होने के बाद मैं अपने घर वापिस आ गया था. कम्पनी की ज्वाइनिंग सितम्बर- अक्टूबर में आनी थी, इसलिए तब तक मैं खाली बैठा था. मेरे घर से कुछ ही दूर पे मेरे चाचा रहते थे. मैं उनके घर अक्सर जाया करता था. उनका एक लड़का और एक लड़की है. दोनों स्कूल में पढ़ते हैं. चाचा भी एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं.

मेरी चाची का नाम कल्पना है. उनकी उम्र यही कोई 40 साल है. उनका कद यही कोई 5’2” के करीब होगा. देखने में थोड़ी दुबली पतली हैं लेकिन उनकी जांघें और चूतड़ काफी मांसल हैं. उनकी बूब्स का साइज भी 34” है. कुल मिलाकर वो काफी सेक्सी दिखती हैं. करीब 3 साल पहले मैंने उन्हें कपड़े बदलते हुए चुपके से देखा था और उन हसीं लम्हों को अपने मोबाइल में विडियो के रूप में कैद कर लिया था. बस तभी से मैं उनका दीवाना बन गया था. तब से मैं जब भी मूठ मारता तो बस चाची के नाम की. अक्सर सोचता की आखिर कब मुझे उनके जिस्म से खेलने का मौका मिलेगा. खैर ये मौका मुझे आज तीन साल बाद आखिर मिल ही गया.

एक दिन सुबह 10 बजे मैं अपने एक दोस्त से मिलने उसके घर गया था जिसका घर मेरे चाचा के घर के पास ही था. उस वक़्त दोस्त घर पे नहीं था. मैंने सोचा, चाची के पास ही चला जाय. मैंने घर पहुँच कर डोर बेल बजायी. थोड़ी देर बाद नीले रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहनी चाची ने दरवाजा खोला. मुझे देखकर उनके चेहरे पे हमेशा की तरह ही मुस्कान आ गयी.

मैं अन्दर आ गया. उस वक़्त वो अपने बेडरूम में टीवी देख रहीं थीं, इसलिए मुझे भी अपने बेडरूम में आने को कहा. चाची घर में अकेली ही थीं. बच्चे और चाचा दोनों अपने स्कूल गए हुए थे. वैसे भी वे लोग 2 बजे के बाद ही आते थे.

हमने थोड़ी देर तक बातें की. फिर मैंने गौर किया कि चाची थोड़ी उदास हैं. मैंने उनसे इस उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने मन कर दिया और बोलीं- तुम मेरे दुखों को समझ नहीं पाओगे!

मैंने कहा- हो सकता है मैं न समझ पाऊँ, लेकिन कह देने से आप का मन हल्का हो जायेगा.

काफी देर तक मनाने के बाद उन्होंने ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति इस वक़्त सही नहीं चल रही है. नए प्रिंसिपल ने चाचा की सेलरी भी घटा दी है और उन्हें बेवजह परेशां भी करता रहता है. इस वजह से चाचा बहुत टेंशन और गुस्से में रहते हैं. कल रात तो उन्होंने मुझे एक छोटी सी बात पे मारा भी था.

चाची के मुँह से ये सब सुनकर मैं दंग रह गया कि कोई अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को मार कैसे सकता है. चाची भी मुझसे ये कहकर रोने लगीं. मैं उनको सांत्वना देने के लिए उनके पास जाकर बैठ गया और उनका हाथ अपने हाथों में ले लिया. चाची ने कुछ नहीं कहा. फिर वो मुझे पिटाई के कारण उनके हाथ पे बने निशान दिखाने लगीं. सच बताऊँ तो उस वक़्त मुझे अपने चाचा पे काफी गुस्सा आ रहा था.

इधर चाची मेरे कंधे पे सर रखकर सुबक रही थी. मैंने उनके दुसरे कंधे पे हाथ रखकर हौले –हौले सहला रहा था. शायद उन्हें इससे दिलासा मिल रहा था इसलिए उन्होंने कुछ कहा नहीं. लेकिन अब चाची के शरीर का बायाँ हिस्सा मेरे शरीर के दाहिने हिस्से से पूरा सटा हुआ था. मेरे शरीर की गर्माहट अब बढ़ने लगी थी. चाची को इतने करीब पाकर मेरा लंड खड़ा होने लगा था. फिर मैंने चाची का चेहरा अपने हाथों में लेकर उन्हें देखने लगा. हम दोनों एक दुसरे की आखों में देख रहे थे. अचानक से मुझे जाने कए हुआ की मैंने अप्पने होठ उनके होठों से सटा दिए. वो एकदम से पीछे हट गयीं और बोली- मोहित! ये गलत है. ये मत करो!

मैंने भी कह दिया- और ओ चाचा ने किया वो सही था?

उनके पास इसका जवाब नहीं था. मैंने वापस उन्हें अपनी ओर खींचा और फिर से चूम लिया. वो छूटने के लिए कसमसाई पर इस बार मी उन्हें दूर नहीं जाने दिया. मैं लगातार उनके होठों को चूसे जा रहा था. धीरे-धीरे वो भी गर्म होने लगीं. अब वो भी मुझे चूमे जा रहीं थीं.

मैंने उन्हें बिस्तर पे लिटा दिया और खुद उनके ऊपर आकर उनके पूरे बदन को चूमने लगा. मेरे दोनों हाथ उनके बूब्स दबा रहे थे. अब उनकी सिस्कारियां निकल रही थीं- मोहित….. मोहित…म्म्म्मुझे प्याआअर …करो न.

मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना था. अब उनके दोनों खरबूजे मेरे हाथों में थे. चाची भी अब पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी. मैंने देर न करते हुए चाची की साड़ी और ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया. अब वो सिर्फ पैंटी में थीं. उनका गोरा बदन देखकर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. मेरा 7” लम्बा लंड पूरा तना हुआ था.

चाची मेरा लंड देखकर बोली- तेरा तो अपने चाचा से भी बड़ा है रे!

मैंने जानबूझ कर पूछा- क्या?

चाची ने थोड़ा शरमा कर कहा- तेरा लंड, और क्या?

उनके मुँह से लंड शब्द सुनकर मैं जोश में आ गया और उनकी पैंटी भी उतार दी. अब चाची मेरे सामने पूरी नंगी लेती हुयी थी. उनकी चूत पे हलके से बाल थे. मैं उनकी मांसल गोरी जांघों पे अपना हाथ फिराने लगा. फिर दो उँगलियाँ उनकी चूत में डालकर उन्हें चोदने लगा. फिर मैंने उन्हें मैंने अपना लंड चूसने को बोला. वो बड़े प्यार से मेरा लंड चूस रही थी.

थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. मैं उनकी चूत काफी तेजी से चाट रहा. उनकी उत्तेजना उनसे सहन नहीं हो रही थी. वो बोली- अब सहन नहीं हो रहा मोहित! अब डाल दे.

मेरा लंड भी अब चाची की चूत का स्वाद मांग रहा था. मैंने अपने लंड के सुपाड़े को चाची की चूत पे रखा और धीरे-धीरे मेरा लंड उनकी चूत में ऐसे सरकने लगा जैसे मक्खन में चाक़ू. उनकी चूत काफी गर्म थी. मेरे पहले झटके से चाची को दर्द हुआ वो बोली-  सच में तेरा लंड अपने चाचा से ज्यादा बड़ा है. तूने तो मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला दी.

उनकी बातें मेरा जोश बढ़ा रही थीं. मैं उनकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के पेलने लगा. उनकी चीख और दर्द अब मजेदार सिसकियों में बदल चुके थे. “उफ्फ्फ…अआह…..इस्स्स्स..” की आवाज सुनकार मेरी स्पीड और तेज हो गयी. अचानक से चाची ने अपने दोनों पैरों को मेरी पीठ से जकड लिया. हम दोनों एक साथ ही झड़ गए. हम दोनों तब तक पसीने से भीग चुके थे.

थोड़ी देर बाद मैं उठा और अपने कपड़े पहन कर अगले दिन आने का वादा करके चला आया. अब मैं उनको रोज चोदने जाता हूँ.

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