ऑफिस में पूरी की आशा की आशा

कुछ तमन्नाएँ ऐसी होती हैं, जिनके बारे में सोच कर ही मजा आ जाता है. और जब वो पूरी हो रही हों तो सोचो कितना मजा आता होगा. आशा की चूचियों को भी अपने आगोश में लेने की तमन्ना भी ऐसी ही थी. फिर वो दिन भी आया जब उसका मांसल जिस्म मेरे लंड से रगड़ खा रहा था…….

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा सलाम!

मेरा नाम अली है। मै नागपुर में रहता हूँ। मेरी उम्र सत्ताईस साल और लगभग पाँच फिट पाँच इंच का कद है। मैंने पहली बार चुदाई का मज़ा आज से 5 साल पहले लिया था। आज मै आपको वही किस्सा बताने जा रहा हूँ।

अन्तर्वासना पे यह मेरी पहली कहानी है। मैं करीब दो साल से अन्तर्वासना की हर कहानी पढ़ता रहा हूँ और आज अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। आशा है कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी।

मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ। वहाँ एक औरत भी साफ़-सफाई का काम करती है। उसका नाम आशा था। देखने में कुछ खास नहीं थी। उसका रंग साँवला था और काफी मोटी भी थी। लेकिन उसके मम्मे तो गजब के थे। कोई भी देखता तो वहीँ ढेर हो जाता। मैंने सोचा ऐसी औरत अगर मेरे साथ लेट जाए तो मज़ा आएगा।

एक दिन ऑफिस में ज्यादा काम था। इसलिए मैं सुबह-सुबह जल्दी पहुँच गया। मैं आँफिस मे अपना काम निपटा रहा था। तभी पीछे से एक आवाज़ आई। मैंने मुड़ कर देखा तो आशा ने आवाज़ दी थी। मैं तो हक्का-बक्का रह गया। फिर क्या? मैं रुक गया। उसने मुझे थोड़ी जगह देने को कहा तो मैं थोड़ा किनार्रे हट गया, ताकि वो झाडू लगा सके। अब मै अपना काम छोडकर बस आशा को देख रहा था। झाड़ू लगाते हूये बार- बार ऊसका पल्लू सरक रहा था।

जब भी उसका पल्लू सरकता मुझे उसके बड़े-बड़े चूचे साफ-साफ दिख जाते। धीरे-धीरे उसके मम्मे साफ साफ दिखने लगे। मेरा लंड खड़ा होने लगा था। पर पहली बार में हिम्मत नहीं हुई। थोड़ी देर में वो फिर मेरे पास आई और मुझे हटने का इशारा किया।

इस वक़्त वो इतनी करीब थी कि उसकी चूची एकदम साफ दिख रही थीं। आज आशा भी रह-रह कर मुझे अजीब सी नजरों से देख रही थी और कभी-कभी अपने होठों को काटते हुए मुस्कुरा भी रही थी।

थोड़ी देर तक उसके सामने बैठ कर काम करने का नाटक करते हुए मै आशा के चूचे देखने लगा। मेरे सब्र का बाँध टूट रहा था। मैं अपने पैन्ट के ऊपर से अपना लंड सहलाने लगा। यूँ सहलाने से वो पैन्ट के भीतर ही मेरा लंड सात इंच बड़ा हो गया था।

मेरी ये हरकत देखकर आशा ने भी अपना झाडू लगाना बंद कर दिया। वो मटकती हुयी मेरे करीब आई। मैं स्तब्ध था। आशा ने झाडू छोड़कर मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया।

मैंने कहा- यह क्या कर रही हो?

उसने एक हाथ से पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाना चालू रखा और दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को मसलते हुए कहा- कुछ नहीं! अब मेरी प्यास बुझा दो।

मैंने मना करने का नाटक किया। उसने पैन्ट की जिप खोलकर मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया। फिर तो क्या था? मेरी हिम्मत भी बढ़ गई। मैंने झट से उसे नीचे पटका और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर दिया। उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। लेकिन चूत बिलकुल साफ़ थी। शायद वो चुदने का सोच कर आई थी।

मै अपनी लपलपाती जीभ से उसकी चूत चाटने लगा। मेरी इस हरकत से वो सीसीयाते हुए बोली- इस्सस…. सीईईइ…. मैं भी आपका लंड चूसना चाहती हूँ।

अब एक ही तरीका था। हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से कुरेदना शुरू किया और वो भी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर गपागप चूसे जा रही थी। उसकी चूत भी अपना रस छोड़ कर गीली हो रही थी। मेरे लंड की सनसनाहट भी बढती जा रही थी। अब जल्द ही मेरा माल निकलने वाला था। मैंने सोचा की झड़ने से पहले ही अपना लंड उसके मुँह से खींच लूँ।  पर उसने लंड निकालने न दिया और पूरा माल अपने मुँह में भर लिया।

मेरे माल को चटखारे लेकर खाने के बाद आशा बोली- राजा, अब सहा नहीं जाता।। आ जा अब अपना हलब्बी लौड़ा पेल कर मेरी चूत फाड़ दे…!

वैसे भी वो गर्म हो चुकी थी। उसकी बात सुनते ही मेरा लंड फिर से तनतना गया। मैं सीधा उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत के मुँह पर लंड लगा दिया। धीरे-धीरे लंड को हिलाते हुए मैंने अपना मूसल जैसा लंड ऊसकी रसभरी चूत के अन्दर डालने की कोशिश की। पर ऐसा लग रहा था कि लंड जा ही नहीं रहा था।

उसने कहा- रूको….!

उसने ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगाया और खुद की चूत पर भी मला और बोली- अब करो..!

मैंने अपना लंड एक बार फिर उसके चूत पर रखा, फिर एक झटका दिया। अभी लंड थोड़ा सा ही घुसा था लेकिन  उतने में ही वो चीख पड़ी- निकालो..!

मैंने निकाल लिया, उसे दर्द हो रहा था। मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। थोड़ी राहत मिलने के बाद आशा फिर बोली- अब करो धीरे से!

मैंने फिर लंड डाला, अबकी बार के शॉट से आधा अन्दर घुस गया।

लेकिन आशा और जोरों से चिल्लाई- मार डाला !

मैंने इस बार उसकी ना सुनी, बस धक्के पर धक्के लगाते गया। वो चिल्लाती रही, पर मैं रुका नहीं। थोड़ी देर बाद वो भी शान्त हो गई। उसकी चूत ने भी मेरे लंड के लिए रास्ता बना लिया था। वो मेरा साथ देने लगी। करीब पंद्रह मिनट बाद वो झड़ गई। पर मेरा अभी नहीं निकला था। मैं अपनी धकापेल में लगा रहा कि वो दुबारा झड़ गई।

अब वो रिरिया कर बोली- अब रहने दो… फिर कभी कर लेना..!

मैंने कहा- फिर कब मुलाकात हो, आज ही करने दे।

आशा बोली- मैं थक चुकी हूँ..! थोड़ी देर बाद।

मैंने कहा- ओके।।!

और अपना लंड बाहर निकाल लिया।

आशा ने कहा- आज के लिए इतना काफी है। अब तो तुझसे ही चुदाई करवाऊँगी। मेरे राजा! आज तूने मुझको इतना मज़ा दिया है कि पूछ मत!

फिर उसने एक बार फिर मेरा लंड मुँह में ले लिया, क्योंकि मेरा अभी भी तना हुआ था। उसने मेरे लंड को शांत किया। मेरा पूरा वीर्य निगल गई।

दोस्तो! यह मेरी सच्ची कहानी है। मेरी कहानी पे मुझे अपनी राय दें।

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