रात के करीब 12 बजे में अपने बिस्तर से उठा और चुपके से सीमा के कमरे में चला गया और धीरे से उसकी चादर हटा कर उसके साथ ही लेट गया. जब कुछ देर तक उसकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैं उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा…
नमस्कार दोस्तों! मेरा नाम देव शर्मा है और मैं मध्यप्रदेश के रीवा का रहने वाला हूँ. मैं हिंदी सेक्स स्टोरी की बेहतरीन साईट अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. मेरे लंड काफी लंबा और मोटा है.
यह मेरी पहली सच्ची कहानी है जिसे मैं आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ. यह बात उस समय की है, जब मैं 11 वीं क्लास में पढ़ता था. मेरे घर के पास एक अंकल रहते थे. उनकी दो लड़कियां हैं. एक लड़की का नाम सीमा और दूसरी का नाम आरती है.
मैं सीमा के फिगर की क्या बताऊँ! वो बहुत ही मस्त माल थी. जो भी उसे देखता बस उसे पाने की ही सोचता था. हमारे घर पास – पास होने के कारण मेरा उनके घर आना -जाना रहता था.
एक बार आंटी, अंकल और आरती के साथ किसी काम से अपनी किसी रिस्तेदारी में चले गए. चूंकि सीमा के एग्जाम नज़दीक थे इसलिए उसने जाने से मना कर दिया था. यह जान कर आंटी ने हमारे घर आकर मेरी माँ से कहा कि हम लोग बस दो दिन के लिए जा रहे हैं तब तक आप प्लीज़ सीमा का ध्यान रखना. इस पर मेरी माँ ने हामी भर दी और इसके बाद फिर वे सब चले गए.
मैं कई दिनों से बस उसको अपनी बांहों में लेना चाहता था पर उससे ये सब कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी. अंकल आंटी के चले जाने के बाद उस दिन माँ ने मुझसे कहा, “तू आज अंकल के घर सोएगा”.
मैंने पहले तो कुछ नहीं कहा पर माँ ने एक बार फिर से कहा तो मैंने हामी भर दी. अब मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि कब रात हो जाए और कब मैं उसके घर जाऊँ.
आखिर दोस्तों, वो समय आ ही गया जिसका मैं कब से इंतज़ार कर रहा था. मैं खाना खाने के बाद उनके घर सोने के लिए चला गया. दरवाजे पर मैंने दस्तक दी तो सीमा ने दरवाजा खोला. इसके बाद मैं अन्दर गया तो सीमा ने मेरे लिए बाहर के कमरे में बिस्तर लगा दिया था.
फिर हम दोनों टीवी देखने लगे. मैं थोड़ी – थोड़ी देर में उसे देखता रहता. मैं कुर्सी पर बैठा था और वो मेरे आगे नीचे फर्श पर बैठी थी. ऊपर बैठे होने के कारण मुझे उसके आधे खुले चूचे दिख रहे थे. मैं कुर्सी पर बैठा अपने लंड पर हाथ फेरते हुए उसके चूचों का नजारा ले रहा था.
एक बार मैंने जरा झुकते हुए ही उसके मम्मों को देखने की कोशिश की तो उसने मुझे देख लिया और फिर मेरी तरफ देख कर वो थोड़ा सा मुस्कुरा दी. बस फिर क्या था, मुझे बस इतना सिग्नल ही काफ़ी था.
अब मैं कुछ बहाना बनाते हुए कुर्सी से नीचे आ गया और उसके एक दम नज़दीक बैठ गया. फिर बातों ही बातों में मैंने उससे कहा, “तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है क्या”? मेरे इस सवाल पर वो एक बार तो कुछ नहीं बोली लेकिन फिर कुछ देर बाद उसने कहा, “नहीं”.
यह जवाब सुन कर मैंने उससे पूछा, “मैं तुझे कैसा लगता हूँ?” तो वो थोड़ा शरमाते हुए बोली, “बहुत अच्छे लगते हो”.
इसके बाद धीरे – धीरे मैंने मौका देख कर उसके पीछे कमर पर हाथ डाल दिया लेकिन उसने कुछ नहीं कहा. जिससे मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई. अब हम दोनों यूं ही सहलाने का मजा लेते हुए बातें कर रहे थे.
फिर मैं अपना हाथ उसकी कमर से उसके आगे मम्मों पर ले आया. उसके बूब्स पर हाथ जाते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया. अब मेरा लम्बा लंड पैंट में एकदम टेंट बनाता हुआ खड़ा हो गया.
फिर ज्यों ही उसने मेरी पेंट की ओर देखा तो उसकी नज़र एक दम से मेरे खड़े लंड पर पड़ी. लन्ड एक दम अकड़ा हुआ था. उसे देख कर उसने कहा, “जेब में क्या रखा है? दिखाओ! तो मैं थोड़ा शरमाते हुए बोला, “कुछ नहीं. वो तो बस यूं ही है.”
अब वो मुस्कुरा दी. शायद उसने मेरी समस्या को समझ लिया था. फिर उसने कहा, “अच्छा, चलो अभी सो जाते हैं रात बहुत हो गई है”. फिर मैंने हामी भर दी तो वो अपने कमरे में चली गई और मैं भी अपने बिस्तर में लेट गया. लेकिन मुझे कहाँ नींद आने वाली थी.
रात के करीब 12 बजे में अपने बिस्तर से उठा और चुपके से सीमा के कमरे में चला गया और धीरे से उसकी चादर हटा कर उसके साथ ही लेट गया. जब कुछ देर तक उसकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैं उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा.
अब भी वो नहीं हिली तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई और मैं अपना हाथ उसकी गांड पर फेरने लगा. फिर भी नहीं हिलने पर मैंने धीरे से उसकी सलवार उतार दी और उसकी पेंटी में हाथ डाल दिया.
मेरे हाथ के स्पर्श से वो एक दम से हिली और जाग गई. अब उसने मुझे प्यार से देखा फिर धीरे से मेरी ओर खिसक आई. अब मैं अपना हाथ उसकी चूत पर फेरने लगा. उसकी चूत एक दम गीली हो चुकी थी. फिर मैं धीरे – धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा और मैंने अपने एक हाथ से मेरी पैंट खोल दी.
मेरा लंड एकदम तना हुआ था. उधर मैंने बिना वक्त गंवाए उसकी पेंटी को पूरा उतार दिया. फिर मैंने कमरे की लाईट जला दी और लंड हिलाते हुए उसके पैरों को फैलाया और उसकी नंगी चूत को देखने लगा. क्या मस्त गुलाबी चूत थी! वो भी एक दम पानी से तर. फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया. आह्ह.. क्या मस्त नमकीन सा स्वाद था!
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसके पैरों को ऊपर किया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया. सीमा शायद शर्म के मारे आँखे बंद किए हुए थी. वो ऐसी दिख रही थी मानो चूत चटवाने का पूरा मजा ले रही हो.
चूत चाटने के बाद मैंने उसकी चूत में लंड फंसा कर धीरे से धक्का मारा तो ‘फक्क’ की आवाज़ के साथ आधा लंड उसकी चूत में घुस गया. दर्द के मारे अचानक उसने आँखें खोलीं और तड़प कर कहा, “प्लीज़ धीरे – धीरे करो ना, दर्द हो रहा है”.
फिर मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका दिया और चूसने लगा. कुछ देर बाद जब वो कुछ सामान्य सी हुई तो मैंने फिर एक धक्का लगा दिया. अब मेरा लंड उसकी चूत में पूरा जा चुका था और वो दर्द से तड़पते हुए धीरे – धीरे से सिसकारियां ले रही थी.
फिर मैं लंड को अन्दर – बाहर करने लगा. अब उसे भी मजा आने लगा. फिर कुछ देर की धकापेल चुदाई हुई. इसमें उसने भी मेरा पूरा साथ दिया. थोड़ी देर में मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा, “मेरा निकलने वाला है”. तो उसने कहा, “अन्दर ही डाल दो”.
लेकिन मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और लंड को उसकी चूत से खींच लिया और उसके मुँह के पास लगा दिया और फिर उसके मुंह में ही झड़ गया. अब उसने पागलों की तरह मेरे लंड को चूस कर साफ कर दिया.
इसके कुछ देर बाद हम दोनों सो गए.
दोस्तों, अब हम दोनों खुल चुके थे इसलिए अगले दो दिन तक मैंने उसके साथ पूरी रात सेक्स करते हुए चुदाई का मजा लिया.
आपको मेरी यह सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताना. मेरी मेल आईडी[email protected]
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