मेरी उन्मुक्त पड़ोसन भाभी

दोस्तों एकांत या एकाकी जीवन अपने अन्दर कल्पनाओं का समुद्र लिए हुए होता है.  ऐसे में जब मनचाहा साथ मिलता है तो हम अपने भीतर छुपे उस समुद्र को साझा करना चाहते हैं. मेरी पड़ोस वाली भाभी के प्रति आकर्षण की पहली वजह तो शायद यही थी. और दूसरी वजह  थी, जवानी की भूख जो किसी भी तरह बस शान्त होना चाहती है….

 

दोस्तों! मेरा नाम समीर है और मैं हरियाणा से हूँ. माफ़ करना दोस्तों मैं शहर का नाम नहीं बता सकता. मैं इस साईट का बहुत बड़ा फैन हूँ. मैंने इसकी सारी कहानियां पढ़ी हैं. सारी कहानियां बहुत मजेदार हैं.

मैंने पिछले वर्ष ही अपनी पढाई खत्म की है. अब मैं एक कंपनी में जॉब करता हूँ. अब मैं सीधे मुद्दे पे आता हूँ. ये बात आज से की 8-10 महीने पहले की है.

हुआ यूँ की मेरे पड़ोस मे एक भाभी रहने के लिए आई थी. उनके पति सिविल सेवा में थे. वो अक्सर  घर में अकेली ही होती थीं. उनकी उम्र तकरीबन २६ वर्ष थी और अभी उनका कोई बच्चा नहीं था. दिखने मे वो जितनी मस्त थी (उनका फिगर 34-28-34 था) उतनी ही मस्त उनकी बातें होती थी. मैं तो उनको देखते ही उनकी चुदाई के सपने देखने लग गया था. लेकिन वो भी इतनी जल्दी हाथ कहाँ आने वाली थीं. हर रोज मैं उनको अपनी बालकनी से देखता रहता था. वो भी मुझे देखती थीं. उनकी मुस्कराहट से मुझे लगा की शायद वो समझ गयी थी की मैं क्या चाहता हूँ? ऐसे ही टाइम निकलता गया लेकिन कुछ बात नहीं बनी. और इधर मैं बेक़रार हुए जा रहा था की कब वो मुझसे चुदेगी.

उनके चूचे और गांड देख-देख कर मेरा बुरा हाल हुए जा रहा था. फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके उनको अपना मोबाइल नंबर दे दिया, ये कहकर की अगर कोई कम हो या जरूरत हो तो आप मुझे इस पे फ़ोन कर दीजियेगा. लेकिन बदले में मैंने उनका नम्बर नहीं लिया. उन्होंने भी एक शरारती मुस्कान के साथ  मेरा नम्बर नोट कर लिया. मुझे लगा! बस अब तो जुगाड़ हो गया समझो. अब मैं उनकी कॉल का इन्तजार करने लगा की कब वो कहें…. मेरे राजा! चोद दे मुझे! फाड़ दे मेरी चूत!!

नम्बर देने के दो दिनों के बाद उनकी पहली कॉल आयी. लेकिन बात बस ऐसे ही हाय –हेलो तक सीमित रही. फिर मैं थोड़ी और हिम्मत करके रात में उन्हें फोन करने लगा. बातों – बातों में मैंने उन्हें बता दिया कि वो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. पहले तो उन्होंने फोन काट दिया. लेकिन फिर उन्होंने ही फोन किया और कहा कि – समीर! समझा करो, मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ.

मैंने कहा- तो क्या हुआ? हमारे रिश्ते के बारे में किसी को कैसे पता चलेगा?

मैं समझ गया की कुछ-कुछ उनके मन में भी होने लगा है. फिर एक दिन मैंने उन्हें किसी रेस्टोरेंट में  मिलने की ख्वाहिश जाहिर की तो उन्होंने कहा – मैं बहार नहीं मिल सकती. लेकिन अगर तुम चाहो तो मेरे घर पे आके मिल सकते हो, वो भी तब जब घर पे कोई न हो.

एक दिन भाभी ने मुझे फोन किया और कहा की आज घर पे कोई नहीं होगा. इसलिए आज चाहे तो मिल सकते हो. मैं मस्त तैयार होकर, भाभी के बताये समय पर उनके घर पहुँच गया. शायद वो भी मेरा ही इन्तजार कर रही थीं. मैंने देखा की उन्होंने गहरे काले रंग की मार्बल शिफान साड़ी पहन रखी थी. उनके गोर बदन पे ये विपरीत रंग की साड़ी काफी फब रही थी. गहरे गले के ब्लाउज से उनके उन्नत वक्ष स्थल का आधा हिस्सा दिख रहा था जिसके ऊपर उन्होंने पारदर्शी साड़ी का पल्लू लिया हुआ था. साड़ी भी उन्होंने कमर से काफी नीचे बाँध रखी थी. उनकी नाभी काफी सुदर्शनीय थी. मैं तो बस उनको निहारता ही जा रहा था. उन्होंने मुझे बैठने को कहा और पानी लाकर दिया. लेकिन मैं तो बस लगातार उन्हें ही ऊपर से नीचे तक देखे जा रहा था. अचानक मेरी तन्द्रा भंग हुयी जब उन्होंने मुझसे कहा- क्या हाल है? समीर जी! ऐसे क्या देखे जा रहे हो? पहले कभी मुझे देखा नहीं क्या?

मैंने कहा – देखा था. लेकिन आज आप कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही हैं.

उन्होंने कहा- पता है. लेकिन सिर्फ देखने तक का ही इरादा लेके आये हो या कुछ करने का भी?

उनकी मदहोश कर देने वाली सेक्सी भाव भंगिमा के साथ कही हुयी इस बात को सुनकर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर कड़क होने लगा. मैंने उठकर उन्हें दबोच लिया और यहाँ-वहां मसलने लगा. मेरे ऐसा करने से शायद उन्हें उलझन होने लगी. उन्होंने कहा – अरे मैं कहाँ भागी जा रही हूँ? जरा आराम से करो.

फिर मैं थोड़ा संभल गया. और एक-एक करके उनके सारे कपड़े उतारने लगा. पहले साड़ी और पेटीकोट को उनके जिस्म से अलग कर दिया. उनका दूधिया बदन ब्लैक ब्रा और पैंटी में लाजवाब लग रहा था. मेरा तो मन कर रहा था की आज बस इन्हें कच्चा ही खा जाऊं. लेकिन फिर मैंने सब्र से काम लेना उचित समझा और उन्हें अपनी बाँहों में उठाकर बेड पे लिटा दिया. भाभी पेट के बल लेट गयीं और मैं उनके गर्दन के पीछे से चूमते हुए पहले उनकी पीठ और फिर कमर पे चूमने लगा. भाभी भी पूर्णतया उत्तेजित होने लगीं थी. उनकी सिसकारियाँ काफी मादक थीं.

मैंने उनको सीधा किया और होठों से उनके वक्षस्थल की घाटियों को चूमते हुए उनकी पैंटी उतारने लगा. पैंटी गीली हो चुकी थी जो इस बात का संकेत था की भाभी भी पूरी तरह गर्म हो चुकी हैं. उनकी चिकनी चूत पे जब मेरी नजर गयी तो मैंने देखा की उसके होंठ काफी बड़े हैं. ऐसी स्त्रियाँ काफी कामुक होती हैं. फिर मैंने उनकी ब्रा भी उतार कर उनके जिस्म से अलग कर दी. उनकी गोल चूचियां अब मेंरी आखों के सामने थी, जिन्हें मैं हमेशा मसलने का ख्वाब देखा करता था. आज मैं हकीकत में उनकी चूचियों को मसल मसल  कर उन्हें गोरे से गुलाबी और गुलाबी से लाल कर रहा था. फिर मैं भाभी की टांगों को थोडा और खोल दिया. उनका गुलाबी छेद अब मुझे दिखने लगा था. आनन फानन में मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए. मेरा लंड भी पूरे आकार में आ चुका था और अपने लक्ष्य भेदन के लिए पूरी तरह तैयार था.

मैंने अपने लंड का शिश्न भाग उनकी चूत के छेद पे टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया. हमला अप्रत्याशित नहीं था लेकिन शायद भाभी को लंड की मोटाई का अंदाजा नहीं था…..इस धक्के से उनकी चीख निकल गयी. वो अपने दोनों हाथों से जोर देकर मुझे अलग करने लगीं.

भाभी बोलने लगीं- स्स्समीर…..आराम से…बहुत मोटा है…तुम्हारा…

भाभी की चुदाई काफी समय बाद हो रही थी इसलिए उनकी चूत थोड़ी टाईट थी. मैंने उनके होठों को चूमते हुए बहुत ही आहिस्ता धक्के लगाने शुरू किये. कुछ ही देर में भाभी हर धक्क्के को एन्जॉय करने लगीं. रस छोड़ती हुयी उनकी चूत इस वक़्त मुझे जन्नत का एहसास करा रही थी. लेकिन भाभी बहुत जल्दी ही झड़ गयीं. शायद उन्हें भी एक गैर मर्द से चुदने में काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था. कुछ ही देर में मैं भी उनकी चूत में ही धक्के लगाता हुआ झड़ गया.

ये हम दोनों के लिए शुरुवात भर थी. इसके बाद तो हम दोनों अक्सर ही इस चुदाई का आनंद उठाते रहते.

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