मेरे पड़ोस में एक खूबसूरत भाभी रहती थीं. शुरू – शुरू में जब मैं उन्हें लाइन देता तो वो इग्नोर कर देती थीं. फिर जब मैंने अपना रूम चेंज कर दिया तो एक बार वह मुझे मिल गईं. मैंने उन्हें अपना नम्बर दे दिया और इस तरह हमारी कहानी आगे बढ़ी. बाद में मैंने उन्हें चोदा और वह मेरे बच्चे की मां बनीं…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम मनोज गर्ग है और मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच और मोटाई 3 इंच है. मैं 22 साल का नौजवान और खूबसूरत लड़का हूं और मथुरा का रहने वाला हूं. वहां पर हमारा एक छोटा सा बिज़नेस है.
यह कहानी जो मैं आप लोगों के लिए लिख रहा हूं वो मेरे और मेरे घर के बगल में रहने वाली भाभी की है. वो भाभी बहुत ही जवान और खूबसूरत हैं. उसका फिगर 34 बूब्स 32 कमर 34 गांड है.
भाभी की उम्र 26 साल थी और वह इतनी खूबसूरत थीं कि जो कोई एक बार भी उन्हें देख ले उसका लंड खड़ा हो जाए. दोस्तों, एक बात और ये कि जब वह मेरे घर के सामने थी तब मैं किराये के मकान में रहता था. उसके परिवार में वो, उसका पति, सास और देवर रहते थे.
दोस्तों, अब ज्यादा देर न करते हुए सीधे मैं अपनी कहानी पर आता हूं. बात आज से 2 साल पहले की है. मैंने जब पहली बार उसे देखा तभी से उसे फंसाना चाह रहा था. जब भी मैं खाली होता अपने घर के आगे बैठ कर उसे लाइन देता था पर वो इग्नोर कर देती थी.
ऐसे ही वक़्त गुजरता गया. कुछ नहीं हुआ. कुछ समय बाद मैंने वहां से घर खाली कर दिया और दूसरी जगह ले लिया. घर चेंज करने के बाद भी उसकी बहुत याद आती थी लेकिन वो नहीं मिली. क्योंकि अब मेरा उधर जाना भी कम हो गया था.
एक दिन मैं किसी काम से नगर निगम के कार्यालय गया हुआ था. वहां मुझे वो बैठी हुई दिख गई. उसे देख कर मैं खुश हुआ और फिर उसके पास जाकर मैंने उसे हाय कहा तो उसने भी जवाब में मुझे हाय कहा. फिर मैं भी उसके बगल में बैठ गया और ऐसे ही इधर – उधर की बातें चलती रहीं.
बातों ही बातों में मैंने उससे कहा कि भाभी मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है, अपना मोबाइल नम्बर दे दो. लेकिन उसने मोबाइल नंबर देने से मना कर दिया. इसके बाद फिर मैंने एक कागज पर अपना नम्बर लिखा और उसे दे दिया. उसने नंबर ले लिया. फिर मैं तुरंत ही वहां से चला गया.
फिर मैंने वहां अपना काम किया और घर चला आया. वापस आने के बाद मैंने काफी टाइम तक उसके फोन का इंतज़ार किया लेकिन फ़ोन नहीं आया. उसके फ़ोन न आने की वजह से मैं बहुत निराश हुआ. मुझे लगने लगा कि शायद उसके दिल में मेरे लिए थोड़ी भी जगह नहीं है, तभी तो उसने फ़ोन नहीं किया और न ही अपना नम्बर दिया.
ऐसे ही समय बीतता गया. करीब एक महीने बाद मेरे मोबाइल पर एक अनजान नम्बर से फोन आया. मैंने फोन उठा कर हेलो कहा तो सामने से कोई लेडीज बोल रही थी. मैं उसकी आवाज पहचान नहीं पाया और पूछा कि कौन तो उसने कहा कि मैं प्रीति बोल रही हूं.
फिर ऐसे ही उससे थोड़ी बातें हुई. बातों ही बातों में मैंने उससे कहा कि अपने तो बड़ी जल्दी फ़ोन कर दिया. इस पर उसने कहा कि मेरा फ़ोन पानी में गिर गया था. मैंने कहा कि कोई बात नहीं हो जाता है कभी – कभी. ऐसे ही हमारी बातें चलती रहीं. करीब 15 दिन तक बात करने के बाद हमारी बातें सेक्स तक पहुंच गई. शुरू – शुरू में नॉर्मल सेक्स की बातें हुई. दो – तीन दिन बाद हम फ़ोन सेक्स करने लगे.
वह बहुत ही हॉट औरत थी. फ़ोन सेक्स करके मैंने उसकी चूत में आग लगा दी थी. वह वासना के वशीभूत हो गई. अब वो चाहती थी कि कब मेरा लंड उसकी चूत में घुस जाए. मैं भी जल्द से जल्द उसे चोदना चाहता था. आखिर, इतनी कोशिश के बाद वह मुझे मिली जो थी. लेकिन मौका ही नहीं मिल पा रहा था. मैं उसके घर जा नहीं सकता था क्योंकि वहां उसकी सास और देवर होते थे और अपने घर ला नहीं सकता था क्योंकि घर पर मां थीं.
लेकिन वो कहते हैं न कि जो होना होता है वो होकर ही रहता है. अचानक एक दिन मेरी मां, मामा के घर चली गई. मैंने प्रीति को इस बारे में बताया और अपने घर आने के लिए तैयार किया. वह तो जैसे तैयार ही थी. उसने कहा कि दोपहर में मैं उसे उसके बगल के चौराहे से रिसीव कर लूं. मैंने ठीक है कहा और फिर घर थोड़ा साफ करके दोपहर होने का इंतज़ार करने लगा.
दोपहर में मेरे मोबाइल पर उसका फोन आया और उसने कहा कि मैं 10 मिनट में चौराहे पर पहुंच जाऊंगी तुम आ जाओ. फिर मैंने फोन रखा और बाइक लेकर निकल पड़ा. प्रीति वहां मेरा इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसे रिसीव किया और अपने घर ले आया.
अंदर आते ही मैंने दरवाजा बंद दिया. इसके बाद पहले हमने खूब चुम्मा – चाटी की. दोस्तों, उसके होंठ बहुत रसीले थे. मन कर रहा था कि उन्हें खा जाऊं. दोस्तों, वह बहुत गर्म हो चुकी थी और मेरी पीठ को सहलाते हुए उसे नोचने लगी थी.
फिर थोड़ी देर किस करने के बाद हमने एक – दूसरे के सभी कपड़े उतार दिए. अब वह मेरे सामने नंगी खड़ी थी. उसके 34 के गोरे – गोरे बूब्स कहर ढा रहे थे. उन्हें देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं उन पर टूट पड़ा.
मैंने उनके सफेद बूब्स को चूस – चूस कर लाल कर दिया. फिर मैं नीचे गया और उसकी चूत चाटने लगा. दोस्तों, उसकी चूत पर बहुत छोटे – छोटे बाल थे. पूछने पर बताया कि 2 दिन पहले ही उसने अपने बाल साफ़ किए थे. उसकी चूत एक दम गुलाबी थी और उसे देख के ऐसा लग रहा था जैसे वो सालो से चुदी ही ना हो.
मैं काफी देर तक उसकी चूत चाटता रहा. जब मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसाता तो वह सिसकियां लेने लगती. थोड़ी देर बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे मैं पी गया.
फिर उसने मेरा लंड चूसा. करीब 5 मिनट की चुसाई के बाद मेरा पानी निकल गया, जिसे वो गटक गई. पानी निकलने के बाद भी वह मेरा लंड चूस रही थी. इससे थोड़ी देर बाद फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया.
लंड दोबारा खड़ा देख प्रीति कहने लगी कि मनोज, अब डाल भी दो, क्यों तड़पा रहें हो? तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और रगड़ने लगा. इससे वो एयर भी ज्यादा उत्तेजित हो गई और उचक – उचक कर अपनी चूत में लंड लेने की कोशिश करने लगी.
जब वह लंड लेने के लिए अपनी गांड उठाती तो मैं लंड ऊपर कर लेता. इस वजह से लंड नहीं घुस पा रहा था और वह तड़प रही थी. फिर थोड़ी देर बाद उसने चिल्ला कर कहा कि अबे डाल भी दो, यहां चूत की आग मुझे जलाए जा रही है और तुम मज़े ले रहे.
यह सुन कर मैंने उसकी एक धक्का देकर एक बार में ही पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया. वो जोर चिल्ला उठी. लेकिन मैंने उसके चिल्लाने की परवाह न करते फिर जोर – जोर से धक्के देने लगा.
कुछ देर बाद उसकी चूत ने पिचकारी छोड़ दी. अब मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने उससे कहा कि कहां निकलूं तो उसने कहा मेरी चूत में ही निकाल दो, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनाना चाहती हूं.
यह सुन कर मैं खुश हो गया. फिर करीब 8-10 धक्कों के बाद मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया. वह खुश हो गई. फिर हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक – दूसरे से चिपक कर लेटे रहे और कुछ देर बाद सो गए. करीब 1 घण्टे बाद जब हमारी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था.
यह देख हम फिर शुरू हो गए. मैंने एक राउंड घुमा दिया. इस बार भी मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही निकाला. फिर हमने अपने कपड़े पहने और वो चली गई. कुछ दिनों बाद उसका फ़ोन आया कि वो प्रेग्नेंट है और उसके पेट में मेरा बच्चा पल रहा है.
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